भाग 21
सुमन कि बुआ उस से कॉल करके पूछती है तो वह सब बताती हैं तो मोहनी कहती चलो एक बोझा काम होगा , सुमन कहती है," क्या बुआ अब आपको भी मैं बोझ लगने लगी ," !! मोहनी हंस कर कहती हैं, " बेटी बोझ नहीं होती पर जब तक उसकी शादी नही होती उसकी टेंशन बनी रहती है,"!!
अर्पित अपने कमरे में बैठा सोच रहा है कि वह क्या करे उसका दिल कह रहा कि एक बार चूरू जा कर आ जाए, वह एक बार तसल्ली कर ले कहीं वह फसी तो नही है ,हो सकता हो कि उसके फादर उसको बात नही करने दे रहे हों, या उसके साथ कुछ गलत ना हुआ हो, वह दूसरे दिन चुरू जाने की सोचता है,वह गूगल पर सर्च कर चुरू का रूट देखता है, वह देखता है कि उसे झुंझुनूं एयरपोर्ट उतर कर बाय रोड चुरू जाना होगा ,वह टिकट बुक करता है और फिर आगे के लिए कार भी बुक करता है, सुबह 8 बजे की फ्लाइट पकड़नी है तो 6 बजे एयरपोर्ट पहुंचना होगा तो जल्दी सोना होगा, वह डिनर कर सोने जाता है, ,!
सुबह सुमन अर्पित कि खिड़की बंद देखती है, तो समझ गई कि वह चला गया है, वह प्रदीप राठौर को कॉल करके बताती हैं तो वह कहता है " नो प्रोब्लम अब नंदिनी ही उसे मना कर देगी ,और मुझे सपोर्ट करने के लिए धन्यवाद अगर कभी भी मेरी जरूरत हो तो बेझिझक कॉल कर लेना, "!! वह कहती है," अंकल आपसे एक रिक्वेस्ट है मैने इतनी आपकी हेल्प कि है तो आप मेरी एक हेल्प करिएगा ,अर्पित पर कोई आंच नहीं आनी चाहिए ,नही तो मुझे बहुत दुख होगा आपका साथ देने के लिए ,मैने आपका अच्छा सोचा तो मैं किसी और का बुरा नही चाहती हू प्लीज उसे सही सलामत प्यार से समझा कर भेज दीजिएगा,"!! वह कहता है" ठीक है,और फ़ोन काट देता है,सुमन मन ही मन खुश होती है ,वह मिताली को फोन कर बुलाती हैं,"!!
अर्पित झुंझुनूं एयरपोर्ट उतर कर बाहर आता है , बाहर उसके लिए टैक्सी ड्राइवर नेम बोर्ड लेकर खड़ा था, अर्पित गाड़ी में बैठता है , और ड्राइवर से कहता है कि कहीं अच्छी चाय पिलाओ भाई, ड्राइवर उसे लेकर एक चाय कि दुकान पर रोकता है और वहा दोनो चाय पीते हैं, ड्राइवर बताता है कि यहां चाय बहुत ही अच्छी मिलती है ,अर्पित भी इस बात को मान जाता है क्योंकि चाय वाकई बहुत ही अच्छी और टेस्टी थी, गाड़ी फिर आगे बढ़ती है,
सुमन के पास मिताली आती है, सुमन खुश होकर कहती हैं ," यार सब सेट समझ ,वहां से आकर वह सीधे मुझे प्रपोज करेगा ,"!! मिताली पूछती हैं" ऐसा क्या हुआ है, जो तू इतना कन्फर्म हो गई है,"!! सुमन उसे सब बताती हैं तो मिताली आश्चर्य से उसे देखती है, और कहती हैं ," तु तो शुरू से ही ट्रीमेंड्स रही है ,जो चाहा वो पाया पर थोड़ा वेट कर ले जब तक वो आ ना जाए, ये ईश्क का चक्कर बड़ा खराब होता है,कब पलटी हो जाए पता नहीं,"!! सुमन उसे डांट कर कहती है,*" शट अप यार ,! तु जब भी बोलती है , उल्टा ही बोलती है ,मुझे नेगेटिव बातें एकदम से पसंद नही है, "!! मिताली कहती है, " अरे यार मैं ये नहीं कह रही हूं की वो नही आयेगा पर वहां जाने पे क्या सिचुएशन होगी पता नही है ना,"!! उसी समय पुष्पा चाय लेकर आती है और कहती है " मिताली इसका क्या चक्कर चल रहा है , ना ढंग से खाती पीती है और न ही आने जाने का कोई टाइम है, मुझे लग रहा है जैसे हाथ से निकलती जा रही है,"!! सुमन कहती है " क्या मां , तुम भी ना मैं कहीं नहीं जाने वाली यही तुम्हारे साथ ही रहूंगी ,हमेशा परेशान करूंगी , "!!
अर्पित चुरू पहुंचता है और वह प्रदीप राठौर के घर पहुंचता है प्रदीप घर के बाहर ही अपने दोस्तो के साथ बैठा है, वह अर्पित को देख मन ही मन बहुत क्रोधित तो होता है, पर सुमन को दिए वचन से चुप हो जाता है, वह बेटे सुरेश को कहता है " देख भाई मुंबई से मेहमान आया है ,इसे चाय पानी पिला और वापस भेज ,"!! अर्पित उन्हे प्रणाम करता है और कहता है " अंकल आपसे कुछ पर्सनल बात करनी है, "!! प्रदीप दोस्तो को देखता है और कहता है " ठीक है भाईयो अब आप लोग चलिए मैं जरा इनसे कुछ खास बाते हैं वह निपटा लूं फिर शाम को मिलते हैं "!! वो लोग जाते हैं,
वह अर्पित को सामने बैठने का इशारा करता है, तो वह जाकर बैठता है, प्रदीप पूछता है " बोल भाई तू यह से सही सलामत जाना चाहता है या टुकड़ों में, यहां तेरा मामा बचाने नही आयेगा और अब मैं उसके अंडर में भी नही हूं, तु चाय पानी पी चाहे तो तुझे बढ़िया खाना भी खिला देंगे पर चुप चाप बिना कोई टेंशन क्रिएट किए निकल जा इसमें दोनो की भलाई है,"!!
आगे कि कहानी अगले भाग में पढ़िए"!!