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समाज

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माण्ड़वी और निशान्त कॉफी पीने लगें।माण्ड़वी ने निशान्त को देखकर मुस्कान दी और सोंचने लगीं।आज अभी इसी समय अपने मन की बात कह ही देती हूँ।...निशान्त...मैं...तुम्से कुछ कहना चाहती हूँ।मुझे गलत मत समझना।बहुत

माण्ड़वी घबरा गई और अपनी चोट़ को छोड़कर दरबाजा खोल कर बाहर आ गई। दुर्घटना देखकर आस-पास के लोग जमा हो गयें। माण्ड़वी:-आप लोग जाओ,मैं इसका इलाज करवाऊँगी। लोग एक स्वर में:-तुम पैसे बाले होते ही ऐसे हैं।पैसे

अभी:-पैसे कमाना तो दाँये हाथ का खेल हैं।मेरे पापा के पास गरीबी का भी इलाज हैं। :-वो कैसे? :-सब कुछ यही पूँछ लोगे?मेरे पापा से भी मिलोगे। :-हाँ,हाँ मैं मिलना चाहता हूँ। :-तो आज शाम ही मिलाते हैं।मेरे ज

निशान्त उस युवती को लेकर सूनसान जगह पर पहुँच गया।जहाँ अकेले में जाने से भय लगता हैं।निशान्त मर्यादाओं की हर दहलीज लाँघ चुका था।उसके सामने दौलत की चमक ही चमक दिखाई दे रही थीं।मेहनत न करना पड़े और दौलत उ

सुनैना की जुबान लड़खडा़ने लगी....मैं ...क्यों दूँ। साधु:-तो तुम्हें अधिकार किसने दिया किसी के ऊपर भी आक्षेप लगाना। सुनैना मुँह टेड़ा करके अपने घर चली गई। ग्रामबासी एक साथ कहने लगें।:-महाराज मुझसे भूल हो

सुनैना की जुबान लड़खडा़ने लगी....मैं ...क्यों दूँ। साधु:-तो तुम्हें अधिकार किसने दिया किसी के ऊपर भी आक्षेप लगाना। सुनैना मुँह टेड़ा करके अपने घर चली गई। ग्रामबासी एक साथ कहने लगें।:-महाराज मुझसे भूल हो

कृपा ने कहा,"वृंदा चुप हो जा।" वृंदा:-पापा आज आप मुझे रोको मत।जुर्म करने से जायदा जुर्म सहना महापाप हैं।यह धर्म युद्ध है,इस युद्ध का अंत हो ही जाने दों। सुनैना ने कमर पर हाथ रखकर कहा,चोरी और ऊपर से सी

(इस कहानी के सभी पात्र और घटनाए काल्पनिक है, इसका किसी भी व्यक्ति या घटना से कोई संबंध नहीं है। यदि किसी व्यक्ति से इसकी समानता होती है, तो उसे मात्र एक संयोग कहा जाएगा।  ) कानपुर शहर से कुछ

अर्जुन सी मेरी आंख मंजिल से हटती नही बाधाएं अब दिखती नही मुश्किले अब टिकती नही अर्जुन सी मेरी आँख क्षण भर भी झपकती नही ये सफलता की घूमती मछली आँख से घूरती मुझे मै आँख मे आँख डाल क्रोध से घूरती उसे अर

ममता से भरी आँखे तरसती प्यार लुटाने को बाहों मे भर कर नन्हा बचपन तरसती रोज झुलाने को गोदी मे खेले कोई नटखट थपकी दे सुलाने को हृदय संग लगाकर उसको गा-गा लोरी सुनाने को पीछे-पीछे भागूँ उसके निवाला एक ख

संसद से लेकर विधान सभाओं में शोर  सडक़ जाम कर बैठे अराजकों का शोर  हारने वालों का ईवीएम हैकिंग का शोर रैल , सभा , प्रदर्शनों में नेताओं का शोर  कार, बस, ट्रक से निकलने वाला शोर  रेल

3 अप्रैल...... रविवार..... कैसी हो डियर डायरी...? मैं बिल्कुल ठीक हूँ....। पता हैं कल मेरा रसोई घर कितना खुश हुआ था...! मुझसे ज्यादा तो वो खुश था क्योंकि सिवाय चाय के कल उसका इस्तेमाल बिल्कु

नाश्ता करने के बाद प्रवीण अपने कमरे में आ गया । मिर्च की जलन अभी खत्म नहीं हुई थी इसलिए वह थोड़ा रेस्ट करना चाहता था । पानी पीकर लह बिस्तर पर लेट गया । थोड़ी देर के बाद उसकी दीदी और रश्मि आईं । दीद

आज हमारा नववर्ष है इसलिए सबसे पहले सबको हार्दिक शुभकामनाएं। नए वर्ष के लिए कुछ लिखने की उधेड़बुन में बहुत से ख्याल मन में आये लेकिन कुछ अच्छा नहीं लगा तो फिर सोचा क्यों न कुछ जरुरी सबक लिखती चलूँ-   

----------------गौ सेवक ------( सम्पुर्ण कहानी)निगोड़ी दिन भर खाती रहती है , जितना भी दो हज़म कर जाती है । फिर भी दूध एक पाव से ज्यादा देती नहीं । ओ चुन्नू के पापा जावो इसे किसी मंडी में बेच आओ । चुन्नु

हे, कन्हैया आज फिर तुम आ जाओनिर्वस्त्र हो रही धरती की लाज बचा लोइस युग के अधर्मी मानवों के हाथों धरती को वृक्ष हरण से तुम बचालोये अधर्मी मानव कर रहा है बार-बार आज धरा के वस्त्रों को  ता

भेजा राम ने एक गुप्तचरजाओ प्रजा के बीच जाओदेखो कैसी दशा प्रजा कीआकर मुझको हाल सुनाओगया गुप्तचर भेस बदलनगर नगर घूमा रात भरलिया हाल प्रजा के मन काहिल गया अन्त:स्थल दिल कापहुँचा राजा राम के सम्मुखमौन धार

दिनाँक: 02.04.2022समय : दोपहर 1 बजेडियर डायरी,विक्रमी संवत 2079, नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं। उत्तर वालों को गुड़ी पड़वा और दक्षिण वालों को उगादी की ढेर सारी शुभकामनाएं!💐💐💐💐💐 नौदुर्गा और नवर

हरीश एक बहुत ही सीधा-साधा और भोला-भाला लडका था। जो बहुत ही मासूमियत के साथ रहता था। उसकी मासूमियत को देखकर सभी को दया आ जाती थी। दुबला-पतला शरीर और हमेशा एक थकी हुई सी जिंदगी जो उसे जीने के लिए मजबूर

हैलो कैसी हो सखी।        मै अच्छी हूं चैत्र नवरात्र की हार्दिक शुभकामनाएं। मां शेर सवार हो कर आपके घर पधारे और सब मनोकामनाएं पूर्ण कर दे। मुझे याद है जब मै छोटी थी तो हर छमाही के न

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