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सलिल एवं एस. पी. साहब का पुलिस स्टेशन पहुंचना और रजौली से पूछताछ करना.......

22 नवम्बर 2022

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सुबह के पांच बजने के साथ ही सलिल ने अंगड़ाई ली। कहां तो रजौली के कहे अनुसार दिल्ली शहर धमाके की आवाज से दहल जाना चाहिए था, परन्तु....ऐसा कुछ भी नहीं हुआ था। शहर तो अपनी चाल में गति कर रहा था, ऐसे में सलिल का हृदय खीज से भर गया। रजौली ने तो कहा था कि" सब कुछ तबाह कर देगी, किन्तु ऐसा कुछ भी नहीं हुआ। तो क्या रजौली" पुलिस को मामु बना रही है। हां, जरूर ऐसा ही होगा, अन्यथा तो कहीं न कहीं तो संदिग्ध गतिविधि घटित होता। परन्तु.....रजौली के बयान को पूरे चौबीस घंटे हो जाएंगे कुछ घंटों बाद। लेकिन अब तक किसी प्रकार की घटना नहीं घटी।
                               बस, इसी बात को लेकर परेशान हो गया था सलिल। क्योंकि" रजौली के बयान ने सब के होश उड़ा दिए थे और इसलिये ही तो वो पूरी रात पेट्रोलिंग करता रहा था। पागलों की तरह अकेले ही दिल्ली की सड़क पर अपनी कार दौड़ाता रहा। किन्तु" सुबह होने तक जब चारों ओर शांति कायम रही, उसने कार को सड़क किनारे खड़ी करके अंगड़ाइयां लेने लगा। क्योंकि, पूरी रात उसने पलक भी नहीं झपकाई थी और इसलिये ही उसके आँखों पर निंद का असर होता दिख रहा था। कोई और अवसर होता,...तो अब तक सलिल निंद के आगोश में समा चुका होता। परन्तु....फिलहाल तो वो ऐसा नहीं कर सकता था। क्योंकि, उसके दिमाग में जो प्रश्न थे, उसका जबाव उसे नहीं मिल जाता, उसे चैन नहीं आता। ऐसे में सलिल ने कलाईं घड़ी देखी, सुबह के पूरे पांच हो चुके थे। तभी तो उसने नजर इधर-उधर दौड़ाई और चाय की टपरी देखकर उधर ही बढ गया।
                                     साथ ही उसने राम माधवन से फोन कर के जानकारी ले-ली, पुलिस स्टेशन में पूर्ण शांति थी। तभी तो चाय की टपरी पर पहुंच कर उसने चाय पी और वापस कार के पास पहुंचा और ड्राइविंग शीट संभालने के साथ ही उसने कार श्टार्ट करके आगे दौड़ा दी। इसके साथ ही उसके मन में विचार दौड़ पड़े। वह सवाल, जो उसके हृदय को वेधने को तत्पर थे, सलिल उन प्रश्नों पर विचार करने लगा। हृदय में मंथन करने लगा उस प्रश्नों पर। उसे रजौली का व्यवहार ही तो समझ नहीं आ रहा था। वह समझ नहीं पा रहा था कि" आखिर क्यों इस तरह से रजौली पुलिस के ध्यान को भटका रही है। हां, इसे ध्यान भटकाना ही कहेंगे, क्योंकि" इस तरह से पुलिस को होने बाले किसी वारदात में उलझा देना, जिसका कोई अस्तित्व ही नहीं हो। 
                               सलिल, बस यही पर आकर उलझ गया। वह जितना रजौली के चरित्र को समझने की कोशिश करता था, उतना ही उलझता जा रहा था। इस परिस्थिति में वह इस निर्णय पर ही नहीं पहुंच पा रहा था कि" रजौली अपराधी है या आतंकवादी। किन्तु" बिना किसी निर्णय पर पहुंचे वह किस प्रकार से आगे के प्रक्रिया को अंजाम देगा, यह भी तो उसके लिए सवाल ही था। उस पर सीनियर अधिकारियों का दबाव और गृह मंत्रालय की खोज-खबर, उसे इन चीजों को भी संभालना था। परन्तु... किस प्रकार से?.....जब तक वह रजौली के व्यक्तित्व को अच्छी तरह से समझ नहीं लेता, आगे की प्रक्रिया किस तरह से आगे बढेगी। परन्तु....भले ही कितनी भी चुनौती हो, काम को तो उसे ही अंजाम देना था। क्योंकि" डिपार्ट मेंट में न शब्द होता ही नहीं,....बस पोसीवल एज एवरी थींग। असंभव तो कहना, पुलिस की डिक्सनरी में लिखा ही नहीं होता।
                  तभी तो, जब वह पुलिस स्टेशन के करीब पहुंचा, तब चौंका। फिर तो, उसने कार प्रांगण में खड़ी की और आँफिस की ओर बढा। वैसे भी अब लगता था कि" कभी भी सूर्य देव आसमान में ऊपर आ सकते थे और धरती सूर्य के किरणों से जगमग कर सकती थी। तभी तो, सलिल एक नई ताजगी से भर चुका था और अब दुगुने जोश के साथ अपने कदम बढा रहा था। बीतता हुआ समय, उसे हाँल में ही राम माधवन मिल गया, तो उसे काँफी लाने के लिए कहा और अपने आँफिस में पहुंचा। परन्तु.....अभी तो वह कुर्सी पर बैठा ही था कि" उसकी नजर गेट से प्रवेश कर रहे एस. पी. साहब पर गई और वो कुर्सी से उछल पड़ा, जैसे कि, उसे स्प्रिंग लगा हो। फिर तो उसने जोरदार सैल्यूट दिया और उनके बैठने के बाद बैठ गया। फिर तो, एस. पी. साहब की नजर सलिल पर टिक गई, जिसकी अनुभूति सलिल को भी थी। परन्तु....सामने से बोलना, मतलब कि मुसीबत को निमंत्रण देना। तभी तो, वह इंतजार करने लगा कि" एस. पी. साहब क्या बोलते है?....वैसे भी, उसने सुबह ही फोन करके पुलिस मूख्यालय फोन कर के अब तक के सारे रिपोर्ट दे दिए थे, इसलिये निश्चिंत था।
सलिल!....तुम्हें क्या लगता है रजौली के बारे में?....मेरे विचार से तो वो पुलिस को गोली दे रही है। एस. पी. साहब ने कहा और नजर उसके चेहरे पर टिका दी। जबकि, उनकी बातों को सुनकर एक पल के लिए सलिल विचार मग्न हो गया, परन्तु कब तक?...जबाव तो देना ही था, तभी तो धीरे से बोला।
सर!....फिलहाल तो मैं इस बारे में किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंच पाया हूं।
तो फिर चलो, रजौली से चलकर अभी मिलते है। उसकी बातें खतम होते ही एस. पी. साहब ने कहा और फिर नजर उसपर टिका दी।
                          बस बाँस का कहा शब्द आदेश ही तो होता है, तभी तो सलिल ने सहमति में सिर हिलाया। तब तक राम माधवन काँफी का कप लेकर आ चुका था, इसलिये दोनों ने काँफी पी और फिर आँफिस से बाहर निकले। साथ ही सलिल ने राम माधवन को समझा दिया कि" वो रजौली को लेकर टाँर्चर रूम में पहुंचे। फिर तो पंद्रह मिनट बाद एस. पी. साहब, रोमील एवं राम माधवन रजौली के सामने बैठे हुए थे। उनकी नजर रजौली पर ही टिकी हुई थी, जबकि" रजौली तो अपने आप में व्यस्त थी। वह तो नजर भी उठा कर उन तीनों की ओर नहीं देख रही थी। ऐसे में स्वाभाविक ही था कि" उन तीनों के चेहरे पर बेचैनी के भाव परिलक्षित होने लगे। उसमें भी सब से ज्यादा एस. पी. साहब के चेहरे पर ज्यादा व्यग्रता थी। तभी तो वे रजौली को संबोधित करके बोले।
रजौली!....मैंने अनुभव किया है कि, तुम अपने बयानों से पुलिस को गुमराह कर रही हो। बोलने के बाद एक पल के लिए रुके एस. पी. साहब, फिर गंभीर होकर बोले। देखो, इस तरह से जो तुम व्यवहार करोगी, तो तुम और भी कानून के शिकंजे में फंसती चली जाओगी। ऐसे में तुम्हारे लिए भलाई इसी में है कि" पुलिस के साथ पूर्ण सहयोग करो, शायद तब जाकर ही तुम पुलिस और कानून, दोनों के शिकंजे से बच पाओगी। एस. पी. साहब ने कहा और उसपर नजर टिका दी। इधर सलिल और राम माधवन की नजर भी रजौली के चेहरे पर टिक गई थी। जबकि" रजौली ने सुना और एक पल के लिए कुछ सोचती रही, फिर धीमे स्वर में बोली।
साहब!....आप भी न, भले ही मेरी बातों पर विश्वास नहीं करो, परन्तु मैं सत्य कहती हूं। बोलने के बाद रजौली रुकी, फिर उसने एस. पी. साहब के नजरों में पिरोया, फिर आगे बोली। साहब!...आप भले ही विश्वास नहीं करो, किन्तु" मैं आतंकी हूं और मैंने स्लीपर सेल बनाया हुआ है।
                          इसके बाद तो रजौली के मन में जो भी आया, बोलती चली गई। ऐसे में तीनों आश्चर्य चकित हो कर उसे देख रहे थे और उनकी बातों को सुन रहे थे। भले ही उसकी बातें विश्वास करने योग्य नहीं थी, परन्तु....जिस तरह से वह आत्म- विश्वास के साथ कह रही थी, उनको तो विश्वास करना ही था। साथ ही पंद्रह अगस्त नजदीक होने के कारण टेंशन भी था। तभी तो तीनों उसकी बातों को ध्यान पूर्वक सुनते जा रहे थे, समय अपनी गति से आगे की ओर बढता जा रहा था। फिर तो, जब रजौली ने अपनी बात खतम की, उसने मौन धारण कर लिया।
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क्रमशः-
                                

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रचनाएँ
रजौली
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अपराध की पृष्ठभूमि होती है। बिना पृष्ठभूमि के अपराध हो ही नहीं सकता और पृष्ठभूमि हमारा समाज ही बनाता है। बिना सामाजिक एवं राजनीतिक पोषण के अपराध कभी भी पनप ही नहीं सकता।.....कहीं समाज किसी के ऊपर अत्याचार करता है, तो अपराध का जन्म होता है, तो कहीं समाज अपने निहित स्वार्थ को साधने के लिए अपराध को बाढावा देता है। कहने का तात्पर्य यही है कि" अपराध के जन्म लेने का कारण हम और आप कहीं न कहीं है। बिना राजनीतिक स्वार्थ के अपराधियों का मनोबल कभी भी नहीं बढ सकता। "रजौली" एक ऐसे युवती की कहानी है, जो अपने आप में ही उलझी हुई है। "रजौली" वास्तव में एक वेदना है, जो अत्यधिक शोषण की भट्टी से ज्वालामुखी बनकर निकलती है। मदन मोहन" मैत्रेय
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रजौली-एक छल कथा

5 नवम्बर 2022
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अपराध की पृष्ठभूमि होती है। बिना पृष्ठभूमि के अपराध हो ही नहीं सकता और पृष्ठभूमि हमारा समाज ही बनाता है। बिना सामाजिक एवं राजनीतिक पोषण के अपराध कभी भी पनप ही नहीं सकता।.....कहीं समाज किसी के ऊपर अत्य

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पुलिस मूख्यालय........

6 नवम्बर 2022
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दिन के दस बजे से ही पुलिस मूख्यालय में बैठकों का दौर जारी था। वैसे तो पंद्रह अगस्त को लेकर दिल्ली में आर्मी बालों का कमांड हो जाता है। फिर भी प्रशासनिक व्यवस्था संभालने की जिम्मेदारी पुलिस की होती है।

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खंडहर........

7 नवम्बर 2022
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शाम ढलने को व्याकुल हो चुका था। लगता था कि" अब कुछ ही देर में अँधेरे का साम्राज्य व्याप्त हो जाएगा और होना भी यही चाहिए। क्योंकि यह समय चक्र है और इसमें सभी कुछ निर्धारित होता है, पहले से ही। इससे आज

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घटना स्थल का मुआयना एवं सलिल का हाँस्पिटल जाना........

8 नवम्बर 2022
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शाम का अंधेरा घिरने लगा था, लेकिन अमूमन जैसा होता है, शहर पर इस अंधेरे का कोई प्रभाव नहीं पड़ा था। तभी तो हनुमान चौक का इलाका रोशनी में जगमगाता हुआ प्रतीत हो रहा था। लेकिन अभी वहां पर बिल्कुल मातमी सन्

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रीठाला मेट्रो स्टेशन.......

9 नवम्बर 2022
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रात के एक बजे, मेट्रो में अपेक्षाकृत काफी कम यात्रियों की संख्या थी। कोरोना काल के गुजर जाने के कारण शहर व्यवस्थित हो चुका था, किन्तु पहले जैसी रफ्तार अभी नहीं पकड़ पाया था। दूजे कि" रात ज्यादा हो जाने

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सलिल का हाँस्पिट से रीठाला मेट्रो स्टेशन की ओर जाना.........

10 नवम्बर 2022
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रात बारह बजे।सलिल हाँस्पिटल से बाहर निकला था और अब जूस की दुकान खोज रहा था। शांतनु देव को गोली लगने के कारण उसका हृदय बहुत हद तक मर्माहत हुआ था। बार-बार उसे शांतनु देव पर गुस्सा भी आ रहा था। इतना तेज-

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उस औरत को हाँस्पिटल ले जाना और पुलिस द्वारा प्रेस रीलिज दिया जाना........

11 नवम्बर 2022
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रोमील के द्वारा उन चारों घायलों को ले जाने के बाद सलिल ने उस औरत को देखा। तब तक हथियार धारी फोर्स उसके करीब पहुंच चुका था और उन लोगों की नजर सलिल पर टिक गई थी, मानो जानना चाहते हो कि" कुछ देर पहले किस

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मंत्री भानु शाली.......

12 नवम्बर 2022
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सुबह के पांच बज चुके थे।अमूमन तो इस समय मंत्री आवास पर किसी प्रकार का चहल-पहल नहीं होता था। किन्तु" अभी-अभी मंत्री साहब की आँख खुली थी और उन्होंने न्यूज चैनल लगा दिया था और ऐसे ही एक नजर देख लेने की इ

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रजौली को पुलिस स्टेशन लाना और उससे पूछताछ.......

14 नवम्बर 2022
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सुबह के छ बजते ही आकाश सूर्य किरण की आभा से जगमगा उठा। उगते हुए सूर्य के साथ ही एल.

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मंत्री भानु शाली का पंडित जगतपति से मिलना.......

14 नवम्बर 2022
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सुबह के आठ बज चुके थे और इसके साथ ही चारों ओर प्रकाश का साम्राज्य छा चुका था। वैसे भी आकाश साफ था, जिसके कारण किरण का निखार कुछ ज्यादा था। लेकिन मंत्री भानु शाली के चेहरे से प्रतीत हो रहा था कि" उनके

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टाँर्चर रुम........

15 नवम्बर 2022
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सलिल, रजौली के द्वारा इस तरह लगाए जा रहे ठहाकों से परेशान हो चुका था। उसे उम्मीद थी कि" रजौली इस तरह के हरकत करने के बाद शांत हो जाएगी और फिर उसके साथ सहयोग करेगी। किन्तु नहीं, रजौली तो रुक-रुक कर करी

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मुहम्मद काजी.........

16 नवम्बर 2022
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सफेद लुंगी, उसपर नीले रंग का कुर्ता और सिर पर जालीदार सफेद टोपी।....चेहरे पर चमक, आँखों पर गोल चश्मा, लंबा कद। चेहरे पर मूंछ नहीं थी, किन्तु" लंबी सफेद दाढी, उम्र यही करीब पचपन वर्ष के करीब। मुहम्मद क

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सलिल के द्वारा पेट्रोलिंग किया जाना और हाँस्पिटल पहुंचना.........

17 नवम्बर 2022
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एस. पी. साहब के जाने के बाद जैसे सलिल की तंद्रा टूटी हो। फिर तो उसने रोमील एवं राम माधवन को आँफिस में बुलाया और समझाया कि" उसे आगे क्या करना है? साथ ही उसने पुलिस मूख्यालय भी फोन कर दिया कि" अतिरिक्त

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सलिल की कुमाऊ रंजन से मुलाकात........

18 नवम्बर 2022
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सलिल को अचानक ही आया देखकर शांतनु देव चौंका जरूर था, किन्तु" उसने अपने चेहरे पर इन भावों को नहीं आने दिया और सलिल को अपने करीब बैठने के साथ ही उसके चेहरे पर नजर टिका दी। जबकि सलिल, उसके करीब बैठने के

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मंत्री साहब का वकील दिगंबर से मिलना.......

19 नवम्बर 2022
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शाम के सात बज चुके थे और अब आसमान में तारे जगमग करने लगे थे। मंत्री भानु शाली अभी अपने बंगले से निकला था" वकील से मिलने के लिए। वैसे भी कुछ सेकेन्ड पहले हुई जोरदार बारिश ने रोड पर पानी जमा कर दिया था।

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कुमाऊ रंजन के साथ सलिल का पुलिस स्टेशन लौटना.......

20 नवम्बर 2022
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अचानक से ही बरसात की शुरुआत हो जाने के कारण एक पल के लिए सलिल हकबका सा गया। एक तो रात का आलम ढल चुका था, दूसरे आसमान से तेज गति से गिर रही बारिश की बुंदे। एक पल के लिए उसे समझ ही नहीं आया कि, क्या करे

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शांतनु देव का स्वप्न.........

21 नवम्बर 2022
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शांतनु देव को पंख लग गए थे और वो आसमान में ऊँचे- ऊँचे उड़ता जा रहा था। उसकी कोशिश भी तो यही थी कि" नील गगन के आँचल में दूर-दूर तक परवाज करें और फिर उसके तो पंख लग गए थे। कोमल-कोमल सफेद पंख, जिसमें बहुत

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सलिल एवं एस. पी. साहब का पुलिस स्टेशन पहुंचना और रजौली से पूछताछ करना.......

22 नवम्बर 2022
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सुबह के पांच बजने के साथ ही सलिल ने अंगड़ाई ली। कहां तो रजौली के कहे अनुसार दिल्ली शहर धमाके की आवाज से दहल जाना चाहिए था, परन्तु....ऐसा कुछ भी नहीं हुआ था। शहर तो अपनी चाल में गति कर रहा था, ऐसे में स

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शांतनु देव की चिन्ता और पुलिस स्टेशन जाना.........

23 नवम्बर 2022
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मानव मन की रचना ईश्वर ने अजीब प्रकार की- की है। जब मानव सुख में होता है, चिंतन नहीं करता और जब दुःख में होता है, चिंतनशीलता का आवरण ओठ लेता है। परन्तु... विचार, जो कि" मानव मन के साथ हमेशा ही लगे रहते

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सलिल के द्वारा शहर के चक्कर लगाना और पुलिस स्टेशन लौटना...........

25 नवम्बर 2022
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दिन के दस बजने बाले थे, किन्तु सलिल को अभी तक कहीं सफलता नहीं मिली थी। रजौली" ने जितने भी पते बतलाए थे, उन तमाम जगहों पर अब तक छापामारी की गई थी। परन्तु....वे तमाम जगह, जहां दूर-दूर तक भी संभावना नहीं

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रजौली" से फिर से पूछताछ और कोर्ट की नोटिस........

25 नवम्बर 2022
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सलिल एवं एस. पी. साहब को अजीब नजरों से अपनी ओर देखता पाकर शांतनु देव एक पल के लिए बौखला ही गया। उसकी इच्छा हुई कि" दोनों से पुछे कि, इस तरह से क्यों देख रहे हो?...परन्तु अचानक ही उसने अपने इस विचार को

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रजौली की कोर्ट में पेशी और सलिल का अपार्ट मेंट पर लौटना.......

26 नवम्बर 2022
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कोर्ट के नोटिस को देखने के बाद जहां सलिल की त्योरियां चढ गई, वही पर एस. पी. साहब एवं शांतनु देव के चेहरे पर चिन्ता की लकीरें खींच गई। अब भला शांतनु देव से ज्यादा कौन इस बात को समझ सकता था कि" रजौली के

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कुमाऊ रंजन से शांतनु देव की मुलाकात और कुमाऊ रंजन का रजौली से मिलना.......

27 नवम्बर 2022
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अपार्ट मेंट के अंदर हाँल में कुमाऊ रंजन सोफे पर अकड़ूँ बैठा हुआ था, परन्तु.....उसकी नजर टी. बी स्क्रीन पर ही चिपकी हुई थी। टी. बी. स्क्रीन पर चल रहा एंटरटेंनमेंट, लगता था कि, कुमाऊ रंजन तन्मयता से देख

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मंत्री भानु शाली के घर मीटिंग.......

28 नवम्बर 2022
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शाम ढलने को तत्पर था और लगता था कि" रात के अंधेरे का आवरण अब वातावरण को अपने आगोश में समेट लेगा। ठीक उसी तरह मंत्री भानु शाली के हृदय में भी भय रुपी अंधेरा घनघोर बादल की तरह बढते जा रहे थे और आतुर थे

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हाँस्पिटल में कुमाऊ रंजन की यादाश्त वापस लौटना......

29 नवम्बर 2022
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अचानक ही कुमाऊ रंजन का तबीयत बिगड़ने के बाद सलिल उसे हाँस्पिटल ले आया था। डाक्टरों की टीम कुमाऊ रंजन को इमरजेंसी वार्ड में ले गई थी। परन्तु अब तक सलिल इस सदमे से बाहर नहीं आ सका था कि" आखिर कुमाऊ रंजन

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मंत्री भानुशाली का जज साहब से मिलना.......

30 नवम्बर 2022
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काफी मनोमंथन के बाद भी जब वे लोग किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंच सके। मुहम्मद काजी ने सुझाव दिया कि" क्यों न हम लोग जज साहब से मिल ले। शायद वहीं से कोई रास्ता निकल आए। दावा पूर्वक तो कुछ नहीं कहा जा सकता

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सलिल का कुमाऊ रंजन के साथ पुलिस स्टेशन लौटना और कुमाऊ रंजन का बीते दिनों की यादों में जाना.....

1 दिसम्बर 2022
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सलिल ने ड्राइविंग शीट संभाली, रोमील कुमाऊ रंजन के साथ पीछे बैठा, जबकि बगल बाली शीट पर शांतनु देव बैठ गए। इसके बाद सलिल ने कार श्टार्ट की और हाँस्पिटल गेट से निकाल कर सड़क पर दौड़ा दिया। यूं तो सलिल शांत

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