भाग 24
सुमन कई बार खिड़की कि तरफ देख चुकी हैं, वह प्रदीप को फिर फोन लगाती हैं ,ली उठता है और कहता है" बोल बेटा ,वो आकर कल ही चला गया तेरी वजह से उसे जिंदा छोड़ दिया , अब खुश है ना ,जब भी मेरी जरूरत हो तो मुझे याद कर लेना ,"!! और वह फोन रखती हैं और नीचे जाती हैं और सीधे अर्पित के घर कि तरफ़ भागती है, वह देखती है अर्पित का दरवाजा अंदर से बंद है तो उसकी जान में जान आती है , वह धीरे से अपने घर वापस आती है, उसकी मां उस से पूछती है ," बेटी ऐसे अचानक कहां भाग कर गई थी ,ले चाय पी ले , "!! सुमन मां को प्यार से देखती है और कहती हैं " तेरे दामाद को देखने अभी भी सोया है,चल मां एक काम कर दो कप एकदम कड़क कॉफी बना आज उसको मैं उठाऊंगी, "!! मां उसका मुंह देखती रह जाती हैं, वह समझ नही पा रही कि ये लड़की बिगड़ गई है या सनक गई है, इसके बाप ने इसको लडको की तरह पाला है, और ये हरकते भी वैसी ही करती है, सुमन जल्दी से अपने कमरे में जाकर कपड़े चेंज करती है ,और थोड़ा सा कंघी कर तैयार हो जाती हैं ,वह कभी भी मेक अप या बाकी लड़कियों वाली साज सज्जा का उपयोग ही नहीं करती थी इस कारण और भी लोग इस से अट्रैक्ट नही होते थे, वह नीचे आती हैं उसकी मां दो कप कॉफ़ी थर्मस में डाल कर देती है ,और साथ में बिस्किट का पैकेट भी ,वह पैकेट लेकर जाती है , !!
उसने अर्पित का दरवाजा जोर से खटखटाया ,अर्पित वाश रूम में था वह बाहर आता है ,उसे आश्चर्य होता है की इतनी सुबह सुबह कौन आ गया ,उसका चेहरा देख लग रहा था कि वह अभी अभी बहुत रोया है , उसकी आंखे लाल हो रही थी , दरअसल उसने तो नंदिता को पूरे दिल से चाहा था , यहां से जाते समय उसे लगा था की जो भी हो उसके सामने पड़ते ही वह सब कुछ छोड़ कर आ जायेगी पर वहा तो एकदम ही उल्टा हुआ , उसने तो जैसे पहचानने से ही इंकार कर दिया था ,उसकी एक भी एक्टिविटीज ऐसी नही थी जिस से लगता कि उस पर कोई जबरदस्ती कि जा रही है ,उसके पापा ने तो ओपन कह दिया था की अगर वह कह दे की तुम्हे चाहती है तो ले जाओ , उस समय तक उसे लगा था की शायद धमका कर रखा हो पर जब सामने आने पर उसने एक नजर उठाकर उसकी तरफ देखा ही नही तभी यह बात क्लियर हो गई थी कि वह बदल गई बेवफा हो गई , सुमन फिर से दरवाजा पिटती है तो उसकी तंद्रा टूटती हैं ,उसे बड़ा गुस्सा आता है की ये कौन बदतमीजी कर रहा है, वह दरवाजा खोलता है, तो सामने सुमन को देख कर चौक उठता है, सुमन अंदर घुसती हुई कहती है, " ससुराल का खाना बहुत खा कर आए हो निंद ही नही खुल रही थी क्या कब से आवाज़ लगा रही हूं "!! अर्पित उसे देखता रहता है , वह कप निकल कर दो कप कॉफ़ी भारती है ,जिसकी उसको इस वक्त बहुत जरूरत थी ,रात में पहली बार शराब पी थी वह भी अधिक तो उसका सर भी दर्द कर रहा था ,हैं उसके पीने से वह सो जरूर गया था, वरना शायद पूरी रात नंदिता कि याद में जागता ही रहता , सुमन बिस्किट भी निकालती हैं , अर्पित उसके सामने बैठता है ,और कॉफी पीता है बिस्किट भी खाता है , सुमन पहली बार उसके घर में घुसी थी, उसने कुछ सेकंड में ही घर का मुआयना कर लिया था ,औरते इस मामले में बहुत तेज़ होती हैं ,उसने देख लिया कि अर्पित को सफाई बहुत पसंद है ,उसने घर का हर सामान बड़े सलीके से रखा था , सुमन को भी सफाई बहुत पसंद है , वह भी अपने घर और कमरे को एकदम चकाचक रखती हैं , अर्पित कॉफी पीकर थोड़ा ठीक महसूस करता है ,सुमन कहती है " एक कॉफी और है ,और मुझे लगता है तुम्हे और जरूरत है ,"! और वह बाकी कॉफी भी उसके कप में डालती है , अर्पित को सच में जरूरत थी , वह चुप चाप लेकर पीता है और उसे देखते हुए सोचने लगता है कि एक यह लड़की है जो मुझे दिलो जान से चाहती है और मैं इसकी तरफ देखता भी नही हूं , जबकि यह बिना किसी मेक अप के भी उस से बहुत सुंदर है,,"!!
सुमन उसके सामने चुटकी बजाते हुए पूछती है " हैलो मिस्टर कहां खो गए ,इतनी सुंदर लड़की तुम्हारे सामने बैठी है और जनाब खोए हैं ,मतलब किसी और के प्यार में खोए हैं , चलो ठीक है ,हैं ही जिंदगी भर इंतजार कर लेंगे ,इसे मजाक मत समझना मैं शादी करूंगी तो सिर्फ और सिर्फ तुमसे वरना यूं ही चाय कॉफी पिलाती रहूंगी समझे अब कुछ बात नही करनी है तो मत करो ,में चली ," !! वह उठकर थरमस और कप लेकर जाती हैं,"!!
क्रमशः