सुबह के पांच बज चुके थे।
अमूमन तो इस समय मंत्री आवास पर किसी प्रकार का चहल-पहल नहीं होता था। किन्तु" अभी-अभी मंत्री साहब की आँख खुली थी और उन्होंने न्यूज चैनल लगा दिया था और ऐसे ही एक नजर देख लेने की इच्छा से लगाए गए न्यूज चैनल ने उनकी बी. पी बढा दी थी। अभी-अभी जो "रजौली" के बारे में नमक-मिर्च लगा कर न्यूज परोसा जा रहा था, उसने वास्तव में उनके शरीर में कंपन उत्पन्न करने का काम किया था। फिर तो उन्होंने एक-एक कर सभी न्यूज चैनल बदल डाले, किन्तु" सभी जगह सिर्फ रजौली ही छाई हुई थी। फिर क्या था, मंत्री साहब ने खुद को बमुश्किल संभाला और सोफे पर बैठ गए।
मंत्री भानु शाली, वैसे तो उनका प्रभार नागरिक उड्डयन था, किन्तु" सरकार में दो नंबर की हैसियत रखते थे। मोटा थुलथुल शरीर, गोरा रंग लिए गोल चेहरा, बिल्लौरी आँखें और छोटा कद। उसपर चेहरे पर झलकती हुई मक्कारी। उन्हें तो अब तक यही लगता था कि" जीवन उनके आधीन है और वो जो चाहे करें, पूर्ण रुप से स्वतंत्र है। किन्तु" नहीं, आज जो न्यूज दिखाया जा रहा था, वह उनका हौसला तोड़ने के लिए काफी था। तभी तो उन्होंने नौकरों को आवाज दी और बस इसके बाद मंत्री आवास पर हलचल शुरु हो गया। पचपन वर्षीय मंत्री भानु शाली के आवाज में बहुत ताकत थी, तभी तो बंगले के सभी नौकरों सहित उनकी पत्नी राधिका भी हाँल में आ गई। बस राधिका का यूं आना उन्हें अच्छा नहीं लगा और उसे इशारे से कहा कि.....वापस चली जाए। फिर उसके जाने के बाद नौकरों में से एक, जिसका नाम श्याम था" उसे बोला कि" फरदीन को बुलाकर ले आए।
इसके बाद तो नौकरों के जाने के बाद मंत्री साहब अपने चेहरे पर उभड़ आए पसीने को पोंछने लगे और याद करने की कोशिश करने लगे बीते हुए समय को। वे भूल भी कैसे सकते थे आज से छ वर्ष पहले के बीते हुए समय को। उनका रजौली को भूल जाना कभी भी मुमकिन नहीं था। तभी तो एसी. हाँल होने के बावजूद इस समय वो पसीने से तरबतर हो चुके थे। किन्तु" इस तरह से परेशान होने से भी तो समस्या का हल मिलने बाला नहीं था। किन्तु" पहले फरदीन को तो आने दे, उसके बाद ही वे कुछ सोच सकते थे, कुछ कर सकते थे।
वैसे भी सलमान एवं फरदीन उनके दो हाथ थे, जिसके सहारे उनकी राजनीति की गाड़ी चलती थी। भले ही दुनिया के नजरों में वे फरदीन और सलमान से दूरी बनाकर रहते थे। फरदीन एवं सलमान को इजाजत नहीं थी कि" सामने से उनसे मिलने की हिमाकत कर सके। आखिर वो छँटे हुए राजनीति बाज थे और सारे काले काम रात के अँधियारे में करते थे। बस इसी से समझ आता था कि" सलमान एवं फरदीन की उनके जीवन में कितनी अहमियत थी। परन्तु आज.....परिस्थिति कुछ भिन्न बन चुकी थी और ऐसे में वो दोनों से दूरी बनाकर रखे, उनके हित में नहीं था। तभी तो नौकरों के द्वारा उन्होंने फरदीन को बुलावा भेज दिया था।
और अब खुद की स्थिति को नियंत्रित करने में लगे हुए थे। तभी उनकी पत्नी राधिका काँफी बनाकर ले आई और उन्हें थमा दिया और उनके सामने बैठने ही बाली थी कि" मंत्री साहब ने मना कर दिया। नहीं चाहते थे कि" उनकी पत्नी उन दोनों मुल्लों के नजर में आए। क्योंकि राधिका बहुत ही सुंदर थी और उम्र भी यही करीब पैंतीस के करीब। जानते थे कि" दूसरे के परिवार पर डाका डालने बाला फरदीन और सलमान, अगर उनकी पत्नी उन दोनों के नजर पर चढ गई, उनका भी परिवार उजड़ते देर नहीं लगेगी। मंत्री साहब की इच्छा बिल्कुल भी नहीं थी कि" उनका परिवार उन दो काले नजर बाले का शिकार हो जाए। तभी तो, आज तक उन्होंने राधिका को कभी भी उन दो मुल्लों के सामने नहीं आने दिया था।
हाश!....पत्नी के अंदर जाते ही उन्होंने राहत का सांस लिया और अभी वो संभल भी नहीं पाए थे कि" उनकी नजर गेट से अंदर कदम रख रहे सलमान और फरदीन पर गई। जबकि सलमान एवं फरदीन आगे बढा और आकर उनके चरणों में झुक गया और फिर उनके सामने ही सोफे पर बैठ गया। सलमान और फरदीन, दोनों शरीर से हट्टा- कट्ठा थे। उन दोनों की नीली आँखें, गौर वर्ण लिए क्लीन शेब्ड चेहरा, पतली और लंबी गरदन, पतले ओंठ और घने लंबे बाल, जो कि काला था। उसपर लगा हुआ आँखों पर कीमती चश्मा, उम्र भी यही छब्बीस- सत्ताईस के करीब। पहली ही नजर में देखने पर कोई भी उनकी ओर आकर्षित हो जाए, ऐसा उनका व्यक्तित्व था। साथ ही वाणी में मिठास भी थी, तभी तो फरदीन मंत्री साहब को संबोधित करके बोला।
सर!.....अचानक ही ऐसी क्या बात हो गई कि" आपको इस तरह से मुझे बुलावा भेजना पड़ा। बोलने के बाद एक पल के लिए रुका फरदीन, फिर आगे बोला। सर!.....मैं आ ही रहा था, तो सोचा कि" साथ में सलमान को लिए चलता हूं, इसलिये हम दोनों आ गए। बोलने के बाद उसने नजर मंत्री साहब के चेहरे पर टिका दी, जबकि उसकी बातों को सुनकर मंत्री साहब धीरे से बोले।
बहुत ही अच्छा किया कि"...तुम दोनों साथ ही आ गए। बोलने के बाद अचानक ही मंत्री साहब ने चुप्पी साध ली। जबकि उनका इस तरह से चुप हो जाना, उन दोनों को समझ ही नहीं आया। लेकिन इस तरह से चुप्पी साधे रहने से उनकी उत्सुकता जरूर बढ गई, तभी तो इस बार सलमान उनको संबोधित करके बोला।
सर!.....आपने तो इस तरह से बुलावा भेजा था कि" जैसे कोई बहुत बड़ी आफत आ गई हो और अचानक ही चुप्पी साध कर बैठ गए। भला इस तरह से तो काम चलने बाला नहीं है। आप तो हमें बताइए कि" अचानक बुलावा भेजने की जरूरत क्यों आन पड़ी। सलिल ने अपने शब्द पूरे किए और नजर मंत्री साहब पर टिका दी। जबकि, उसकी बातों को सुनने के बाद मंत्री साहब ने गौर से दोनों के चेहरे को देखा और फिर बोले।
तो, तुम दोनों को याद जरूर होगा कि" आज से ठीक छ वर्ष पहले तुम ने एक लड़की को अपने प्रेम जाल में फंसाया था। बोलने के बाद मंत्री साहब एक पल के लिए रुके, फिर आगे बोले। तुम दोनों भूल भी नहीं सकते उस मामले को, आखिर तुम लोगों ने कारनामा ही ऐसा किया था और अगर मैं बीच में नहीं आता, तुम दोनों बुरी तरह से फंस जाते। मंत्री साहब ने कहा और नजर उन दोनों पर टिका दी, जबकि उनकी बातों को सुनते ही फरदीन ने उनके चेहरे को देखा और तपाक से बोला।
सर!....भला हम लोग उस वाकये को किस प्रकार से भूल सकते है। न तो उस लड़की "रज्जो" को और न उस समय की घटना को। बोलने के बाद एक पल के लिए रुका फरदीन, फिर आगे बोला। लेकिन बात क्या है?....आप जब तक नहीं बतलाएंगे, किस प्रकार से समझ सकूंगा। कहने के बाद फरदीन ने अपनी नजर मंत्री साहब के चेहरे पर टिका दी।
जबकि उसकी बातें सुनते ही मंत्री साहब सचेत हुए। फिर तो.....उन्होंने उन दोनों को आज के न्यूज एवं रजौली के बारे में बतलाया। साथ ही टीवी स्क्रीन खोल कर दोनों को न्यूज भी दिखा दी। बस इतना ही काफी था, उन दोनों के चेहरे पर खौफ लाने के लिए। उन दोनों का भी चेहरा न्यूज देखने के बाद पसीना से तरबतर हो चुका था। उन्होंने तो जीवन में कभी इस बात की कल्पना भी नहीं की थी कि" अचानक ही बीता हुआ प्रकरण उनके सामने आ जाएगा। लेकिन आ तो चुका था उनका अतीत उनके सामने। ऐसे में अब उन तीनों के चेहरे पर चिन्ता काबिज हो गई।
क्रमशः-