6 मई 2022
शनिवार
मेरी प्यारी सहेली,
कल बात नहीं हुई ना ही मिलना हो पाया। क्या करूं गेस्ट आ गए और बस बातचीत का सिलसिला यूं चला कि कुछ ना पूछो। लंबी बातचीत चलती रही। वह भी उस समय जिस समय मेरे खाना बनाने का समय होता है।
बस फिर तो एक के बाद एक सब कुछ लेट होता चला। खाने पीने में लेट हो गए और फिर सोने में भी।
वैसे ही सभी के खाना खाने के बाद सब कुछ समेटने में पौने 11:00 बज ही जाते हैं। कल तो बस 12:30 बजने को आ गए थे। पर...
घर गृहस्थी में चाहे अपनी पूरी जान लगा दे फिर भी कुछ ना कुछ गलती पर उसे बातें सुना दी जाती है। शायद घर घर की यही कहानी है मेरे अकेले की नहीं।
हत्या मतलब हिंसा करना किसी को खत्म करना है। शरीर और आत्मा को अलग करना ही मुझे लगता है सिर्फ हत्या नहीं है। शरीर का नाश हत्या है मानसिक रूप से मारा जाता है वह हत्या नहीं.....?
हमारे समाज में कितने ही लोग ऐसे हैं जो मानसिक रूप से प्रताड़ित होते हैं, हर दिन हर घड़ी किसी ना किसी बात पर उन्हें मारा जाता है। वे सशरीर जीवित रहते हैं पर मानसिक रूप से उनकी मृत्यु हो जाती है उनकी हत्या कर दी जाती है।
कमजोर का फायदा उठाने की सभी कोशिश करते हैं। बड़ी-बड़ी बातें कहने को सभी तैयार रहते हैं पर अवसर मिलने पर मानसिक हत्या करने से कोई पीछे नहीं रहता। हमारे समाज में कैसी विडम्बना है, जिस बात के लिए कानून नहीं उस बात के लिए सजा भी मुकम्मल नहीं हो पाती। इससे कितने ही बेकसूरों को चाहे अनचाहे सजा मिल जाती है।
आज का दिन बहुत महत्वपूर्ण है आज के दिन हमारे राष्ट्रगान के निर्माता रविंद्र नाथ टैगोर का जन्म हुआ था। साहित्य को ऊंचाई देने में, बंगाली साहित्यिक विचारधारा को बदलने में रविंद्र नाथ टैगोर का बहुत बड़ा हाथ रहा है। उनकी कविताएं, नाटक, कहानियां रचनाएं दिल को छू लेने वाली रहीं हैं। बंगाली लोग उन्हें बंगाल का भगवान कहते हैं उनकी रचनाएं अलग ही प्रकार की अनुमति प्रदान करने वाला रहा है।
कल यकायक बिन बादल आंधी और तूफान ने हालत खराब कर दी थी और उसके बाद थोड़ी छम छम करती बारिश ने मन को सुहावना एहसास प्रदान किया।
कल हुई थोड़ी सी बारिश से मोगली के पौधे में आज कुछ ज्यादा ही फूल खिले हुए दिखाई दिए। सुबह दरवाजा खोलते ही खुशबू से मनमहक उठा। तभी तो सावन के मौसम में हरियाली और सुगंध का आलम छाया रहता है। चलो आज के लिए इतना ही, कल फिर मिलते हैं।
शुभ रात्रि।