सलिल एवं एस. पी. साहब को अजीब नजरों से अपनी ओर देखता पाकर शांतनु देव एक पल के लिए बौखला ही गया। उसकी इच्छा हुई कि" दोनों से पुछे कि, इस तरह से क्यों देख रहे हो?...परन्तु अचानक ही उसने अपने इस विचार को त्याग दिया, क्योंकि" जानता था, सामने से जरूर प्रतिक्रिया मिलेगी और वही हुआ भी। सलिल से आखिरकार नहीं रहा गया और उसने एक बार एस. पी. साहब को देखा और फिर शांतनु देव की आँखों में झांक कर धीरे से बोला।
यार शांतनु!....आखिर बात क्या हुई कि" तुम्हें इस तरह से दौड़ कर पुलिस स्टेशन आना पड़ा। बोलने के बाद सलिल एक पल के लिए रुका, फिर आगे बोला। अभी तो तुम्हें हाँस्पिटल के बेड पर होना चाहिए था, परन्तु तुम यहां हो। जरूर कोई विशेष बात होगी, है न?...सलिल ने प्रश्न पुछा और नजर शांतनु देव पर टिका दी। जबकि, शांतनु देव उसकी बातों को सुनकर एक पल मौन होकर कुछ सोचता रहा, फिर वो उससे मुखातिब हुआ।
इसके बाद तो शांतनु देव उन्हें बतलाने लगा कि" किस प्रकार से बीती रात को उसने भयावह ख्वाब देखा था और इसके बाद उसके मन को विभिन्न खयालों ने घेर लिया। सलिल एवं एस. पी. साहब, दोनों उसकी बातों को ध्यान पूर्वक सुन रहे थे, परन्तु दोनों में से किसी ने भी प्रतिक्रिया नहीं दी। ऐसे में आँफिस में फिर से एक बार सन्नाटा पसर गया, ऐसा सन्नाटा कि" सुई भी गिरे तो तेज धमाके की आवाज हो। लेकिन तभी रोमील ने आँफिस में कदम रखा और तीनों उसके पदचाप सुनकर चौंके। नहीं तो, अगर रोमील ने वहां कदम नहीं रखा होता, उनकी समाधि नहीं टूटती। जबकि, उन तीनों को इस तरह से चौंकता देख कर रोमील समझ गया कि" वे तीनों जरूर किसी गंभीर मुद्दे पर उलझे है। अन्यथा तो, उनकी समाधि इस तरह से नहीं लगती। परन्तु...वह तो काम से आँफिस में आया था, इसलिये सलिल को जानकारी दी कि" रजौली को टाँर्चर रुम में लाया जा चुका है। इतनी बात कहने के बाद रोमील उलटे पांव लौट गया।
जबकि, उसके जाते ही सलिल शांतनु देव से मुखातिब हुआ, लगा कि" जैसे उसकी तंद्रा टूटी हो। फिर संयमित स्वर में उससे बोला कि" हम लोग रजौली से पूछताछ करने जा रहे है, तुम्हें भी चलना हो, तो बोलो। शांतनु देव तो यही चाहता था, इस के लिए ही तो आया था वो यहां पर। इसलिये सहर्ष ही तैयार हो गया। फिर तो तीनों आँफिस से निकले और गलियारों से चलते हुए टाँर्चर रूम में पहुंचे। वहां पहले से ही रजौली टाँर्चर चेयर पर बैठी गेट पर नजर टिकाए थी। ऐसे में जैसे ही उनकी नजर गेट से प्रवेश कर रहे उन तीनों पर गई, उसके होंठों पर मुस्कान थिरक उठी। उसने उन तीनों को गहरी नजरों से देखा और फिर धीरे से बोली।
साहब!....जानती थी कि" आप हैरान-परेशान से वापस मेरे पास लौटोगे और फिर....वही लंबे-लंबे प्रश्न। फिर तो मैं उत्तर मैं आपको एक नया रास्ता बतला दूंगी, जिससे कि" आप जान सको, मेरे ताल्लुक़ात किस आतंकी संगठन से है। बोलने के बाद एक पल के लिए रजौली रुकी, जबकि इधर तीनों रूम में प्रवेश कर के कुर्सी संभाल चुके थे और अब उनकी नजर रजौली पर ही टिकी थी। तभी रजौली आगे बोली। साहब!....आप दोनों को तो जान चुकी हूं, परन्तु यह नया शख्स?....वैसे सच कहूं तो, मैं अगर गलत नहीं हूं तो ये श्रीमान मेरे पहले हमले में घायल हो चुके है। रजौली अपने अंतिम के शब्दों पर जोर देकर बोली। जबकि" उसकी बातों को सुनकर तीनों सकते में आ गए। अभी बोले गए शब्दों से एक बात किलियर हो चुका था कि" रजौली जीनियस थी, नहीं तो पहले वारदात में तो उसने एक पल के लिए शांतनु देव को देखा होगा। तो फिर वह पुलिस को क्यों घूमा रही है?...और भी कई प्रश्न थे, जिसे किलियर करना था, इसलिये सलिल रजौली को संबोधित कर के बोला।
रजौली!...एक बात तो किलियर हो चुका है कि" तुम ब्रिलिएंट हो, तो फिर इस तरह से पुलिस को उलझा क्यों रही हो?....जबकि, तुम इस बात को भलीभांति समझती हो कि" इस तरह से तुम कानून के चंगुल से नहीं बच सकती हो।
हां रजौली!...सलिल सही कह रहा है। इस तरह से तो तुम किसी हालत में कानून से नहीं बच सकती। इसलिये बेहतर यही होगा कि, सच-सच बतला दो। सलिल की बातें खतम होते ही एस. पी. साहब भी बोल पड़े, फिर रजौली को देखने लगे। जबकि, उन दोनों की बातें सुनकर रजौली एक पल के लिए मुस्कराई, फिर बोली।
आपको मेरी बातों पर विश्वास नहीं होता साहब!.... तो फिर आप खुद क्यों नहीं पता कर लेते। बोलने के बाद रजौली ठहाके लगा कर हंसने लगी। हा-हा-हा-हा। रजौली का हंसना और तीनों हक्का-बक्का होकर उसके चेहरे को देख रहे थे और जब रजौली का ठहाका थमा, सलिल उससे मुखातिब होकर बोला।
रजौली!...तुम्हारा इस तरह का व्यवहार?.....ढेरो प्रश्न खड़ा कर रहा है। अब तुम इस तरह के व्यवहार करोगी, तो प्रश्न सुलझने की बजाए और भी उलझ जाएगा। अतः हम लोग यही चाहेंगे कि" तुम पुलिस के साथ को-आँपरेट करो। बोलने के बाद सलिल रजौली के आँखों में देखने लगा। जबकि, उसकी बातें सुनकर एक पल के लिए रजौली मुस्कराई, फिर तुनक कर बोली।
तो नहीं बतलाती साहब!....आप लोगों को जो भी करना हो कीजिए, परन्तु....अब नहीं बोलूंगी। इसके बाद तो रजौली ने चुप्पी साध ली।
इसके बाद तो उन लोगों ने काफी कोशिश की, परन्तु रजौली के होंठों से एक शब्द नहीं निकला। ऐसे में बेचैन नजरों से सलिल ने एस. पी. साहब को देखा, जबकि" कौतूहल बस शांतनु देव ने सलिल को देखा। जबकि, एस. पी. साहब इस बात को भलीभांति समझ चुके थे कि" फिलहाल तो रजौली के मुंह से एक भी शब्द निकलवाना दूर की कौड़ी है। ऐसे में वहां बैठे रहने का कोई मतलब नहीं था। तभी तो उन्होंने सलिल को इशारा किया कि" अब यहां से चले। फिर तो सलिल ने रोमील को बुलाया और रजौली को ले जाने के लिए कहा। फिर तीनों अपनी जगह से उठे और वापिस आँफिस में आ गए। परन्तु....आँफिस में आने के बावजूद भी तीनों में से किसी ने जुबान नहीं खोला। बस बैठे हुए तीनों एक-दूसरे के चेहरे को देख रहे थे, स्वाभाविक था कि" वहां सन्नाटा पसर गया। किन्तु शांतनु देव, उससे सन्नाटा सहन नहीं हुआ, तभी तो एस. पी. साहब से बोला।
सर!....इस तरह जो रजौली मामले को उलझाएगी, फिर तो पुलिस के लिए परेशानियों का दौर कम होगा ही नहीं। बोलने के बाद शांतनु देव एक पल के लिए रुका, फिर बोला। सर!....उसने जिस तरह के वारदात अंजाम दिए है, ऐसे में उसकी यह हरकत, किसी प्रकार से पुलिस एवं कानून के लिए शुभ नहीं है।
तो क्या तुम चाहते हो कि" उस पर पुलिसिया बल का प्रयोग किया जाए?...बोलने के बाद एस. पी. साहब रुके और शांतनु देव के आँखों में देखा, फिर बोले। शांतनु!.... मामला उलझा हुआ है और फिलहाल तो रजौली के बारे में पुलिस की जानकारी शून्य है। ऐसे में हमारे पास दूसरा कोई सोर्स भी नहीं है कि" उसके बारे में जानकारी हासिल कर सके। दूसरी बात कि" उसपर थर्ड डिग्री का प्रयोग कदापि उचित नहीं है। एस. पी. साहब ने कहा और उन्होंने मौन धारण कर लिया।
जबकि" शांतनु देव आश्चर्य चकित होकर उन्हें देखने लगा। उसे भी इस बात की अनुभूति थी कि, एस. पी. साहब परिस्थिति के अनुकूल और सत्य कह रहे है। अभी तो शांतनु देव आगे भी सोचता, तभी रोमील ने एक कवर लिए हुए आँफिस में प्रवेश किया और उन लोगों को बतलाया कि" डायरेक्ट कोर्ट से आया है। बस सलिल ने कवर लिया और खोल कर ऊँचे स्वर में पढने लगा। कोर्ट के द्वारा रजौली के संदर्भ में पुलिस को नोटिस दिया गया था कि" रजौली के गिरफ्तारी को दो दिन हो गए, किन्तु कोर्ट में पेश क्यों नहीं किया गया। बस कोर्ट के नोटिस का मतलब समझते ही वे एक-दूसरे का चेहरा देखने लगे।
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क्रमशः-