भाग 16
नंदिता मां को देख खड़ी होती है, मां उसे देखने लगती है, वह मां के गले लग कर रोने लगती है वह कहती है," सॉरी मां , मैं गलत थी , मैं भूल गई थी कि मेरे लिए मां बाप पहले हैं , बाकी सब बाद में ,"!! उसी समय पीछे से प्रदीप भी आता है, और वह कहता हैं " मुझे पता था मेरा खून कभी मुझे धोखा नही दे सकता है, " ! नंदिता अपने पापा के भी गले लगती है और रोने लगती है उसे इस बात का अहसास होता है कि उसके वजह से ही यह सब प्रोब्लम क्रिएट हुई है और उसके मां और पापा को दुख भी हुआ है, उसकी मां खुश होती है की चलो बेटी देर से ही सही पर अपने आप ही सब समझ गई, वरना इसके पापा पता नही क्या कर बैठते "!
अर्पित CCD में बैठा नंदिता का वेट कर रहा था , वह बार बार उसको मैसेज कर रहा था,पर उसका जवाब नही आ रहा था, वह एकदम से परेशान होता है ,उसे लगता है की कहीं नंदिता के पापा ने तो कुछ कर नहीं दिया , वह उसके घर जाने कि सोचता है, तभी नंदिता का मैसेज आता है, वह देखता है तो, चौक जाता है, उसने मैसेज किया था की आज के बाद मेरा तुम्हारा कोई संबंध नहीं है, तुम्हारे चक्कर में मैं अपनी पूरी फैमली को तबाह कर रही थी , पर अब नही , आज के बाद तुम अगर मेरा पीछा करोगे तो मैं पुलिस में कंप्लेंट कर दूंगी ,आज तुम्हारी वजह से हमे ये शहर छोड़ कर जाना पड़ रहा है, में तुमसे हाथ जोड़कर रिक्वेस्ट करती हुं ,मुझे छोड़ दो और भूल जाओ सब कुछ , वो मेरे लिए एक दुखद सपना था, "!! अर्पित को एकदम से शॉक लगता है ,वह वही चेयर पर बैठ जाता है, वह सोच रहा है कि उसने कौन सी गलती कि जिसकी ये सजा मिल रही है , इसी नंदिता के लिए मैं सब कुछ छोड़ रहा था ,कितनी लड़कियों के ऑफर आए थे पर मैंने किसी की तरफ देखा तक नहीं, वह फिर डिसाइड करता है कि एक बार वह उसके घर जायेगा ,वह वहां से निकलता है, और ऑटो पकड़ कर सीधे नंदिता के सोसाइटी में पहुंचता है,वहां उसके सामने उसके घर का सामान ले जा रहा ट्रक गुजरता है, नंदिता भाई उसमे बैठा था वह अर्पित को चिढ़ते हुए जाता है, सोसाइटी का वॉचमैन आकर पूछता है ," किसके जाना है साहब,"?? अर्पित कहता है , " वो प्रदीप राठौर के यहां जाना था, "!! वॉचमैन कहता है ,अभी 5 मिनट हुआ उनको निकले उनकी पत्नी और बेटी साथ ही गई हैं ,घर में लॉक है ,यहां से शिफ्ट कर गए , अर्पित शॉक्ड होता है ,की अभी कुछ घंटे पहले तक तो वह मिलने के लिए पागल हुई पड़ी थी और अचानक ऐसा क्या हो गया की वह एकदम से पलट गई, वह उसका फोन ट्राई करता है तो वह नही उठाती है, वह फिर ट्राई करता है तो उसका फोन स्विच ऑफ बताता है, मतलब उसने स्विच ऑफ कर लिया था, उसे बड़ा अजीब लगता है, कि अचानक इतना बड़ा बदलाव वह भी 3 घंटे में, वह अपसेट होता है, और होपलेस सा पैदल ही सड़क पर चलने लगता है, तभी पीछे से सुमन आती है और उसके पास स्कूटी रोक पूछती है ," कहां जाना है , मैं लिफ्ट दे दूं ,"! अर्पित उसकी तरफ देख कर आगे बढ़ता है, उसके दिल में इस वक्त भूचाल आया हुआ था ,उसका रोने का मन कर रहा था, पर आंसु भी रूठ गए थे, सुमन उसके सामने स्कूटी रोक कर कहती है ," मिस्टर अर्पित मैं आपको ढूंढते हुए यहां तक आई और आप है की मेरे तरफ देखने की फुरसत नहीं है, फूफा जी ने बुलाया है अभी वो आपसे मिलकर आपकी प्रोब्लम सॉल्व कर देंगे , चलिए बैठिए , "!! अर्पित उसे देखता है ,और कहता है , " थैंक्स ,पर अब उसकी जरूरत नहीं है, में घर जा रहा हुं , "!! सुमन तो सब जानती है बल्कि यह सब कुछ तो उसी का क्रिएट किया हुआ था , वह अर्पित से कहती है," क्या ,!! मिस्टर अर्पित मैं भी आपके सामने रहती हुं , और वहीं जा रही हूं ,आपको छोड़ दूंगी फिर घर जाकर आराम से रो लेना "!! अर्पित उसकी तरफ देखते हुए पूछता है," में भला क्यों रोने लगा,"!! सुमन कहती है, " शकल तो आपकी यही बता रही है कि आप कभी भी रो देंगे, क्या हुआ कोई टेंशन है, मुझे बताओ तो शायद मैं कुछ हेल्प कर सकूं,"!! अर्पित उसके स्कूटी पर बैठता है और कहता है, " चलो रोने के लिए कंधा भी चाहिए ,वो तुमसे अच्छा किसका हो सकता है," !! सुमन मुस्कुराकर कहती है ," रोने के लिए मेरा कंधा नही है मेरे कंधे पर तो खुशी के समय सर रख कर खुश हो लेना, ,"!! वह स्कूटी तेज़ भागती है,"!!!
आगे की कहानी अगले भाग में पढ़िए,"!!