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सोसाइटी

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गौरैया...आजकल बहुत ही कम दिखती है शहर के मकानों की छतों पर,बालकनी में,यहां तक कि पेड़ों पर भी।उनका अस्तित्व अब लुप्तप्राय हो चुका है लगभग लगभग।कभी कभी दिख जाती हैं फुदकती हुई मेरे बरामदे में तो उनकी च

सखि, 28 मई को तेलांगना राज्य की राजधानी हैदराबाद में शाम  साढे पांच बजे के बाद एक 17 वर्ष की नाबालिग लड़की के साथ 5 युवकों ने इनोवा कार में सामूहिक बलात्कार कर हैदराबाद और वहां की सरकार का न

साकेत - ( आदित्य से ) तुम अनिका और सौम्या को लेलो .... और हम ... प्राची और प्रिया को ले लेते है ।🙂आदित्य - okk ... फिर चलो जल्दी से बैठो तुम लोग👨🏻 ( अनिका और सौम्या से कहता है )सौम्या हाँ में सर हि

सखि, सुना है कि कानपुर में कथित शांति समुदाय ने भयंकर हिंसा कर दी है । हिंसा भी किस दिन और कब शुरू की गई,  यह जानना बहुत ही जरूरी है । इस समुदाय के द्वारा सप्ताह में एक दिन अपने धार्मिक

अनिका अपने दोस्तों से कही साथ में घुमने जाने को कह रही थी और वो ये भी कह रही थी , कि अगर कोई अपने साथ किसी और को भी लेना चाह रहा होगा ,तो वो लेले। हम जितने अधिक होगें । उतना ही मजा 🤗आयेगा । साथ में ख

सखि, तुम्हें तो पता ही है कि मेरा पौत्र शिवांश 29 मई को 6 माह का हो गया है । अब उसकी काली काली जुल्फें हवा में उड़ने लगी हैं । मुझे तो डर लगने लगा था कि कहीं उसकी उड़ती जुल्फों पर किसी हसीन गुड़ि

(भाग-8) कालू की गिरफ्तारी सुबह के सात बज चुके थे। चाची ने आवाज दी। बीना...ओ बीना... बेटा...जल्दी उठ जा। आज तो तुझे कालू को गिरफ्तार करना है और...उदय को घर लाना है। चाची की आवाज सुनकर बीना अनमनी सी उ

(भाग- 7)इंस्पेक्टर बीना की योजना अब इंस्पेक्टर बीना को कालू दादा के ठिकाने का पता लग चुका था। बीना ने उसके गैंग को पकड़ने के लिए योजना बनाना शुरू कर दिया। सबसे पहले बीना ने अपने साथियों के स

भाग-6इंस्पेक्टर बीना की खोजअब इंस्पेक्टर बीना ने अपनी पूरी टीम तैयार की...और पूरी मुस्तैदी से कालू दादा और उसके साथियों की गिरफ्तारी के लिए लग गई। हरेक दिन एक-एक गांव का दौरा किया गया...आस-पास के जंगल

मिसेज भाटिया के घर के बाहर कोई बहुत सुन्दर गुलदस्ता फेंक गया था। इसके फूल बहुत सुन्दर थे और गुलदस्ता भी बिल्कुल नया था। मिसेज भाटिया का मन तो बहुत कर रहा था कि वह उस गुलदस्ते को उठाकर घर ले आये पर संक

प्रतिलपि सखि, पूरे देश में कोहराम मचा हुआ है । चारों ओर चीख पुकार हो रही है । दरबारी "रूदाली" बनकर जार जार रोये जा रहे हैं ।  चापलूस और चाटुकार आंखों में ग्लिसरीन डाल डालकर नौ नौ आंसू बहाकर

सारा दिन थकान-थकान करके पूरा घर सिर पर उठाए रहती हो । तुम आखिर करती ही क्या हो? बस घर के ये छोटे-मोटे काम और इतने में ही तुम थक जाती हो?ये बात लगभग हर घरेलू महिला को सुनने को मिलती है । सुबह सबसे

आज मैं अपनी मौसी को उनके बेटे लड्डू को पढ़ाते हुए देख रही थी । लड्डू अभी चार साल का है और बहुत शैतान है । मौसी उसे पढ़ाते हुए चिड़चिड़ा जातीं और अक्सर उसे एक-दो थप्पड़ भी रख देतीं क्योंकि वो पढ़ने की बजाय

कहते हैं ना कि कोई चीज़ हमेशा प्राथमिकता नहीं रहती। वक़्त के साथ-साथ हर चीज़ का विकल्प मिल जाता है । हाँ! बहुत समय से यह मान्यता थी कि इंसान का कोई विकल्प नहीं हो सकता लेकिन इंसान के दिमाग ने ही इस धारणा

 2019 से हम पर हुई कोरोना की वार,  लाखों हुए बीमार और लाखों गए सिधार,    अगणितों की गई नौकरी हुए बेरोज़गार,  कोरोना ने मान लिया कि हम जाएंगे हार, हमने मास्क को अपना ढ़ाल बनाया, सैनिटाइज़र से कर दिया

मनुष्य के जीवन में मनुष्य के अलावा जानवर भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इस दुनिया में मनुष्य की नीयत चाहे बदल जाये लेकिन जानवर अपनी नीयत कभी भी नहीं बदलते हैं । वे अपने मालिक प्रति पूरी इमानदारी और

बचपन से बहुत चंचल और हंस मुख चेहरा लिए हुए घर के आंगन में खेलता हुआ सुनील बहुत ही प्यारा लगता था। उसके मुख की हंसी खिलते हुए चांद की तरह दिल को तार-तार कर देता था। उसके बचपन की यादें हर किसी के मन को

रमेश के केस करने के बाद उच्च जाति के सभी लोगों में भय व्याप्त हो गया। इस केस में जिन लोगों के नाम लिखाये गये थे। उनके मन में डर बैठ गया था। इसलिए उन लोगों ने गांव छोड़ दिया था। उच्च जाति के लोगों का

मैं भी एक लड़की हूँ  दिखने में कमज़ोर लगती हूँ।आजादी है मुझे भी भरपूर पर संस्कारों को साथ लेकर चलती हूँ।।                    हाँ मैं भी एक लड़की हूँ

वो अल्फाज ही होते हैं ना! जो कभी जख्म देते हैं और कभी मरहम का काम करते हैं। कभी खंजर से भी पैने होते हैं और कभी मखमल से भी मुलायम। अल्फाज तो वही हैं। कुछ बदलता है तो बस बोलने का तरीका और बोलने वा

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