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तू मेरा है

27 अक्टूबर 2021

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भाग 22

सुबह सुमन अर्पित कि खिड़की बंद देखती है, तो समझ गई कि वह चला गया है, वह प्रदीप राठौर को कॉल करके बताती हैं तो वह कहता है " नो प्रोब्लम अब नंदिनी ही उसे मना कर देगी ,और मुझे सपोर्ट करने के लिए धन्यवाद अगर कभी भी मेरी जरूरत हो तो बेझिझक कॉल कर लेना, "!! वह कहती है," अंकल आपसे एक रिक्वेस्ट है मैने इतनी आपकी हेल्प कि है तो आप मेरी एक हेल्प करिएगा ,अर्पित पर कोई आंच नहीं आनी चाहिए ,नही तो मुझे बहुत दुख होगा आपका साथ देने के लिए ,मैने आपका अच्छा सोचा तो मैं किसी और का बुरा नही चाहती हू प्लीज उसे सही सलामत प्यार से समझा कर भेज दीजिएगा,"!! वह कहता है" ठीक है,और  फ़ोन काट देता है,सुमन मन ही मन खुश होती है ,वह  मिताली को फोन कर बुलाती हैं,"!! 
अर्पित झुंझुनूं एयरपोर्ट उतर कर बाहर आता है , बाहर उसके लिए टैक्सी ड्राइवर नेम बोर्ड लेकर खड़ा था, अर्पित गाड़ी में बैठता है , और ड्राइवर से कहता है कि कहीं अच्छी चाय पिलाओ भाई, ड्राइवर उसे लेकर एक चाय कि दुकान पर रोकता है और वहा दोनो चाय पीते हैं, ड्राइवर बताता है कि यहां चाय बहुत ही अच्छी मिलती है ,अर्पित भी इस बात को मान जाता है क्योंकि चाय वाकई बहुत ही अच्छी और टेस्टी थी, गाड़ी फिर आगे बढ़ती है,
सुमन के पास मिताली आती है, सुमन खुश होकर कहती हैं ," यार सब सेट समझ ,वहां से आकर वह सीधे मुझे प्रपोज करेगा ,"!! मिताली पूछती हैं"  ऐसा क्या हुआ है, जो तू इतना कन्फर्म हो गई है,"!! सुमन उसे सब बताती हैं तो मिताली आश्चर्य से उसे देखती है, और कहती हैं ," तु तो शुरू से ही ट्रीमेंड्स रही है ,जो चाहा वो पाया पर थोड़ा वेट कर ले जब तक वो आ ना जाए, ये ईश्क का चक्कर बड़ा खराब होता है,कब पलटी हो जाए पता नहीं,"!! सुमन उसे डांट कर कहती है,*" शट अप यार ,! तु जब भी बोलती है , उल्टा ही बोलती है ,मुझे नेगेटिव  बातें एकदम से पसंद नही है, "!! मिताली कहती है, " अरे यार मैं ये नहीं कह रही हूं की वो नही आयेगा पर वहां जाने पे क्या सिचुएशन होगी पता नही है ना,"!! उसी समय पुष्पा चाय लेकर आती है और कहती है " मिताली इसका क्या चक्कर चल रहा है , ना ढंग से खाती पीती है और न ही आने जाने का कोई टाइम है, मुझे लग रहा है जैसे हाथ से निकलती जा रही है,"!! सुमन कहती है " क्या मां , तुम भी ना मैं कहीं नहीं जाने वाली यही तुम्हारे साथ ही रहूंगी ,हमेशा परेशान करूंगी , "!! 

अर्पित चुरू पहुंचता है और वह प्रदीप राठौर के घर पहुंचता है प्रदीप घर के बाहर ही अपने दोस्तो के साथ बैठा है, वह अर्पित को देख मन ही मन बहुत क्रोधित तो होता है, पर सुमन को दिए वचन से चुप हो जाता है, वह बेटे सुरेश को कहता है " देख भाई मुंबई से मेहमान आया है ,इसे चाय पानी पिला और वापस भेज ,"!! अर्पित उन्हे प्रणाम करता है और कहता है " अंकल  आपसे कुछ पर्सनल बात करनी है, "!! प्रदीप दोस्तो को देखता है और कहता है " ठीक है भाईयो अब आप लोग चलिए मैं जरा इनसे कुछ खास बाते हैं वह निपटा लूं फिर शाम को मिलते हैं "!! वो लोग जाते हैं, 
वह अर्पित को सामने बैठने का इशारा करता है, तो वह जाकर बैठता है, प्रदीप पूछता है " बोल भाई तू यह से सही सलामत जाना चाहता है या टुकड़ों में, यहां तेरा मामा बचाने नही आयेगा और अब मैं उसके अंडर में भी नही हूं, तु चाय पानी पी चाहे तो तुझे बढ़िया खाना भी खिला देंगे पर चुप चाप बिना कोई टेंशन क्रिएट किए निकल जा इसमें दोनो की भलाई है,"!!

आगे कि कहानी अगले भाग में पढ़िए"!!



अर्पित को सामने बिठाकर प्रदीप राठौर उसे शांति से कहता है कि तू हमारे यहां मेहमान है ,खाना पीना खा और चुप चाप चले जा इसी में दोनो कि भलाई है, अर्पित मुकरकर कहता है ," अंकल सिर्फ एक बार नंदिता मेरे सामने आकर कह दे कि वह मुझे नही चाहती है तो मैं प्रोमिस करता हूं की आज के बाद मैं उसे अपने दिलो दिमाग से निकल दूंगा  "!! राठौर उसे मन ही मन कई भद्दी गालियां बकता है और फिर ऊपर से कहता है " देख वो एक बार नही सौ बार कह देगी ,की तेरे साथ उसका कोई रिश्ता नहीं है , और उसके बाद भी तु यहां रुका तो कसम भवानी कि इतने टुकड़े करूंगा कि तेरा मामा तो क्या कोई नही पहचान पाएगा कि किसका मटन है, सीधे DNA टेस्ट में ही पता चलेगा और वह भी तब जब तेरे शरीर का एक टुकड़ा भी मिलेगा , ,"!! अर्पित कहता है ," में इन धमकियों से नही डरता ,वैसे आप को प्रोब्लम क्या है , हम भी राजपूत हैं आपसे  हर बात में बड़े लेबल पर हैं "!! प्रदीप कहता है, " लेबल तो कुत्तों के होते हैं इंसान के नही ,इंसान की इज्जत होती है उनका समाज होता है और उस समाज में इज्जत गई तो सारा पैसा दौलत जमीन जायदाद सब बेकार हो जाता है, समझा , तुम  लोगो के लिए इज्जत कुछ भी नहीं होगा पर हम राजस्थानी राजपूत उसके लिए अपनी बहन बेटियों को भी काटने से पीछे नहीं हटते हैं ,"!! तभी सुरेश चाय लेकर आता है तो प्रदीप कहता है " जा रो मेहमान के लिए बढ़िया मुर्गा शुर्गा बना ,और जरा जल्दी करना ,"!! अर्पित माना करता है, तो वह कहता है ," देख भाई आया है तो खा के ही जाना पड़ेगा या तो मार खाएगा या फिर खाना मर्जी तेरी है, चाहे तो लगा ले अपने मामा को फोन जब तक उसका फोर्स यहां आएगा तब तक तो कोई निशानी भी नही रहेगी ,"!! अर्पित कहता हैं ," आप हर बात में धमकी क्यों दे रहे हैं और मेरे मैटर में बार बार मामा को क्यों ला रहे हो, ,"!! प्रदीप कहते हैं,*" मुंबई में तो उसी ने मुझे समझाने की कोशिश की थी ,में सरकारी नौकरी करता हूं और तेरा मामा भी ,ठीक है एक दो स्टार उनके पास एक्स्ट्रा है तो हमारे मालिक तो हो नही   गए, "!! अर्पित समझ गया की इनसे उलझने का कोई मतलब नहीं , टैक्सी वाला ड्राइवर को भी चाय भिजवाया गया ,टैक्सी ड्राइवर ने पहले ही बताया था की इस गांव के लोग आधा पागल होते है , यहां बात बात में मारकाट पर उतर आते हैं और लाशे भी गिर जाती हैं तो यहां के लोगो से शांत दिमाग रखकर ही बात करना दरअसल रास्ते में उस बातूनी ड्राइवर ने उस से सारी बातें जान ली थी कि वह यहां क्यों आया ,और अर्पित ने भी जान बूझकर बताया था कि कुछ भी हो तो ड्राइवर को पता तो रहेगा कि मैं यहां क्यों और किसके पास आया था उसने सिर्फ सुमन को बताया था और किसी को नहीं बताया था, अब उसे क्या पता था कि यह सब सुमन का किया धरा था , पर यह भी था की अभी तक वह वहां जो बैठकर चाय पी रहा था वह सिर्फ सुमन कि ही मेहरबानी थी वरना अब तक वह  मार खा रहा होता  या फिर मार खा के किसी टीले पर पड़ा गिद्धों का नाश्ता और भोजन बना होता , राजस्थान के राजपूत बहुत ही अक्खड़ स्वभाव के होते है वह अपने और अपने समाज के अलावा किसी को कुछ नही समझते हैं ,,प्रदीप से वह कहता है " आप सब इतने सख्त स्वभाव के क्यों होते हो,"!! प्रदीप मुस्कराकर कहता है , " यहां पानी कि कमी है तो आंखो में भी पानी नहीं होता , हमारे यहां तो मरने पर रोने वालियों को बुलाया जाता है ,क्योंकि हमारी औरतों के भी आंखो में पानी ना होवे समझे , हम रेत में रहने वाले लोग हैं हाथो से फिसल जाते हैं , पर जहां इज्जत की बात होती है तो रेतीले तूफान की तरह सब तबाह कर देते हैं , तु अब ज्यादा बोल मत नही तो मेरा दिमाग का स्क्रू ढीला हो जायेगा बहुत सम्हाल कर रखा है , "!! अर्पित समझ गया कि अब इसकी खसक गई है , वह कहता है " आप एक बार नंदिता को बुला दीजिए जो भी हो फाइनल हो जाएं मुझे शाम की फ्लाइट पकड़नी है, तभी सुरेश कहता है " बाबा खाना खाने आ जाओ, "!! वह कहता है " चल अंदर खाना भी खाना और बात भी करना हमारी लड़कियां गांव में गैर मर्दों के सामने बाहर नहीं आती ,"!! दोनो हाथ धो कर अंदर जाने लगते है तो प्रदीप ड्राइवर से कहते हैं " तु  भी हाथ धो ले तेरा भी खाना आएगा गाड़ी में बैठकर खा ले, "!! दोनो अंदर रसोई में बैठते हैं ,घर बहुत बढ़िया बना रखा था ,अंदर दीवाली पर बाघ ,भालू के छाल लटके हुए थे ,और कई प्रकार के पुराने बंदूक और राइफल भी लटके थे, और बहुत सारी तलवार और ढाल भी थे ,एक तरह से हथियारों की प्रदर्शनी सा लग रहा था,"!!
आगे की कहानी अगले भाग में पढ़िए"!!!


Anita Singh

Anita Singh

बहुत ही रौबदार चरित्र है पिता का और उतना ही संतोष और साहस है अर्पित में है।

25 दिसम्बर 2021

रेखा रानी शर्मा

रेखा रानी शर्मा

सच में धांसू चरित्र हैं दोनों

20 दिसम्बर 2021

Jyoti

Jyoti

अच्छी कहानी

9 दिसम्बर 2021

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रचनाएँ
तु मेरा है
5.0
यह एक अल्हड़ लड़की कि कहानी है ,उसे एक लड़का पसंद आ जाता है जो किसी और लड़की से प्यार करता है पर वह लड़की उसे हर हाल में पाना चाहती हैं,
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तु मेरा है

25 अक्टूबर 2021
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<div align="left"><p dir="ltr">भाग 1<br> सुमन के घर के सामने एक लड़का नया नया अर्पित पेइंग गेस्ट में

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तु मेरा है

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भाग 2<div><br></div><div>सुमन को अपने आप पर बहुत ही गुस्सा आता है, वह अपने कमरे में बैठी आंसू बहा रह

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भाग 3<div><br></div><div>मिताली और सुमन दोनो ही पहले ही गॉर्डन में घूमने आ गई है, अर्पित अभी तक नहीं

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भाग 4 <div><br></div><div>सुमन को मिताली कहती हैं ," तूने तो उसको क्लीन बोल्ड कर दिया, "! सुमन

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तु मेरा है

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भाग 6<div><br></div><div>वह तीनों अपनी गाड़ी में बैठकर जाने लगते हैं , लोग भी तमाशा देखने लगते हैं,

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भाग 7<div><br></div><div>नंदिता अपने भाई से कहती है " तुझे मेरे पिछे पिछे आने के लिए किसने कहा ,इस ब

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भाग 8<div><br></div><div>सुमन अपने पापा को इस वक्त घर में देख चौकती है , वह पापा से पूछती है , " पाप

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<div align="left"><p dir="ltr">भाग 9</p> <p dir="ltr"><u>सुरेश</u> अपने डैड से कहता है की उसे अर्पित

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भाग 10 <div><br></div><div>सुमन मिताली के साथ है , मिताली कहती हैं, " यार तु तो उसे मरवा देगी ,

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भाग 11<div><br></div><div>मोहिनी अपनी गाड़ी में सुमन और मिताली के साथ बैठती है वह एक सिपाही को उसकी

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भाग 12<div><br></div><div>सभी लोग खाना खा रहे हैं ,सुमन ने उनसे नंदिनी के बाप की शिकायत कर दी थी, हर

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भाग 13 <div><br></div><div>नंदीता अपने घर पहुंचती है तो वहां तो घर में समान पैक हो रहा था, पूछन

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भाग 14<div><br></div><div>अर्पित सुमन के घर के सामने ऑटो रोकता है , वह उतरकर उसके घर की तरफ बढ

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भाग 15 <div><br></div><div>अर्पित को देख मोहनी बहुत प्रभावित होती हैं ,वह उससे पूछती हैं

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भाग 16<div><br></div><div>नंदिता मां को देख खड़ी होती है, मां उसे देखने लगती है, वह मां के गले लग कर

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भाग 17<div><br></div><div>सुमन अर्पित को स्कूटी पर बिठाकर घर की तरफ स्कूटी दौड़ाती है, अर्पित का मन

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भाग 18भाग 18<div><br></div><div>नंदिनी ट्रेन में अपने परिवार के साथ बैठी है ,उसने अपना मोबाइल स्विच

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भाग 19 <div><br></div><div>नंदिनी अपनी फ्रेंड के साथ अर्पित के सामने वाले टेबल पर बैठकर ब्लैक क

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भाग 20 <div><br></div><div>नंदिता का ध्यान उसके पापा कि बात से टूटता है, वह सोच से बाहर आती हैं

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भाग 21<div><br></div><div>सुमन कि बुआ उस से कॉल करके पूछती है तो वह सब बताती हैं तो मोहनी कहती चलो ए

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भाग 22<div><br></div><div>सुबह सुमन अर्पित कि खिड़की बंद देखती है, तो समझ गई कि वह चला गया है, वह प्

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भाग 23<div><br></div><div>अर्पित घर में देखता है तो उसे लगता है कि हथियारों कि प्रदर्शनी लगी है, वह

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भाग 24<div><br></div><div>सुमन कई बार खिड़की कि तरफ देख चुकी हैं, वह प्रदीप को फिर फोन लगाती हैं ,ली

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भाग 25<div><br></div><div>सुमन अपना थरमस और कप उठाकर चलती बनती है ,अर्पित उसे जाते हुए देखता है , वह

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