भाग 23
अर्पित घर में देखता है तो उसे लगता है कि हथियारों कि प्रदर्शनी लगी है, वह जमीन पर बिछाए गए आसन पर बैठता है , गांवों में अधिकतर लोग जमीन पर बैठ कर ही खाना खाते हैं , खाना परसा जाता है, देशी मुर्गा बना था, साथ में बाजरे कि रोटी दाल सब्जी और भी कई आइटम थे , दोनो खाना खाते हैं ,खाने के समय प्रदीप कुछ भी नही बोला, खाना खतम होने के बाद गाजर का हलवा आता है ,अर्पित को लगता है जैसे बकरे को हलाल करने से पहले खूब अच्छा अच्छा खिलाया जाता है उसी तरह उसको खिलाया जा रहा था, उसके मन में आता है कि उसने बहुत बड़ी गलती कि मामा को ना बता कर पर उसे पता था कि मामा को बताता तो वह कभी भी नहीं आने देते , चलो जो होगा देखा जाएगा वह ड्राइवर साथ में है उसने कहा भी था कि साहब टेंशन मत लेना कुछ भी ऊपर नीचे होगा हमारे लोग भी हैं, तभी प्रदीप आवाज लगाता है , नंदीता बाहर आ ,नंदिता बाहर आती हैं ,उसे देख अर्पित का दिल जैसे हिलोरे मारने लगा , वह उसी को देख रहा था ,पर नंदिता उसे नजर अंदाज कर रहीं थी, वह आकर बाप के सामने खड़ी होती है , उसने साधारण कॉटन कपड़ो के पीले रंग का लहंगा चोली पहन रखे थे उसमे भी वह गजब कि सुंदर लग रही थी, उसके पापा उस से पूछते हैं , " बेटा ये मुंबई से आया है ,कहता है यह तुझे चाहता है ,क्या तू भी इसे चाहती है, जो भी है सच बोल अगर तू भी इसे चाहती है तो अभी और इसी वक्त इसके साथ चली जा हम अपनी इज्जत मान मर्यादा देख लेंगे, "!! नंदिता बिना अर्पित को देखे कहती हैं," पापा इस से कह दीजिए की मेरा इसका कोई रिश्ता नहीं है और ना ही मैं इस से कोई भी संबंध रखती थी और ना ही रखना चाहूंगी, जो भी अब तक हुआ वह सब एक बचपना था , बस आज के बाद में इसकी शकल सूरत भी नही देखना चाहूंगी, "!! अर्पित को तो ऐसे लग रहा था कि उसका दिल अभी कट कर गिर जायेगा, तभी प्रदीप कहता है "* बेटी तू ये भी बता दे मैंने तेरे से कोई जोर जबरदस्ती तो नही कि इसे छोड़ने के लिए,"!! नंदिता कहती है " पापा आपको पता है कि मैं किसी की जोर जबरदस्ती नहीं मानती हूं ,आपने मेरी उस लफंगे से सगाई कर दी थी पर मैंने नही मानना था तो नही माना ,और उसिको जलाने के लिए मैने ये बेवकूफी कि थी जो गले कि हड्डी बनने कि कोशिश कर रहा है , "!! प्रदीप अर्पित को देख कहता है " बोल भाई और कुछ पूछना है, तो पूछ ले, दस बार पूछ ले, और निकल ले, "!! अर्पित को तो जैसे होश ही नहीं था, वह मदहोश सा उठता है और सीधे बाहर जाता है और गाड़ी में बैठकर निकल जाता है, ड्राइवर इस से बहुत बात करने कि कोशिश करता है पर वह एक शब्द नही बोलता है ,वह फ्लाइट कि टिकट बुक करता है, तो रात कि फ्लाइट थी , उसके पास अभी भी 5 घंटे थे वह एयरपोर्ट के अंदर बार में बैठ जाता है और पहली बार शराब पीता है ,उसे तो यह भी नही पता था कि कौन सी शराब पीनी है उसने सिर्फ कहा कुछ पीला दे जिस से नशा हो, तो वह स्कॉच व्हिस्की लाकर देता है वह पहली बार पी रहा था तो उसे जल्दी चढ़ गई और वह मन ही मन नंदिता और उसके बाप को गालियां बक रहा था ,उसे यह बहुत बड़ा झटका लगा था उसका तो नंदिता के घर में ही बहुत रोने का मन कर रहा था पर उस बेवफा के सामने वह कमजोर नहीं दिखना चाहता था, और ना ही उस टैक्सी ड्राइवर के सामने रो सकता था, अब पीने के बाद वह वाश रूम में जाकर खूब रोता है , अब तो फ्लाइट का टाइम भी होने वाला था ,वह बाहर आकर और एक पैग लेता है ,और बाहर निकलता है और बोर्डिंग की तरफ बढ़ता है,"!!
वह रात करीब 2 बजे मुंबई पहुंचता है , और वहां से सीधे घर उसको ऐसा लग रहा था जैसे किसी ने उसके शरीर से पूरा ख़ून निचोड़ लिया हो उसमे जरा भी दम नही हो, वह बड़ी मुश्किल से घर के अंदर जाता है और सीधे बेड पर पड़ जाता है और वैसे ही सो जाता है, "!!
सुबह सुबह सूरज के उदय होने से पहले ही सुमन उठ कर अर्पित के घर कि तरफ देखती है पर खिड़की और दरवाजा बंद होने की वजह से उसे कुछ दिखाई नहीं देता है , वह सोचती है कि लगता है अभी तक आया नही उसने कल शाम को कई बार प्रदीप को कॉल किया था उसने नही उठाया तो वह थोड़ा घबरा गई थी , अभी भी अर्पित के नही आने से वह टेंशन में आ गई थी, "!!
आगे की कहानी अगले भाग में पढ़िए""!