डॉ दिनेश शर्मा का एक और शब्दचित्र - वाह विएना ! वाह !!
श्वेडन प्लाटज़
बड़ा स्टेशन था |
यहां से मुख्य ट्रेन स्टेशन , बस स्टेशन और हवाई अड्डे के
लिए अंडर ग्राउण्ड ट्यूब रेलवे के नेटवर्क थे | बगल में ही
डेन्यूब के किनारे छोटा सा नाव पोर्ट था जहां से हंगरी में बुडापेस्ट और
स्लोवाकिया में ब्रात्सिलावा के लिए जेट बोट्स चलती थी |
बुडापेस्ट पांच घंटे में और ब्रात्सिलावा अढ़ाई तीन घंटे में पहुंचा जा सकता था |
शुक्रवार की शाम
यानी कि वीकेंड की शाम थी और विएना छुट्टी के मूड में आ चुका था | श्वेडन प्लाटज़ पर बहुत गहमा गहमी
थी | ट्राम से ही स्टीफेंसडॉम की ऊंची ऊंची मीनारें नज़र आ
गयी थी | छोटे छोटे कियोस्क्स पर बियर और हॉट डॉग्स बिक रहे
थे | आइसक्रीम के पार्लर्स पर लंबी लंबी लाइने लगी थी | रेस्तराओं के बाहर सजी कुर्सी मेजों पर सिगरेट के धुएं और ठहाकों के बीच
शराब, वाइन, बियर, पिज़्जा, सेंडविचेज के दौर चल रहे थे | व्हाट्सएप पर जालन्धर से मित्र हरदीप ओबराय का फोन आ गया तो वीडियो चैट
पर उसे भी इस मस्ती भरे माहौल में शामिल कर लिया और सब लाइव दिखाता रहा |
बांयी तरफ मुड़ कर
वो सड़क पकड़ ली जो सीधे स्टीफन्स डॉम की तरफ जाती थी | आइसक्रीम पार्लर्स, पब्स, रेस्तराओं और पैदल चलने वालो के बीच से निकलता
हुआ खूब चौड़े और भव्य सेंट स्टीफन्स प्लाटज़ के स्क्वायर पर पहुंच गया | यहाँ तो कार्निवाल जैसा माहौल था | लम्बे ऊंचे घोड़े
और खूबसूरत बग्घियां थी, रंग बिरंगे रिक्शे थे, क्लेरियट बजाने वाले स्ट्रीट म्यूजिशियन थे, सैंकड़ो
की तादाद में नेपथ्य में उठते संगीत पर थिरक थिरक कर चलते लड़के लड़कियां, स्त्री पुरुष, बच्चे बूढ़े और उनके साथ चैन से
नियंत्रित कुत्ते थे | जैसे कि एक बड़ा मेला जैसा लगा हुआ था | मेरे बांयी तरफ एक सौ सात मीटर ऊंची मीनारों वाला विशाल स्टीफन्सडॉम पूरी
भव्यता के साथ खड़ा था| लगभग नौ सौ बरस पहले तेईस सालों में
पूरा हुआ स्टीफन्सडॉम, विएना की रोमन कैथोलिक परंपरा के
आर्चबिशप का प्रतिष्ठित मठ है और पिछली नौ शताब्दियों से विएना का सबसे महत्वपूर्ण
लैंडमार्क भी...
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