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मंत्री भानु शाली के घर मीटिंग.......

28 नवम्बर 2022

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शाम ढलने को तत्पर था और लगता था कि" रात के अंधेरे का आवरण अब वातावरण को अपने आगोश में समेट लेगा। ठीक उसी तरह मंत्री भानु शाली के हृदय में भी भय रुपी अंधेरा घनघोर बादल की तरह बढते जा रहे थे और आतुर थे उनके व्यक्तित्व को ही अपने आगोश में समेटने के लिए। उनका बंगला, जो रोशनी की चादर ओढ कर इस अंधेरे से लड़ने को तत्पर हो चुका था। परन्तु.....उनके मन में जो अंधेरा व्याप्त हो चुका था, उससे किस तरह से पीछा छुड़ाते?...उन्हें तो जिसकी उम्मीद नहीं थी, वही हुआ था। उनका अतीत उनके सामने आकर खड़ा हो गया था और वह भी विकराल रुप लेकर।
                                    जीवन के इस मुकाम पर आकर वो खुद को असहाय सा महसूस करने लगे थे अब। इससे पहले तो कभी भी उनकी मानसिक स्थिति इस तरह से अवसाद ग्रस्त नहीं हुआ था।....कभी भी कोई समस्या आता भी था, तो वे पैसे और पाँवर के बल पर उस समस्या से जीत जाते थे। किन्तु" अब जाकर उन्हें महसूस होने लगा था कि" कभी-कभी पैसे और पाँवर भी धरे रह जाते है, जब समय विपरीत होने लगता है। तभी तो उनके हृदय में व्याकुलता ने डेरा सा जमा लिया था। तभी तो आने बाले समय के पदचाप सुनकर मंत्री भानु शाली की बुद्धि कुंठित होने लगी थी। हाँल में मौजूद मंत्री भानु शाली सोफे पर बैठे हुए बार-बार करवट बदल रहे थे।
                               काश कि" इस समय पुजारी जल्द ही आ जाता। उसके आने से कम से कम उनके मन की वेदना कुछ कम तो हो जाती। परन्तु....नहीं, उसे तो जब भी जरूरी हो, समय बीता कर आना है। उसकी पुरानी आदत है कि" जब भी उसे बुलाओ, कभी समय पर नहीं आता। हलांकि, मंत्री साहब ने काजी, पुजारी और वकील, तीनों को ही मिलने के लिए बुलाया था। परिस्थिति ही ऐसी बन चुकी थी कि, जरूरत भी इसी की थी। आज जिस तरह से कोर्ट रूम में वकील दिगंबर की एक नहीं चली थी, उसने उनके कान खड़े कर दिए थे। उनके लिए यह समझना काफी था कि" आने बाले समय की पदचाप उनके विरुद्ध जाती है। ऐसे में इस समस्या पर मंथन करने की जरूरत आन खड़ी थी। 
                     चिन्ता में डुबे हुए मंत्री साहब को देखकर उनकी पत्नी घबरा गई थी। उसने दो बार मंत्री साहब को काँफी बना कर परोसे थे और मंत्री साहब पी भी गए थे। किन्तु" फिर भी उन्हें राहत की अनुभूति  नहीं हो रही थी। बार-बार वे गेट की ओर ही देख रहे थे, जिससे कि" उनकी पत्नी समझ गई कि, उन्हें किसी का इंतजार है। तभी तो वो अंदर चली गई थी, जबकि, मंत्री साहब अपने विशाल हाँल में बैठे हुए बस इंतजार ही कर रहे थे और फिर उनके इंतजार का अंत भी हुआ। क्योंकि, इधर अंधेरा घिरा और उधर कंपाऊंड में कार आकर लगी। बस मंत्री साहब ने राहत की सांस ली, क्योंकि, उनके लिए इतना ही समझने के लिए काफी था कि" जरूर उन तीनों में से कोई आया होगा। परन्तु.....उनके आश्चर्य की सीमा नहीं रही, जब उन्होंने देखा कि" पुजारी, काजी और वकील, तीनों ने साथ ही हाँल में कदम रखा।
आइए- आइए साहबान  लोगों!...आप लोगों ने तो आकर इस मंत्री निवास को पवित्र ही कर दिया। उन तीनों को देखते ही मंत्री साहब ने तीखी प्रतिक्रिया दी और फिर नजर उन पर ही टिका दी। जबकि, उनकी बातों को तीनों ने सुना, मुस्कराए और आगे बढ कर सोफे पर बैठ गए। फिर तो उन तीनों ने ही मंत्री साहब के चेहरे पर नजर टिका दिया, लेकिन बोले कुछ नहीं। ऐसे में मंत्री साहब के चेहरे पर तनाव बढने लगा। तब जाकर वकील दिगंबर ने कुछ सोचा, फिर बोला।
मंत्री साहब!...आप तो खामखा ही टेंशन ले रहे है। आप जितना सोचते है, मामला उतना भी उलझा हुआ नहीं है। बोलने के बाद एक पल के लिए रुका दिगंबर, फिर आगे बोला। मंत्री साहब!...आप विश्वास रखो कि" जल्द ही कोई न कोई रास्ता निकल आएगा। दिगंबर ने कहा और मंत्री साहब की ओर देखने लगा। जबकि, उसकी बातें सुनते ही मंत्री साहब ने तीखी प्रतिक्रिया दी।
कब हल निकल जाएगा!....जब कि" पूरा ही बेड़ा गरक हो जाएगा। बोलने के बाद एक पल के लिए रुके मंत्री साहब, फिर आगे बोले। कहीं ऐसा तो नहीं कि" तुमने इरादा बना लिया हो कि, मेरा सत्यानाश करके ही मानोगे। सच कहूं, तो मुझे तुम पर शक होने लगा है वकील। परन्तु....एक बात समझ लो कि" अगर मैं तबाह हुआ, तो बच तुम लोग भी नहीं पाओगे। मंत्री साहब ने अपने अंतिम के शब्दों पर जोर देकर कहा और फिर उन लोगों की ओर देखने लगा। जबकि, उनकी बातें सुनते ही पुजारी से नहीं रहा गया, तभी तो बीच में बोल पड़ा।
भानु शाली साहब!....आप भी न, बातों का बतंगड़ बना रहे हो। भला, इन बातों से हम लोग अंजान नहीं है और आप भी, बिना मतलब के अपने-आप को इस तरह से अकेला मत समझो। 
तो फिर मैं क्या समझूं पुजारी!...तुम लोग कानून के पंजे में फंसोगे तो अकेले ही जाओगे। बोलने के बाद रुके मंत्री साहब, फिर आगे बोले। लेकिन मेरा तो, इज्जत, मेरा रुतबा और मेरा ये विशाल साम्राज्य दाव पर लग गया है। अगर मैं फंसा न, तो मेरा सब कुछ तबाह हो जाएगा। मंत्री साहब ने कहा और फिर वे लंबी-लंबी सांस लेने लगे। जबकि, उनकी बात सुनकर काजी बोला।
मंत्री साहब!....इस तरह से बेचैन होने से क्या समस्या हल होने बाला है?....नहीं न, तो फिर इस तरह से परेशान क्यों हो रहे हो आप?....समझिए आप कि" आप अकेले इस मामले में नहीं फंसे हुए है, जबकि तलवार हम सभी के सिर पर लटक रहा है। तो फिर हम लोग चैन से इस मसले को सुलझाने की कोशिश करेंगे। काजी ने मंत्री साहब के आँखों में देख कर बोला। जबकि, उसकी बातों को सुन कर मंत्री साहब पूर्ववत बोले।
तो क्या काजी पानी सिर से ऊपर होकर गुजर जाएगा, तब हम लोग इस मसले को सुलझाएंगे। बोलने के बाद एक पल के लिए रुके मंत्री साहब, फिर आगे बोले। तुम भी इस बातों को अच्छी तरह से समझते हो काजी कि" मामला अगर हम लोगों के हाथों से निकला, तो फिर हम लोग कुछ भी नहीं कर पाएंगे। बोलने के बाद मंत्री साहब ने लंबी सांस ली और अभी उन्होंने बात खतम ही किया था कि" वकील गंभीर शब्दों में बोला।
मंत्री साहब!....मैं ने पहले भी कहा था और अब भी वही कह रहा हूं कि" दुनिया में ऐसी कोई समस्या नहीं, जिसका समाधान नहीं हो। हम लोग तो इसलिये ही यहां पर आए हुए है कि" इस मसले को सुलझाने के लिए विस्तरित चर्चा कर सकें।
                               इसके बाद तो वे लोग सामने आए हुए समस्या पर मन मंथन करने लगे। जहां पुजारी ने उन को सलिल के बारे में बतलाया कि" वह किस प्रकार का आँफिसर है। साथ ही उसने उदाहरण स्वरूप "रति संवाद" और "आथर्व खेमका" के बारे में बतलाया। फिर तो काजी ने बतलाया कि" क्या-क्या संभावनाएँ हो सकती है इस मसले को सुलझाने के लिए। काजी का मत यही था कि" शार्प शूटर को हायर किया जाए और हवालात में ही "रज्जो" को खतम करवा दिया जाए। परन्तु....मंत्री साहब इस प्रकार के रिश्क को लेना नहीं चाहते थे। उन्हें इसमें बहुत ही रिश्क लग रहा था और दूसरी बात, सलिल के बारे में जानते थे, इसलिये उससे पंगा नहीं लेना चाहते थे। ऐसे में मंत्री साहब ने वकील पर दबाव डाला कि" वही कोई रास्ता निकाले, जिससे कि, साँप भी मर जाए और लाठी भी नहीं टूटे। फिर तो उनके बीच बातें होती ही रही। इस बीच मंत्री साहब की पत्नी उन लोगों को काँफी सर्व कर गई। परन्तु....मसला इस तरह का था कि" उनकी काँफी ठंढी होती रही।
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क्रमशः-

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रचनाएँ
रजौली
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अपराध की पृष्ठभूमि होती है। बिना पृष्ठभूमि के अपराध हो ही नहीं सकता और पृष्ठभूमि हमारा समाज ही बनाता है। बिना सामाजिक एवं राजनीतिक पोषण के अपराध कभी भी पनप ही नहीं सकता।.....कहीं समाज किसी के ऊपर अत्याचार करता है, तो अपराध का जन्म होता है, तो कहीं समाज अपने निहित स्वार्थ को साधने के लिए अपराध को बाढावा देता है। कहने का तात्पर्य यही है कि" अपराध के जन्म लेने का कारण हम और आप कहीं न कहीं है। बिना राजनीतिक स्वार्थ के अपराधियों का मनोबल कभी भी नहीं बढ सकता। "रजौली" एक ऐसे युवती की कहानी है, जो अपने आप में ही उलझी हुई है। "रजौली" वास्तव में एक वेदना है, जो अत्यधिक शोषण की भट्टी से ज्वालामुखी बनकर निकलती है। मदन मोहन" मैत्रेय
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रजौली-एक छल कथा

5 नवम्बर 2022
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अपराध की पृष्ठभूमि होती है। बिना पृष्ठभूमि के अपराध हो ही नहीं सकता और पृष्ठभूमि हमारा समाज ही बनाता है। बिना सामाजिक एवं राजनीतिक पोषण के अपराध कभी भी पनप ही नहीं सकता।.....कहीं समाज किसी के ऊपर अत्य

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पुलिस मूख्यालय........

6 नवम्बर 2022
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दिन के दस बजे से ही पुलिस मूख्यालय में बैठकों का दौर जारी था। वैसे तो पंद्रह अगस्त को लेकर दिल्ली में आर्मी बालों का कमांड हो जाता है। फिर भी प्रशासनिक व्यवस्था संभालने की जिम्मेदारी पुलिस की होती है।

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खंडहर........

7 नवम्बर 2022
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शाम ढलने को व्याकुल हो चुका था। लगता था कि" अब कुछ ही देर में अँधेरे का साम्राज्य व्याप्त हो जाएगा और होना भी यही चाहिए। क्योंकि यह समय चक्र है और इसमें सभी कुछ निर्धारित होता है, पहले से ही। इससे आज

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घटना स्थल का मुआयना एवं सलिल का हाँस्पिटल जाना........

8 नवम्बर 2022
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शाम का अंधेरा घिरने लगा था, लेकिन अमूमन जैसा होता है, शहर पर इस अंधेरे का कोई प्रभाव नहीं पड़ा था। तभी तो हनुमान चौक का इलाका रोशनी में जगमगाता हुआ प्रतीत हो रहा था। लेकिन अभी वहां पर बिल्कुल मातमी सन्

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रीठाला मेट्रो स्टेशन.......

9 नवम्बर 2022
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रात के एक बजे, मेट्रो में अपेक्षाकृत काफी कम यात्रियों की संख्या थी। कोरोना काल के गुजर जाने के कारण शहर व्यवस्थित हो चुका था, किन्तु पहले जैसी रफ्तार अभी नहीं पकड़ पाया था। दूजे कि" रात ज्यादा हो जाने

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सलिल का हाँस्पिट से रीठाला मेट्रो स्टेशन की ओर जाना.........

10 नवम्बर 2022
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रात बारह बजे।सलिल हाँस्पिटल से बाहर निकला था और अब जूस की दुकान खोज रहा था। शांतनु देव को गोली लगने के कारण उसका हृदय बहुत हद तक मर्माहत हुआ था। बार-बार उसे शांतनु देव पर गुस्सा भी आ रहा था। इतना तेज-

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उस औरत को हाँस्पिटल ले जाना और पुलिस द्वारा प्रेस रीलिज दिया जाना........

11 नवम्बर 2022
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रोमील के द्वारा उन चारों घायलों को ले जाने के बाद सलिल ने उस औरत को देखा। तब तक हथियार धारी फोर्स उसके करीब पहुंच चुका था और उन लोगों की नजर सलिल पर टिक गई थी, मानो जानना चाहते हो कि" कुछ देर पहले किस

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मंत्री भानु शाली.......

12 नवम्बर 2022
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सुबह के पांच बज चुके थे।अमूमन तो इस समय मंत्री आवास पर किसी प्रकार का चहल-पहल नहीं होता था। किन्तु" अभी-अभी मंत्री साहब की आँख खुली थी और उन्होंने न्यूज चैनल लगा दिया था और ऐसे ही एक नजर देख लेने की इ

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रजौली को पुलिस स्टेशन लाना और उससे पूछताछ.......

14 नवम्बर 2022
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सुबह के छ बजते ही आकाश सूर्य किरण की आभा से जगमगा उठा। उगते हुए सूर्य के साथ ही एल.

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मंत्री भानु शाली का पंडित जगतपति से मिलना.......

14 नवम्बर 2022
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सुबह के आठ बज चुके थे और इसके साथ ही चारों ओर प्रकाश का साम्राज्य छा चुका था। वैसे भी आकाश साफ था, जिसके कारण किरण का निखार कुछ ज्यादा था। लेकिन मंत्री भानु शाली के चेहरे से प्रतीत हो रहा था कि" उनके

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टाँर्चर रुम........

15 नवम्बर 2022
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सलिल, रजौली के द्वारा इस तरह लगाए जा रहे ठहाकों से परेशान हो चुका था। उसे उम्मीद थी कि" रजौली इस तरह के हरकत करने के बाद शांत हो जाएगी और फिर उसके साथ सहयोग करेगी। किन्तु नहीं, रजौली तो रुक-रुक कर करी

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मुहम्मद काजी.........

16 नवम्बर 2022
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सफेद लुंगी, उसपर नीले रंग का कुर्ता और सिर पर जालीदार सफेद टोपी।....चेहरे पर चमक, आँखों पर गोल चश्मा, लंबा कद। चेहरे पर मूंछ नहीं थी, किन्तु" लंबी सफेद दाढी, उम्र यही करीब पचपन वर्ष के करीब। मुहम्मद क

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सलिल के द्वारा पेट्रोलिंग किया जाना और हाँस्पिटल पहुंचना.........

17 नवम्बर 2022
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एस. पी. साहब के जाने के बाद जैसे सलिल की तंद्रा टूटी हो। फिर तो उसने रोमील एवं राम माधवन को आँफिस में बुलाया और समझाया कि" उसे आगे क्या करना है? साथ ही उसने पुलिस मूख्यालय भी फोन कर दिया कि" अतिरिक्त

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सलिल की कुमाऊ रंजन से मुलाकात........

18 नवम्बर 2022
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सलिल को अचानक ही आया देखकर शांतनु देव चौंका जरूर था, किन्तु" उसने अपने चेहरे पर इन भावों को नहीं आने दिया और सलिल को अपने करीब बैठने के साथ ही उसके चेहरे पर नजर टिका दी। जबकि सलिल, उसके करीब बैठने के

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मंत्री साहब का वकील दिगंबर से मिलना.......

19 नवम्बर 2022
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शाम के सात बज चुके थे और अब आसमान में तारे जगमग करने लगे थे। मंत्री भानु शाली अभी अपने बंगले से निकला था" वकील से मिलने के लिए। वैसे भी कुछ सेकेन्ड पहले हुई जोरदार बारिश ने रोड पर पानी जमा कर दिया था।

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कुमाऊ रंजन के साथ सलिल का पुलिस स्टेशन लौटना.......

20 नवम्बर 2022
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अचानक से ही बरसात की शुरुआत हो जाने के कारण एक पल के लिए सलिल हकबका सा गया। एक तो रात का आलम ढल चुका था, दूसरे आसमान से तेज गति से गिर रही बारिश की बुंदे। एक पल के लिए उसे समझ ही नहीं आया कि, क्या करे

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शांतनु देव का स्वप्न.........

21 नवम्बर 2022
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शांतनु देव को पंख लग गए थे और वो आसमान में ऊँचे- ऊँचे उड़ता जा रहा था। उसकी कोशिश भी तो यही थी कि" नील गगन के आँचल में दूर-दूर तक परवाज करें और फिर उसके तो पंख लग गए थे। कोमल-कोमल सफेद पंख, जिसमें बहुत

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सलिल एवं एस. पी. साहब का पुलिस स्टेशन पहुंचना और रजौली से पूछताछ करना.......

22 नवम्बर 2022
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सुबह के पांच बजने के साथ ही सलिल ने अंगड़ाई ली। कहां तो रजौली के कहे अनुसार दिल्ली शहर धमाके की आवाज से दहल जाना चाहिए था, परन्तु....ऐसा कुछ भी नहीं हुआ था। शहर तो अपनी चाल में गति कर रहा था, ऐसे में स

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शांतनु देव की चिन्ता और पुलिस स्टेशन जाना.........

23 नवम्बर 2022
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मानव मन की रचना ईश्वर ने अजीब प्रकार की- की है। जब मानव सुख में होता है, चिंतन नहीं करता और जब दुःख में होता है, चिंतनशीलता का आवरण ओठ लेता है। परन्तु... विचार, जो कि" मानव मन के साथ हमेशा ही लगे रहते

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सलिल के द्वारा शहर के चक्कर लगाना और पुलिस स्टेशन लौटना...........

25 नवम्बर 2022
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दिन के दस बजने बाले थे, किन्तु सलिल को अभी तक कहीं सफलता नहीं मिली थी। रजौली" ने जितने भी पते बतलाए थे, उन तमाम जगहों पर अब तक छापामारी की गई थी। परन्तु....वे तमाम जगह, जहां दूर-दूर तक भी संभावना नहीं

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रजौली" से फिर से पूछताछ और कोर्ट की नोटिस........

25 नवम्बर 2022
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सलिल एवं एस. पी. साहब को अजीब नजरों से अपनी ओर देखता पाकर शांतनु देव एक पल के लिए बौखला ही गया। उसकी इच्छा हुई कि" दोनों से पुछे कि, इस तरह से क्यों देख रहे हो?...परन्तु अचानक ही उसने अपने इस विचार को

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रजौली की कोर्ट में पेशी और सलिल का अपार्ट मेंट पर लौटना.......

26 नवम्बर 2022
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कोर्ट के नोटिस को देखने के बाद जहां सलिल की त्योरियां चढ गई, वही पर एस. पी. साहब एवं शांतनु देव के चेहरे पर चिन्ता की लकीरें खींच गई। अब भला शांतनु देव से ज्यादा कौन इस बात को समझ सकता था कि" रजौली के

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कुमाऊ रंजन से शांतनु देव की मुलाकात और कुमाऊ रंजन का रजौली से मिलना.......

27 नवम्बर 2022
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अपार्ट मेंट के अंदर हाँल में कुमाऊ रंजन सोफे पर अकड़ूँ बैठा हुआ था, परन्तु.....उसकी नजर टी. बी स्क्रीन पर ही चिपकी हुई थी। टी. बी. स्क्रीन पर चल रहा एंटरटेंनमेंट, लगता था कि, कुमाऊ रंजन तन्मयता से देख

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मंत्री भानु शाली के घर मीटिंग.......

28 नवम्बर 2022
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शाम ढलने को तत्पर था और लगता था कि" रात के अंधेरे का आवरण अब वातावरण को अपने आगोश में समेट लेगा। ठीक उसी तरह मंत्री भानु शाली के हृदय में भी भय रुपी अंधेरा घनघोर बादल की तरह बढते जा रहे थे और आतुर थे

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हाँस्पिटल में कुमाऊ रंजन की यादाश्त वापस लौटना......

29 नवम्बर 2022
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अचानक ही कुमाऊ रंजन का तबीयत बिगड़ने के बाद सलिल उसे हाँस्पिटल ले आया था। डाक्टरों की टीम कुमाऊ रंजन को इमरजेंसी वार्ड में ले गई थी। परन्तु अब तक सलिल इस सदमे से बाहर नहीं आ सका था कि" आखिर कुमाऊ रंजन

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मंत्री भानुशाली का जज साहब से मिलना.......

30 नवम्बर 2022
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काफी मनोमंथन के बाद भी जब वे लोग किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंच सके। मुहम्मद काजी ने सुझाव दिया कि" क्यों न हम लोग जज साहब से मिल ले। शायद वहीं से कोई रास्ता निकल आए। दावा पूर्वक तो कुछ नहीं कहा जा सकता

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सलिल का कुमाऊ रंजन के साथ पुलिस स्टेशन लौटना और कुमाऊ रंजन का बीते दिनों की यादों में जाना.....

1 दिसम्बर 2022
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सलिल ने ड्राइविंग शीट संभाली, रोमील कुमाऊ रंजन के साथ पीछे बैठा, जबकि बगल बाली शीट पर शांतनु देव बैठ गए। इसके बाद सलिल ने कार श्टार्ट की और हाँस्पिटल गेट से निकाल कर सड़क पर दौड़ा दिया। यूं तो सलिल शांत

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