shabd-logo

शांतनु देव का स्वप्न.........

21 नवम्बर 2022

12 बार देखा गया 12
शांतनु देव को पंख लग गए थे और वो आसमान में ऊँचे- ऊँचे उड़ता जा रहा था। उसकी कोशिश भी तो यही थी कि" नील गगन के आँचल में दूर-दूर तक परवाज करें और फिर उसके तो पंख लग गए थे। कोमल-कोमल सफेद पंख, जिसमें बहुत ताकत थी, तभी तो ये पंख उसे आसमान की बुलंदियों पर उड़ाए जा रहा था, बस उड़ाए जा रहा था। फिर तो उसके हृदय में उठते हुए आनंद रुपी लहर, जो उसे और भी ऊँचे उड़ने को प्रेरित कर रहे थे, उसकी भावनाओं को भड़का रहे थे।
                                आज शांतनु देव को खुद पर गर्व हो रहा था। अपने नव पल्लवित निकल आए पंखों पर गर्व हो रहा था और गर्व होता भी नहीं क्यों?...आखिर उसके इच्छाओं की पूर्ति जो हुई थी। उसने तो कभी सोचा ही नहीं था कि" इस तरह से उसके पंख निकल आएंगे। परन्तु यह सत्य हुआ था और इसलिये ही शांतनु देव काफी खुश था। आखिर उसके वर्षों की इच्छा पूर्ण जो हुई थी। तभी तो वो आसमान की उँचाई से दिल्ली शहर को देख रहा था। उस शहर को देख रहा था, जो हर पल जवान रहता है, जिसकी धड़कन हमेशा धड़कती रहती है। शांतनु देव उस शहर को देख रहा था, जिसे लोग मनमौजी का शहर कहते है। वह देखता जा रहा था ऊँची-ऊँची बिल्डिंगो को, सर्प की भांति चलती हुई सड़क को और उसपर दौड़ती हुई जिंदगी को।
                         उसे सब कुछ तो अच्छा लग रहा था, सफेद-सफेद बादलों के बीच तैरते हुए। बीतता हुआ समय और परवाज करते हुए उसके पंख। वह और भी बादलों के बीच सफर करता , किन्तु तभी चौंका। उसकी आँखें सिकुड़ गई, क्योंकि" उसने जो देखा था, शायद देखने योग्य नहीं था। उसने देखा कि" सफेद वस्त्र में लिपटी हुई एक सुंदर सी औरत, जिसे सड़क के आवारा कुत्तों ने घेर रखा था और उसके शरीर को नोचने की कोशिश कर रहे थे। वह औरत, जो कि बेबस थी-लाचार थी, उन आवारा कुतो से खुद को बचाने के लिए नाकाम कोशिश कर रही थी। ऐसे में शांतनु देव विकल हो गया, उसे बेचैनी की अनुभूति होने लगी। उसे लगा कि" अगर उसने औरत की रक्षा नहीं की, तो वे आवारा कुत्ते उसे नोच खाएंगे, वे घातक बन कर उस औरत का शिकार कर लेंगे।
                                 और वो उद्धत हो गया उस औरत को बचाने के लिए। शायद उसका दायित्व भी था कि उस औरत की रक्षा करें। तभी तो उसने परवाज कर रहे अपने पंखों को रोका और जमीन पर उतर आया। फिर तो वो प्रयास करने लगा कि" उन आवारा कुत्तों को दूर भगा दे, जिससे कि, उस औरत की रक्षा हो जाए। परन्तु..... उसके प्रयास विफल होने लगे, लगा कि जैसे उन आवारा कुत्तों ने ढृढ प्रतिज्ञा कर ली हो उस औरत का शिकार करने के लिए। तभी तो, वह जितना भी कोशिश करता था उन दानवी कुत्तों को दूर कर दें, वे कुत्ते दुगुनी ताकत से उस औरत पर हमला करते थे और देखते ही देखते उस औरत के शरीर को अपने भयंकर दांतों से नोचने लगे। उसने तमाम प्रयास किए उस औरत को बचाने के लिए, परन्तु.....उन आवारा कुत्तों ने एक पल में ही उस औरत को चीड़- फाड़ डाला। फिर तो वहां की सड़कें खून से लाल- लाल हो गई। चारों तरफ बिखरा हुआ खून और इधर- उधर पड़े हुए मांस के लोथड़े। 
                             इस भयावह दृश्य को देखकर उसकी अंतरात्मा कांप गई। उसे अपने पुरुषार्थ पर ग्लानि होने लगी और वो भय के मारे चीख पड़ा। चीख!...जो उसके कंठ से निकल नहीं रही थी, तभी तो शांतनु देव की आँखें खुल गई और उसने देखा कि" वह तो हाँस्पिटल के बेड पर पड़ा हुआ है। फिर तो उसे एहसास हो गया कि" वह तो भयावह स्वप्न देख रहा था। फिर तो उसने कलाईं घड़ी में देखा कि" सुबह के तीन बज चुके थे। तभी तो उसने रूम की लाइट जलाई और वाथरुम के लिए चला और वाथरुम में पहुंच कर पहले तो शीशे के सामने खड़ा हुआ और अपने चेहरे को देखा। उफ!...उसके चेहरे पर पसीने की नन्ही-नन्ही बुंदे। हां, शांतनु देव पसीने से पूरी तरह भीग चुका था। 
                      फिर तो उसने चेहरे को साफ किया और फिर वापस रूम में आ गया, फिर बेड पर बैठ गया। इसके बाद सोचने लगा कि" इस तरह के सपने देखने का मतलब क्या है?...प्रश्न था, जो उसके दिमाग में आया था। क्योंकि, उसने बहुत ही भयावह सपना देखा था, ऐसा सपना देखा था, जिसने उसके अस्तित्व को ही हिला दिया था। तभी तो शांतनु देव विकल होकर सोचने लगा, परन्तु उलझ सा गया। उसे समझ ही तो नहीं आ रहा था कि" इस तरह के सपने को देखने का मतलब क्या हो सकता है?....परन्तु उसने देखा था। इसलिये तो वो मनो मंथन में जुटा हुआ था। समझना चाहता था इस सपने का मतलब!....किन्तु" जब उसे समझ नहीं आया, तो सोने की कोशिश करने लगा कि" फिर निंद के आगोश में समा जाए।
                              परन्तु निंद तो उसकी आँखों से निंद कोसो दूर हो चुका था। हां, बात भी तो सही ही था, उसने जो देखा था, वह देखने योग्य कदापि भी नहीं था। तभी तो उसने हजारों कोशिशें की, परन्तु निंद जो कि उसके आँखों से दूर हो चुकी थी, फिर नहीं आई। फिर तो, एक अजब सी बेचैनी ने शांतनु देव को घेर लिया और वो विचारों में उलझ सा गया। सहसा ही उसके दिमाग में हनुमान चौक बाली घटना सजीव हो गई। अब तक तो उसने उस घटना पर विचार ही नहीं किया था, जबकि उसे विचार करना चाहिए था। उसे सोचना चाहिए था कि" आखिर उस औरत ने अचानक ही इस प्रकार के वारदात को अंजाम क्यों दिया?
                    शांतनु देव इन्हीं बातों को सोचते हुए हाँस्पिटल के बेड पर करवट बदलने लगा। कहां तो वो परसो की शाम हनुमान चौक पर पान खाने के लिए गया था और कहां वह उस औरत के द्वारा चलाए गए गोलियों का शिकार हो गया। परन्तु.....एक सवाल, जो कि, उसके दिमाग में चक्कर काट रहा था। वह यह था कि" उस औरत ने वारदात को अंजाम दिया तो जरूर था, किन्तु आश्चर्य था कि" उसके द्वारा चलाए गए गोलियों से कोई भी हताहत नहीं हुआ था। यह आश्चर्य ही तो था, जो उसके दिमाग में फांस बनकर चुभ चुका था। शांतनु देव, उसने अपने तीन वर्ष के अपने वकील के पेशे में अनेकों मुजरिम देखे थे, एक से एक खूंखार और शातिर। किन्तु" अब तक उसने इस तरह के अपराधी को नहीं देखा था, जिसने पब्लिक प्लेस पर वारदात को अंजाम दिया हो, परन्तु....एक भी हताहत नहीं हुआ हो।
                                     हां, उसे सलिल ने जिस तरह से बतलाया था रीठाला स्टेशन की घटना, उसका सार भी तो यही था। सलिल ने जो उसे बतलाया था कि" उस औरत ने रात को अचानक ही रेलवे स्टेशन के बाहर गोलियों की बरसात कर दी थी और जिस तरह से उसकी कार से आकर टकरा गई थी। पेशेवर अपराधी तो ऐसा कभी भी नहीं होता। बस यहीं पर आकर शांतनु देव उलझ गया था, विचार मग्न हो गया था। मंथन करने लगा था, जानने की कोशिश करने लगा था कि" रजौली आखिर चीज क्या है?...हां, जानने की जरूरत थी उस औरत के बारे में और शांतनु देव यही तो प्रयास कर रहा था। परन्तु, उसे कुछ भी तो समझ नहीं आ रहा था। काफी प्रयासों के बाद भी जब उसे कुछ भी समझ नहीं आया, शांतनु देव ने कोशिश की कि" आँखों में निंद ही आ जाए। परन्तु काफी कोशिशों के बाद भी आँखों में निंद नहीं आई, बेड पर से उठकर रूम से बाहर निकला और हाँस्पिटल के गलियारे में चक्कर काटने लगा। शायद, अपने उद्विग्न मन को शांति पहुंचाने की उसकी कोशिश थी, परन्तु....जब आपका मन उद्विग्न हो, कहीं भी शांति नहीं मिलती।
*******************






क्रमशः-
                                

27
रचनाएँ
रजौली
0.0
अपराध की पृष्ठभूमि होती है। बिना पृष्ठभूमि के अपराध हो ही नहीं सकता और पृष्ठभूमि हमारा समाज ही बनाता है। बिना सामाजिक एवं राजनीतिक पोषण के अपराध कभी भी पनप ही नहीं सकता।.....कहीं समाज किसी के ऊपर अत्याचार करता है, तो अपराध का जन्म होता है, तो कहीं समाज अपने निहित स्वार्थ को साधने के लिए अपराध को बाढावा देता है। कहने का तात्पर्य यही है कि" अपराध के जन्म लेने का कारण हम और आप कहीं न कहीं है। बिना राजनीतिक स्वार्थ के अपराधियों का मनोबल कभी भी नहीं बढ सकता। "रजौली" एक ऐसे युवती की कहानी है, जो अपने आप में ही उलझी हुई है। "रजौली" वास्तव में एक वेदना है, जो अत्यधिक शोषण की भट्टी से ज्वालामुखी बनकर निकलती है। मदन मोहन" मैत्रेय
1

रजौली-एक छल कथा

5 नवम्बर 2022
0
0
0

अपराध की पृष्ठभूमि होती है। बिना पृष्ठभूमि के अपराध हो ही नहीं सकता और पृष्ठभूमि हमारा समाज ही बनाता है। बिना सामाजिक एवं राजनीतिक पोषण के अपराध कभी भी पनप ही नहीं सकता।.....कहीं समाज किसी के ऊपर अत्य

2

पुलिस मूख्यालय........

6 नवम्बर 2022
0
0
0

दिन के दस बजे से ही पुलिस मूख्यालय में बैठकों का दौर जारी था। वैसे तो पंद्रह अगस्त को लेकर दिल्ली में आर्मी बालों का कमांड हो जाता है। फिर भी प्रशासनिक व्यवस्था संभालने की जिम्मेदारी पुलिस की होती है।

3

खंडहर........

7 नवम्बर 2022
0
0
0

शाम ढलने को व्याकुल हो चुका था। लगता था कि" अब कुछ ही देर में अँधेरे का साम्राज्य व्याप्त हो जाएगा और होना भी यही चाहिए। क्योंकि यह समय चक्र है और इसमें सभी कुछ निर्धारित होता है, पहले से ही। इससे आज

4

घटना स्थल का मुआयना एवं सलिल का हाँस्पिटल जाना........

8 नवम्बर 2022
0
0
0

शाम का अंधेरा घिरने लगा था, लेकिन अमूमन जैसा होता है, शहर पर इस अंधेरे का कोई प्रभाव नहीं पड़ा था। तभी तो हनुमान चौक का इलाका रोशनी में जगमगाता हुआ प्रतीत हो रहा था। लेकिन अभी वहां पर बिल्कुल मातमी सन्

5

रीठाला मेट्रो स्टेशन.......

9 नवम्बर 2022
0
0
0

रात के एक बजे, मेट्रो में अपेक्षाकृत काफी कम यात्रियों की संख्या थी। कोरोना काल के गुजर जाने के कारण शहर व्यवस्थित हो चुका था, किन्तु पहले जैसी रफ्तार अभी नहीं पकड़ पाया था। दूजे कि" रात ज्यादा हो जाने

6

सलिल का हाँस्पिट से रीठाला मेट्रो स्टेशन की ओर जाना.........

10 नवम्बर 2022
0
0
0

रात बारह बजे।सलिल हाँस्पिटल से बाहर निकला था और अब जूस की दुकान खोज रहा था। शांतनु देव को गोली लगने के कारण उसका हृदय बहुत हद तक मर्माहत हुआ था। बार-बार उसे शांतनु देव पर गुस्सा भी आ रहा था। इतना तेज-

7

उस औरत को हाँस्पिटल ले जाना और पुलिस द्वारा प्रेस रीलिज दिया जाना........

11 नवम्बर 2022
0
0
0

रोमील के द्वारा उन चारों घायलों को ले जाने के बाद सलिल ने उस औरत को देखा। तब तक हथियार धारी फोर्स उसके करीब पहुंच चुका था और उन लोगों की नजर सलिल पर टिक गई थी, मानो जानना चाहते हो कि" कुछ देर पहले किस

8

मंत्री भानु शाली.......

12 नवम्बर 2022
0
0
0

सुबह के पांच बज चुके थे।अमूमन तो इस समय मंत्री आवास पर किसी प्रकार का चहल-पहल नहीं होता था। किन्तु" अभी-अभी मंत्री साहब की आँख खुली थी और उन्होंने न्यूज चैनल लगा दिया था और ऐसे ही एक नजर देख लेने की इ

9

रजौली को पुलिस स्टेशन लाना और उससे पूछताछ.......

14 नवम्बर 2022
0
0
0

सुबह के छ बजते ही आकाश सूर्य किरण की आभा से जगमगा उठा। उगते हुए सूर्य के साथ ही एल.

10

मंत्री भानु शाली का पंडित जगतपति से मिलना.......

14 नवम्बर 2022
0
0
0

सुबह के आठ बज चुके थे और इसके साथ ही चारों ओर प्रकाश का साम्राज्य छा चुका था। वैसे भी आकाश साफ था, जिसके कारण किरण का निखार कुछ ज्यादा था। लेकिन मंत्री भानु शाली के चेहरे से प्रतीत हो रहा था कि" उनके

11

टाँर्चर रुम........

15 नवम्बर 2022
0
0
0

सलिल, रजौली के द्वारा इस तरह लगाए जा रहे ठहाकों से परेशान हो चुका था। उसे उम्मीद थी कि" रजौली इस तरह के हरकत करने के बाद शांत हो जाएगी और फिर उसके साथ सहयोग करेगी। किन्तु नहीं, रजौली तो रुक-रुक कर करी

12

मुहम्मद काजी.........

16 नवम्बर 2022
0
0
0

सफेद लुंगी, उसपर नीले रंग का कुर्ता और सिर पर जालीदार सफेद टोपी।....चेहरे पर चमक, आँखों पर गोल चश्मा, लंबा कद। चेहरे पर मूंछ नहीं थी, किन्तु" लंबी सफेद दाढी, उम्र यही करीब पचपन वर्ष के करीब। मुहम्मद क

13

सलिल के द्वारा पेट्रोलिंग किया जाना और हाँस्पिटल पहुंचना.........

17 नवम्बर 2022
0
0
0

एस. पी. साहब के जाने के बाद जैसे सलिल की तंद्रा टूटी हो। फिर तो उसने रोमील एवं राम माधवन को आँफिस में बुलाया और समझाया कि" उसे आगे क्या करना है? साथ ही उसने पुलिस मूख्यालय भी फोन कर दिया कि" अतिरिक्त

14

सलिल की कुमाऊ रंजन से मुलाकात........

18 नवम्बर 2022
0
0
0

सलिल को अचानक ही आया देखकर शांतनु देव चौंका जरूर था, किन्तु" उसने अपने चेहरे पर इन भावों को नहीं आने दिया और सलिल को अपने करीब बैठने के साथ ही उसके चेहरे पर नजर टिका दी। जबकि सलिल, उसके करीब बैठने के

15

मंत्री साहब का वकील दिगंबर से मिलना.......

19 नवम्बर 2022
0
0
0

शाम के सात बज चुके थे और अब आसमान में तारे जगमग करने लगे थे। मंत्री भानु शाली अभी अपने बंगले से निकला था" वकील से मिलने के लिए। वैसे भी कुछ सेकेन्ड पहले हुई जोरदार बारिश ने रोड पर पानी जमा कर दिया था।

16

कुमाऊ रंजन के साथ सलिल का पुलिस स्टेशन लौटना.......

20 नवम्बर 2022
0
0
0

अचानक से ही बरसात की शुरुआत हो जाने के कारण एक पल के लिए सलिल हकबका सा गया। एक तो रात का आलम ढल चुका था, दूसरे आसमान से तेज गति से गिर रही बारिश की बुंदे। एक पल के लिए उसे समझ ही नहीं आया कि, क्या करे

17

शांतनु देव का स्वप्न.........

21 नवम्बर 2022
0
0
0

शांतनु देव को पंख लग गए थे और वो आसमान में ऊँचे- ऊँचे उड़ता जा रहा था। उसकी कोशिश भी तो यही थी कि" नील गगन के आँचल में दूर-दूर तक परवाज करें और फिर उसके तो पंख लग गए थे। कोमल-कोमल सफेद पंख, जिसमें बहुत

18

सलिल एवं एस. पी. साहब का पुलिस स्टेशन पहुंचना और रजौली से पूछताछ करना.......

22 नवम्बर 2022
0
0
0

सुबह के पांच बजने के साथ ही सलिल ने अंगड़ाई ली। कहां तो रजौली के कहे अनुसार दिल्ली शहर धमाके की आवाज से दहल जाना चाहिए था, परन्तु....ऐसा कुछ भी नहीं हुआ था। शहर तो अपनी चाल में गति कर रहा था, ऐसे में स

19

शांतनु देव की चिन्ता और पुलिस स्टेशन जाना.........

23 नवम्बर 2022
0
0
0

मानव मन की रचना ईश्वर ने अजीब प्रकार की- की है। जब मानव सुख में होता है, चिंतन नहीं करता और जब दुःख में होता है, चिंतनशीलता का आवरण ओठ लेता है। परन्तु... विचार, जो कि" मानव मन के साथ हमेशा ही लगे रहते

20

सलिल के द्वारा शहर के चक्कर लगाना और पुलिस स्टेशन लौटना...........

25 नवम्बर 2022
0
0
0

दिन के दस बजने बाले थे, किन्तु सलिल को अभी तक कहीं सफलता नहीं मिली थी। रजौली" ने जितने भी पते बतलाए थे, उन तमाम जगहों पर अब तक छापामारी की गई थी। परन्तु....वे तमाम जगह, जहां दूर-दूर तक भी संभावना नहीं

21

रजौली" से फिर से पूछताछ और कोर्ट की नोटिस........

25 नवम्बर 2022
0
0
0

सलिल एवं एस. पी. साहब को अजीब नजरों से अपनी ओर देखता पाकर शांतनु देव एक पल के लिए बौखला ही गया। उसकी इच्छा हुई कि" दोनों से पुछे कि, इस तरह से क्यों देख रहे हो?...परन्तु अचानक ही उसने अपने इस विचार को

22

रजौली की कोर्ट में पेशी और सलिल का अपार्ट मेंट पर लौटना.......

26 नवम्बर 2022
0
0
0

कोर्ट के नोटिस को देखने के बाद जहां सलिल की त्योरियां चढ गई, वही पर एस. पी. साहब एवं शांतनु देव के चेहरे पर चिन्ता की लकीरें खींच गई। अब भला शांतनु देव से ज्यादा कौन इस बात को समझ सकता था कि" रजौली के

23

कुमाऊ रंजन से शांतनु देव की मुलाकात और कुमाऊ रंजन का रजौली से मिलना.......

27 नवम्बर 2022
0
0
0

अपार्ट मेंट के अंदर हाँल में कुमाऊ रंजन सोफे पर अकड़ूँ बैठा हुआ था, परन्तु.....उसकी नजर टी. बी स्क्रीन पर ही चिपकी हुई थी। टी. बी. स्क्रीन पर चल रहा एंटरटेंनमेंट, लगता था कि, कुमाऊ रंजन तन्मयता से देख

24

मंत्री भानु शाली के घर मीटिंग.......

28 नवम्बर 2022
0
0
0

शाम ढलने को तत्पर था और लगता था कि" रात के अंधेरे का आवरण अब वातावरण को अपने आगोश में समेट लेगा। ठीक उसी तरह मंत्री भानु शाली के हृदय में भी भय रुपी अंधेरा घनघोर बादल की तरह बढते जा रहे थे और आतुर थे

25

हाँस्पिटल में कुमाऊ रंजन की यादाश्त वापस लौटना......

29 नवम्बर 2022
0
0
0

अचानक ही कुमाऊ रंजन का तबीयत बिगड़ने के बाद सलिल उसे हाँस्पिटल ले आया था। डाक्टरों की टीम कुमाऊ रंजन को इमरजेंसी वार्ड में ले गई थी। परन्तु अब तक सलिल इस सदमे से बाहर नहीं आ सका था कि" आखिर कुमाऊ रंजन

26

मंत्री भानुशाली का जज साहब से मिलना.......

30 नवम्बर 2022
0
0
0

काफी मनोमंथन के बाद भी जब वे लोग किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंच सके। मुहम्मद काजी ने सुझाव दिया कि" क्यों न हम लोग जज साहब से मिल ले। शायद वहीं से कोई रास्ता निकल आए। दावा पूर्वक तो कुछ नहीं कहा जा सकता

27

सलिल का कुमाऊ रंजन के साथ पुलिस स्टेशन लौटना और कुमाऊ रंजन का बीते दिनों की यादों में जाना.....

1 दिसम्बर 2022
0
0
0

सलिल ने ड्राइविंग शीट संभाली, रोमील कुमाऊ रंजन के साथ पीछे बैठा, जबकि बगल बाली शीट पर शांतनु देव बैठ गए। इसके बाद सलिल ने कार श्टार्ट की और हाँस्पिटल गेट से निकाल कर सड़क पर दौड़ा दिया। यूं तो सलिल शांत

---

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए