भाग 18भाग 18
नंदिनी ट्रेन में अपने परिवार के साथ बैठी है ,उसने अपना मोबाइल स्विच ऑफ कर रखा था ,बार बार अर्पित का मैसेज और कॉल आ रहा था, पर अब उसका दिल एक दम से बदल गया था , उसने एक तरह से अपना बेटी धर्म निभाया था और वैसे भी अब उसे लगने लगा था की वह गलत दिशा में जा रही थी, अर्पित उसे पहली बार उसी CCD में मिला था ,जहां वह अक्सर अपने सहेलियों के साथ बैठा करती थी, अर्पित हैंडसम और स्मार्ट तो था इसमें कोई शक नही था , दरअसल उस से प्यार करना भी उसकी जिद्द का नतीजा था , उसके पिता ने एक दिन पहले ही उसकी सगाई ललित के साथ कर दिया था, अचानक इतना बड़ा निर्णय लिया गया और वह भी बिना उस से पूछे तो वह एकदम चिढ़ जाति है और मां से कहती हैं वह यह शादी नही करेगी और जबरदस्ती की तो घर छोड़ के चली जायेगी, ललित दिखने में स्मार्ट था ,उसकी अपनी मोबाइल शॉप भी थी पर वह नंदिता के मुकाबले पढ़ा लिखा कम था, और वैसे भी जबरन किए गए सगाई से चिढ़ जो हो गई थी तो वह उसे पसंद ही नही आता था, वह इस ताव में एक लड़के से प्यार करना चाहती थी ताकि जरूरत पड़ने पर उसके साथ भाग सके, वह गुस्से में आकर CCD में अपनी फ्रेंड्स के साथ बैठती है, उसी समय अर्पित अपने एक फ्रेंड के साथ आता है,वह नंदिता को पहली नजर में भा जाता है, वह एकटक अर्पित को देखने लगती है, वैसे नंदिता हल्की सी सावली थी पर बहुत ही सुंदर थी को एक बार देखता था दुबारा उसे जरूर देखता था,और उसकी मुस्कान तो लोगो के दिल पर छाप छोड़ देती है, मतलब वह एक बार जिसे प्यार से देख ले वह उसका दीवाना हो ही जाए , अर्पित की नजर भी उस पर पड़ती हैं, तो वह भी उसकी हंसी का दीवाना हो गया, वह बार बार उसे चुपके से देखने लगा था, दोनो की आंखे मिलती है और दोनो को ही जैसे करेंट लगता है, नंदिनी भी उसे देखते ही पसंद कर चुकी थी और अर्पित को भी वह भा गई थी, पर पहले दिन सिर्फ देखने तक ही बात रही ,अर्पित का ऑफिस से अर्जेंट कॉल आ गया तो वह उठकर चला गया , नंदिता का दिल जैसे बैठ गया था,वह सोचने लगी की अब पता नही इस से मुलाकात होगी भी को नही , वह तो रोज आती थी उसे पहली बार देखा था , पता नही दुबारा आएगा भी या नही, उसकी फ्रेंड पूछती है, " ओय कहां को गई कोई पसंद आ गया क्या ,"?? वह ऐसे हड़बड़ाई जैसे उसकी चोरी पकड़ ली गई,,वह बनावटी हंसी हंसकर बोलती है " अभी तक तो कोई नही आया पर लगता है तुम लोगो कि ये विश जल्दी पूरी होगी,"!! वैसे तो वहां एक से एक स्मार्ट लड़की आते हैं पर उसे तो अर्पित ही पहली नजर में भा गया,वह उसके ख्यालों में खो गई ,वैसे ये तो जबरदस्ती का अट्रैक्शन था,उसे तो बस अपनी खाना पूर्ति के लिए एक फ्रेंड चाहिए था या ये कहिए की अपनी जिद्द पूरी करने के लिए एक बेवकूफ चाहिए था,वह उठ कर जाती है,!!
ऑफिस में बैठा अर्पित लैपटॉप पर काम कर रहा था पर उसके सामने बार बार नंदीता का हंसता हुआ चेहरा दिखाई पड़ रहा था, वह तो उसके ही ख्यालों में खोया था वह सोच रहा था की अब कभी उसे देख भी पाएगा की नही वह उसके दिल को भा गई थी, उसने सोच लिया था कल फिर वह CCD पर जाएगा अगर मिल गई तो उस से बात जरूर करेगा ,भले ही कल पूरा दिन वहीं गुजरना पड़े वह लैपटॉप लेकर वहीं बैठ जायेगा, ऑफिस का काम भी होता रहेगा और शायद उसके दीदार भी हो जाए ,पर आज वह उस से बात तो करेगा ही, पूरी रात वह उसी के ख्यालों में खोया रहा उसे नींद भी बराबर नही आई, ,"!!
दूसरे दिन वह 11 बजे CCD पहुंच गया और एक ऐसे टेबल पर बैठा जहां से सभी आने जाने वाले बराबर दिखाईं दे, करीब एक घंटे बाद नंदिता अपनी एक सहेली के साथ स्कूटी पर आई, अर्पित की नजर उस पर पहले ही पड चुकी थी, वह उसे देखने लगता है, उसी समय नंदिता कि नजर भी उस पर पड़ती हैं, दोनो की आंखे चार होती हैं तो दोनो को फिर करेंट सा लगता है, नंदिता उसे देखती हुई उसके सामने वाली टेबल पर बैठती है, उसकी सहेली उसके सामने बैठती हैं, तो अर्पित छिप सा जाता है , तो वह। चेयर को थोड़ा टेढ़ी करती है अब अर्पित उसे बराबर दिखता है ,अर्पित भी उसे दिखाने के लिए काम कर रहा था पर चोर नज़रों से उसे ही देख रहा था, नंदिता जोर से ब्लैक कॉफी का ऑर्डर देती है , तो अर्पित भी वही ऑर्डर करता है, ,ओर चुपके से उसकी ओर देखता है,"!!
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