
डॉ दिनेश यात्रा वृत्तान्तों में पूरा शब्दचित्र उकेर देने में माहिर हैं...
पूरी सैर करा देते हैं उन स्थलों की जहाँ जहाँ उन्होंने भ्रमण किया है... ऐसा ही
एक और यात्रा वृत्तान्त...
साल्जबर्ग में आखिरी दिन : दिनेश डॉक्टर
केबल कार सुबह
साढ़े सात बजे चलनी शुरू होती थी । नाश्ता सुबह साढ़े छह बजे ही लग जाता था । जल्दी
जल्दी नाश्ता कर वापस पच्चीस नम्बर बस के स्टैंड पर पहुंच गया । बस भी जल्दी ही
मिल गयी और साढ़े आठ बजे तक केबल कार स्टेशन पर पहुंच गया । मन प्रसन्न हो गया जब
देखा कि केबल कार पर्यटकों को ऊपर ले जा रही है । हवा भी आज शान्त थी और आसमान
खुला हुआ था । पर्वतों में नीचे से ऊपर जाने का अनुभव वाकई बहुत नूतन और
आह्लादकारी होता है । टूरिस्टस, जिनमे बहुत सारे एक दिन पहले वाले ही कोरियन और चाइनीज लोग थे, आज भी लाइन में लगे सेल्फियां खींच रहे थे । केबल कार बड़ी थी और एक बार
में पंद्रह से बीस लोग समा सकते थे । जहां एक ओर ज्यादातर जापानी पर्यटक बहुत
सौम्य, विनम्र, शांत और अंतर्मुखी होते
है वहीं दूसरी तरफ अधिकांश कोरियन, चाइनीज और वियतनामी
टूरिस्ट्स ठीक विपरीत होते हैं ।
केबल कार ऊपर
उठनी शुरू हुई तो नीचे के दृश्य पेनारोमिक होते चले गए । धीरे धीरे पूरे साल्जबर्ग
शहर का फैलाव और सिटी लाइंस नज़र आने लगी । थोड़ी देर बाद ही केबल कार बर्फ से ढकी
चोटियों के बीच से गुजरने लगी । चारों तरफ सफेद झक्क बर्फ । कई जगह तो ऐसा भी लगा
कि हाथ बढ़ा कर बर्फ समेट लो ।
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