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मंत्री भानु शाली.......

12 नवम्बर 2022

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सुबह के पांच बज चुके थे।
अमूमन तो इस समय मंत्री आवास पर किसी प्रकार का चहल-पहल नहीं होता था। किन्तु" अभी-अभी मंत्री साहब की आँख खुली थी और उन्होंने न्यूज चैनल लगा दिया था और ऐसे ही एक नजर देख लेने की इच्छा से लगाए गए न्यूज चैनल ने उनकी बी. पी बढा दी थी। अभी-अभी जो "रजौली" के बारे में नमक-मिर्च लगा कर न्यूज परोसा जा रहा था, उसने वास्तव में उनके शरीर में कंपन उत्पन्न करने का काम किया था। फिर तो उन्होंने एक-एक कर सभी न्यूज चैनल बदल डाले, किन्तु" सभी जगह सिर्फ रजौली ही छाई हुई थी। फिर क्या था, मंत्री साहब ने खुद को बमुश्किल संभाला और सोफे पर बैठ गए।
                        मंत्री भानु शाली, वैसे तो उनका प्रभार नागरिक उड्डयन था, किन्तु" सरकार में दो नंबर की हैसियत रखते थे। मोटा थुलथुल शरीर, गोरा रंग लिए गोल चेहरा, बिल्लौरी आँखें और छोटा कद। उसपर चेहरे पर झलकती हुई मक्कारी। उन्हें तो अब तक यही लगता था कि" जीवन उनके आधीन है और वो जो चाहे करें, पूर्ण रुप से स्वतंत्र है। किन्तु" नहीं, आज जो न्यूज दिखाया जा रहा था, वह उनका हौसला तोड़ने के लिए काफी था। तभी तो उन्होंने नौकरों को आवाज दी और बस इसके बाद मंत्री आवास पर हलचल शुरु हो गया। पचपन वर्षीय मंत्री भानु शाली के आवाज में बहुत ताकत थी, तभी तो बंगले के सभी नौकरों सहित उनकी पत्नी राधिका भी हाँल में आ गई। बस राधिका का यूं आना उन्हें अच्छा नहीं लगा और उसे इशारे से कहा कि.....वापस चली जाए। फिर उसके जाने के बाद नौकरों में से एक, जिसका नाम श्याम था" उसे बोला कि" फरदीन को बुलाकर ले आए।
                         इसके बाद तो नौकरों के जाने के बाद मंत्री साहब अपने चेहरे पर उभड़ आए पसीने को पोंछने लगे और याद करने की कोशिश करने लगे बीते हुए समय को। वे भूल भी कैसे सकते थे आज से छ वर्ष पहले के बीते हुए समय को। उनका रजौली को भूल जाना कभी भी मुमकिन नहीं था। तभी तो एसी. हाँल होने के बावजूद इस समय वो पसीने से तरबतर हो चुके थे। किन्तु" इस तरह से परेशान होने से भी तो समस्या का हल मिलने बाला नहीं था। किन्तु" पहले फरदीन को तो आने दे, उसके बाद ही वे कुछ सोच सकते थे, कुछ कर सकते थे।
                                वैसे भी सलमान एवं फरदीन उनके दो हाथ थे, जिसके सहारे उनकी राजनीति की गाड़ी चलती थी। भले ही दुनिया के नजरों में वे फरदीन और सलमान से दूरी बनाकर रहते थे। फरदीन एवं सलमान को इजाजत नहीं थी कि" सामने से उनसे मिलने की हिमाकत कर सके। आखिर वो छँटे हुए राजनीति बाज थे और सारे काले काम रात के अँधियारे में करते थे। बस इसी से समझ आता था कि" सलमान एवं फरदीन की उनके जीवन में कितनी अहमियत थी। परन्तु आज.....परिस्थिति कुछ भिन्न बन चुकी थी और ऐसे में वो दोनों से दूरी बनाकर रखे, उनके हित में नहीं था। तभी तो नौकरों के द्वारा उन्होंने फरदीन को बुलावा भेज दिया था।
                              और अब खुद की स्थिति को नियंत्रित करने में लगे हुए थे। तभी उनकी पत्नी राधिका काँफी बनाकर ले आई और उन्हें थमा दिया और उनके सामने बैठने ही बाली थी कि" मंत्री साहब ने मना कर दिया। नहीं चाहते थे कि" उनकी पत्नी उन दोनों मुल्लों के नजर में आए। क्योंकि राधिका बहुत ही सुंदर थी और उम्र भी यही करीब पैंतीस के करीब। जानते थे कि" दूसरे के परिवार पर डाका डालने बाला फरदीन और सलमान, अगर उनकी पत्नी उन दोनों के नजर पर चढ गई, उनका भी परिवार उजड़ते देर नहीं लगेगी। मंत्री साहब की इच्छा बिल्कुल भी नहीं थी कि" उनका परिवार उन दो काले नजर बाले का शिकार हो जाए। तभी तो, आज तक उन्होंने राधिका को कभी भी उन दो मुल्लों के सामने नहीं आने दिया था।
                     हाश!....पत्नी के अंदर जाते ही उन्होंने राहत का सांस लिया और अभी वो संभल भी नहीं पाए थे कि" उनकी नजर गेट से अंदर कदम रख रहे सलमान और फरदीन पर गई। जबकि सलमान एवं फरदीन आगे बढा और आकर उनके चरणों में झुक गया और फिर उनके सामने ही सोफे पर बैठ गया। सलमान और फरदीन, दोनों शरीर से हट्टा- कट्ठा थे। उन दोनों की नीली आँखें, गौर वर्ण लिए क्लीन शेब्ड चेहरा, पतली और लंबी गरदन, पतले ओंठ और घने लंबे बाल, जो कि काला था। उसपर लगा हुआ आँखों पर कीमती चश्मा, उम्र भी यही छब्बीस- सत्ताईस के करीब। पहली ही नजर में देखने पर कोई भी उनकी ओर आकर्षित हो जाए, ऐसा उनका व्यक्तित्व था। साथ ही वाणी में मिठास भी थी, तभी तो फरदीन मंत्री साहब को संबोधित करके बोला।
सर!.....अचानक ही ऐसी क्या बात हो गई कि" आपको इस तरह से मुझे बुलावा भेजना पड़ा। बोलने के बाद एक पल के लिए रुका फरदीन, फिर आगे बोला। सर!.....मैं आ ही रहा था, तो सोचा कि" साथ में सलमान को लिए चलता हूं, इसलिये हम दोनों आ गए। बोलने के बाद उसने नजर मंत्री साहब के चेहरे पर टिका दी, जबकि उसकी बातों को सुनकर मंत्री साहब धीरे से बोले।
बहुत ही अच्छा किया कि"...तुम दोनों साथ ही आ गए। बोलने के बाद अचानक ही मंत्री साहब ने चुप्पी साध ली। जबकि उनका इस तरह से चुप हो जाना, उन दोनों को समझ ही नहीं आया। लेकिन इस तरह से चुप्पी साधे रहने से उनकी उत्सुकता जरूर बढ गई, तभी तो इस बार सलमान उनको संबोधित करके बोला।
सर!.....आपने तो इस तरह से बुलावा भेजा था कि" जैसे कोई बहुत बड़ी आफत आ गई हो और अचानक ही चुप्पी साध कर बैठ गए। भला इस तरह से तो काम चलने बाला नहीं है। आप तो हमें बताइए कि" अचानक बुलावा भेजने की जरूरत क्यों आन पड़ी। सलिल ने अपने शब्द पूरे किए और नजर मंत्री साहब पर टिका दी। जबकि, उसकी बातों को सुनने के बाद मंत्री साहब ने गौर से दोनों के चेहरे को देखा और फिर बोले।
तो, तुम दोनों को याद जरूर होगा कि" आज से ठीक छ वर्ष पहले तुम ने एक लड़की को अपने प्रेम जाल में फंसाया था। बोलने के बाद मंत्री साहब एक पल के लिए रुके, फिर आगे बोले। तुम दोनों भूल भी नहीं सकते उस मामले को, आखिर तुम लोगों ने कारनामा ही ऐसा किया था और अगर मैं बीच में नहीं आता, तुम दोनों बुरी तरह से फंस जाते। मंत्री साहब ने कहा और नजर उन दोनों पर टिका दी, जबकि उनकी बातों को सुनते ही फरदीन ने उनके चेहरे को देखा और तपाक से बोला।
सर!....भला हम लोग उस वाकये को किस प्रकार से भूल सकते है। न तो उस लड़की "रज्जो" को और न उस समय की घटना को। बोलने के बाद एक पल के लिए रुका फरदीन, फिर आगे बोला। लेकिन बात क्या है?....आप जब तक नहीं बतलाएंगे, किस प्रकार से समझ सकूंगा। कहने के बाद फरदीन ने अपनी नजर मंत्री साहब के चेहरे पर टिका दी।
                     जबकि उसकी बातें सुनते ही मंत्री साहब सचेत हुए। फिर तो.....उन्होंने उन दोनों को आज के न्यूज एवं रजौली के बारे में बतलाया। साथ ही टीवी स्क्रीन खोल कर दोनों को न्यूज भी दिखा दी। बस इतना ही काफी था, उन दोनों के चेहरे पर खौफ लाने के लिए। उन दोनों का भी चेहरा न्यूज देखने के बाद पसीना से तरबतर हो चुका था। उन्होंने तो जीवन में कभी इस बात की कल्पना भी नहीं की थी कि" अचानक ही बीता हुआ प्रकरण उनके सामने आ जाएगा। लेकिन आ तो चुका था उनका अतीत उनके सामने। ऐसे में अब उन तीनों के चेहरे पर चिन्ता काबिज हो गई। 
                       
                                










क्रमशः-
                                

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रचनाएँ
रजौली
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अपराध की पृष्ठभूमि होती है। बिना पृष्ठभूमि के अपराध हो ही नहीं सकता और पृष्ठभूमि हमारा समाज ही बनाता है। बिना सामाजिक एवं राजनीतिक पोषण के अपराध कभी भी पनप ही नहीं सकता।.....कहीं समाज किसी के ऊपर अत्याचार करता है, तो अपराध का जन्म होता है, तो कहीं समाज अपने निहित स्वार्थ को साधने के लिए अपराध को बाढावा देता है। कहने का तात्पर्य यही है कि" अपराध के जन्म लेने का कारण हम और आप कहीं न कहीं है। बिना राजनीतिक स्वार्थ के अपराधियों का मनोबल कभी भी नहीं बढ सकता। "रजौली" एक ऐसे युवती की कहानी है, जो अपने आप में ही उलझी हुई है। "रजौली" वास्तव में एक वेदना है, जो अत्यधिक शोषण की भट्टी से ज्वालामुखी बनकर निकलती है। मदन मोहन" मैत्रेय
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रजौली-एक छल कथा

5 नवम्बर 2022
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अपराध की पृष्ठभूमि होती है। बिना पृष्ठभूमि के अपराध हो ही नहीं सकता और पृष्ठभूमि हमारा समाज ही बनाता है। बिना सामाजिक एवं राजनीतिक पोषण के अपराध कभी भी पनप ही नहीं सकता।.....कहीं समाज किसी के ऊपर अत्य

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पुलिस मूख्यालय........

6 नवम्बर 2022
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दिन के दस बजे से ही पुलिस मूख्यालय में बैठकों का दौर जारी था। वैसे तो पंद्रह अगस्त को लेकर दिल्ली में आर्मी बालों का कमांड हो जाता है। फिर भी प्रशासनिक व्यवस्था संभालने की जिम्मेदारी पुलिस की होती है।

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खंडहर........

7 नवम्बर 2022
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शाम ढलने को व्याकुल हो चुका था। लगता था कि" अब कुछ ही देर में अँधेरे का साम्राज्य व्याप्त हो जाएगा और होना भी यही चाहिए। क्योंकि यह समय चक्र है और इसमें सभी कुछ निर्धारित होता है, पहले से ही। इससे आज

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घटना स्थल का मुआयना एवं सलिल का हाँस्पिटल जाना........

8 नवम्बर 2022
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शाम का अंधेरा घिरने लगा था, लेकिन अमूमन जैसा होता है, शहर पर इस अंधेरे का कोई प्रभाव नहीं पड़ा था। तभी तो हनुमान चौक का इलाका रोशनी में जगमगाता हुआ प्रतीत हो रहा था। लेकिन अभी वहां पर बिल्कुल मातमी सन्

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रीठाला मेट्रो स्टेशन.......

9 नवम्बर 2022
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रात के एक बजे, मेट्रो में अपेक्षाकृत काफी कम यात्रियों की संख्या थी। कोरोना काल के गुजर जाने के कारण शहर व्यवस्थित हो चुका था, किन्तु पहले जैसी रफ्तार अभी नहीं पकड़ पाया था। दूजे कि" रात ज्यादा हो जाने

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सलिल का हाँस्पिट से रीठाला मेट्रो स्टेशन की ओर जाना.........

10 नवम्बर 2022
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रात बारह बजे।सलिल हाँस्पिटल से बाहर निकला था और अब जूस की दुकान खोज रहा था। शांतनु देव को गोली लगने के कारण उसका हृदय बहुत हद तक मर्माहत हुआ था। बार-बार उसे शांतनु देव पर गुस्सा भी आ रहा था। इतना तेज-

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उस औरत को हाँस्पिटल ले जाना और पुलिस द्वारा प्रेस रीलिज दिया जाना........

11 नवम्बर 2022
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रोमील के द्वारा उन चारों घायलों को ले जाने के बाद सलिल ने उस औरत को देखा। तब तक हथियार धारी फोर्स उसके करीब पहुंच चुका था और उन लोगों की नजर सलिल पर टिक गई थी, मानो जानना चाहते हो कि" कुछ देर पहले किस

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मंत्री भानु शाली.......

12 नवम्बर 2022
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सुबह के पांच बज चुके थे।अमूमन तो इस समय मंत्री आवास पर किसी प्रकार का चहल-पहल नहीं होता था। किन्तु" अभी-अभी मंत्री साहब की आँख खुली थी और उन्होंने न्यूज चैनल लगा दिया था और ऐसे ही एक नजर देख लेने की इ

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रजौली को पुलिस स्टेशन लाना और उससे पूछताछ.......

14 नवम्बर 2022
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सुबह के छ बजते ही आकाश सूर्य किरण की आभा से जगमगा उठा। उगते हुए सूर्य के साथ ही एल.

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मंत्री भानु शाली का पंडित जगतपति से मिलना.......

14 नवम्बर 2022
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सुबह के आठ बज चुके थे और इसके साथ ही चारों ओर प्रकाश का साम्राज्य छा चुका था। वैसे भी आकाश साफ था, जिसके कारण किरण का निखार कुछ ज्यादा था। लेकिन मंत्री भानु शाली के चेहरे से प्रतीत हो रहा था कि" उनके

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टाँर्चर रुम........

15 नवम्बर 2022
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सलिल, रजौली के द्वारा इस तरह लगाए जा रहे ठहाकों से परेशान हो चुका था। उसे उम्मीद थी कि" रजौली इस तरह के हरकत करने के बाद शांत हो जाएगी और फिर उसके साथ सहयोग करेगी। किन्तु नहीं, रजौली तो रुक-रुक कर करी

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मुहम्मद काजी.........

16 नवम्बर 2022
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सफेद लुंगी, उसपर नीले रंग का कुर्ता और सिर पर जालीदार सफेद टोपी।....चेहरे पर चमक, आँखों पर गोल चश्मा, लंबा कद। चेहरे पर मूंछ नहीं थी, किन्तु" लंबी सफेद दाढी, उम्र यही करीब पचपन वर्ष के करीब। मुहम्मद क

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सलिल के द्वारा पेट्रोलिंग किया जाना और हाँस्पिटल पहुंचना.........

17 नवम्बर 2022
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एस. पी. साहब के जाने के बाद जैसे सलिल की तंद्रा टूटी हो। फिर तो उसने रोमील एवं राम माधवन को आँफिस में बुलाया और समझाया कि" उसे आगे क्या करना है? साथ ही उसने पुलिस मूख्यालय भी फोन कर दिया कि" अतिरिक्त

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सलिल की कुमाऊ रंजन से मुलाकात........

18 नवम्बर 2022
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सलिल को अचानक ही आया देखकर शांतनु देव चौंका जरूर था, किन्तु" उसने अपने चेहरे पर इन भावों को नहीं आने दिया और सलिल को अपने करीब बैठने के साथ ही उसके चेहरे पर नजर टिका दी। जबकि सलिल, उसके करीब बैठने के

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मंत्री साहब का वकील दिगंबर से मिलना.......

19 नवम्बर 2022
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शाम के सात बज चुके थे और अब आसमान में तारे जगमग करने लगे थे। मंत्री भानु शाली अभी अपने बंगले से निकला था" वकील से मिलने के लिए। वैसे भी कुछ सेकेन्ड पहले हुई जोरदार बारिश ने रोड पर पानी जमा कर दिया था।

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कुमाऊ रंजन के साथ सलिल का पुलिस स्टेशन लौटना.......

20 नवम्बर 2022
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अचानक से ही बरसात की शुरुआत हो जाने के कारण एक पल के लिए सलिल हकबका सा गया। एक तो रात का आलम ढल चुका था, दूसरे आसमान से तेज गति से गिर रही बारिश की बुंदे। एक पल के लिए उसे समझ ही नहीं आया कि, क्या करे

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शांतनु देव का स्वप्न.........

21 नवम्बर 2022
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शांतनु देव को पंख लग गए थे और वो आसमान में ऊँचे- ऊँचे उड़ता जा रहा था। उसकी कोशिश भी तो यही थी कि" नील गगन के आँचल में दूर-दूर तक परवाज करें और फिर उसके तो पंख लग गए थे। कोमल-कोमल सफेद पंख, जिसमें बहुत

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सलिल एवं एस. पी. साहब का पुलिस स्टेशन पहुंचना और रजौली से पूछताछ करना.......

22 नवम्बर 2022
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सुबह के पांच बजने के साथ ही सलिल ने अंगड़ाई ली। कहां तो रजौली के कहे अनुसार दिल्ली शहर धमाके की आवाज से दहल जाना चाहिए था, परन्तु....ऐसा कुछ भी नहीं हुआ था। शहर तो अपनी चाल में गति कर रहा था, ऐसे में स

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शांतनु देव की चिन्ता और पुलिस स्टेशन जाना.........

23 नवम्बर 2022
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मानव मन की रचना ईश्वर ने अजीब प्रकार की- की है। जब मानव सुख में होता है, चिंतन नहीं करता और जब दुःख में होता है, चिंतनशीलता का आवरण ओठ लेता है। परन्तु... विचार, जो कि" मानव मन के साथ हमेशा ही लगे रहते

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सलिल के द्वारा शहर के चक्कर लगाना और पुलिस स्टेशन लौटना...........

25 नवम्बर 2022
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दिन के दस बजने बाले थे, किन्तु सलिल को अभी तक कहीं सफलता नहीं मिली थी। रजौली" ने जितने भी पते बतलाए थे, उन तमाम जगहों पर अब तक छापामारी की गई थी। परन्तु....वे तमाम जगह, जहां दूर-दूर तक भी संभावना नहीं

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रजौली" से फिर से पूछताछ और कोर्ट की नोटिस........

25 नवम्बर 2022
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सलिल एवं एस. पी. साहब को अजीब नजरों से अपनी ओर देखता पाकर शांतनु देव एक पल के लिए बौखला ही गया। उसकी इच्छा हुई कि" दोनों से पुछे कि, इस तरह से क्यों देख रहे हो?...परन्तु अचानक ही उसने अपने इस विचार को

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रजौली की कोर्ट में पेशी और सलिल का अपार्ट मेंट पर लौटना.......

26 नवम्बर 2022
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कोर्ट के नोटिस को देखने के बाद जहां सलिल की त्योरियां चढ गई, वही पर एस. पी. साहब एवं शांतनु देव के चेहरे पर चिन्ता की लकीरें खींच गई। अब भला शांतनु देव से ज्यादा कौन इस बात को समझ सकता था कि" रजौली के

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कुमाऊ रंजन से शांतनु देव की मुलाकात और कुमाऊ रंजन का रजौली से मिलना.......

27 नवम्बर 2022
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अपार्ट मेंट के अंदर हाँल में कुमाऊ रंजन सोफे पर अकड़ूँ बैठा हुआ था, परन्तु.....उसकी नजर टी. बी स्क्रीन पर ही चिपकी हुई थी। टी. बी. स्क्रीन पर चल रहा एंटरटेंनमेंट, लगता था कि, कुमाऊ रंजन तन्मयता से देख

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मंत्री भानु शाली के घर मीटिंग.......

28 नवम्बर 2022
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शाम ढलने को तत्पर था और लगता था कि" रात के अंधेरे का आवरण अब वातावरण को अपने आगोश में समेट लेगा। ठीक उसी तरह मंत्री भानु शाली के हृदय में भी भय रुपी अंधेरा घनघोर बादल की तरह बढते जा रहे थे और आतुर थे

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हाँस्पिटल में कुमाऊ रंजन की यादाश्त वापस लौटना......

29 नवम्बर 2022
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अचानक ही कुमाऊ रंजन का तबीयत बिगड़ने के बाद सलिल उसे हाँस्पिटल ले आया था। डाक्टरों की टीम कुमाऊ रंजन को इमरजेंसी वार्ड में ले गई थी। परन्तु अब तक सलिल इस सदमे से बाहर नहीं आ सका था कि" आखिर कुमाऊ रंजन

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मंत्री भानुशाली का जज साहब से मिलना.......

30 नवम्बर 2022
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काफी मनोमंथन के बाद भी जब वे लोग किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंच सके। मुहम्मद काजी ने सुझाव दिया कि" क्यों न हम लोग जज साहब से मिल ले। शायद वहीं से कोई रास्ता निकल आए। दावा पूर्वक तो कुछ नहीं कहा जा सकता

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सलिल का कुमाऊ रंजन के साथ पुलिस स्टेशन लौटना और कुमाऊ रंजन का बीते दिनों की यादों में जाना.....

1 दिसम्बर 2022
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सलिल ने ड्राइविंग शीट संभाली, रोमील कुमाऊ रंजन के साथ पीछे बैठा, जबकि बगल बाली शीट पर शांतनु देव बैठ गए। इसके बाद सलिल ने कार श्टार्ट की और हाँस्पिटल गेट से निकाल कर सड़क पर दौड़ा दिया। यूं तो सलिल शांत

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