डॉ दिनेश शर्मा के साथ निकलते हैं आज फिर एक नए सफ़र पर...उम्र भर सफर में रहा : दिनेश डॉक्टरअगलीसुबह मार्ग्रेट का, जो मुझे साल्जबर्ग के किले से उतरते वक़्त टकराई थी और जिसने मुझे वियना कीघूमने वाली जगहों की लिस्ट बना कर दी थी, फोन आ गया | जब मैंने बताया की मैं वियना में ही हूँ तो बहुत खुश हुई और दोपहर क
डॉ दिनेश शर्मा का एक और शब्दचित्र - वाह विएना ! वाह !!श्वेडन प्लाटज़बड़ा स्टेशन था |यहां से मुख्य ट्रेन स्टेशन , बस स्टेशन और हवाई अड्डे केलिए अंडर ग्राउण्ड ट्यूब रेलवे के नेटवर्क थे | बगल में हीडेन्यूब के किनारे छोटा सा नाव पोर्ट था जहां से हंगरी में बुडापेस्ट औरस्लोवाकिया में ब्रात्सिलावा के लिए जेट
डॉ दिनेश शर्मा का यात्रा वृत्तान्त... हमेशा की तरह एक ख़ूबसूरतशब्दचित्र...खूबसूरत वियना की बाहों में : दिनेश डॉक्टरविएना पहुंचा तोलगा जैसे विएना शहर नही एक खूबसूरत लड़की है जिसने मुझे आगे बढ़कर अपनी बाहों में भरलिया है| सबसे पहले उतर करपूछताछ खिड़की पर गया और लोकल ट्रामों, ट्रेनों और अंडरग्राउंड ट्यूब र
डॉ दिनेश यात्रा वृत्तान्तों में पूरा शब्दचित्र उकेर देने में माहिर हैं...पूरी सैर करा देते हैं उन स्थलों की जहाँ जहाँ उन्होंने भ्रमण किया है... ऐसा हीएक और यात्रा वृत्तान्त...साल्जबर्ग में आखिरी दिन : दिनेश डॉक्टरकेबल कार सुबहसाढ़े सात बजे चलनी शुरू होती थी । नाश्ता सुबह साढ़े छह बजे ही लग जाता था । ज
डॉ दिनेश शर्मा के यात्रा संस्मरण, जिनमें समूची यात्रा के शब्दचित्र उकेरे हुए हैं...मिराबेल पैलेस का महिला वायलन बैंड - दिनेश डॉक्टरपहाड़ी से नीचेउतर कर पैलेस के परिसर से वापस बस स्टैंड पर आकर पच्चीस नम्बर की बस पकड़ करसाल्जबर्ग शहर के सेंटर में उतर गया | सुबह का मुफ्त का नाश्ता कभी
आज का दिन एक बार फिर बीती यादों की ओर लिए जा रहा है ।आज ही के तीन साल पहले शब्दनगरी पर टििप्पणी के लिए बनाये गए अकाउंट ने मेरी जिंदगी बदल दी थी। उन सभी पाठकों और सहयोगियों की ऋणी रहूँगी, जिन्होंने मेरी इस शानदार रचना यात्रा में मुझे अतुलनीय सहयोग दिया। आभार...आभार
डॉ दिनेश शर्मा का यात्रा संस्मरण – जो वास्तव में शब्दचित्र उकेर देताहै...साल्जबर्ग 'दसाउंड ऑफ म्यूजिक' : दिनेश डॉक्टरवैसे तोसाल्जबर्ग हमेशा से ही बेहद खूबसूरत शहर रहा है पर हॉलीवुड की मशहूर अभिनेत्रीजूली एंड्रयूज़ की 1965 में रिलीज हुई सुपर हिट फिल्म साउंड ऑफ म्यूजिक , केबाद और भी प्रसिद्ध हो गया । फ़
अपने गाँव के कविनुमा व्यक्ति को जब मैंने पहली बार अपने घर की बैठक में देखा , तो मेरे आश्चर्य का कोई ठिकाना ना रहा | मैं उन्हें आज अपने घर की बैठक में पहली बार देख रही थी |इससे पहले मैंने उन्हें अपने गाँव की अलग -अलग गलियों में निरर्थक घूमते देखा था या फिर जहाँ - तहां मज़मा जोड़कर सुरीले स
चप्पल हमारी कालोनी के तीन तरफ ऊँची दीवार है और दीवार के पीछे काफी बड़ा और घना जंगल है. इस दीवार की वजह से आप जंगल में नहीं जा सकते हैं, और न ही जंगलवासी इस तरफ आ सकते हैं. दीवार के कारण जंगल वासी समझते हैं कि वो सेफ हैं और कॉलोनी वाले समझते हैं कि वो सेफ हैं ! कभी कभी एकाध
चिड़िया प्रेरणास्कूल का पहला दिन । नया सत्र,नए विद्यार्थी।कक्षा में प्रवेश करते ही लगभग पचास खिले फूलों से चेहरों ने उत्सुकता भरी आँखों और प
हमारी छोटी- छोटी खुशियाँ ( भाग- 4) दीपावली की वह शाम************************** नियति ने हमारे लिये क्या तय कर रखा है, हम नहीं जानते, कहाँ तो मैं इस चिंता में दुःखी था कि घर पहुँचने पर भोजन क्या कर
हमारी छोटी-छोटी खुशियाँ( भाग- 3 )*************************** सच कहूँ तो पहले अभाव में भी खुशियाँ थीं और अब इस इक्कीसवीं सदी में सबकुछ होकर भी खुशियों का अभाव है।**************************** पिछले कुछ महीनों में स्वास्थ्य तेजी से गिरा है, फिर भी ठीक पौने चार बजे ब्रह्ममुहूर्त में शैय्या त्याग
हमारी छोटी-छोटी खुशियाँ( भाग- 2)*************************** परम्पराओं के वैज्ञानिक पक्ष को तलाशने की आवश्यकता है , उसमें समय के अनुरूप सुधार और संशोधन हो , न कि उसका तिरस्कार और उपहास ..**************************** यह परस्पर प्रेम
मौत से हमेशा डरता था मैं, मरने से नही, बस ख्याल ये रहता था कि मौत के बाद कैसा लगता होगा, हम कहाँ
कह दो की ये अफवाह है कह दो की ये अफवाह है कह दो ना या फिर मुझे क
माँ , महालया और मेरा बालमन...************************** आप भी चिन्तन करें कि स्त्री के विविध रुपों में कौन श्रेष्ठ है.? मुझे तो माँ का वात्सल्य से भरा वह आंचल आज भी याद है। ****************************जागो दुर्गा, जागो दशप्रहरनधारिनी,अभयाशक्ति बलप्रदायिनी, तुमि जागो... माँ - माँ.. मुझे भी महाल
मध्य प्रदेश का छोटा सा शहर खजुराहो अपने मंदिरों के कारण विश्व प्रसिद्द है. ये सभी मंदिर विश्व धरोहर - World Heritage Site में आते हैं. भोपाल से खजुराहो की दूरी 380 किमी है और झांसी से 175 किमी. खजुराहो हवाई जहाज, रेल या सड़क से पहुंचा जा सकता है. हर तरह के होटल और अन्य सुव
मध्य प्रदेश का छोटा सा शहर खजुराहो अपने मंदिरों के कारण विश्व प्रसिद्द है. ये सभी मंदिर विश्व धरोहर - World Heritage Site में आते हैं. भोपाल से खजुराहो की दूरी 380 किमी है और झाँसी से 175 किमी है. खजुराहो छतरपुर जिले का हिस्सा है. खजुराहो में एक एयरपोर्ट भी है. इसके अलावा
चंद्रा साब नहा कर बाथरूम से गुनगुनाते हुए बाहर निकले. ना तो गाने के बोल और ना ही गाने की ट्यून समझ आ रही थी. जो भी हो चन्द्र सब के चेहरे पर संतोष की झलक थी. सुबह सुबह का सबसे भारी काम निपट गया. ये तो धन्यवाद देना होगा गीज़र को कि सुबह नहाना धोना आसानी से हो जाता है.बाहर आक
मैनेजर की प्रमोशन हुई तो पोस्टिंग मिली आसाम में. बोरिया बिस्तर लपेटा और पहुँच गए सिलचर. हरा भरा, प्रदुषण मुक्त और सुंदर प्रदेश लगा. छोटे छोटे शहरों में मकान मिलने में ज्यादा समय नहीं लगता. तुरंत ही अड्डा जमा लिया और बैंक का काम चालू करने में देर नहीं लगी. दिल्ली की बड़ी बड़