shabd-logo

रीठाला मेट्रो स्टेशन.......

9 नवम्बर 2022

12 बार देखा गया 12
रात के एक बजे, मेट्रो में अपेक्षाकृत काफी कम यात्रियों की संख्या थी। कोरोना काल के गुजर जाने के कारण शहर व्यवस्थित हो चुका था, किन्तु पहले जैसी रफ्तार अभी नहीं पकड़ पाया था। दूजे कि" रात ज्यादा हो जाने के कारण भी, जिसको जरूरी था गंतव्य तक पहुंचना, वही यात्री सफर कर रहे थे। फिर भी.....स्टेशन पर काफी चहल-पहल थी, क्योंकि शाम को घटित हुए घटना के मद्देनजर स्टेशन के आस-पास के क्षेत्र को फोर्स की छावनी में तबदील कर दिया गया था।
                         चारों तरफ हथियार धारी सी. आर. एफ के जवान, जो कि" हथियार लेकर चारों तरफ गश्ती कर रहे थे। इसलिये यात्रियों के बीच यह विश्वास था कि" अब कुछ भी अघटित होने बाला नहीं। रेल की पटरियों पर दौड़ता इंजन, अपने तीव्र आवाज से वातावरण में छाई हुई शांति को भंग कर रहा था। साथ ही स्टेशन पर गुंजता स्पीकर में शब्द" यात्री गण कृपया ध्यान दे" मधुर लय में बार-बार गुंज रहा था। मध्यकाल रात्रि का वो पहर होता है, जब दुनिया चादर ताने सो रही होती है। किन्तु" जिसे गंतव्य तक पहुंचना है, वो किस प्रकार से चैन से सो सकता है। उसे तो अपनी यात्रा निर्बाध गति से चालू रखना ही होता है और उस यात्रा करने के विश्वास को कायम रखने का काम रेलवे करती है। 
                             तभी तो यात्रियों का विश्वास और ट्रांसपोर्ट की अपेक्षा रेलवे पर कुछ अधिक ही होता है। ऐसे में स्टेशन पर एक मेट्रो इंजन आकर रुकी और उसमें से दो नौजवान लड़के उतरे। दोनों के हिप्पी कट बाल, आँखों पर गोल्डन फ्रेम चश्मा, गौर वर्ण लिये गोल चेहरा और सुर्ख गुलाबी होंठ। लंबा कद लिए गठीले शरीर पर उन दोनों ने जिंस और टी-शर्ट पहन रखी थी, जिसमें उनका व्यक्तित्व काफी आकर्षक लग रहा था। उसमें भी खास यह थी कि" उन दोनों का उम्र यही करीब बीस- बाईस के करीब होगा। स्वाभाविक ही था कि" यौवन- अवस्था के प्रथम पगडंडी पर कदम रखने के कारण उन दोनों के आँखों में जीवन के प्रति विशेष आशाएँ थी। तभी तो बौगी से बाहर निकलने का बाद उन दोनों ने मेट्रो स्टेशन को भरपूर नजरों से देखा। आधुनिकता का शृंगार किए हुए मेट्रो स्टेशन को, जो रोशनी से जगमग कर रहा था। इसके बाद दोनों बाहर निकले। 
                                  स्टेशन से बाहर निकलने के बाद उन्होंने निश्चिंत होकर आस-पास के इलाके को देखा। लगा कि" जैसे उन्हें गंतव्य तक पहुंचने की कोई जल्दी नहीं हो। हां, वे दोनों वर्क टूर से लौटे थे और अब उन्हें अपने अपार्ट मेंट पर जाना था, किन्तु" उनके व्यवहार से लगता तो नहीं था कि" उन्हें अभी घर जाने की जल्दी हो। तभी तो उन्होंने नजर घुमाया और उसकी नजर स्टेशन से थोड़ा दूर पर बनी चाय की टपरी खुली मिली। फिर क्या था, दोनों अपना बैग उठाए चाय की टपरी की ओर बढ गए, आँखों में रंगीन सपने संजोए। उनके मन में आज रंगीनियों के तालाब में नहाने की इच्छा जागृत हो चुकी थी और इसलिये ही मन में इरादे बना कर दोनों चाय की टपरी की ओर बढे थे। किन्तु, उनके कदमों की गति से बिल्कुल भी प्रतीत नहीं हो रहा था कि" उन्हें कोई जल्दी हो।
                           बीतता समय, धीरे-धीरे अपने पूर्ण नि: स्तब्धता की ओर बढ रहा था। इसके बाद तो सुबह के आगमन का आहट महसूस होने बाला था। सही भी है, समय न तो किसी का इंतजार करता है और न ही विश्राम लेने के लिए एक पल भी रुकता है। वह तो अपनी निर्बाध गति से सफर करता रहता है और इसी तरह से दिन-रात में तबदील होता रहता है। दिन और रात मिलकर महीने का निर्माण करता है और महीने वर्ष में तबदील हो जाते है और ऐसे ही सदियां बीतती चली जाती है। समय चक्र पर सभ्यता निरंतर बदलती रहती है, किन्तु समय चक्र की गति इससे कभी भी प्रभावित नहीं होता। इसका अपना मस्तमौला स्वभाव है, निरंतर गति करने का, किसी से प्रभावित हुए बिना। किन्तु" आज के युवा शायद इस समय गति के साथ कदम मिलाकर नहीं चलना चाहते, उन्हें तो लगता है कि" वे सर्विस कर रहे है और दो पैसे कमा रहे है, बस यही जिम्मेदारी है उनकी। तभी तो काम के बाद वे अपने मनोरंजन को प्राथमिकता देते है और यही काम दोनों युवक कर रहे थे।
                              दोनों अपने कदम को बढाते हुए चाय की टपरी पर पहुंचे और आगंतुक को आया देख कर दुकानदार ने नजर उठा कर देखा और उसकी आँखों में आशा की चमक उभड़ी। वैसे भी इस समय ग्राहकों के नाम पर उसके दुकान पर सन्नाटा पसरा हुआ था। ऐसे में अचानक ही ग्राहकों का आना, स्वाभाविक ही था कि" उसके आँखों में आशा की जमक जागृत हो गई। तब तक दोनों युवक टपरी पर रखे तख्ते पर बैठ गए, और फिर उन्होंने गरमागरम चाय पीने की इच्छा व्यक्त की। फिर क्या था,.....दुकान दार भट्टी में कुछ कोयले की टुकड़ी डालकर सुलगाने लगा। जबकि दोनों युवक ने उस दुकान दार के चेहरे की ओर देखा और उसमें से एक बोला।
सर जी!.....आस-पास कहीं माल की व्यवस्था हो सकती है क्या?.....पुनीत नाम के युवक ने दुकान दार को संबोधित करके बोला। फिर अपनी नजर दुकानदार के चेहरे पर टिका दी। जबकि, दुकान दार ने उसकी बात सुनी और आश्चर्य चकित हुआ। किन्तु" उसने तत्काल कुछ नहीं बोला और भट्ठी पर चाय की पतीली चढा दी। उसके बाद युवक के चेहरे की ओर देखकर बोला।
किस तरह के माल की बात कर रहे हो आप लोग?...आप के कहने का मतलब नहीं समझा। आप जो भी कहना चाहते हो, स्पष्ट होकर कहो, तो फिर समझ में आए। दुकान दार ने धीरे से अपनी बात पूरी की और फिर पतीली में दूध-चीनी और चाय पत्ती डालकर मिलाने लगा। जबकि उसकी बातों को सुनकर उसमें से दूसरा युवक मुस्कराया, फिर धीरे से बोला।
काका!....माल से कहने का मतलब कि" जो बिस्तर पर हमें खुश कर सके। जिसे हम लोग बांहों में लेकर स्वर्ग की अनुभूति कर सके। उस युवक ने अर्थपूर्ण शब्दों में कहा और फिर नजर दुकान दार पर नजर टिका दी। जबकि दुकान दार उसकी बातों को सुनकर दुकानदार पहली बार मुस्कराया और फिर बोला।
अच्छा!....तो तुम दोनों सुंदर सी अप्सरा को ढूंढ रहे हो। बोलने के बाद एक पल के लिए रुका दुकानदार, फिर बोला। एक काम करो तुम दोनों कि" चाय पी कर इस दुकान से कुछ दूरी पर सड़क किनारे खड़े हो जाओ, बस समझो कि" जल्द ही तुम लोगों की मनोकामना पूरी हो जाएगी। कहने के बाद दुकान दार ने चाय को कप में छाना और उन दोनों को सर्व कर दिया।
                           उन दोनों ने भी इसके बाद मौन धारण कर लिया। फिर तो दोनों ने चाय पी और पैसे चुकाए, इस के बाद दुकान दार के बताए निर्देश के अनुसार सड़क के किनारे आकर खड़े हो गए और आती-जाती हुई गाड़ियों को देखने लगे। इस तरह से देखने लगे, जैसे कि" उन्हें किसी चीज की तलाश हो, तभी तो उनकी नजर अँधेरे में इधर-उधर घूम रही थी और उन्हें इसका सकारात्मक परिणाम भी मिला। दो पल भी नहीं बीते होंगे कि" दो सुंदर सी युवती, जो कि" देहजीवा थी, उनके करीब पहुंच गई। फिर क्या था, दोनों युवक के चेहरे खिल उठे, उन्हें जो चाहिए था,...वह उनके करीब पहुंच चुका था। किन्तु" वे लोग इस बात से अंजान थे कि" दूर कहीं अंधेरे से वो भिखारिन औरत भी आ गई थी और अपनी चाल में चलती हुई मेट्रो स्टेशन की ओर बढ रही थी, हाथों में ए. के. फोर्टी सेवन संभाले हुए। चेहरे पर शांत भाव लिए हुए अपने कदमों को ढृढता से आगे बढाती हुई। किन्तु" उसके शांत चेहरे के पीछे खतरनाक इरादा छिपा हुआ था, उसके आँखों में क्रोध की चिंगारी थी।
**************









क्रमशः-

27
रचनाएँ
रजौली
0.0
अपराध की पृष्ठभूमि होती है। बिना पृष्ठभूमि के अपराध हो ही नहीं सकता और पृष्ठभूमि हमारा समाज ही बनाता है। बिना सामाजिक एवं राजनीतिक पोषण के अपराध कभी भी पनप ही नहीं सकता।.....कहीं समाज किसी के ऊपर अत्याचार करता है, तो अपराध का जन्म होता है, तो कहीं समाज अपने निहित स्वार्थ को साधने के लिए अपराध को बाढावा देता है। कहने का तात्पर्य यही है कि" अपराध के जन्म लेने का कारण हम और आप कहीं न कहीं है। बिना राजनीतिक स्वार्थ के अपराधियों का मनोबल कभी भी नहीं बढ सकता। "रजौली" एक ऐसे युवती की कहानी है, जो अपने आप में ही उलझी हुई है। "रजौली" वास्तव में एक वेदना है, जो अत्यधिक शोषण की भट्टी से ज्वालामुखी बनकर निकलती है। मदन मोहन" मैत्रेय
1

रजौली-एक छल कथा

5 नवम्बर 2022
0
0
0

अपराध की पृष्ठभूमि होती है। बिना पृष्ठभूमि के अपराध हो ही नहीं सकता और पृष्ठभूमि हमारा समाज ही बनाता है। बिना सामाजिक एवं राजनीतिक पोषण के अपराध कभी भी पनप ही नहीं सकता।.....कहीं समाज किसी के ऊपर अत्य

2

पुलिस मूख्यालय........

6 नवम्बर 2022
0
0
0

दिन के दस बजे से ही पुलिस मूख्यालय में बैठकों का दौर जारी था। वैसे तो पंद्रह अगस्त को लेकर दिल्ली में आर्मी बालों का कमांड हो जाता है। फिर भी प्रशासनिक व्यवस्था संभालने की जिम्मेदारी पुलिस की होती है।

3

खंडहर........

7 नवम्बर 2022
0
0
0

शाम ढलने को व्याकुल हो चुका था। लगता था कि" अब कुछ ही देर में अँधेरे का साम्राज्य व्याप्त हो जाएगा और होना भी यही चाहिए। क्योंकि यह समय चक्र है और इसमें सभी कुछ निर्धारित होता है, पहले से ही। इससे आज

4

घटना स्थल का मुआयना एवं सलिल का हाँस्पिटल जाना........

8 नवम्बर 2022
0
0
0

शाम का अंधेरा घिरने लगा था, लेकिन अमूमन जैसा होता है, शहर पर इस अंधेरे का कोई प्रभाव नहीं पड़ा था। तभी तो हनुमान चौक का इलाका रोशनी में जगमगाता हुआ प्रतीत हो रहा था। लेकिन अभी वहां पर बिल्कुल मातमी सन्

5

रीठाला मेट्रो स्टेशन.......

9 नवम्बर 2022
0
0
0

रात के एक बजे, मेट्रो में अपेक्षाकृत काफी कम यात्रियों की संख्या थी। कोरोना काल के गुजर जाने के कारण शहर व्यवस्थित हो चुका था, किन्तु पहले जैसी रफ्तार अभी नहीं पकड़ पाया था। दूजे कि" रात ज्यादा हो जाने

6

सलिल का हाँस्पिट से रीठाला मेट्रो स्टेशन की ओर जाना.........

10 नवम्बर 2022
0
0
0

रात बारह बजे।सलिल हाँस्पिटल से बाहर निकला था और अब जूस की दुकान खोज रहा था। शांतनु देव को गोली लगने के कारण उसका हृदय बहुत हद तक मर्माहत हुआ था। बार-बार उसे शांतनु देव पर गुस्सा भी आ रहा था। इतना तेज-

7

उस औरत को हाँस्पिटल ले जाना और पुलिस द्वारा प्रेस रीलिज दिया जाना........

11 नवम्बर 2022
0
0
0

रोमील के द्वारा उन चारों घायलों को ले जाने के बाद सलिल ने उस औरत को देखा। तब तक हथियार धारी फोर्स उसके करीब पहुंच चुका था और उन लोगों की नजर सलिल पर टिक गई थी, मानो जानना चाहते हो कि" कुछ देर पहले किस

8

मंत्री भानु शाली.......

12 नवम्बर 2022
0
0
0

सुबह के पांच बज चुके थे।अमूमन तो इस समय मंत्री आवास पर किसी प्रकार का चहल-पहल नहीं होता था। किन्तु" अभी-अभी मंत्री साहब की आँख खुली थी और उन्होंने न्यूज चैनल लगा दिया था और ऐसे ही एक नजर देख लेने की इ

9

रजौली को पुलिस स्टेशन लाना और उससे पूछताछ.......

14 नवम्बर 2022
0
0
0

सुबह के छ बजते ही आकाश सूर्य किरण की आभा से जगमगा उठा। उगते हुए सूर्य के साथ ही एल.

10

मंत्री भानु शाली का पंडित जगतपति से मिलना.......

14 नवम्बर 2022
0
0
0

सुबह के आठ बज चुके थे और इसके साथ ही चारों ओर प्रकाश का साम्राज्य छा चुका था। वैसे भी आकाश साफ था, जिसके कारण किरण का निखार कुछ ज्यादा था। लेकिन मंत्री भानु शाली के चेहरे से प्रतीत हो रहा था कि" उनके

11

टाँर्चर रुम........

15 नवम्बर 2022
0
0
0

सलिल, रजौली के द्वारा इस तरह लगाए जा रहे ठहाकों से परेशान हो चुका था। उसे उम्मीद थी कि" रजौली इस तरह के हरकत करने के बाद शांत हो जाएगी और फिर उसके साथ सहयोग करेगी। किन्तु नहीं, रजौली तो रुक-रुक कर करी

12

मुहम्मद काजी.........

16 नवम्बर 2022
0
0
0

सफेद लुंगी, उसपर नीले रंग का कुर्ता और सिर पर जालीदार सफेद टोपी।....चेहरे पर चमक, आँखों पर गोल चश्मा, लंबा कद। चेहरे पर मूंछ नहीं थी, किन्तु" लंबी सफेद दाढी, उम्र यही करीब पचपन वर्ष के करीब। मुहम्मद क

13

सलिल के द्वारा पेट्रोलिंग किया जाना और हाँस्पिटल पहुंचना.........

17 नवम्बर 2022
0
0
0

एस. पी. साहब के जाने के बाद जैसे सलिल की तंद्रा टूटी हो। फिर तो उसने रोमील एवं राम माधवन को आँफिस में बुलाया और समझाया कि" उसे आगे क्या करना है? साथ ही उसने पुलिस मूख्यालय भी फोन कर दिया कि" अतिरिक्त

14

सलिल की कुमाऊ रंजन से मुलाकात........

18 नवम्बर 2022
0
0
0

सलिल को अचानक ही आया देखकर शांतनु देव चौंका जरूर था, किन्तु" उसने अपने चेहरे पर इन भावों को नहीं आने दिया और सलिल को अपने करीब बैठने के साथ ही उसके चेहरे पर नजर टिका दी। जबकि सलिल, उसके करीब बैठने के

15

मंत्री साहब का वकील दिगंबर से मिलना.......

19 नवम्बर 2022
0
0
0

शाम के सात बज चुके थे और अब आसमान में तारे जगमग करने लगे थे। मंत्री भानु शाली अभी अपने बंगले से निकला था" वकील से मिलने के लिए। वैसे भी कुछ सेकेन्ड पहले हुई जोरदार बारिश ने रोड पर पानी जमा कर दिया था।

16

कुमाऊ रंजन के साथ सलिल का पुलिस स्टेशन लौटना.......

20 नवम्बर 2022
0
0
0

अचानक से ही बरसात की शुरुआत हो जाने के कारण एक पल के लिए सलिल हकबका सा गया। एक तो रात का आलम ढल चुका था, दूसरे आसमान से तेज गति से गिर रही बारिश की बुंदे। एक पल के लिए उसे समझ ही नहीं आया कि, क्या करे

17

शांतनु देव का स्वप्न.........

21 नवम्बर 2022
0
0
0

शांतनु देव को पंख लग गए थे और वो आसमान में ऊँचे- ऊँचे उड़ता जा रहा था। उसकी कोशिश भी तो यही थी कि" नील गगन के आँचल में दूर-दूर तक परवाज करें और फिर उसके तो पंख लग गए थे। कोमल-कोमल सफेद पंख, जिसमें बहुत

18

सलिल एवं एस. पी. साहब का पुलिस स्टेशन पहुंचना और रजौली से पूछताछ करना.......

22 नवम्बर 2022
0
0
0

सुबह के पांच बजने के साथ ही सलिल ने अंगड़ाई ली। कहां तो रजौली के कहे अनुसार दिल्ली शहर धमाके की आवाज से दहल जाना चाहिए था, परन्तु....ऐसा कुछ भी नहीं हुआ था। शहर तो अपनी चाल में गति कर रहा था, ऐसे में स

19

शांतनु देव की चिन्ता और पुलिस स्टेशन जाना.........

23 नवम्बर 2022
0
0
0

मानव मन की रचना ईश्वर ने अजीब प्रकार की- की है। जब मानव सुख में होता है, चिंतन नहीं करता और जब दुःख में होता है, चिंतनशीलता का आवरण ओठ लेता है। परन्तु... विचार, जो कि" मानव मन के साथ हमेशा ही लगे रहते

20

सलिल के द्वारा शहर के चक्कर लगाना और पुलिस स्टेशन लौटना...........

25 नवम्बर 2022
0
0
0

दिन के दस बजने बाले थे, किन्तु सलिल को अभी तक कहीं सफलता नहीं मिली थी। रजौली" ने जितने भी पते बतलाए थे, उन तमाम जगहों पर अब तक छापामारी की गई थी। परन्तु....वे तमाम जगह, जहां दूर-दूर तक भी संभावना नहीं

21

रजौली" से फिर से पूछताछ और कोर्ट की नोटिस........

25 नवम्बर 2022
0
0
0

सलिल एवं एस. पी. साहब को अजीब नजरों से अपनी ओर देखता पाकर शांतनु देव एक पल के लिए बौखला ही गया। उसकी इच्छा हुई कि" दोनों से पुछे कि, इस तरह से क्यों देख रहे हो?...परन्तु अचानक ही उसने अपने इस विचार को

22

रजौली की कोर्ट में पेशी और सलिल का अपार्ट मेंट पर लौटना.......

26 नवम्बर 2022
0
0
0

कोर्ट के नोटिस को देखने के बाद जहां सलिल की त्योरियां चढ गई, वही पर एस. पी. साहब एवं शांतनु देव के चेहरे पर चिन्ता की लकीरें खींच गई। अब भला शांतनु देव से ज्यादा कौन इस बात को समझ सकता था कि" रजौली के

23

कुमाऊ रंजन से शांतनु देव की मुलाकात और कुमाऊ रंजन का रजौली से मिलना.......

27 नवम्बर 2022
0
0
0

अपार्ट मेंट के अंदर हाँल में कुमाऊ रंजन सोफे पर अकड़ूँ बैठा हुआ था, परन्तु.....उसकी नजर टी. बी स्क्रीन पर ही चिपकी हुई थी। टी. बी. स्क्रीन पर चल रहा एंटरटेंनमेंट, लगता था कि, कुमाऊ रंजन तन्मयता से देख

24

मंत्री भानु शाली के घर मीटिंग.......

28 नवम्बर 2022
0
0
0

शाम ढलने को तत्पर था और लगता था कि" रात के अंधेरे का आवरण अब वातावरण को अपने आगोश में समेट लेगा। ठीक उसी तरह मंत्री भानु शाली के हृदय में भी भय रुपी अंधेरा घनघोर बादल की तरह बढते जा रहे थे और आतुर थे

25

हाँस्पिटल में कुमाऊ रंजन की यादाश्त वापस लौटना......

29 नवम्बर 2022
0
0
0

अचानक ही कुमाऊ रंजन का तबीयत बिगड़ने के बाद सलिल उसे हाँस्पिटल ले आया था। डाक्टरों की टीम कुमाऊ रंजन को इमरजेंसी वार्ड में ले गई थी। परन्तु अब तक सलिल इस सदमे से बाहर नहीं आ सका था कि" आखिर कुमाऊ रंजन

26

मंत्री भानुशाली का जज साहब से मिलना.......

30 नवम्बर 2022
0
0
0

काफी मनोमंथन के बाद भी जब वे लोग किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंच सके। मुहम्मद काजी ने सुझाव दिया कि" क्यों न हम लोग जज साहब से मिल ले। शायद वहीं से कोई रास्ता निकल आए। दावा पूर्वक तो कुछ नहीं कहा जा सकता

27

सलिल का कुमाऊ रंजन के साथ पुलिस स्टेशन लौटना और कुमाऊ रंजन का बीते दिनों की यादों में जाना.....

1 दिसम्बर 2022
0
0
0

सलिल ने ड्राइविंग शीट संभाली, रोमील कुमाऊ रंजन के साथ पीछे बैठा, जबकि बगल बाली शीट पर शांतनु देव बैठ गए। इसके बाद सलिल ने कार श्टार्ट की और हाँस्पिटल गेट से निकाल कर सड़क पर दौड़ा दिया। यूं तो सलिल शांत

---

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए