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मंत्री भानु शाली का पंडित जगतपति से मिलना.......

14 नवम्बर 2022

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सुबह के आठ बज चुके थे और इसके साथ ही चारों ओर प्रकाश का साम्राज्य छा चुका था। वैसे भी आकाश साफ था, जिसके कारण किरण का निखार कुछ ज्यादा था। लेकिन मंत्री भानु शाली के चेहरे से प्रतीत हो रहा था कि" उनके चेहरे पर शंका के बादल उमड़- घुमड़ रहे थे। तभी तो बंगले से बाहर निकले और कार की ओर बढे, इन शंकाओं के साथ कि" आने बाले समय का पदचाप किस तरह का हो सकता है और यह  किस ओर इशारा करता है। मंत्री भानु शाली समय के उसी पदचाप को सुनने की कोशिश कर रहे थे, किन्तु" उन्हें सफलता नहीं मिल पा रही थी।
                क्योंकि, एक समय ही तो है, जिसके पदचाप को कोई समझ नहीं सकता। यह ऊँट की भांति किस करवट बैठ जाए, कहना आसान नहीं होता। ऐसे में बस, इंसान के बस में यही होता है कि" वो समय के साथ चलने की कोशिश करें और यही उसके बस में होता है। बाकी तो समय प्रारब्ध के आधार पर ही गति करता है। आपने जो भूत में किया है, वर्तमान और भविष्य उसी के आधार पर निर्धारित होता है। मानव के द्वारा किया गया कर्म अगर गलत है, तो फिर आगे जीवन में वही कर्म विषधर पौधे का रुप लेकर फलदाई हो जाता है। बस.....मंत्री भानु शाली के हृदय में इसी बात की चिन्ता थी, उसको भय था कि" भूत में किया गया उनके द्वारा कर्म उनके राहों में कांटे बनकर नहीं उभड़ जाए।
                         बस इसी चिन्ता के साथ उसने कार को श्टार्ट किया और आगे बढा दिया। फिर तो कार बंगले से निकलते ही सड़क पर फिसलती चली गई। मंत्री भानु शाली, जिसको अहंकार था अपने पद-प्रतिष्ठा का, अपने पाँवर का। तभी तो वे नहीं चाहते थे कि" उनका यह पाँवर, उनकी पहुंच एक पल में धूल-धूसरित नहीं हो जाए। इसलिये तो वे पंडित जगतपति से मिलने जा रहे थे। उससे मिलने जा रहे थे, जो कि उनके हर एक अच्छे और बुरे कर्मों में सम्मिलित होता था। उनके हर एक राज का राजदार था। तभी तो उन्होंने कार की रफ्तार बढा दी थी मंजिल तक पहुंचने के लिए और जैसे ही उनकी कार आध्या निवास पहुंची,....मंत्री साहब ने कार पार्क किया और बिल्डिंग के मुख्य द्वार की ओर बढ गए।
                             आध्या निवास वैसे तो छोटा सा बंगला था, किन्तु उसकी सजावट इस तरह से की गई थी कि" बिला भी शरमा जाए। दो मंजिला आध्या निवास, जहां पंडित जगतपति अपने बच्चों के साथ निवास करते थे, उनका बेटा सुलभ और पुत्री रेणुका। उनकी पत्नी जगदंबा धार्मिक महिला थी और ज्यादातर धर्म यात्रा पर ही रहती थी। ऐसे में पंडित जगतपति के जीवन में आनंद ही आनंद था और अभी भी वे टीवी के सामने बैठकर जीवन का आनंद लेने में व्यस्त थे। तभी भानु शाली ने हाँल में कदम रखा और पंडित जगतपति के चेहरे पर मुस्कान निखर उठा, तभी तो वो बोला।
आइए- आइए मंत्री साहब!....आपके कदम इस गरीब खाने पर पड़ा। इससे बड़ा सौभाग्य और क्या हो सकता है। जगतपति ने मुस्करा कर कहा और मंत्री साहब के चेहरे पर नजर टिका दी। जबकि उसकी बातों को सुनकर मंत्री साहब मुस्कराए बिना आगे बढे और सोफे पर बैठ गए, उसके बाद उन्होंने जगतपति के चेहरे पर नजर टिकाया और धीरे से बोला।
जगतपति!....कभी-कभी फिल्मी दुनिया के रंग-नाच देखने के अलावा न्यूज भी देख लिया करो। तब मतलब समझ आ जाएगा कि" तुम्हारे गरीब खाने पर यह अमीर क्योंकर आ टपका। मंत्री साहब ने अपने शब्दों को चबाकर कहा और नजर जगतपति के चेहरे पर टिका दी। जबकि जगतपति" मंत्री साहब के इस तरह से घुमाकर बात करने पर चौंका और फिर एक पल के लिए चुप्पी साधकर इस बारे में सोचता रहा कि" मंत्री साहब का स्वर इस तरह से क्यों बदला हुआ है। फिर उसने मंत्री साहब के चेहरे को देखा और धीरे से बोला।
मंत्री साहब!....हम तो ठहरे धार्मिक प्रवृति के। भला रास- रंग को नहीं देखेंगे, तो भला इस न्यूज चैनलों को देखकर कौन अपना दिमाग खपाए। बोलने के बाद जगतपति एक पल के लिए रुका और मंत्री साहब के चेहरे की प्रतिक्रिया देखने की कोशिश की, फिर आगे बोला। मंत्री साहब!.... लेकिन बात क्या है?....जो आप इस तरह से उलझी हुई बातें कर रहें है। आपका इस तरह से बात करना, सच कहूं तो, मेरे हृदय के स्पंदन को बढा रहा है। कहने के बाद जगतपति ने मंत्री साहब के चेहरे पर नजर टिका दी और अपने शब्दों की प्रतिक्रिया जानने की कोशिश करने लगा। जबकि, उसकी बातों को सुनते ही मंत्री भानु शाली बौखला गए, लगा कि क्रोध के कारण उनकी भृकुटि तन गई हो, तभी तो आवेशित होकर बोले। 
जगतपति!....तुम तो मसखरी में स्पंदन की बातें कर रहे हो। परन्तु, हकीकतन कहूं तो, सुबह से ही मैं परेशान हूं। तुम जान नहीं सकते कि" मुझ पर क्या बीत रही है। बस समझो कि" आते हुए समय के पदचाप को सुनकर घबरा गया हूं और इसलिये तुम्हारे पास दौड़कर आया हूं। मंत्री साहब ने कहा और उनकी बातें सुनते ही जगतपति गंभीर हो गया। फिर उसने मंत्री साहब के आँखों में देखा। अब उसे विश्वास हो चुका था कि" जरूर कोई गंभीर मुद्दा है। अन्यथा मंत्री भानु शाली जैसा शख्स कभी भी विचलित नहीं होता। जगतपति का हृदय शंका से ग्रसित हो चुका था, तभी तो गंभीर होकर बोला।
मंत्री साहब!....बात क्या है?....इससे पहले तो आपको इस तरह से बेचैन नहीं देखा। लगता है कि" कहीं गंभीर मैटर फंसा हुआ है। किन्तु" जब तक आप बतलाएंगे नहीं, किस प्रकार से जान सकूंगा। जगतपति ने कहा और उत्तर की प्रतीक्षा करने लगा। जबकि, उसकी बातें सुनते ही मंत्री साहब उसे बतलाने लगे कि" आज सुबह ही उन्होंने किस प्रकार के न्यूज को देखा था।
                                 मंत्री साहब उसे बतलाने लगे कि" आज सुबह से ही वो किस प्रकार से और किसलिये परेशान है। जबकि, उनकी बातें सुनते ही जगतपति का चेहरा पसीने से लथपथ हो गया। लगा कि" मंत्री साहब ने उसके सामने बातों का बम फोड़ दिया हो और उस धमाके में उसका अस्तित्व चिथड़े- चिथड़े बनकर बिखर जाने बाला हो। बात सही भी था, जब भी किसी के सामने उसका अतीत स्याह परत बन कर अचानक ही आ जाता है। उसकी इसी तरह की स्थिति होती है। किन्तु" मानव अपने बीते हुए अतीत के पन्नों से खुद को जुदा नहीं कर सकता। क्योंकि" अतीत किसी के लिए परछाईं के समान होता है, जो कभी न कभी उसके सामने जरूर आता है। आप अच्छा करोगे, तो अच्छी आकृति का रुप लेगा, नहीं तो आपके लिए विष बेल बन जाएगा।
                               यही तो जगतपति और मंत्री साहब के साथ हुआ था। उनका अतीत उनके सामने आकर उन्हें डराने लगा था। तभी तो मंत्री साहब ने अपनी बात पूरी की और नजर जगतपति पर टिका दी, इस आशा में कि" वह कुछ तो बोलेगा। किन्तु" जगतपति, वह भला क्या बोलता, वह तो मंत्री जी के बातों को सुनकर उलझ गया था और सोचने लगा था। परन्तु,....ऐसे समय में तो मानव की बुद्धि भी कुंद होकर रह जाती है। हां, जगतपति की बुद्धि कुंद होकर रह गई थी, उसे समझ ही नहीं आ रहा था कि “आने बाला समय किस प्रकार का होगा?...यह जो प्रश्न था, उसके हृदय पटल पर अंकित हो चुका था। इस परिस्थिति में मंत्री साहब का इस तरह से आशा भरी नजरों से अपनी ओर देखते पाकर जगतपति और भी परेशान हो गया, उसकी हैरानगी बढ गई।
                             वैसे इसके बाद उसके दिमाग में जो पहला नाम गुंजा था, वह था "मुहम्मद काजी। हां, इस समय उसके पास ही चलना चाहिए, ऐसा सोचकर उसने इस संदर्भ में मंत्री साहब से बात की। मंत्री साहब ने उसकी बात सुनी और तुरंत ही सहमति प्रदान कर दी। इसके बाद तो दोनों उठकर खड़े हुए और बाहर की ओर निकले। अपने लक्ष्य को साधने के लिए, अपने अतीत की काली परछाईं से पीछा छुड़ाने का प्रयास करने के लिए।
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क्रमशः-
                                

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रचनाएँ
रजौली
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अपराध की पृष्ठभूमि होती है। बिना पृष्ठभूमि के अपराध हो ही नहीं सकता और पृष्ठभूमि हमारा समाज ही बनाता है। बिना सामाजिक एवं राजनीतिक पोषण के अपराध कभी भी पनप ही नहीं सकता।.....कहीं समाज किसी के ऊपर अत्याचार करता है, तो अपराध का जन्म होता है, तो कहीं समाज अपने निहित स्वार्थ को साधने के लिए अपराध को बाढावा देता है। कहने का तात्पर्य यही है कि" अपराध के जन्म लेने का कारण हम और आप कहीं न कहीं है। बिना राजनीतिक स्वार्थ के अपराधियों का मनोबल कभी भी नहीं बढ सकता। "रजौली" एक ऐसे युवती की कहानी है, जो अपने आप में ही उलझी हुई है। "रजौली" वास्तव में एक वेदना है, जो अत्यधिक शोषण की भट्टी से ज्वालामुखी बनकर निकलती है। मदन मोहन" मैत्रेय
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रजौली-एक छल कथा

5 नवम्बर 2022
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अपराध की पृष्ठभूमि होती है। बिना पृष्ठभूमि के अपराध हो ही नहीं सकता और पृष्ठभूमि हमारा समाज ही बनाता है। बिना सामाजिक एवं राजनीतिक पोषण के अपराध कभी भी पनप ही नहीं सकता।.....कहीं समाज किसी के ऊपर अत्य

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पुलिस मूख्यालय........

6 नवम्बर 2022
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दिन के दस बजे से ही पुलिस मूख्यालय में बैठकों का दौर जारी था। वैसे तो पंद्रह अगस्त को लेकर दिल्ली में आर्मी बालों का कमांड हो जाता है। फिर भी प्रशासनिक व्यवस्था संभालने की जिम्मेदारी पुलिस की होती है।

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खंडहर........

7 नवम्बर 2022
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शाम ढलने को व्याकुल हो चुका था। लगता था कि" अब कुछ ही देर में अँधेरे का साम्राज्य व्याप्त हो जाएगा और होना भी यही चाहिए। क्योंकि यह समय चक्र है और इसमें सभी कुछ निर्धारित होता है, पहले से ही। इससे आज

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घटना स्थल का मुआयना एवं सलिल का हाँस्पिटल जाना........

8 नवम्बर 2022
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शाम का अंधेरा घिरने लगा था, लेकिन अमूमन जैसा होता है, शहर पर इस अंधेरे का कोई प्रभाव नहीं पड़ा था। तभी तो हनुमान चौक का इलाका रोशनी में जगमगाता हुआ प्रतीत हो रहा था। लेकिन अभी वहां पर बिल्कुल मातमी सन्

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रीठाला मेट्रो स्टेशन.......

9 नवम्बर 2022
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रात के एक बजे, मेट्रो में अपेक्षाकृत काफी कम यात्रियों की संख्या थी। कोरोना काल के गुजर जाने के कारण शहर व्यवस्थित हो चुका था, किन्तु पहले जैसी रफ्तार अभी नहीं पकड़ पाया था। दूजे कि" रात ज्यादा हो जाने

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सलिल का हाँस्पिट से रीठाला मेट्रो स्टेशन की ओर जाना.........

10 नवम्बर 2022
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रात बारह बजे।सलिल हाँस्पिटल से बाहर निकला था और अब जूस की दुकान खोज रहा था। शांतनु देव को गोली लगने के कारण उसका हृदय बहुत हद तक मर्माहत हुआ था। बार-बार उसे शांतनु देव पर गुस्सा भी आ रहा था। इतना तेज-

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उस औरत को हाँस्पिटल ले जाना और पुलिस द्वारा प्रेस रीलिज दिया जाना........

11 नवम्बर 2022
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रोमील के द्वारा उन चारों घायलों को ले जाने के बाद सलिल ने उस औरत को देखा। तब तक हथियार धारी फोर्स उसके करीब पहुंच चुका था और उन लोगों की नजर सलिल पर टिक गई थी, मानो जानना चाहते हो कि" कुछ देर पहले किस

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मंत्री भानु शाली.......

12 नवम्बर 2022
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सुबह के पांच बज चुके थे।अमूमन तो इस समय मंत्री आवास पर किसी प्रकार का चहल-पहल नहीं होता था। किन्तु" अभी-अभी मंत्री साहब की आँख खुली थी और उन्होंने न्यूज चैनल लगा दिया था और ऐसे ही एक नजर देख लेने की इ

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रजौली को पुलिस स्टेशन लाना और उससे पूछताछ.......

14 नवम्बर 2022
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सुबह के छ बजते ही आकाश सूर्य किरण की आभा से जगमगा उठा। उगते हुए सूर्य के साथ ही एल.

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मंत्री भानु शाली का पंडित जगतपति से मिलना.......

14 नवम्बर 2022
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सुबह के आठ बज चुके थे और इसके साथ ही चारों ओर प्रकाश का साम्राज्य छा चुका था। वैसे भी आकाश साफ था, जिसके कारण किरण का निखार कुछ ज्यादा था। लेकिन मंत्री भानु शाली के चेहरे से प्रतीत हो रहा था कि" उनके

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टाँर्चर रुम........

15 नवम्बर 2022
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सलिल, रजौली के द्वारा इस तरह लगाए जा रहे ठहाकों से परेशान हो चुका था। उसे उम्मीद थी कि" रजौली इस तरह के हरकत करने के बाद शांत हो जाएगी और फिर उसके साथ सहयोग करेगी। किन्तु नहीं, रजौली तो रुक-रुक कर करी

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मुहम्मद काजी.........

16 नवम्बर 2022
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सफेद लुंगी, उसपर नीले रंग का कुर्ता और सिर पर जालीदार सफेद टोपी।....चेहरे पर चमक, आँखों पर गोल चश्मा, लंबा कद। चेहरे पर मूंछ नहीं थी, किन्तु" लंबी सफेद दाढी, उम्र यही करीब पचपन वर्ष के करीब। मुहम्मद क

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सलिल के द्वारा पेट्रोलिंग किया जाना और हाँस्पिटल पहुंचना.........

17 नवम्बर 2022
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एस. पी. साहब के जाने के बाद जैसे सलिल की तंद्रा टूटी हो। फिर तो उसने रोमील एवं राम माधवन को आँफिस में बुलाया और समझाया कि" उसे आगे क्या करना है? साथ ही उसने पुलिस मूख्यालय भी फोन कर दिया कि" अतिरिक्त

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सलिल की कुमाऊ रंजन से मुलाकात........

18 नवम्बर 2022
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सलिल को अचानक ही आया देखकर शांतनु देव चौंका जरूर था, किन्तु" उसने अपने चेहरे पर इन भावों को नहीं आने दिया और सलिल को अपने करीब बैठने के साथ ही उसके चेहरे पर नजर टिका दी। जबकि सलिल, उसके करीब बैठने के

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मंत्री साहब का वकील दिगंबर से मिलना.......

19 नवम्बर 2022
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शाम के सात बज चुके थे और अब आसमान में तारे जगमग करने लगे थे। मंत्री भानु शाली अभी अपने बंगले से निकला था" वकील से मिलने के लिए। वैसे भी कुछ सेकेन्ड पहले हुई जोरदार बारिश ने रोड पर पानी जमा कर दिया था।

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कुमाऊ रंजन के साथ सलिल का पुलिस स्टेशन लौटना.......

20 नवम्बर 2022
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अचानक से ही बरसात की शुरुआत हो जाने के कारण एक पल के लिए सलिल हकबका सा गया। एक तो रात का आलम ढल चुका था, दूसरे आसमान से तेज गति से गिर रही बारिश की बुंदे। एक पल के लिए उसे समझ ही नहीं आया कि, क्या करे

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शांतनु देव का स्वप्न.........

21 नवम्बर 2022
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शांतनु देव को पंख लग गए थे और वो आसमान में ऊँचे- ऊँचे उड़ता जा रहा था। उसकी कोशिश भी तो यही थी कि" नील गगन के आँचल में दूर-दूर तक परवाज करें और फिर उसके तो पंख लग गए थे। कोमल-कोमल सफेद पंख, जिसमें बहुत

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सलिल एवं एस. पी. साहब का पुलिस स्टेशन पहुंचना और रजौली से पूछताछ करना.......

22 नवम्बर 2022
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सुबह के पांच बजने के साथ ही सलिल ने अंगड़ाई ली। कहां तो रजौली के कहे अनुसार दिल्ली शहर धमाके की आवाज से दहल जाना चाहिए था, परन्तु....ऐसा कुछ भी नहीं हुआ था। शहर तो अपनी चाल में गति कर रहा था, ऐसे में स

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शांतनु देव की चिन्ता और पुलिस स्टेशन जाना.........

23 नवम्बर 2022
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मानव मन की रचना ईश्वर ने अजीब प्रकार की- की है। जब मानव सुख में होता है, चिंतन नहीं करता और जब दुःख में होता है, चिंतनशीलता का आवरण ओठ लेता है। परन्तु... विचार, जो कि" मानव मन के साथ हमेशा ही लगे रहते

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सलिल के द्वारा शहर के चक्कर लगाना और पुलिस स्टेशन लौटना...........

25 नवम्बर 2022
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दिन के दस बजने बाले थे, किन्तु सलिल को अभी तक कहीं सफलता नहीं मिली थी। रजौली" ने जितने भी पते बतलाए थे, उन तमाम जगहों पर अब तक छापामारी की गई थी। परन्तु....वे तमाम जगह, जहां दूर-दूर तक भी संभावना नहीं

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रजौली" से फिर से पूछताछ और कोर्ट की नोटिस........

25 नवम्बर 2022
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सलिल एवं एस. पी. साहब को अजीब नजरों से अपनी ओर देखता पाकर शांतनु देव एक पल के लिए बौखला ही गया। उसकी इच्छा हुई कि" दोनों से पुछे कि, इस तरह से क्यों देख रहे हो?...परन्तु अचानक ही उसने अपने इस विचार को

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रजौली की कोर्ट में पेशी और सलिल का अपार्ट मेंट पर लौटना.......

26 नवम्बर 2022
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कोर्ट के नोटिस को देखने के बाद जहां सलिल की त्योरियां चढ गई, वही पर एस. पी. साहब एवं शांतनु देव के चेहरे पर चिन्ता की लकीरें खींच गई। अब भला शांतनु देव से ज्यादा कौन इस बात को समझ सकता था कि" रजौली के

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कुमाऊ रंजन से शांतनु देव की मुलाकात और कुमाऊ रंजन का रजौली से मिलना.......

27 नवम्बर 2022
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अपार्ट मेंट के अंदर हाँल में कुमाऊ रंजन सोफे पर अकड़ूँ बैठा हुआ था, परन्तु.....उसकी नजर टी. बी स्क्रीन पर ही चिपकी हुई थी। टी. बी. स्क्रीन पर चल रहा एंटरटेंनमेंट, लगता था कि, कुमाऊ रंजन तन्मयता से देख

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मंत्री भानु शाली के घर मीटिंग.......

28 नवम्बर 2022
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शाम ढलने को तत्पर था और लगता था कि" रात के अंधेरे का आवरण अब वातावरण को अपने आगोश में समेट लेगा। ठीक उसी तरह मंत्री भानु शाली के हृदय में भी भय रुपी अंधेरा घनघोर बादल की तरह बढते जा रहे थे और आतुर थे

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हाँस्पिटल में कुमाऊ रंजन की यादाश्त वापस लौटना......

29 नवम्बर 2022
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अचानक ही कुमाऊ रंजन का तबीयत बिगड़ने के बाद सलिल उसे हाँस्पिटल ले आया था। डाक्टरों की टीम कुमाऊ रंजन को इमरजेंसी वार्ड में ले गई थी। परन्तु अब तक सलिल इस सदमे से बाहर नहीं आ सका था कि" आखिर कुमाऊ रंजन

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मंत्री भानुशाली का जज साहब से मिलना.......

30 नवम्बर 2022
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काफी मनोमंथन के बाद भी जब वे लोग किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंच सके। मुहम्मद काजी ने सुझाव दिया कि" क्यों न हम लोग जज साहब से मिल ले। शायद वहीं से कोई रास्ता निकल आए। दावा पूर्वक तो कुछ नहीं कहा जा सकता

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सलिल का कुमाऊ रंजन के साथ पुलिस स्टेशन लौटना और कुमाऊ रंजन का बीते दिनों की यादों में जाना.....

1 दिसम्बर 2022
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सलिल ने ड्राइविंग शीट संभाली, रोमील कुमाऊ रंजन के साथ पीछे बैठा, जबकि बगल बाली शीट पर शांतनु देव बैठ गए। इसके बाद सलिल ने कार श्टार्ट की और हाँस्पिटल गेट से निकाल कर सड़क पर दौड़ा दिया। यूं तो सलिल शांत

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