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खंडहर........

7 नवम्बर 2022

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शाम ढलने को व्याकुल हो चुका था। लगता था कि" अब कुछ ही देर में अँधेरे का साम्राज्य व्याप्त हो जाएगा और होना भी यही चाहिए। क्योंकि यह समय चक्र है और इसमें सभी कुछ निर्धारित होता है, पहले से ही। इससे आज तक कोई अछूता नहीं रह सका है। तभी तो एक समय का आलीशान महल आज समय के थपेड़ों से लड़खड़ा कर आज खंडहर में तबदील हो चुका था। एक विशाल खंडहर, अपने आप में एक बीती हुई सभ्यता को समेटे हुए। वीरान, क्योंकि वहां कोई आता ही नहीं था, इसलिये कि" उसकी उपयोगिता नहीं थी। हां, सरकार द्वारा हेरिटेज साइट का तमगा लगाकर संरक्षित किया जा सकता था, किन्तु उपेक्षित था, तिरस्कृत था यह खंडहर।
                           लेकिन यह खंडहर ऐसा भी नहीं था कि" किसी के काम नहीं आता हो। अकसर यहां पर प्रेमी जोड़े नितांत एकांत की चाह लिए आते थे और यह खंडहर उन्हें संरक्षण देता था। तो कभी-कभी शराबी- जुआरी को भी संरक्षण देता था। किन्तु" इस समय इसने उस महिला को संरक्षण दिया हुआ था, जो अभी-अभी हनुमान चौक पर क्राइम कर के आई थी। हां, वो औरत अब बिल्कुल भी नहीं दौड़ रही थी और न ही उसके चेहरे पर अभी किसी प्रकार के भाव थे। वह तो नितांत अपने कदमों को खंडहर की ओर बढा रही थी। कंधे पर वही पुराना फटा हुआ सा थैला लिए,....जिसमें से अभी ए. के. फोर्टी सेवन झांक रहा था।
                            परन्तु"...उसे इसकी चिन्ता इस समय तो बिल्कुल भी नहीं थी। जानती थी कि" इस समय वो इस खंडहर के संरक्षण में है, जो अपने-आप में वीराना पन समेटे हुए है। उसके अंदर प्रतिध्वनित होता हुआ साय- साय का स्वर इस बात की तसदीक करता है कि" उसकी ओर कोई जल्दी आता नहीं। लेकिन अपने इस उपेक्षा से तनिक भी दुःखी नहीं है खंडहर, क्योंकि उसे अपना अतीत याद है और भविष्य भी। जानता है कि" जिसका निर्माण हुआ है, उसका विनाश अवश्यंभावी है। तो फिर क्यों दुःखी हो। इसलिये ही तो उस औरत ने इस जगह को रहने के लिए चुना था। उसे लगा था कि" उसकी दासता उस खंडहर से बहुत हद तक मिलती-जुलती है। उसे इस बात का विश्वास था कि" तिरस्कृत हुआ खंडहर उसका तिरस्कार तो कभी नहीं करेगा।
                             तभी तो, वो आगे बढी और उस रूम में पहुंची, जो कि" जर्जर था, किन्तु खंडहर के और भाग से अपेक्षाकृत कहीं बेहतर था। तभी तो उस औरत ने उस रूम को अपना ठिकाना बनाया था। वैसे तो, उसके लिए दिल्ली शहर अंजाना नहीं था। वह इसके एक-एक गलियों से अच्छी तरह से परिचित थी, किन्तु" इस परिचय में भय था, छल लिए जाने का अंजाना सा डर था। धोखा और मक्कारी की गंध इसकी फिजाओं में घुली हुई थी और ऐसे में शहर की चमचमाती गलियों, ऊँचे चमकते हुए बिल्डिंगो से यह खंडहर ज्यादा अनुकूल था। इसलिये भी अनुकूल था कि" यह छल करने की गुस्ताखी नहीं कर सकता था। यह धोखा करने की हिमाकत नहीं कर सकता था, क्योंकि समय ने अपने थपेड़ों से इसे बेहाल कर दिया था। यह इतनी भी हिमाकत नहीं कर सकता था कि" किसी प्रश्न को पुछ सकें, क्योंकि अब तो इसके अस्तित्व पर ही प्रश्न चिन्ह लग चुका था।
                            तभी तो वो निश्चिंत होकर उस रूम में पहुंची, फिर अपने कंधे से उस थैला रुपी भार को हटाया और कोने में रख दिया। फिर उसने रूम में चारों तरफ देखा, शांत और सुव्यवस्थित। उसने उस रूम में गृहस्थी के सारे साधन जुटा लिए थे और कमरे में कहीं से रोशनी की भी व्यवस्था कर ली थी। कहीं से उसने बिजली के तार खींच लिए थे और कमरे में एक बल्ब भी जला ली थी। तभी तो उसने बल्ब भी जला लिए और फर्स पर ही बैठ गई । फिर कुछ सोचने लगी और अचानक ही उसके चेहरे पर चमक उभड़ उठा। उसके हृदय में दबी हुई चिंगारी जैसे भड़क उठी हो। आँखों में चमक के साथ चमकता हुआ विश्वास। उसे विश्वास था अपने बाहुबल पर, जानती थी कि" जो करना चाहती है, वो वह कर सकती है। अपने मंसूबों को अंजाम देने की हिम्मत है उसमें। तभी तो वो मुस्कराई और अचानक ही ठहाके लगाने लगी।
हा-हा-हा-हा-हा।
                     इसके बाद उसके कंठ से निकला हुआ ठहाका उस जर्जर हो रहे खंडहर में गुंज उठा। उसके विश्वास का ठहाका, उसे जो अनुभूति हो रही थी, उस जीत का ठहाका। जो गुंजने लगा और लगा कि" जैसे खंडहर कंपित होकर उसके ठहाके का अनुमोदन कर रहा हो। लगा कि" खंडहर को जैसे उस औरत के ठहाकों की गुंज में खुद के फिर से जीवंत होने का एहसास सा हुआ हो। इस तरह से कितनी ही देर तक उस औरत का ठहाका गुंजता रहा और फिर अचानक ही वो औरत रोने लगी। कुछ देर पहले तक जो उसकी ठहाकों की गुंज आस-पास को गुंजायमान किया हुआ था, उसके करुण क्रंदन ने मानो उस खुशी को छीन लिया था। उसके करुण क्रंदन ने आस- पास के इलाके को बोझिल कर दिया। लगा कि" खंडहर भी कंपित होकर उसके क्रंदन का समर्थन कर रहा हो। उसके रुदन में शामिल होना चाहता हो।
                             फिर अचानक ही उस औरत ने चुप्पी साध ली और अपने छलक आए हुए आँसू पोंछे और फिर खुद को ही ढृढ विश्वास के साथ बोली। आज तो मैंने बदला ले लिया, भले ही मैं किसी के जान नहीं ले सकी। किन्तु" कितनों को ही गोलियां लगी। कोई बात नहीं, मैं फिर से प्रयास करूंगी, मैं इस समाज में मौजूद एक-एक को नेस्तनाबूद कर दूंगी। किसी को नहीं छोड़ूंगी, किसी को बचने नहीं दूंगी। उसने इन बातों को पूर्ण आत्मविश्वास के साथ कहा और फिर उठी। रूम से बाहर निकली और दाईं ओर बढी। खंडहर के दाईं ओर एक छोटा सा तालाब था, तालाब छोटा था, किन्तु साफ-सुधरा था। लेकिन उस औरत को जैसे इससे कोई मतलब नहीं था। वह तो तालाब में प्रवेश कर गई और डुबकी लगा-लगा कर नहाने लगी। वो करीब घंटे तक नहाती रही, तब तक नहाती रही, जबतक चारों ओर अंधेरा छा गया। इसके बाद बाहर निकली और वापस उसी रूम में आ गई।
                              इसके बाद उसने अपने कपड़े बदले। लेकिन इस बार भी उसने फटे हुए ही कपड़े पहने हुए थे, लेकिन कपड़े साफ-सुधरे थे। इसके बाद उसने कमरे के कोने में रखे हुए बड़े बक्से को खोला और उसमें से एक बोतल निकला, जो कि सफेद तरल पदार्थ से भरा हुआ था। जी हां, वो कच्ची शराब थी, जिसकी जरूरत अब उस औरत को महसूस होने लगी थी। तभी तो, उसने बोतल के ढक्कन खोले और फिर अपने मुंह से लगा गई। फिर तो, बोतल उसके मुंह से तभी हटा, जब बोतल में आधी ही शराब रह गई थी। इसके बाद उसने बोतल को किनारे रखा और फिर उस फटे-पुराने थैले की ओर बढ गई, आँखों में मकसद की उजास लिए।
                             उसने फिर तो बड़े प्यार से ए. के. फोर्टी सेवन को थैले से बाहर निकाला और ममत्व के साथ उसपर अपने हाथ फेरने लगी। साथ ही उसके आँखों में उत्तेजना का भाव भी जागृत हुआ। तभी तो सहसा ही वो अपने आप से बोलने लगी। "रजौली" तुझे चिन्ता करने की जरूरत नहीं है। क्या हुआ जो आज तेरा निशाना कुछ चुक कर गया" लेकिन तू कभी तो कामयाब होगी। इन वहशी दरिंदों की टोलियों में लाशों के अंबार लगा देगी। तू इस तरह से निराश मत हो "रजौली"। इतना कहने के बाद वह मादक द्रव्य बाली बोतल उठा लाई और मुंह से लगाकर गट- गट पीने लगी। इतनी तेजी के साथ पीने लगी, कि" उसका सांस फूलने लगा। फिर तो, बोतल खाली होने के बाद ही उसके मुंह से हटा, साथ ही उसके मुंह से आनंद की डकार भी निकली, मानो वह तृप्त हो गई हो। इसके बाद वो बाक्स खोलकर उसमें से मैगजीन निकाल लिया और ए. के. फोर्टी सेवन में लोड करने लगी, खूंखार इरादे के साथ।
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क्रमशः-
                                

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रचनाएँ
रजौली
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अपराध की पृष्ठभूमि होती है। बिना पृष्ठभूमि के अपराध हो ही नहीं सकता और पृष्ठभूमि हमारा समाज ही बनाता है। बिना सामाजिक एवं राजनीतिक पोषण के अपराध कभी भी पनप ही नहीं सकता।.....कहीं समाज किसी के ऊपर अत्याचार करता है, तो अपराध का जन्म होता है, तो कहीं समाज अपने निहित स्वार्थ को साधने के लिए अपराध को बाढावा देता है। कहने का तात्पर्य यही है कि" अपराध के जन्म लेने का कारण हम और आप कहीं न कहीं है। बिना राजनीतिक स्वार्थ के अपराधियों का मनोबल कभी भी नहीं बढ सकता। "रजौली" एक ऐसे युवती की कहानी है, जो अपने आप में ही उलझी हुई है। "रजौली" वास्तव में एक वेदना है, जो अत्यधिक शोषण की भट्टी से ज्वालामुखी बनकर निकलती है। मदन मोहन" मैत्रेय
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रजौली-एक छल कथा

5 नवम्बर 2022
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अपराध की पृष्ठभूमि होती है। बिना पृष्ठभूमि के अपराध हो ही नहीं सकता और पृष्ठभूमि हमारा समाज ही बनाता है। बिना सामाजिक एवं राजनीतिक पोषण के अपराध कभी भी पनप ही नहीं सकता।.....कहीं समाज किसी के ऊपर अत्य

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पुलिस मूख्यालय........

6 नवम्बर 2022
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दिन के दस बजे से ही पुलिस मूख्यालय में बैठकों का दौर जारी था। वैसे तो पंद्रह अगस्त को लेकर दिल्ली में आर्मी बालों का कमांड हो जाता है। फिर भी प्रशासनिक व्यवस्था संभालने की जिम्मेदारी पुलिस की होती है।

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खंडहर........

7 नवम्बर 2022
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शाम ढलने को व्याकुल हो चुका था। लगता था कि" अब कुछ ही देर में अँधेरे का साम्राज्य व्याप्त हो जाएगा और होना भी यही चाहिए। क्योंकि यह समय चक्र है और इसमें सभी कुछ निर्धारित होता है, पहले से ही। इससे आज

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घटना स्थल का मुआयना एवं सलिल का हाँस्पिटल जाना........

8 नवम्बर 2022
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शाम का अंधेरा घिरने लगा था, लेकिन अमूमन जैसा होता है, शहर पर इस अंधेरे का कोई प्रभाव नहीं पड़ा था। तभी तो हनुमान चौक का इलाका रोशनी में जगमगाता हुआ प्रतीत हो रहा था। लेकिन अभी वहां पर बिल्कुल मातमी सन्

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रीठाला मेट्रो स्टेशन.......

9 नवम्बर 2022
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रात के एक बजे, मेट्रो में अपेक्षाकृत काफी कम यात्रियों की संख्या थी। कोरोना काल के गुजर जाने के कारण शहर व्यवस्थित हो चुका था, किन्तु पहले जैसी रफ्तार अभी नहीं पकड़ पाया था। दूजे कि" रात ज्यादा हो जाने

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सलिल का हाँस्पिट से रीठाला मेट्रो स्टेशन की ओर जाना.........

10 नवम्बर 2022
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रात बारह बजे।सलिल हाँस्पिटल से बाहर निकला था और अब जूस की दुकान खोज रहा था। शांतनु देव को गोली लगने के कारण उसका हृदय बहुत हद तक मर्माहत हुआ था। बार-बार उसे शांतनु देव पर गुस्सा भी आ रहा था। इतना तेज-

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उस औरत को हाँस्पिटल ले जाना और पुलिस द्वारा प्रेस रीलिज दिया जाना........

11 नवम्बर 2022
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रोमील के द्वारा उन चारों घायलों को ले जाने के बाद सलिल ने उस औरत को देखा। तब तक हथियार धारी फोर्स उसके करीब पहुंच चुका था और उन लोगों की नजर सलिल पर टिक गई थी, मानो जानना चाहते हो कि" कुछ देर पहले किस

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मंत्री भानु शाली.......

12 नवम्बर 2022
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सुबह के पांच बज चुके थे।अमूमन तो इस समय मंत्री आवास पर किसी प्रकार का चहल-पहल नहीं होता था। किन्तु" अभी-अभी मंत्री साहब की आँख खुली थी और उन्होंने न्यूज चैनल लगा दिया था और ऐसे ही एक नजर देख लेने की इ

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रजौली को पुलिस स्टेशन लाना और उससे पूछताछ.......

14 नवम्बर 2022
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सुबह के छ बजते ही आकाश सूर्य किरण की आभा से जगमगा उठा। उगते हुए सूर्य के साथ ही एल.

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मंत्री भानु शाली का पंडित जगतपति से मिलना.......

14 नवम्बर 2022
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सुबह के आठ बज चुके थे और इसके साथ ही चारों ओर प्रकाश का साम्राज्य छा चुका था। वैसे भी आकाश साफ था, जिसके कारण किरण का निखार कुछ ज्यादा था। लेकिन मंत्री भानु शाली के चेहरे से प्रतीत हो रहा था कि" उनके

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टाँर्चर रुम........

15 नवम्बर 2022
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सलिल, रजौली के द्वारा इस तरह लगाए जा रहे ठहाकों से परेशान हो चुका था। उसे उम्मीद थी कि" रजौली इस तरह के हरकत करने के बाद शांत हो जाएगी और फिर उसके साथ सहयोग करेगी। किन्तु नहीं, रजौली तो रुक-रुक कर करी

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मुहम्मद काजी.........

16 नवम्बर 2022
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सफेद लुंगी, उसपर नीले रंग का कुर्ता और सिर पर जालीदार सफेद टोपी।....चेहरे पर चमक, आँखों पर गोल चश्मा, लंबा कद। चेहरे पर मूंछ नहीं थी, किन्तु" लंबी सफेद दाढी, उम्र यही करीब पचपन वर्ष के करीब। मुहम्मद क

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सलिल के द्वारा पेट्रोलिंग किया जाना और हाँस्पिटल पहुंचना.........

17 नवम्बर 2022
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एस. पी. साहब के जाने के बाद जैसे सलिल की तंद्रा टूटी हो। फिर तो उसने रोमील एवं राम माधवन को आँफिस में बुलाया और समझाया कि" उसे आगे क्या करना है? साथ ही उसने पुलिस मूख्यालय भी फोन कर दिया कि" अतिरिक्त

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सलिल की कुमाऊ रंजन से मुलाकात........

18 नवम्बर 2022
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सलिल को अचानक ही आया देखकर शांतनु देव चौंका जरूर था, किन्तु" उसने अपने चेहरे पर इन भावों को नहीं आने दिया और सलिल को अपने करीब बैठने के साथ ही उसके चेहरे पर नजर टिका दी। जबकि सलिल, उसके करीब बैठने के

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मंत्री साहब का वकील दिगंबर से मिलना.......

19 नवम्बर 2022
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शाम के सात बज चुके थे और अब आसमान में तारे जगमग करने लगे थे। मंत्री भानु शाली अभी अपने बंगले से निकला था" वकील से मिलने के लिए। वैसे भी कुछ सेकेन्ड पहले हुई जोरदार बारिश ने रोड पर पानी जमा कर दिया था।

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कुमाऊ रंजन के साथ सलिल का पुलिस स्टेशन लौटना.......

20 नवम्बर 2022
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अचानक से ही बरसात की शुरुआत हो जाने के कारण एक पल के लिए सलिल हकबका सा गया। एक तो रात का आलम ढल चुका था, दूसरे आसमान से तेज गति से गिर रही बारिश की बुंदे। एक पल के लिए उसे समझ ही नहीं आया कि, क्या करे

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शांतनु देव का स्वप्न.........

21 नवम्बर 2022
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शांतनु देव को पंख लग गए थे और वो आसमान में ऊँचे- ऊँचे उड़ता जा रहा था। उसकी कोशिश भी तो यही थी कि" नील गगन के आँचल में दूर-दूर तक परवाज करें और फिर उसके तो पंख लग गए थे। कोमल-कोमल सफेद पंख, जिसमें बहुत

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सलिल एवं एस. पी. साहब का पुलिस स्टेशन पहुंचना और रजौली से पूछताछ करना.......

22 नवम्बर 2022
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सुबह के पांच बजने के साथ ही सलिल ने अंगड़ाई ली। कहां तो रजौली के कहे अनुसार दिल्ली शहर धमाके की आवाज से दहल जाना चाहिए था, परन्तु....ऐसा कुछ भी नहीं हुआ था। शहर तो अपनी चाल में गति कर रहा था, ऐसे में स

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शांतनु देव की चिन्ता और पुलिस स्टेशन जाना.........

23 नवम्बर 2022
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मानव मन की रचना ईश्वर ने अजीब प्रकार की- की है। जब मानव सुख में होता है, चिंतन नहीं करता और जब दुःख में होता है, चिंतनशीलता का आवरण ओठ लेता है। परन्तु... विचार, जो कि" मानव मन के साथ हमेशा ही लगे रहते

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सलिल के द्वारा शहर के चक्कर लगाना और पुलिस स्टेशन लौटना...........

25 नवम्बर 2022
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दिन के दस बजने बाले थे, किन्तु सलिल को अभी तक कहीं सफलता नहीं मिली थी। रजौली" ने जितने भी पते बतलाए थे, उन तमाम जगहों पर अब तक छापामारी की गई थी। परन्तु....वे तमाम जगह, जहां दूर-दूर तक भी संभावना नहीं

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रजौली" से फिर से पूछताछ और कोर्ट की नोटिस........

25 नवम्बर 2022
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सलिल एवं एस. पी. साहब को अजीब नजरों से अपनी ओर देखता पाकर शांतनु देव एक पल के लिए बौखला ही गया। उसकी इच्छा हुई कि" दोनों से पुछे कि, इस तरह से क्यों देख रहे हो?...परन्तु अचानक ही उसने अपने इस विचार को

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रजौली की कोर्ट में पेशी और सलिल का अपार्ट मेंट पर लौटना.......

26 नवम्बर 2022
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कोर्ट के नोटिस को देखने के बाद जहां सलिल की त्योरियां चढ गई, वही पर एस. पी. साहब एवं शांतनु देव के चेहरे पर चिन्ता की लकीरें खींच गई। अब भला शांतनु देव से ज्यादा कौन इस बात को समझ सकता था कि" रजौली के

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कुमाऊ रंजन से शांतनु देव की मुलाकात और कुमाऊ रंजन का रजौली से मिलना.......

27 नवम्बर 2022
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अपार्ट मेंट के अंदर हाँल में कुमाऊ रंजन सोफे पर अकड़ूँ बैठा हुआ था, परन्तु.....उसकी नजर टी. बी स्क्रीन पर ही चिपकी हुई थी। टी. बी. स्क्रीन पर चल रहा एंटरटेंनमेंट, लगता था कि, कुमाऊ रंजन तन्मयता से देख

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मंत्री भानु शाली के घर मीटिंग.......

28 नवम्बर 2022
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शाम ढलने को तत्पर था और लगता था कि" रात के अंधेरे का आवरण अब वातावरण को अपने आगोश में समेट लेगा। ठीक उसी तरह मंत्री भानु शाली के हृदय में भी भय रुपी अंधेरा घनघोर बादल की तरह बढते जा रहे थे और आतुर थे

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हाँस्पिटल में कुमाऊ रंजन की यादाश्त वापस लौटना......

29 नवम्बर 2022
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अचानक ही कुमाऊ रंजन का तबीयत बिगड़ने के बाद सलिल उसे हाँस्पिटल ले आया था। डाक्टरों की टीम कुमाऊ रंजन को इमरजेंसी वार्ड में ले गई थी। परन्तु अब तक सलिल इस सदमे से बाहर नहीं आ सका था कि" आखिर कुमाऊ रंजन

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मंत्री भानुशाली का जज साहब से मिलना.......

30 नवम्बर 2022
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काफी मनोमंथन के बाद भी जब वे लोग किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंच सके। मुहम्मद काजी ने सुझाव दिया कि" क्यों न हम लोग जज साहब से मिल ले। शायद वहीं से कोई रास्ता निकल आए। दावा पूर्वक तो कुछ नहीं कहा जा सकता

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सलिल का कुमाऊ रंजन के साथ पुलिस स्टेशन लौटना और कुमाऊ रंजन का बीते दिनों की यादों में जाना.....

1 दिसम्बर 2022
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सलिल ने ड्राइविंग शीट संभाली, रोमील कुमाऊ रंजन के साथ पीछे बैठा, जबकि बगल बाली शीट पर शांतनु देव बैठ गए। इसके बाद सलिल ने कार श्टार्ट की और हाँस्पिटल गेट से निकाल कर सड़क पर दौड़ा दिया। यूं तो सलिल शांत

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