रात बारह बजे।
सलिल हाँस्पिटल से बाहर निकला था और अब जूस की दुकान खोज रहा था। शांतनु देव को गोली लगने के कारण उसका हृदय बहुत हद तक मर्माहत हुआ था। बार-बार उसे शांतनु देव पर गुस्सा भी आ रहा था। इतना तेज- तर्रार होने के बावजूद भी गोलियों का शिकार हो जाना, शांतनु देव को कतई शोभा नहीं देता था। खैर" अभी सलिल डाक्टर अमीत रंजन से मिला था और अमीत रंजन ने कह दिया था कि" शांतनु देव को पीने के लिए तरल पदार्थ दिया जा सकता है। बस उसके लिए जूस लेने के लिए निकल पड़ा था।
फिर तो, सलिल ने एप्पल जूस खरीदा और फिर वापस हाँस्पिटल की ओर बढा और उस रूम में पहुंचा, जिसमें शांतनु देव को रखा गया था और जैसे ही वह रूम में पहुंचा, शांतनु देव की नजर उसपर गई। शांतनु देव उसके हाथों में जूस के गिलास देखकर मुस्कराया, जबकि सलिल ने सहारा देकर उसे बिठाया और जूस का गिलास उसके हाथों में थमा दिया और नजर उसके चेहरे पर टिका दी। रूम में जलता हुआ बल्ब, जिसकी नीली रोशनी में शांतनु देव का चेहरा चमक रहा था। लेकिन सलिल तो उसके चेहरे पर इसलिये नजर टिकाए हुए था कि" उसके मन में उठ रहे वेदना को अनुभव कर सके। तभी शांतनु देव उसे अपनी ओर इस तरह से देखता पाकर धीरे से बोला।
क्या हुआ यार सलिल?.....तुम मुझे इस तरह से देख रहे हो, जैसे कि" जीवन में पहली ही बार हम दोनों की मुलाकात हुई हो। कहने के बाद शांतनु देव मुस्कराया और फिर सलिल की आँखों में देखने लगा। जबकि सलिल ने उसकी बातों का तत्काल ही जबाव दिया।
हां, बस तुम्हें ही देख रहा हूं और यही सोच रहा हूं कि" तुम्हारे जैसा इंसान भी गोलियों का शिकार हो सकता है? बस यही प्रश्न मुझे बेचैन किए हुए है। इस तरह से तो कोई भी तुम्हें आसानी से शिकार बना सकता है। सलिल ने कहा और नजर शांतनु देव पर टिका दी, जबकि शांतनु देव उसकी बातों को सुनकर मुस्कराया, फिर बोला।
अमा यार सलिल!....तुम भी न, शाम से देख रहा हूं कि" एक बात को ही लेकर बैठे हुए हो और विधवा विलाप कर रहे हो। भाई!....हादसे का शिकार कोई भी हो सकता है, भले ही वो कितना बड़ा भी तुर्रम खान हो। अब इसमें इतनी बातों को विगोने की जरूरत क्या है?.....सलिल ने कहा और अपनी नजर को सलिल पर टिका दी। जबकि उसकी बात सुनकर सलिल भी मुस्कराया, फिर उसने बात ही बदल दी।
अच्छा छोड़ो इन बातों को शांतनु!....तुम उस औरत के हुलिया का ही बयान कर दो। जिससे कि" उसको गिरफ्तार किया जा सके, नहीं तो.....वो न जाने कितनों की जान ले लेगी। सलिल ने कहा और शांतनु देव के चेहरे के भावों को पढने की कोशिश करने लगा। जबकि उसकी बातों को सुनकर शांतनु देव थोड़ा गंभीर हुआ और फिर सलिल की ओर देखकर बोला।
यार!....वो औरत करीब तीस के उम्र की होगी। अभी तो देखने में भिखारिन, किन्तु" वो भिखारिन तो वो कदापि नहीं थी। बोलने के बाद शांतनु देव एक पल के लिए रुका, फिर आगे बोला। लेकिन मैं दावे के साथ कह सकता हूं कि" वो औरत अपने जमाने की बहुत ही सुंदर औरत रही होगी। बिल्कुल कमायनी सी। कहने के बाद शांतनु देव रुका, तभी सलिल बीच में बोल पड़ा।
और आतंकवादी भी!.....वो आतंकवादी जैसी दिखती होगी? सलिल ने सहज ही पुछ लिया, जिस पर शांतनु देव ने तुरंत ही प्रतिक्रिया दी।
ऐसी बात नहीं है!....फिलहाल तो मैं ढृढता के साथ नहीं कह सकता कि" सही क्या है। परन्तु मुझे देखने में तो वो औरत कहीं से आतंकवादी नहीं लगी।
कहने के बाद शांतनु देव मौन हो गया। उसे चुप्पी साधे देखकर सलिल ने भी इरादा बना लिया कि" फिलहाल तो यहां से चलना चाहिए। तभी तो उसने शांतनु देव से अनुमति ली और हाँस्पिटल से बाहर आ गया। बाहर रोमील कार लेकर खड़ा था, बस उसे देखते ही सलिल के दिमाग में खयाल आया कि" नाइट पेट्रोलिंग कर लिया जाए। फिर तो कार में बैठने के साथ ही सलिल ने रोमील को अपनी इच्छा सुना दी और ड्राइविंग शीट संभाले हुए रोमील ने अपना माथा पीट लिया। जानता था कि" आज की रात अब जागरण में ही गुजर जाने बाली है। किन्तु" मना भी तो नहीं कर सकता था, इसलिये मन मसोस कर उसने इंजन श्टार्ट किया और कार आगे बढा दी। जबकि" सलिल कार में बैठने के साथ ही उस औरत के व्यक्तित्व में उलझ गया।
उसने अब तक उस औरत को अपनी आँखों से नहीं देखा था, ऐसे में किसी प्रकार का धारणा बना लेना कदाचित उचित नहीं था। फिर भी अभी जो परिस्थिति इंगित कर रहे थे, उसमें वो औरत उसे तो आतंकवादी ही लग रही थी। क्योंकि, अपराधी कभी भी निर्दोष लोगों पर इस तरह से हमला नहीं करते। उनका अपना एक अलग टार्गेट होता है और वे उसी काम को पूरा करने की कोशिश करते है। लेकिन उस औरत ने अचानक ही आमजन को निशाना बनाया था और इस प्रकार के वारदात को आतंकवादी ही अंजाम देते है। तभी तो वह उलझा हुआ था, लेकिन इस उलझन में भी उसका दिमाग काम कर रहा था। तभी तो उसने रोमील से कार को रीठाला मेट्रो स्टेशन ले चलने को कहा।
उधर वो औरत रीठाला मेट्रो स्टेशन की ओर बढी। किन्तु" उसने अभी तो गेट के अंदर कदम ही रखा था कि" उसकी नजर गश्ती कर रहे फोर्स पर गई और वो औरत संभल गई। फिर तो उसने हथियार संभाला और अचानक ही ट्रिगर दबाती हुई स्टेशन के गेट से बाहर की ओर भागी। अचानक ही शांत वातावरण को गोलियों की तड़तड़ाहट ने भंग कर दिया। पूरा इलाका ही गोलियां चलने की कर्कश ध्वनि से गुंज उठा और साथ ही हलचल भी ला दिया। पुलिस फोर्स भी अचानक ही हुए इस हमले से बौखला गए और इधर-उधर हथियार संभाल कर दौड़ने लगे। किन्तु" उन लोगों के समझ में कुछ भी नहीं आ रहा था कि" अचानक ही ये गोलियां कहां और कैसे चलने लगी?.....इधर वो औरत गोलियां चलाते हुए उधर पहुंची, जहां दोनों युवक दोनों युवती के साथ खड़े होकर रात साथ चलने के लिए डील कर रहे थे।
किन्तु" इस बात से बेखबर होकर कि" अगले पल उनपर आफत आने बाली है। गोलियां चलने की आवाज ने उनको चौंकाया जरूर था, परन्तु जब तक वे चारों मामला समझ पाते, वो औरत उन के पास पहुंच चुकी थी। फिर तो वो औरत ए. के. फोर्टी सेवन से उन चारों पर गोलियां बरसाती हुई भागी और सामने से आ रहे सलिल के कार से टकरा गई। इधर वे चारों गोलियां लगते ही सड़क पर ढेर होकर तड़पने लगे। उधर वो औरत जैसे ही कार से टकराई, रोमील ने तेजी से ब्रेक लगाए, जिसके कारण कार की टायर घिसटती चली गई और उससे उत्पन्न शोर ने फिर से एक बार इलाके को दहला दिया। साथ ही सलिल तुरंत ही मामला समझ गया, तभी तो कार रुकने से पहले ही गेट खोल कर बाहर निकल गया और एक फलांग में ही औरत के पास पहुंच गया।
उधर, रोमील तड़पते हुए चारों को देख चुका था और समझ चुका था कि" उन्हें गोलियां लगी है। तभी तो उसने एँबुलेंस को फोन किया और फिर तेजी से निकल कर उन चारों तक पहुंच गया। उधर, रेलवे स्टेशन से फोर्स की टुकड़ी भी बाहर आ गई थी और उनके करीब पहुंच चुकी थी। तभी तो, सलिल जब आश्वस्त हुआ कि" मामला नियंत्रण में है, उसने रोमील से कहा कि, उन चारों को लेकर तुरंत ही हाँस्पिटल जाए। एँबुलेंस आने पर इस औरत को लेकर आ रहा हूं। फिर क्या था, रोमील ने गजब की फुर्ती के साथ उन चारों को कार में डाला और कार श्टार्ट करके सड़क पर दौड़ा दी। इधर सलिल ने उस औरत के नब्ज को टटोला, नब्ज नार्मल थी। तब जाकर सलिल ने शांति की सांस ली, वैसे उसको इस बात की अनुभूति थी कि" औरत को अच्छी-खासी चोट आई है।
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क्रमशः-