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सलिल का कुमाऊ रंजन के साथ पुलिस स्टेशन लौटना और कुमाऊ रंजन का बीते दिनों की यादों में जाना.....

1 दिसम्बर 2022

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सलिल ने ड्राइविंग शीट संभाली, रोमील कुमाऊ रंजन के साथ पीछे बैठा, जबकि बगल बाली शीट पर शांतनु देव बैठ गए। इसके बाद सलिल ने कार श्टार्ट की और हाँस्पिटल गेट से निकाल कर सड़क पर दौड़ा दिया। यूं तो सलिल शांत स्वभाव का था, परिस्थिति चाहे जैसी भी हो जाए, धैर्य कभी नहीं खोता था। परन्तु....जब से कुमाऊ रंजन ने यह कह कर कि" रजौली से मिलना चाहते है, उसके बाद बतलाएंगे कि, आखिर उनको हुआ क्या था। सलिल के शरीर में उत्तेजना का प्रवाह होने लगा था। मन में तरह-तरह के खयाल आने लगे थे और उसके मन में सस्पेंस का भाव क्रिएट हो गया था।
                                स्वाभाविक ही था, कुमाऊ रंजन ने जो कहा था, उसके बाद यह जानने की उत्कंठा प्रबल होने लगे कि" आखिर कार बीते दिनों हुआ क्या होगा और रजौली से कुमाऊ रंजन के किस तरह के संबंध है। उत्कंठा तो रोमील एवं शांतनु देव के अंदर भी जागृत हो चुका था। परन्तु....दोनों शांत थे, जानते थे कि" देर- सवेर तो कुमाऊ रंजन के द्वारा रहस्य पर से पर्दा उठाया ही जाएगा। परन्तु....सलिल का खुद पर नियंत्रण नहीं था। उसकी तो इच्छा थी कि" कार को हवाई जहाज बना दे और फौरन से पेशतर पुलिस स्टेशन पहुंच जाए। किन्तु" मानव मन का सोचा हुआ कभी होता कहां है, समय तो अपनी गति से ही चलेगी। उसको कोई जरूरत नहीं है कि" आपके गति से ताल-मेल बिठाए। जरूरत तो हमको और आपको है कि" समय के साथ कदम मिलाकर कितनी दूर तक चल पाते है, उससे कितना साथ निभा पाते है।
                                  तभी तो सलिल कार की रफ्तार बढाए जा रहा था। रात के नौ बज चुके थे और अब पहले की अपेक्षा सड़क पर ट्रैफिक में कमी आ गई थी। फिर भी कहते है न कि" सावधानी हटी और दुर्घटना घटी और इसका ताजा-तरीन उदाहरण शांतनु देव था। तभी तो उसने सलिल को इंगित किया था कि" कार के स्पीड को नियंत्रित करो। परन्तु....हृदय में ग्रसित कर चुके जिज्ञासा के कारण सलिल ने उसकी बात अनसुनी कर दी थी। किन्तु" उसने एक काम जरूर किया था कि" एस. पी. साहब को ताजा उत्पन्न हुए हालात के बारे में जानकारी दे दी थी और सामने से एस. पी. साहब ने कहा था कि" तुम पुलिस स्टेशन पहुंचो, मैं भी वहां पर जल्दी ही आ रहा हूं। इतनी बात कहने के बाद एस. पी. साहब ने फोन डिस्कनेक्ट कर दिया था। फिर तो सलिल के दिमाग में वही विचार। वैसे भी, रजौली ने जिस तरह से पुलिस बालों को उलझाया था, ऐसे में स्वाभाविक ही था कि" सलिल के हृदय में जिज्ञासा उछाल ले।
                                   इससे पहले तो किसी अपराधी ने इस तरह से पुलिस को नहीं उलझाया था । ऐसे में रजौली के द्वारा पुलिस को गोलियां देना, उसका डिपार्ट मेंट ही उलझ चुका था। ऐसे में कुमाऊ रंजन की बातों  से सलिल के मन मस्तिष्क में चेतना जागृत हुई थी। उसके मन में आशाएँ करवट लेने लगी थी कि" अब कम से कम रजौली के चरित्र पर से पर्दा तो उठेगा। कम से कम यह तो जानकारी होगी कि" दरअसल रजौली कौन है?...फिर तो यह सुलझाने में देर नहीं लगेगी कि, उसने वारदात को क्यों अंजाम दिया। बस इसलिये ही सलिल के मन में उत्सुकता अपने चरम पर चढती जा रही थी। 
                                     तभी तो जैसे ही कार ने पुलिस कंपाऊंड में प्रवेश किया, सलिल ने तेजी से ब्रेक लगाए। फिर तो, कार की टायर घिसटने के कारण एक तेज आवाज दूर तक गुंजती चली गई। फिर तो वे लोग कार से बाहर निकले और आँफिस की ओर बढे, तभी सलिल की नजर गेट से प्रवेश कर रहे कार पर गई और उसके मन में विचार कौंधा। लगता है कि, साहब भी आ चुके है और उसका सोचना भी सही था, उसके पीछे-पीछे एस. पी. साहब ने आँफिस में कदम रखा। फिर तो उन लोगों ने कुर्सी संभाल लिया, जबकि" रोमील आँफिस से बाहर काँफी लाने के लिए निकल गया। वैसे भी, उसके मन में विश्वास था कि" साहब उसके मौजूदगी के बिना कभी भी रहस्योद्घाटन नहीं होने देंगे। 
                                 जबकि" एस. पी. साहब ने सलिल के चेहरे की ओर देखा, मानो पुछ रहे हो कि' अब देर किस बात की है?....परन्तु सलिल, उसे तो इंतजार था राम माधवन के आने का और घड़ी ने ठीक रात के दस बजने का इंडिकेट किया और राम माधवन ने आँफिस में प्रवेश किया। फिर उसने बतलाया कि" रजौली को टाँर्चर रूम में बैठा दिया गया है। फिर तो वे लोग कुमाऊ रंजन के साथ टाँर्चर रूम की ओर बढे। मन में जिज्ञासा के भाव लेकर कि" आगे किस प्रकार का रहस्योद्घाटन होता है?... बस इसका ही इंतजार तो एस. पी. साहब, सलिल एवं शांतनु देव का था। तभी तो चलते हुए भी तीनों कनखियों से बार-बार कुमाऊ रंजन को देख रहे थे।
                              फिर तो टाँर्चर रूम में पहुंच कर वे लोग यथास्थान बैठ गए। इसी बीच रोमील भी काँफी के कप ट्रे में सजाए हुए आ गया और उसने उन लोगों को काँफी सर्व किया और खुद भी कप लेकर बैठ गया। परन्तु, इस बीच एक बात जरूर हुई कि" कुमाऊ रंजन एवं रजौली की नजर मिली और दोनों आश्चर्य चकित होकर अपलक एक दूसरे को देखने लगे। फिर तो, उन लोगों ने काँफी पी, परन्तु.....इस दरमियान भी रजौली एवं कुमाऊ रंजन की नजर एक-दूसरे से जुड़ी ही रही। इस वाकये को हैरान भरी नजरों से सभी देख रहे थे, किन्तु कोई बोल नहीं रहा था और ऐसे में समय धीमे-धीमे आगे की ओर बढता जा रहा था। किन्तु" राम माधवन बैठा हुआ नहीं था, वह तो लैपटाँप और प्रोजेक्टर से उलझा था। फिर तो जैसे ही राम माधवन फ्री हुआ, उसने अंगूठे का साइन दिखलाया सलिल को और सलिल समझ गया कि" बयान रिकार्ड करने की तैयारी हो चुकी है। तभी तो वो कुमाऊ रंजन से मुखातिब हुआ।
सर!....आपने हाँस्पिटल में बोला था कि" आप किसी राज पर से पर्दा उठाएंगे। बोलने के बाद सलिल एक पल के लिए रुका, फिर आगे बोला। सर!....जहां तक जानता हूं, आप सैलिव्रिटी है और ऐसे में ऐसा क्या आपके साथ घटित हुआ कि" आप मानसिक तौर पर बीमार हो गए? फिर यह भी बात कि" रजौली को आप किस तरह से जानते है?....सलिल ने प्रश्न पुछा फिर नजर कुमाऊ रंजन पर टिका दी। वैसे एस. पी. साहब, शांतनु देव और रोमील तो पहले से ही उनके चेहरे पर नजर जमाये हुए थे। ऐसे में उन लोगों की व्याकुलता देखकर कुमाऊ रंजन ने रजौली पर से नजर हटाया और धीरे से बोले।
आँफिसर!....पहली बात तो, आपके सामने जो बैठी हुई है, वो रजौली" नहीं बल्कि रज्जो है। फिर आपको जो पूरी बात जाननी हो, तो मेरे बीते दिनों में जाना होगा। कुमाऊ रंजन ने कहा और फिर लंबी सांस ली।
सर!....आप इत्मीनान से पूरी बात बतलाइए। हम लोग पूरी तरह से तैयार है और हमारे पास अभी पूरी रात बाकी है। सलिल ने उनके चुप होते ही कहा और उसकी बात सुनकर कुमाऊ रंजन मुस्कराए, फिर बोले।
आँफिसर!....सच कहते हो कि" मैं सैलिव्रिटी हूं और एक समय इसका आनंद भी उठाता था। जहां भी जाता था, फैंस के द्वारा पूजित होता था। बोलने के बाद एक पल के लिए रुके कुमाऊ रंजन, फिर आगे बोला। परन्तु....इससे अलग भी एक जिंदगी थी मेरी। मैं उस समय कुंआरा था, ऐसे में अपने दोस्त विमल चंदानी के साथ ज्योत्सना अपार्ट मेंट में रहता था। स्वभाव से ही मिलनसार विमल चंदानी पेशे से मीडिया रिपोर्टर था और उस समय उसका दिल्ली में बहुत बोल बाला था। साथ ही वो हिंदु वाहिनी सेना" का क्षेत्रीय कार्यकारी अध्यक्ष भी था। बोलते-बोलते कुमाऊ रंजन बीते दिनों की यादों में खोते चले गए।
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क्रमशः-

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रचनाएँ
रजौली
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अपराध की पृष्ठभूमि होती है। बिना पृष्ठभूमि के अपराध हो ही नहीं सकता और पृष्ठभूमि हमारा समाज ही बनाता है। बिना सामाजिक एवं राजनीतिक पोषण के अपराध कभी भी पनप ही नहीं सकता।.....कहीं समाज किसी के ऊपर अत्याचार करता है, तो अपराध का जन्म होता है, तो कहीं समाज अपने निहित स्वार्थ को साधने के लिए अपराध को बाढावा देता है। कहने का तात्पर्य यही है कि" अपराध के जन्म लेने का कारण हम और आप कहीं न कहीं है। बिना राजनीतिक स्वार्थ के अपराधियों का मनोबल कभी भी नहीं बढ सकता। "रजौली" एक ऐसे युवती की कहानी है, जो अपने आप में ही उलझी हुई है। "रजौली" वास्तव में एक वेदना है, जो अत्यधिक शोषण की भट्टी से ज्वालामुखी बनकर निकलती है। मदन मोहन" मैत्रेय
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रजौली-एक छल कथा

5 नवम्बर 2022
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अपराध की पृष्ठभूमि होती है। बिना पृष्ठभूमि के अपराध हो ही नहीं सकता और पृष्ठभूमि हमारा समाज ही बनाता है। बिना सामाजिक एवं राजनीतिक पोषण के अपराध कभी भी पनप ही नहीं सकता।.....कहीं समाज किसी के ऊपर अत्य

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पुलिस मूख्यालय........

6 नवम्बर 2022
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दिन के दस बजे से ही पुलिस मूख्यालय में बैठकों का दौर जारी था। वैसे तो पंद्रह अगस्त को लेकर दिल्ली में आर्मी बालों का कमांड हो जाता है। फिर भी प्रशासनिक व्यवस्था संभालने की जिम्मेदारी पुलिस की होती है।

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खंडहर........

7 नवम्बर 2022
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शाम ढलने को व्याकुल हो चुका था। लगता था कि" अब कुछ ही देर में अँधेरे का साम्राज्य व्याप्त हो जाएगा और होना भी यही चाहिए। क्योंकि यह समय चक्र है और इसमें सभी कुछ निर्धारित होता है, पहले से ही। इससे आज

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घटना स्थल का मुआयना एवं सलिल का हाँस्पिटल जाना........

8 नवम्बर 2022
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शाम का अंधेरा घिरने लगा था, लेकिन अमूमन जैसा होता है, शहर पर इस अंधेरे का कोई प्रभाव नहीं पड़ा था। तभी तो हनुमान चौक का इलाका रोशनी में जगमगाता हुआ प्रतीत हो रहा था। लेकिन अभी वहां पर बिल्कुल मातमी सन्

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रीठाला मेट्रो स्टेशन.......

9 नवम्बर 2022
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रात के एक बजे, मेट्रो में अपेक्षाकृत काफी कम यात्रियों की संख्या थी। कोरोना काल के गुजर जाने के कारण शहर व्यवस्थित हो चुका था, किन्तु पहले जैसी रफ्तार अभी नहीं पकड़ पाया था। दूजे कि" रात ज्यादा हो जाने

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सलिल का हाँस्पिट से रीठाला मेट्रो स्टेशन की ओर जाना.........

10 नवम्बर 2022
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रात बारह बजे।सलिल हाँस्पिटल से बाहर निकला था और अब जूस की दुकान खोज रहा था। शांतनु देव को गोली लगने के कारण उसका हृदय बहुत हद तक मर्माहत हुआ था। बार-बार उसे शांतनु देव पर गुस्सा भी आ रहा था। इतना तेज-

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उस औरत को हाँस्पिटल ले जाना और पुलिस द्वारा प्रेस रीलिज दिया जाना........

11 नवम्बर 2022
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रोमील के द्वारा उन चारों घायलों को ले जाने के बाद सलिल ने उस औरत को देखा। तब तक हथियार धारी फोर्स उसके करीब पहुंच चुका था और उन लोगों की नजर सलिल पर टिक गई थी, मानो जानना चाहते हो कि" कुछ देर पहले किस

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मंत्री भानु शाली.......

12 नवम्बर 2022
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सुबह के पांच बज चुके थे।अमूमन तो इस समय मंत्री आवास पर किसी प्रकार का चहल-पहल नहीं होता था। किन्तु" अभी-अभी मंत्री साहब की आँख खुली थी और उन्होंने न्यूज चैनल लगा दिया था और ऐसे ही एक नजर देख लेने की इ

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रजौली को पुलिस स्टेशन लाना और उससे पूछताछ.......

14 नवम्बर 2022
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सुबह के छ बजते ही आकाश सूर्य किरण की आभा से जगमगा उठा। उगते हुए सूर्य के साथ ही एल.

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मंत्री भानु शाली का पंडित जगतपति से मिलना.......

14 नवम्बर 2022
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सुबह के आठ बज चुके थे और इसके साथ ही चारों ओर प्रकाश का साम्राज्य छा चुका था। वैसे भी आकाश साफ था, जिसके कारण किरण का निखार कुछ ज्यादा था। लेकिन मंत्री भानु शाली के चेहरे से प्रतीत हो रहा था कि" उनके

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टाँर्चर रुम........

15 नवम्बर 2022
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सलिल, रजौली के द्वारा इस तरह लगाए जा रहे ठहाकों से परेशान हो चुका था। उसे उम्मीद थी कि" रजौली इस तरह के हरकत करने के बाद शांत हो जाएगी और फिर उसके साथ सहयोग करेगी। किन्तु नहीं, रजौली तो रुक-रुक कर करी

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मुहम्मद काजी.........

16 नवम्बर 2022
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सफेद लुंगी, उसपर नीले रंग का कुर्ता और सिर पर जालीदार सफेद टोपी।....चेहरे पर चमक, आँखों पर गोल चश्मा, लंबा कद। चेहरे पर मूंछ नहीं थी, किन्तु" लंबी सफेद दाढी, उम्र यही करीब पचपन वर्ष के करीब। मुहम्मद क

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सलिल के द्वारा पेट्रोलिंग किया जाना और हाँस्पिटल पहुंचना.........

17 नवम्बर 2022
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एस. पी. साहब के जाने के बाद जैसे सलिल की तंद्रा टूटी हो। फिर तो उसने रोमील एवं राम माधवन को आँफिस में बुलाया और समझाया कि" उसे आगे क्या करना है? साथ ही उसने पुलिस मूख्यालय भी फोन कर दिया कि" अतिरिक्त

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सलिल की कुमाऊ रंजन से मुलाकात........

18 नवम्बर 2022
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सलिल को अचानक ही आया देखकर शांतनु देव चौंका जरूर था, किन्तु" उसने अपने चेहरे पर इन भावों को नहीं आने दिया और सलिल को अपने करीब बैठने के साथ ही उसके चेहरे पर नजर टिका दी। जबकि सलिल, उसके करीब बैठने के

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मंत्री साहब का वकील दिगंबर से मिलना.......

19 नवम्बर 2022
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शाम के सात बज चुके थे और अब आसमान में तारे जगमग करने लगे थे। मंत्री भानु शाली अभी अपने बंगले से निकला था" वकील से मिलने के लिए। वैसे भी कुछ सेकेन्ड पहले हुई जोरदार बारिश ने रोड पर पानी जमा कर दिया था।

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कुमाऊ रंजन के साथ सलिल का पुलिस स्टेशन लौटना.......

20 नवम्बर 2022
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अचानक से ही बरसात की शुरुआत हो जाने के कारण एक पल के लिए सलिल हकबका सा गया। एक तो रात का आलम ढल चुका था, दूसरे आसमान से तेज गति से गिर रही बारिश की बुंदे। एक पल के लिए उसे समझ ही नहीं आया कि, क्या करे

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शांतनु देव का स्वप्न.........

21 नवम्बर 2022
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शांतनु देव को पंख लग गए थे और वो आसमान में ऊँचे- ऊँचे उड़ता जा रहा था। उसकी कोशिश भी तो यही थी कि" नील गगन के आँचल में दूर-दूर तक परवाज करें और फिर उसके तो पंख लग गए थे। कोमल-कोमल सफेद पंख, जिसमें बहुत

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सलिल एवं एस. पी. साहब का पुलिस स्टेशन पहुंचना और रजौली से पूछताछ करना.......

22 नवम्बर 2022
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सुबह के पांच बजने के साथ ही सलिल ने अंगड़ाई ली। कहां तो रजौली के कहे अनुसार दिल्ली शहर धमाके की आवाज से दहल जाना चाहिए था, परन्तु....ऐसा कुछ भी नहीं हुआ था। शहर तो अपनी चाल में गति कर रहा था, ऐसे में स

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शांतनु देव की चिन्ता और पुलिस स्टेशन जाना.........

23 नवम्बर 2022
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मानव मन की रचना ईश्वर ने अजीब प्रकार की- की है। जब मानव सुख में होता है, चिंतन नहीं करता और जब दुःख में होता है, चिंतनशीलता का आवरण ओठ लेता है। परन्तु... विचार, जो कि" मानव मन के साथ हमेशा ही लगे रहते

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सलिल के द्वारा शहर के चक्कर लगाना और पुलिस स्टेशन लौटना...........

25 नवम्बर 2022
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दिन के दस बजने बाले थे, किन्तु सलिल को अभी तक कहीं सफलता नहीं मिली थी। रजौली" ने जितने भी पते बतलाए थे, उन तमाम जगहों पर अब तक छापामारी की गई थी। परन्तु....वे तमाम जगह, जहां दूर-दूर तक भी संभावना नहीं

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रजौली" से फिर से पूछताछ और कोर्ट की नोटिस........

25 नवम्बर 2022
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सलिल एवं एस. पी. साहब को अजीब नजरों से अपनी ओर देखता पाकर शांतनु देव एक पल के लिए बौखला ही गया। उसकी इच्छा हुई कि" दोनों से पुछे कि, इस तरह से क्यों देख रहे हो?...परन्तु अचानक ही उसने अपने इस विचार को

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रजौली की कोर्ट में पेशी और सलिल का अपार्ट मेंट पर लौटना.......

26 नवम्बर 2022
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कोर्ट के नोटिस को देखने के बाद जहां सलिल की त्योरियां चढ गई, वही पर एस. पी. साहब एवं शांतनु देव के चेहरे पर चिन्ता की लकीरें खींच गई। अब भला शांतनु देव से ज्यादा कौन इस बात को समझ सकता था कि" रजौली के

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कुमाऊ रंजन से शांतनु देव की मुलाकात और कुमाऊ रंजन का रजौली से मिलना.......

27 नवम्बर 2022
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अपार्ट मेंट के अंदर हाँल में कुमाऊ रंजन सोफे पर अकड़ूँ बैठा हुआ था, परन्तु.....उसकी नजर टी. बी स्क्रीन पर ही चिपकी हुई थी। टी. बी. स्क्रीन पर चल रहा एंटरटेंनमेंट, लगता था कि, कुमाऊ रंजन तन्मयता से देख

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मंत्री भानु शाली के घर मीटिंग.......

28 नवम्बर 2022
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शाम ढलने को तत्पर था और लगता था कि" रात के अंधेरे का आवरण अब वातावरण को अपने आगोश में समेट लेगा। ठीक उसी तरह मंत्री भानु शाली के हृदय में भी भय रुपी अंधेरा घनघोर बादल की तरह बढते जा रहे थे और आतुर थे

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हाँस्पिटल में कुमाऊ रंजन की यादाश्त वापस लौटना......

29 नवम्बर 2022
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अचानक ही कुमाऊ रंजन का तबीयत बिगड़ने के बाद सलिल उसे हाँस्पिटल ले आया था। डाक्टरों की टीम कुमाऊ रंजन को इमरजेंसी वार्ड में ले गई थी। परन्तु अब तक सलिल इस सदमे से बाहर नहीं आ सका था कि" आखिर कुमाऊ रंजन

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मंत्री भानुशाली का जज साहब से मिलना.......

30 नवम्बर 2022
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काफी मनोमंथन के बाद भी जब वे लोग किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंच सके। मुहम्मद काजी ने सुझाव दिया कि" क्यों न हम लोग जज साहब से मिल ले। शायद वहीं से कोई रास्ता निकल आए। दावा पूर्वक तो कुछ नहीं कहा जा सकता

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सलिल का कुमाऊ रंजन के साथ पुलिस स्टेशन लौटना और कुमाऊ रंजन का बीते दिनों की यादों में जाना.....

1 दिसम्बर 2022
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सलिल ने ड्राइविंग शीट संभाली, रोमील कुमाऊ रंजन के साथ पीछे बैठा, जबकि बगल बाली शीट पर शांतनु देव बैठ गए। इसके बाद सलिल ने कार श्टार्ट की और हाँस्पिटल गेट से निकाल कर सड़क पर दौड़ा दिया। यूं तो सलिल शांत

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