भाग 15
अर्पित को देख मोहनी बहुत प्रभावित होती हैं ,वह उससे पूछती हैं की क्या बात है क्या प्रोब्लम है तुम्हारी, वह सब कुछ डिटेल्स में बताता है , नंदिता का नाम सुन सुमन अंदर ही अंदर जल भुन जाति है, मोहिनी कहती है में इनसे बात करती हुं जो भी पॉसिबल होगा तुरंत करवाती हुं , अर्पित उन्हे धन्यवाद देता है और पैर छूकर आशीर्वाद लेता है, सुमन भी बुआ के पैर छूकर आशीर्वाद लेता है , बुआ उसे रुकने के लिए कहती है तो वह कहती है आज कुछ काम है वह बाद में आजाएगी ,बुआ समझ जाती है की अर्पित की वजह से नही रुक रही है ,वह भी इस दौर से गुजर चुकी थी, वह तो मोहन के बिना एक मिनट भी रहना नही चाहती थी , उस से इतना प्यार करती थी, वह आदमी भी उतने अच्छे थे उसका हर वक्त ख्याल रखते थे, उसके लिए तो उन्होंने अपने मां बाप भाई सबको छोड़ा था भाई बेचारा तो उसे एक पल भी नही छोड़ता था , वह उसे भी छोड़ दिया था, उसने प्यार को सर्वोपरि माना था, उनसे बेहतर प्यार को कौन समझ सकता था,,"!
बाहर आकर अर्पित सुमन से कहता है" कि उसे अभी नंदिता से मिलना है ,"!! सुमन कहती है , " चलो मैं तुम्हे वहां छोड़ती हुई चली जाऊंगी ,"!! अर्पित कहता है " नही नही आप क्यों परेशान होंगी, में चला जाऊंगा ,और वो आपको साथ देख कुछ गलत न समझ बैठे, वो थोड़ी देर में पहुंच जाएगी, "!! सुमन कहती हैं ," ठीक है जैसा आप चाहो , मुझे तो घर ही जाना है, "!! अर्पित वहां से ऑटो लेता है, सुमन वहां से स्कूटी स्टार्ट का थोड़ा आगे ऐसे जगह से उसका पीछा करती है ताकि उसे पता न चले,वह गाड़ी चलाते हुए वह प्रदीप को एक नए नंबर से फोन लगाती हैं ,सामने से प्रदीप फोन उठाता है , तो वह जल्दी से बोलती है ," अंकल नंदिनी अगर घर में हो तो उसे बाहर जाने मत देना वह अर्पित के साथ भागने वाली है , और फोन बंद करती है, यह नंबर उसने एक चरसी से लिया था उसने किसी का मोबाइल मार लिया था और उसमे एक नया कार्ड डाल रहा था तो उसने उसे एक्स्ट्रा पैसे देकर ले लिया था , उसे पता है चरसी भी कही से मैनेज करके लाया होगा क्योंकि उसे ऐसे तो नंबर मिलना नही है, अब उसी का उपयोग कर रही थी , वह तेज तर्रार तो है ही उसे सारे हटकंडे भी पता है, वैसे भी c I d crime petrol बहुत देखती है, "!
उसका मैसेज मिलते ही प्रदीप आग बबूला हो जाता है, उसी समय नीचे नंदिता स्कूटी स्टार्ट कर ही रही थी की वह उसे बालकनी से जोर से आवाज़ देता है तो वह ऊपर देखती है तो वह रुकने का इशारा करता है और नीचे भाग कर जाता है और स्कूटी का चाभी निकलता है, और कहता है " थोड़ी देर में हमे निकालना है और तू कहां जा रही है ,"!! वह कहती हैं , " मुझे एक फ्रेंड से मिलना है बस आधे घंटे में आ जाऊंगी , "! वह कहता है " तु आधे मिनट के लिए भी नही जायेगी ,चल स्कूटी साइड में लगा अभी ट्रक आ रहा है उसमे इसे भी लोड करना है ,जा ऊपर चुप चाप बैठ, "!! वह कहती है " ठीक है , मैं ऑटो से चली जाती हूं ,"! प्रदीप उसका हाथ पकड़ कर घसीटते हुए ले जाता है, उसकी मां यह देखती है तो कहती है " ये क्या तमाशा बना रहे हैं ,जाते जाते बेइज्जती क्यों करवा रहे हो, "!? प्रदीप कहता है ," ये पूरे खानदान का नाक कटवाने पर तुली है ,अगर यही हाल रहा तो मैं तुम लोगो के साथ साथ खुद को भी गोली मारकर खतम कर लूंगा, अब तुम्हे जो चाहिए करो , ( नंदिता से ) सुन छोरी तुझे मां बाप से ज्यादा वो छोरा प्यारा लगे हैं तो मार दे हम सबको और चली जा उसके साथ ,मेरे जीते जी तो तेरा व्याह उस से नही होगा, जा हम सबको मार दे और चली जा ," !! प्रदीप की आंखो में आंसु आते हैं ,वह रोता हुआ अंदर जाता है , मां नंदिता से कहती है ," शेर जैसे बाप को चूहा बना रही है , आज पहली बार उसे रोते देखा है ,सिर्फ इसलिए कि तू उसकी बेटी है, वह अपने खून से मजबूर और खास कर us बेटी से जिसके लिए वह अपने मां बाप से लड़ गया था जो तुझे इस दुनियां में लाने ही नहीं देना चाटे थे, शायद वह लोग सही थे और हम गलत थे यह तुमने साबित कर दिया, अब तो मुझे भी अफसोस हो रहा है तुझे पैदा कर के, "!! जा तुझे जहां जाना है , हमारा जो होगा हम देख लेंगे ,तेरे लिए बहुत दुख सहे हमने उसकी सजा तो भुगतनी पड़ेगी, जा ,नंदिता मां को देखते हुए खड़ी होती है, "!!!
आगे कि कहानी अगले भाग में पढ़िए,""!!