भाग 11
मोहिनी अपनी गाड़ी में सुमन और मिताली के साथ बैठती है वह एक सिपाही को उसकी स्कूटी लाने के लिए कहती हैं, उनकी गाड़ी आगे बढ़ती है, मोहिनी सुमन को अपने से चिपका कर ऐसे बिठा रखी थी जैसे वह कहीं भाग जाएगी , खून के रिश्ते भी बड़े अजीब होते हैं, अगर चाहेंगे तो टूट कर ,वैसे भी सारे रिश्ते मिल सकते हैं पर सगे खून के रिश्ते किस बजा से ला सकते हो, भगवान भी एक ही बार देता है,वही प्यार आज मोहिनी की आंखों में था और सुमन भी ऐसे चिपकी बैठी थी जैसे कोई 5 साल की बच्ची हो, मोहिनी का एक बेटा है को लंदन में मेडिकल स्टूडेंट है, बहुत जल्दी वह भी डॉक्टर बन जायेगा , मोहिनी भी रास्ते भर अपने पुराने दिनों की याद ताजा कर रही थी , जो छोटा भाई उसे जान से भी प्यारा था उसे कितने सालो के बाद देखने जा रही थी, मिताली कहती हैं ," घर आ गया, "!! गाड़ी घर के सामने रुकती हैं , संजय का भी छोटा सा थ्री B H K का रॉ हाउस था , सुमन और मिताली उतर कर गेट खोलते हैं तो गाड़ी गेट के अंदर लेकर खड़ी करते हैं, गेट के खुलने की आवाज से संजय और पुष्पा ऊपर से झांकते हैं दोनो ही ऊपर बेडरूम में थे , उनकी गाड़ी हफ़्ते भर से गैराज में थी तो गेट खुलता ही नही था , स्कूटी तो छोटे गेट से निकल जाती थी, संजय एक बड़ी गाड़ी पुलिस के साथ देख चकरा जाता है, पर सुमन और मिताली को साथ देख वह सोचता है की इनका कोई फ्रेंड होगा पर जैसे ही मोहिनी नीचे उतरती है उसे देख संजय चौक उठता है , और हतप्रभ सा रह जाता है, पुष्पा मोहिनी को देख पूछती हैं ," क्या हुआ तुमको ,"?? ये कौन है ,( सोच कर ) दीदी ,!!! संजय हां में सर हिलाया और नीचे की तरफ भागा, उसके पीछे पुष्पा भी भागी , मोहिनी सुमन के साथ हाल में घुसती हैं तभी संजय आकर रोता हुआ मोहिनी के चरणों में गिर पड़ता है ,पुष्पा भी आकर पैर छूती है, मोहिनी संजय को उठा कर गले लगाती है और पुष्पा को भी गले लगाती है कोई भी बोलने की स्थिति में नहीं था, सुमन और मिताली भी ये प्यार देख हतप्रभ रह गई, बड़ी मुश्किल से मोहिनी बोली " नालायक कभी बहन की याद नही आई, भुला दिया था मुझे ,"!! वह तो कुछ बोल नहीं पाता है , पर पुष्प बोलती है, " दीदी एक दिन भी ऐसा नहीं जाता है जब ये आपकी याद नही करते हो , दिन में कई बार सिर्फ आपकी बाते करते हैं ,मेरी दीदी ऐसी है ,मेरी दीदी वैसी है, और कई बार रोते भी है, जीजा जी के यहां पोस्टिंग का अखबार में पढ़ा पर उनसे मिलने की हिम्मत नही जुटा पा रहे थे, कहते रहते है किस मुंह से जाऊं इतने साल जब नही मिला तो अब तो बहुत बड़े आदमी हो गए हैं, उन्हे लगेगा की हम बड़े हो गए तब मिलने आए हैं ,वैसे हमने पता लगाने की कौशिश की थी पर आप का पता नही मिल पाया था , और यह भी नही था कहां पोस्टिंग है , "!!! तभी दरवाजे से आवाज आती है ," कोई बात नहीं ,अब तो पता चल गया ना अब तो असोगे अपनी बहन से मिलने ,24 घंटे चौबीस बार आंसु बहती है तुम लोगो के लिए, ,"!! सब चौक के देखते है ,तो एक रुआबदार पर्सनेलिटी का आदमी खड़ा था ,ये है कमिश्नर हरिमोहन वर्मा ,सुमन उनके पैर छूती ही कहती है," प्रणाम फूफा जी , "!! हरिमोहन उसे देख खुश होकर गले लगाते हुए कहते हैं , " तो ये हमारी बिटिया रानी , क्या नाम है आपका बेटा , "?? सुमन नाम बताती है, संजय और पुष्पा भी पैर छूते हैं तो हरिमोहन कहते हैं " अरे भाई मुझ अछूत के पैर मत छुओ ,तुम्हारे पिता यानी हमारे स्वर्गीय ससुर जी ने तो हमे निष्कासित कर दिया था चलो आज तुम लोगो ने एकसेप्ट तो कर लिया वरना मोहिनी का कर्ज मूझपर हमेशा बना रहता, मेरी ही वजह से ये अपने प्यारे भाई और मां बाप से अलग हुई ,उसकी गिल्टी मुझे हमेशा फील होती हैं, "!! संजय उनका हाथ पकड़ कर बिठाते हुए कहता है" मुझे माफ करिए जीजा जी मैं तो तब भी दीदी का सपोर्टर था पर पिताजी के आगे मेरी कोई औकात नहीं थी ,इसलिए मैं कुछ कर नहीं सका और पिताजी के जाने के बाद मां की बहुत इच्छा थी आपको देखने की पर आपका पता ही नही मिला,"!! पुष्पा कहती है आप लोग बैठिए तब तक मैं चाय पानी की व्यवस्था करती हूं, !! मोहिनी कहती हैं ," बैठिए अब आए हैं तो चाय पानी ही नहीं खाना भी खा कर ही जायेंगे , "!! सभी बैठते हैं, !!
आगे की कहानी अगले भाग में, पढ़िए""!!