कल यानी 13 दिसंबर को संसद में दो दो बड़ी घटनाएं सामने आईं। ये घटना उसी दिन हुई थी जिस दिन आज से 22 साल पहले यानी 13 दिसंबर 2001 को एक टैटू घटना हुई थी। जिस दिन मासूम के अंदर गोलियों की तड़तड़ाहट से पूरा देश सहम गया था और उसमें आतंकियों समेत 9 लोग शहीद हो गए थे। इसके जवाब में सुरक्षा कर्मियों ने 5 कर्मियों को रखा था।
संसद पर हमला 2023
इस दिन संसद के लिए एक बहुत बुरा दिन था और इसके जवाबी हमलों में सुरक्षा कर्मियों ने 5 मशीनों को मारा था। अभी कुछ दिन पहले भी फोटोग्राफर गुरुपतवन्त सिंह पी बॉल अटैक में भी भगदड़ मच गई थी। अब इन सब बातों को और संसद की सुरक्षा को और बढ़ाने के बावजूद भी दो सदस्य संसद के बाहर बैलून करने लगे, उनमें एक महिला और एक पुरुष के हाथ में टायर गैस लगी थी लेकिन जल्द ही सुरक्षा कर्मियों ने उन्हें पकड़ लिया। लेकिन इसके कुछ देर बाद फिर से गड़बड़ी हो गई और दो अचरज संसद के अंदर ही कूद पड़े, नारेबाज़ी करने लगे जिसे देखकर आश्चर्य चकित हो गए और जैसे ही उसे फेंकने के लिए दौड़ें और सुरक्षाकर्मी उसे बहार की ले जाने लगे। उसने तुरंत ही शोरूम में से एक गैस छोड़ दी।
संसद में हमला किया गया?
संसद पर हमला किसने किया
असल में ये हमला कोई अचानक से होने वाला हमला नहीं है बल्कि इसके पीछे एक सोची-समझी स्कीम नजर आती है, शार्क वो बड़ी सुरक्षा और पूरी योजना के साथ आया था। संसद भवन में जाने से पहले पूरी दुकान चलती है और आधार कार्ड देखने के बाद ही संसद भवन के पास कन्फर्म होता है। फिर भी इन सबमें वो अपने जूतों में एक नज़र छिपाया लाया। संसद में हमला क्या हुआ? संसद के बाहर हुई घटना में दिल्ली पुलिस ने दो लोगों पर हमला किया। इनका नाम निज़ाम और अनमोल शिंदे है। निज़ामुद्दीन महिला है और उसकी उम्र 42 साल है।
सांसदों ने दी प्रतिक्रिया
कांग्रेस सांसद कार्ति चितंबरम ने मीडिया से बात करते हुए लोकसभा में हुए इस घटना का विवरण दिया। उन्होंने कहा, 'अचानक दर्शक दीर्घा से दो 20 वर्षीय लड़कों ने छलांग लगा दी। दोनों के हाथों में कनस्तर था, जिसमें पीले रंग का पाउडर था। उनमें से एक स्पीकर की तरफ बढ़ रहा था। उनलोगों ने नारेबाजी भी किए। धुंआ हानिकारक भी हो सकता था। यह संसद में सुरक्षा में हुई चूक का गंभीर मामला है। घटना 13 दिसंबर को हुई है. यह वही दिन है जब 2001 में संसद भवन पर हमला किया गया है।'
संसद में सुरक्षा में हुई चूक पर समाजवादी पार्टी की सांसद डिंपल यादव ने कहा, 'जो भी संसद में आए, वे या तो दर्शक थे या पत्रकार। उनके पास टैग नहीं था। मुझे लगता है कि सरकार को इसे गंभीरता से लेना चाहिए। मुझे लगता है कि यह पूरी तरह से सुरक्षा में चूक है। लोकसभा के अंदर कुछ भी हो सकता था।'
कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने भी मीडिया से बात की। उन्होंने कहा, 'दो युवाओं ने लोकसभा में छलांग लगा दी। उन्होंने कुछ फेंका जिससे गैस निकलने लगा। सांसदों ने उन्हें पकड़ा, बाद में सुरक्षाकर्मी उन्हें बाहर ले गए। सदन को दो बजे तक के लिए स्थगित कर दिया गया है। यह एक गंभीर मामला है, क्योंकि आज 2001 में संसद भवन में हुए हमले की बरसी है।'
शिवसेना सांसद अरविंद सावंत ने बताया कि इस घटना में कोई भी घायल नहीं हुआ है। उन्होंने कहा, 'जब उनलोगों ने छलांग लगाई तब पीछे की सभी बेंच भरी हुई थी, इसलिए वह पकड़े गए। दो मंत्री सदन के अंदर थे।'
टीएमसी सांसद सुदीप बंधोपाध्याय ने इस घटना को भयानक अनुभव बताया है। उन्होंने कहा, किसी को भी उनके मकसद का अंदाजा नहीं था। वह ऐसा क्यों कर रहे हैं यह भी नहीं मालूम। हम सदन से तुरंत बाहर निकल गए। यह सुरक्षा में चूक है। वह सदन के भीतर धुंआ छोड़ने वाले उपकरण लेकर कैसे आ सकते हैं?
लोकसभा स्पीकर ने क्या कहा
लोकसभा में शून्य काल के दौरान दो लोगों के गैलरी से कूदने की घटना के बाद सदन की कार्यवाही जब दोबारा शुरू हुई तो स्पीकर ओम बिड़ला ने कहा कि सदनों को कोई रोक नहीं सकता।
स्पीकर बिड़ला ने कहा, "कितनी भी विपरीत परिस्थिति हो, उसके बाद भी सदन चले, ये हम सबकी ज़िम्मेदारी है। उस घटना के बाद भी सदन चला था, कोई सदनों को रोक नहीं सकता।"
आज शून्य काल के दौरान दो लोग लोकसभा की दर्शक दीर्घा से नीचे कूद गए और उन्होंने धुआं फैला दिया।सुरक्षाकर्मियों ने उन्हें पकड़ लिया गया।इसके बाद सदन की कार्यवाही दो बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई।
लोकसभा की कार्यवाही दोबारा शुरु हुई तो स्पीकर बिड़ला ने कहा, "जो घटना शून्य काल के समय घटित हुई थी, उस घटना की लोकसभा अपने स्तर पर जांच कर रही है।इस बारे में दिल्ली पुलिस को भी आवश्यक निर्देश दे दिए गए हैं।"
उन्होंने कहा, "जो हम सबकी चिंता थी कि वो धुआँ क्या था, प्रारंभिक जांच में जानकारी हुई है कि वो साधारण धुआं था, सनसनी फैलाने वाला धुआं था इसलिए चिंता करने की ज़रूरत नहीं है।"
स्पीकर ने बताया, "वो दोनों लोग पकड़ लिए गए हैं। उनकी सारी सामग्री को जब्त कर लिया गया है और जो दो लोग बाहर थे, उनको भी गिरफ़्तार कर लिया गया है।"
जिस वक़्त ये घटना हुई, उस वक़्त पीठासीन अधिकारी राजेंद्र अग्रवाल स्पीकर की कुर्सी पर बैठे हुए थे.
राजेंद्र अग्रवाल ने संसद के बाहर आकर मीडिया से कहा, "दर्शक दीर्घा से एक व्यक्ति गिरा, हमें ऐसा लगा कि वो गिरा है। मगर दूसरा व्यक्ति रेलिंग पकड़कर कूद रहा था।तो ध्यान में आया कि दोनों ही कूदे होंगे। उसमें से एक ने जूते में कुछ चीज निकालकर धुआं फैलाया।चिट-पिट की आवाज़ हुई. बाद में सुरक्षाकर्मियों ने उनको पकड़ लिया था।उनको लेकर गए।अब पता चलेगा कि कौन हैं, कहां से आए. किस संगठन से थे।"
समाचार एजेंसी एएनआई के शेयर किए वीडियो में दिल्ली पुलिस के हवाले से बताया गया, ''दो प्रदर्शनकारियों को ट्रांसपोर्ट भवन के बाहर से हिरासत में लिया गया है।ये लोग स्मोक के ज़रिए प्रदर्शन कर रहे थे।ये घटना संसद के बाहर हुई है।''
निष्कर्ष:
संसद पर हुए इस हमले के परिणामस्वरूप, सुरक्षा पर और राजनीतिक प्रक्रियाओं पर बड़ा असर पड़ा। यह एक अविश्वसनीय घटना थी जो देश के लोगों में चिंता और उत्सुकता को उत्पन्न करती है। साथ ही, इसने राजनीतिक संघर्षों को भी एक नया आयाम दिया जिससे देश की राजनीति में संभावित बदलाव आ सकता है।