सुबह के छ बजते ही आकाश सूर्य किरण की आभा से जगमगा उठा। उगते हुए सूर्य के साथ ही एल. जी. के. हाँस्पिटल में हलचल बढ चुका था। एक तो हाँस्पिटल के रेगुलर मरीज, दूसरे कल शाम और रात को वारदात में घायल हुए लोग, साथ ही न्यूज रिपोर्टर की अंदर जाने की कोशिश। स्वाभाविक था कि" हलचल की मात्रा बढती ही चली जाए। चारों ओर शोर-शराबा और कोलाहल। ऐसे में सलिल का दिमाग भन्नाने लगा था। एक वही तो था, जो अब तक धैर्य धारण किए हुए था, अन्यथा तो कोई दूसरा होता, या तो हाथापाई पर उतर जाता, या तो पुलिस स्टेशन जाकर आराम फरमाने लगता।
किन्तु" सलिल अलग माटी का बना हुआ आँफिसर था। इन छोटे-मोटे हलचल से घबरा जाए, सलिल उस में का नहीं था। तभी तो हलचल बढते देख कर वह सब से पहले शांतनु देव से मिलने गया। उसे जानकारी दी कि" रात को उसके पास से जाने के बाद कौन-कौन सा घटनाक्रम घटित हुआ है। शांतनु देव तो बस शांत होकर उसकी बात सुन रहा था और जैसे ही सुना कि" वारदात को अंजाम देने बाली औरत गिरफ्तार हो गई है, उसके अधर पर मुस्कान उभड़ आया।....जबकि सलिल ने शांतनु देव से चलने की अनुमति ली और डाक्टर अमीत रंजन से मिला।
डाक्टर अमीत रंजन ने जब सुना कि" सलिल उस औरत को पुलिस स्टेशन लेकर जाना चाहता है, उसने सहर्ष अनुमति दे-दी। तब तक रोमील एवं राम माधवन आ चुका था। बस सलिल की रही-सही चिन्ता भी जाती रही। इसके बाद तो उस औरत को सुरक्षा के घेरे में बाहर निकाल कर पुलिस वान में बिठाया गया। हलांकि इस दरमियान मीडिया बालों ने काफी कोशिश की कि" उस औरत को लाइव दिखा सके। परन्तु,....जब सलिल जैसा आँफिसर सामने हो, इस बात की संभावना बिल्कुल भी नहीं थी। तभी तो सफलता नहीं मिल पाने के कारण मीडिया बाले निराश हो गए। जबकि सलिल काफिला को लिए हुए पुलिस स्टेशन के लिए चल पड़ा, दिमाग में विचारों को भुनाते हुए।
अभी तक की जो परिस्थिति थी, उससे तो उसे एक बात स्पष्ट महसूस हो रही थी कि" वो औरत जरूर किसी आतंकी संगठन में कार्य करती होगी। किन्तु" अभी तक यह स्पष्ट नहीं था कि वह किस आतंकी संगठन से तालुकात रखती है। परन्तु.....उसके पास मिले हुए ए. के. फोर्टी सेवन से तो इतना स्पष्ट हो चुका था कि" वो नेक इरादा" तो नहीं रखती। भले ही उसने अब तक जो वारदात अंजाम दिए थे, उसने किसी की जान नहीं ली थी। परन्तु उसकी कोशिश तो यही थी कि" ज्यादा से ज्यादा लोगों की जान ले सके। बस सलिल यही आकर रुक जाता था कि" अगर वो किसी की भी जान लेने की इतनी ही इच्छुक थी, तो उसका निशाना सही क्यों नहीं बैठा?
भले ही उसने जिस प्रकार के वारदात को अंजाम दिया था, वो पैटर्ण आतंकवादियों का होता है। वे पब्लिक में भय उत्पन्न करने के लिए ही इस तरह से सरेआम पब्लिक प्लेस पर हमला करते है। किन्तु" उनके हमले में हताहतों की संख्या काफी होती है, जो कि" इन दोनों वारदात में नगण्य था। सलिल को अब तक जो जानकारी थी, उसके अनुसार किसी की भी ऐसी स्थिति नहीं थी कि" कहा जा सके कि, वो मरने बाला है। ऐसे में इस वारदात को आतंकी घटना भी नहीं कहा जा सकता था। परन्तु" पैटर्ण जो हमला करने का था, वह आतंकी गतिविधि की तरफ इशारा कर रहा था।
बस सलिल उलझ कर रह गया था इस मामले में। तभी तो उसने फैसला किया कि" उस औरत को ले जाने के बाद उससे पूछताछ करेगा। जानने की कोशिश करेगा कि" उसने इस प्रकार के वारदात को किसलिये अंजाम दिया। किन्तु" पूछताछ तो तभी करेगा, जब वह पुलिस स्टेशन पहुंचेगा। वैसे भी शांतनु देव के घायल हो जाने के कारण सलिल खुद को अकेला सा महसूस कर रहा था इस मामले में। क्योंकि" एक शांतनु देव ही ऐसा था, जो कि उसका लँगोटियाँ था और साथ ही उसे आँफिसियली जानकारी भी थी। एक वही था, जो उसे सलाह भी दे सकता था और गुत्थियां सुलझाने में उसकी मदद भी कर सकता था। रोमील एवं राम माधवन तो था, जो काफी तेज-तर्रार था, किन्तु" उसके सामने ज्यादा मुंह खोलने की हिम्मत नहीं कर पाता था। दूसरे, उन दोनों के सामने सलिल अपना जुबान ज्यादा खोल भी नहीं पाता था कभी।
अभी तो सलिल विचार के जालों में उलझा ही था कि" पुलिस की गाड़ियां पुलिस स्टेशन के अंदर प्रवेश कर गई। फिर तो सलिल कार से बाहर निकला और अपने आँफिस की ओर बढ गया। जबकि" रोमील एवं राम माधवन उस औरत को लेकर टाँर्चर रूम की ओर बढ गए, क्योंकि सलिल ने उन्हें यही निर्देश दिया हुआ था। इधर सलिल ने आँफिस में पहुंच कर फ्रीजर से पानी निकाल कर पीया और फिर वापस बाहर निकला। इस बार उसके कदमों की गति टाँर्चर रूम की ओर थी। क्योंकि" उसने इरादा बना लिया था कि" अब उस औरत से पूछताछ करेगा। क्योंकि उसकी प्राथमिकता भी यही होनी चाहिए थी। जानता था कि" कुछ घंटों बाद ही पुलिस स्टेशन अधिकारियों का जमावड़ा बनने बाला है। तभी तो, उसने टाँर्चर रूम में कदम रखा और उसकी नजर टाँर्चर चेयर पर हथकड़ी लगी हुई उस औरत पर गई। उसके बाद उसने राम माधवन को देखा और उसे काँफी लाने के लिए बोल दिया।
और राम माधवन रूम से बाहर निकल गया। जबकि सलिल आगे बढा और उस औरत के सामने बैठा और नजर उस औरत के आँखों में पिरो दी। जबकि रोमील ने जब इस तरह से देखा, तो शांत खड़ा होकर दोनों को ही देखने लगा। जबकि" सलिल को अपने आँखों में इस तरह से आँखें पिरोए देखकर वह औरत मुस्कराई। उसके जर्जर शरीर और सूखे हुए चेहरे पर मुस्कान बेकार प्रतीत हो रहा था। लेकिन वो औरत मुस्करा रही थी और अपने हाव-भाव भी पल-पल बदल रही थी। बस उसके इस तरह बदल रहे भाव-भंगिमाओं को देखकर सलिल को अचरज हुआ, तभी तो उसे संबोधित करके बोला।
देख रहा हूं कि" तुम मुझ से बात करना चाहती हो?...... बोलने के बाद एक पल के लिए रुका सलिल, फिर बोला। परन्तु, हम दोनों के बीच बातचीत की शुरुआत हो, उससे पहले तुम अपना नाम तो बतलाओ?....सलिल ने अपने शब्दों में मधुरता घोल कर बोला और उस औरत पर नजर टिका दी। जबकि उसकी बातों को सुनकर एक पल के लिए वो औरत कुछ सोचने लगी, फिर बोली।
नाम में क्या रखा हुआ है साहब?....जो आप नाम जानने के लिए इतने उत्सुक हुए जा रहे हो। आप तो काम की बात करो, क्योंकि" भले ही मैं अब उतनी सुंदर नहीं रही। परन्तु.....नवयौवना तो अभी हूं और किसी की भी कामना को पूर्ण कर सकती हूं। बोलने के बाद एक पल के लिए रुकी वो औरत, फिर आगे बोली। वैसे साहब!....मुझे लोग "रजौली" कहते है। कमायनी सी सुंदर रजौली, जो कि" अपने सुंदरता के ही मोह जाल में फंस कर सदा के लिए उलझ कर रह गई। बोलने के बाद वह औरत रुकी और सलिल की ओर इस तरह से देखा, जैसे लगा कि" वो कामुक निमंत्रण दे रही हो। बस सलिल एक पल के लिए घबरा गया, फिर उसने खुद को संभाला और उसे संबोधित कर के बोला।
तुम कह रही हो कि" तुम कमायनी जैसी सुंदर थी रजौली। किन्तु" हम लोग ऐसा महसूस तो नहीं कर पा रहे है। लगता है कि" तुम ऐसे ही शब्दों को फेंक रही हो, पुलिस को बरगलाने के लिए। सलिल ने अपनी बात पूरी की और रजौली की ओर देखने लगा। जबकि" उसका इतना भर कहना था कि" वो ठठाकर हंसी।
हा-हा-हा-हा-हा!
उसकी हंसी ऐसी थी कि" टाँर्चर रूम के दीवाल से टकरा कर अजीब सा शोर उत्पन्न होने लगा। साथ ही उसके इस प्रकार ठहाका लगाकर हंसने से रोमील एवं सलिल एक पल के लिए भयभीत हो गए। उन्हें अचानक ही रजौली के हंसने का मतलब समझ नहीं आ रहा था। एक तो उसका भिखारिन जैसा वेष- भूषा और उसके सूखे चेहरे पर हंसी। लग रहा था कि" टाँर्चर रूम में कोई पिशाचनी आ गई हो। स्वाभाविक ही था कि" इन परिस्थियों में कोई भी भयभीत हो जाता। किन्तु" सलिल ने फिर से हिम्मत जुटाया और उस औरत से मुखातिब हुआ।
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क्रमश:-