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सलिल के द्वारा पेट्रोलिंग किया जाना और हाँस्पिटल पहुंचना.........

17 नवम्बर 2022

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एस. पी. साहब के जाने के बाद जैसे सलिल की तंद्रा टूटी हो। फिर तो उसने रोमील एवं राम माधवन को आँफिस में बुलाया और समझाया कि" उसे आगे क्या करना है? साथ ही उसने पुलिस मूख्यालय भी फोन कर दिया कि" अतिरिक्त पुलिस फोर्स भेज दिया जाए। फिर तो रोमील एवं राम माधवन पुलिस स्टेशन से निकले और अलग- अलग गाड़ियों में निकल पड़े। वैसे भी अब दिन के दस बजने बाले थे और ऐसे में ज्यादा विलंब करना उचित नहीं था। फिर तो सलिल भी आँफिस से निकला और बाईक के पास पहुंचा। आज वैसे भी उसकी इच्छा थी कि" बाईक से ही पेट्रोलिंग करें।
                     तभी तो, बाईक पर बैठने के साथ ही उसने श्टार्ट की और आगे बढा दिया। फिर तो पुलिस स्टेशन से निकलते ही सड़क पर फर्राटे भरने लगी। साथ ही उसकी नजर चारों तरफ देखती जा रही थी, इस उम्मीद में कि" कहीं कोई संदिग्ध नजर में चढे। किन्तु" उसे ऐसा कोई भी नजर नहीं आ रहा था, जिसको कह सके कि" हां वो तो संदिग्ध है। परन्तु.....रजौली ने जो कहा, वो गलत भी तो नहीं हो सकता। जरूर आतंकियों ने कोई प्लानिंग की होगी, किन्तु" किस प्रकार की?....प्रश्न था, जो कि उसके दिमाग में घूम रहा था। जानता था कि" पंद्रह अगस्त नजदीक आ चुका है, इस परिस्थिति में आतंकवादियों का टार्गेट होता है कि" कोई बड़े वारदात को अंजाम दे, जिससे कि, पब्लिक में भय और दहशत हो और सरकार की निंद हराम हो जाए।
                            सलिल इन्हीं बातों को सोच-सोच कर हैरान- परेशान था। परन्तु उसे उम्मीद थी कि" अगर उसने प्रयास किए, तो जरूर ही अपराधी उसके में गिरफ्त होगा। वैसे, उसे इस बात का भी विश्वास था कि" रोमील एवं राम माधवन योग्य आँफिसर है, वे जरूर परिस्थिति को नियंत्रण में ले लेंगे। तभी तो वो बाईक की स्पीड बढाता जा रहा था और बाईक भी फूल रफ्तार से सड़क का शीना रौंदती जा रही थी। आगे की ओर सरपट दौड़ती बाईक और पीछे छूटती ऊँची बिल्डिंगे। वैसे भी बीतते समय के साथ ही शहर की चहल-पहल बढ गई थी। परन्तु....सलिल को इससे मानो कोई मतलब नहीं था। वह तो अपने उद्देश्य की पूर्ति करने के लिए निकला था और जब तक उसके काम पूरे नहीं हो जाते और विषय के बारे में सोच भी नहीं सकता था।
                   बीतते समय की गति और पूरे दो घंटे हो गए उसे दिल्ली की सड़क पर उसे बाईक दौड़ाते हुए, परन्तु उसके हाथ निराशा ही लगी। फिर तो बाईक चलाते हुए सलिल थकावट भी महसूस करने लगा। तभी तो उसने सायना रेस्टोरेंट के सामने बाईक खड़ी की और फिर रोमील एवं राम माधवन को भी वहीं पर बुला लिया। फिर तो तीनों रेस्टोरेंट में खाना खाने के लिए बैठ गए, साथ ही रोमील एवं राम माधवन ने उसे बतलाया कि" किस प्रकार से उन्होंने इस इलाके के सुरक्षा को चाक-चौबंद कर दिया है। पेट पुजा होने के बाद फिर से वे तीनों शहर की अलग- अलग दिशाओं में निकल पड़े, इस आशा के साथ कि" कहीं उनके हाथ सफलता लग जाए। कहीं तो कोई आतंकी उनके हाथ लग जाए।
                               किन्तु" शाम के चार हो गए, फिर भी उन्हें अपने काम में सफलता नहीं मिली। तभी तो सलिल ने रोमील एवं राम माधवन को फोन किया और उन्हें पुलिस मूख्यालय आने को कहा और अपनी भी बाईक उधर ही दौड़ा दी।....जानता था कि" शाम होने बाला है और ऐसे में बाँस को रिपोर्टिंग करने की जरूरत है और साथ ही वे क्या निर्देश देते है?....यह भी तो जानना जरूरी था। तभी तो पुलिस मूख्यालय पहुंचने के बाद उसने बाईक पार्क की और अभी आँफिस बिल्डिंग की ओर बढने ही बाला था, तभी उसकी नजर मूख्यालय गेट से रोमील एवं राम माधवन गाड़ियां लेकर आता हुआ दिखा। फिर तो सलिल रुक गया और उन दोनों के करीब आ जाने के बाद ही आगे बढा। 
                         इधर एस. पी. साहब भी आँफिस में बैठे हुए उन्हीं का इंतजार कर रहे थे। तभी तो, तीनों ने जैसे ही आँफिस में कदम रखा, एस. पी. साहब धैर्य नहीं रख सके और पूरे दिन की रिपोर्ट मांग बैठे। सलिल उनके इस हरकत से एक पल के लिए बौखला ही गया। उसे समझ ही नहीं आया कि" अचानक ही साहब को क्या हो गया। क्योंकि" इससे पहले तो उसने कभी भी एस. पी. साहब को इस तरह से उत्सुक नहीं देखा था। तभी तो तीनों आगे बढे, सैल्यूट दिया और बैठने के बाद सलिल उनको बतलाने लगा कि" किस तरह से उन तीनों ने शहर की अलग- अलग पेट्रोलिंग की और इस दरमियान उन्हें कुछ भी नहीं मिला।
                    इसके बाद सलिल उन दोनों के साथ पुलिस मूख्यालय से निकला और दोनों को पुलिस स्टेशन जाने के  लिए कह कर खुद हाँस्पिटल के लिए निकला। वैसे भी उसे शांतनु देव का हाल-चाल जानना था और उसके साथ में मशविरा भी करना था इस केस के संदर्भ में। तभी तो...... फिर से उसने सड़क पर बाईक दौड़ा दी, इस विचार के साथ कि" आगे क्या-क्या संभावनाएँ हो सकती है?...यह प्रश्न था, जिसका उत्तर अभी भविष्य के गर्त में छिपा हुआ था। क्योंकि" जब तक रजौली सहयोग नहीं करती, उसके बारे में जानना लगभग नामुमकिन ही था। परन्तु सलिल, इन छोटी-छोटी मुसीबतों से घबरा जाए, ऐसा आँफिसर नहीं था।
                     उसने आथर्व खेमका एवं रति संवाद के केस में ऐसे ही कई प्राँबलम फेश किए थे। किन्तु उसने धैर्य से काम लिया था, तभी तो उसने सफलता पाई थी। आज भी उसे शांतनु देव के सलाह की जरूरत थी, क्योंकि वह रजौली के द्वारा किए जा रहे हरकतों से उलझ चुका था। वो रजौली के व्यक्तित्व को ही समझ नहीं पा रहा था। कभी तो उसे लगता था कि" रजौली की तालुकात किसी आतंकवादी संगठन से है, क्योंकि" उसने जिस प्रकार के वारदात को अंजाम दिया था, इस प्रकार की घटना को आतंकवादी ही अंजाम देते है। फिर कभी उसे महसूस होने लगता था कि" नहीं- नहीं, रजौली जो दिखती है, वह ऐसी नहीं है। जरूर कुछ ऐसी बात है, जो कि उसे समझ नहीं आ रहा है।
                   फिलहाल तो उसे इस मसले को सुलझाने के लिए किसी शार्प माइंड के इंसान के मदद की जरूरत थी और शांतनु देव ऐसा ही था। सलिल इस बात को भलीभांति समझता था कि" शांतनु देव की समझ बहुत ही गुढ है। वो किसी भी बात को समझता है और उसके बाद ही प्रतिक्रिया देता है और जो प्रतिक्रिया देता है, पूर्ण रुप से सकारात्मक होता है। इसलिये ही तो सलिल शांतनु देव के पास दौड़ा हुआ जा रहा था। एक तो उसके हाल-चाल भी जान लेगा और अपनी उलझनों पर स्पष्ट तरीके से चर्चा कर सकेगा। तभी तो हाँस्पिटल के करीब पहुंचने के बाद सलिल ने फ्रूट जूस खरीदा और फिर बाईक को हाँस्पिटल कंपाऊंड में खड़ी करने के बाद बिल्डिंग की ओर तेज कदमों से बढा।
                             उसकी इच्छा यही थी कि" जल्द से जल्द शांतनु देव के पास पहुंच जाए। क्योंकि, फिर उसे पुलिस स्टेशन भी लौटना था और साथ ही नाइट पेट्रोलिंग के लिए भी तो निकलना था। तभी तो, जिस रूम में शांतनु देव था, उस रूम में पहुंचने में उसे कुछ पल ही लगे और जब वो रूम में पहुंचा, शांतनु देव को उपन्यास पढते पाया। किन्तु" ऐसी भी बात नहीं थी कि, शांतनु देव उसके आने से अंजान था। परन्तु.....अभी तक उसकी नजर किताब के पन्नों से नजर नहीं हटी। जबकि, सलिल ने जूस को टेबुल पर रखा और बेड पर ही शांतनु देव के करीब बैठ गया, साथ ही उसने अपनी नजर उसपर टिका दी। ऐसे में शांतनु देव से नहीं रहा गया, उसने किताब किनारे रखी और उसकी ओर मुखातिब हुआ।
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क्रमशः-
                                

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रचनाएँ
रजौली
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अपराध की पृष्ठभूमि होती है। बिना पृष्ठभूमि के अपराध हो ही नहीं सकता और पृष्ठभूमि हमारा समाज ही बनाता है। बिना सामाजिक एवं राजनीतिक पोषण के अपराध कभी भी पनप ही नहीं सकता।.....कहीं समाज किसी के ऊपर अत्याचार करता है, तो अपराध का जन्म होता है, तो कहीं समाज अपने निहित स्वार्थ को साधने के लिए अपराध को बाढावा देता है। कहने का तात्पर्य यही है कि" अपराध के जन्म लेने का कारण हम और आप कहीं न कहीं है। बिना राजनीतिक स्वार्थ के अपराधियों का मनोबल कभी भी नहीं बढ सकता। "रजौली" एक ऐसे युवती की कहानी है, जो अपने आप में ही उलझी हुई है। "रजौली" वास्तव में एक वेदना है, जो अत्यधिक शोषण की भट्टी से ज्वालामुखी बनकर निकलती है। मदन मोहन" मैत्रेय
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रजौली-एक छल कथा

5 नवम्बर 2022
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अपराध की पृष्ठभूमि होती है। बिना पृष्ठभूमि के अपराध हो ही नहीं सकता और पृष्ठभूमि हमारा समाज ही बनाता है। बिना सामाजिक एवं राजनीतिक पोषण के अपराध कभी भी पनप ही नहीं सकता।.....कहीं समाज किसी के ऊपर अत्य

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पुलिस मूख्यालय........

6 नवम्बर 2022
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दिन के दस बजे से ही पुलिस मूख्यालय में बैठकों का दौर जारी था। वैसे तो पंद्रह अगस्त को लेकर दिल्ली में आर्मी बालों का कमांड हो जाता है। फिर भी प्रशासनिक व्यवस्था संभालने की जिम्मेदारी पुलिस की होती है।

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खंडहर........

7 नवम्बर 2022
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शाम ढलने को व्याकुल हो चुका था। लगता था कि" अब कुछ ही देर में अँधेरे का साम्राज्य व्याप्त हो जाएगा और होना भी यही चाहिए। क्योंकि यह समय चक्र है और इसमें सभी कुछ निर्धारित होता है, पहले से ही। इससे आज

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घटना स्थल का मुआयना एवं सलिल का हाँस्पिटल जाना........

8 नवम्बर 2022
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शाम का अंधेरा घिरने लगा था, लेकिन अमूमन जैसा होता है, शहर पर इस अंधेरे का कोई प्रभाव नहीं पड़ा था। तभी तो हनुमान चौक का इलाका रोशनी में जगमगाता हुआ प्रतीत हो रहा था। लेकिन अभी वहां पर बिल्कुल मातमी सन्

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रीठाला मेट्रो स्टेशन.......

9 नवम्बर 2022
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रात के एक बजे, मेट्रो में अपेक्षाकृत काफी कम यात्रियों की संख्या थी। कोरोना काल के गुजर जाने के कारण शहर व्यवस्थित हो चुका था, किन्तु पहले जैसी रफ्तार अभी नहीं पकड़ पाया था। दूजे कि" रात ज्यादा हो जाने

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सलिल का हाँस्पिट से रीठाला मेट्रो स्टेशन की ओर जाना.........

10 नवम्बर 2022
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रात बारह बजे।सलिल हाँस्पिटल से बाहर निकला था और अब जूस की दुकान खोज रहा था। शांतनु देव को गोली लगने के कारण उसका हृदय बहुत हद तक मर्माहत हुआ था। बार-बार उसे शांतनु देव पर गुस्सा भी आ रहा था। इतना तेज-

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उस औरत को हाँस्पिटल ले जाना और पुलिस द्वारा प्रेस रीलिज दिया जाना........

11 नवम्बर 2022
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रोमील के द्वारा उन चारों घायलों को ले जाने के बाद सलिल ने उस औरत को देखा। तब तक हथियार धारी फोर्स उसके करीब पहुंच चुका था और उन लोगों की नजर सलिल पर टिक गई थी, मानो जानना चाहते हो कि" कुछ देर पहले किस

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मंत्री भानु शाली.......

12 नवम्बर 2022
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सुबह के पांच बज चुके थे।अमूमन तो इस समय मंत्री आवास पर किसी प्रकार का चहल-पहल नहीं होता था। किन्तु" अभी-अभी मंत्री साहब की आँख खुली थी और उन्होंने न्यूज चैनल लगा दिया था और ऐसे ही एक नजर देख लेने की इ

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रजौली को पुलिस स्टेशन लाना और उससे पूछताछ.......

14 नवम्बर 2022
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सुबह के छ बजते ही आकाश सूर्य किरण की आभा से जगमगा उठा। उगते हुए सूर्य के साथ ही एल.

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मंत्री भानु शाली का पंडित जगतपति से मिलना.......

14 नवम्बर 2022
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सुबह के आठ बज चुके थे और इसके साथ ही चारों ओर प्रकाश का साम्राज्य छा चुका था। वैसे भी आकाश साफ था, जिसके कारण किरण का निखार कुछ ज्यादा था। लेकिन मंत्री भानु शाली के चेहरे से प्रतीत हो रहा था कि" उनके

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टाँर्चर रुम........

15 नवम्बर 2022
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सलिल, रजौली के द्वारा इस तरह लगाए जा रहे ठहाकों से परेशान हो चुका था। उसे उम्मीद थी कि" रजौली इस तरह के हरकत करने के बाद शांत हो जाएगी और फिर उसके साथ सहयोग करेगी। किन्तु नहीं, रजौली तो रुक-रुक कर करी

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मुहम्मद काजी.........

16 नवम्बर 2022
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सफेद लुंगी, उसपर नीले रंग का कुर्ता और सिर पर जालीदार सफेद टोपी।....चेहरे पर चमक, आँखों पर गोल चश्मा, लंबा कद। चेहरे पर मूंछ नहीं थी, किन्तु" लंबी सफेद दाढी, उम्र यही करीब पचपन वर्ष के करीब। मुहम्मद क

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सलिल के द्वारा पेट्रोलिंग किया जाना और हाँस्पिटल पहुंचना.........

17 नवम्बर 2022
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एस. पी. साहब के जाने के बाद जैसे सलिल की तंद्रा टूटी हो। फिर तो उसने रोमील एवं राम माधवन को आँफिस में बुलाया और समझाया कि" उसे आगे क्या करना है? साथ ही उसने पुलिस मूख्यालय भी फोन कर दिया कि" अतिरिक्त

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सलिल की कुमाऊ रंजन से मुलाकात........

18 नवम्बर 2022
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सलिल को अचानक ही आया देखकर शांतनु देव चौंका जरूर था, किन्तु" उसने अपने चेहरे पर इन भावों को नहीं आने दिया और सलिल को अपने करीब बैठने के साथ ही उसके चेहरे पर नजर टिका दी। जबकि सलिल, उसके करीब बैठने के

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मंत्री साहब का वकील दिगंबर से मिलना.......

19 नवम्बर 2022
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शाम के सात बज चुके थे और अब आसमान में तारे जगमग करने लगे थे। मंत्री भानु शाली अभी अपने बंगले से निकला था" वकील से मिलने के लिए। वैसे भी कुछ सेकेन्ड पहले हुई जोरदार बारिश ने रोड पर पानी जमा कर दिया था।

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कुमाऊ रंजन के साथ सलिल का पुलिस स्टेशन लौटना.......

20 नवम्बर 2022
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अचानक से ही बरसात की शुरुआत हो जाने के कारण एक पल के लिए सलिल हकबका सा गया। एक तो रात का आलम ढल चुका था, दूसरे आसमान से तेज गति से गिर रही बारिश की बुंदे। एक पल के लिए उसे समझ ही नहीं आया कि, क्या करे

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शांतनु देव का स्वप्न.........

21 नवम्बर 2022
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शांतनु देव को पंख लग गए थे और वो आसमान में ऊँचे- ऊँचे उड़ता जा रहा था। उसकी कोशिश भी तो यही थी कि" नील गगन के आँचल में दूर-दूर तक परवाज करें और फिर उसके तो पंख लग गए थे। कोमल-कोमल सफेद पंख, जिसमें बहुत

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सलिल एवं एस. पी. साहब का पुलिस स्टेशन पहुंचना और रजौली से पूछताछ करना.......

22 नवम्बर 2022
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सुबह के पांच बजने के साथ ही सलिल ने अंगड़ाई ली। कहां तो रजौली के कहे अनुसार दिल्ली शहर धमाके की आवाज से दहल जाना चाहिए था, परन्तु....ऐसा कुछ भी नहीं हुआ था। शहर तो अपनी चाल में गति कर रहा था, ऐसे में स

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शांतनु देव की चिन्ता और पुलिस स्टेशन जाना.........

23 नवम्बर 2022
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मानव मन की रचना ईश्वर ने अजीब प्रकार की- की है। जब मानव सुख में होता है, चिंतन नहीं करता और जब दुःख में होता है, चिंतनशीलता का आवरण ओठ लेता है। परन्तु... विचार, जो कि" मानव मन के साथ हमेशा ही लगे रहते

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सलिल के द्वारा शहर के चक्कर लगाना और पुलिस स्टेशन लौटना...........

25 नवम्बर 2022
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दिन के दस बजने बाले थे, किन्तु सलिल को अभी तक कहीं सफलता नहीं मिली थी। रजौली" ने जितने भी पते बतलाए थे, उन तमाम जगहों पर अब तक छापामारी की गई थी। परन्तु....वे तमाम जगह, जहां दूर-दूर तक भी संभावना नहीं

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रजौली" से फिर से पूछताछ और कोर्ट की नोटिस........

25 नवम्बर 2022
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सलिल एवं एस. पी. साहब को अजीब नजरों से अपनी ओर देखता पाकर शांतनु देव एक पल के लिए बौखला ही गया। उसकी इच्छा हुई कि" दोनों से पुछे कि, इस तरह से क्यों देख रहे हो?...परन्तु अचानक ही उसने अपने इस विचार को

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रजौली की कोर्ट में पेशी और सलिल का अपार्ट मेंट पर लौटना.......

26 नवम्बर 2022
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कोर्ट के नोटिस को देखने के बाद जहां सलिल की त्योरियां चढ गई, वही पर एस. पी. साहब एवं शांतनु देव के चेहरे पर चिन्ता की लकीरें खींच गई। अब भला शांतनु देव से ज्यादा कौन इस बात को समझ सकता था कि" रजौली के

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कुमाऊ रंजन से शांतनु देव की मुलाकात और कुमाऊ रंजन का रजौली से मिलना.......

27 नवम्बर 2022
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अपार्ट मेंट के अंदर हाँल में कुमाऊ रंजन सोफे पर अकड़ूँ बैठा हुआ था, परन्तु.....उसकी नजर टी. बी स्क्रीन पर ही चिपकी हुई थी। टी. बी. स्क्रीन पर चल रहा एंटरटेंनमेंट, लगता था कि, कुमाऊ रंजन तन्मयता से देख

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मंत्री भानु शाली के घर मीटिंग.......

28 नवम्बर 2022
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शाम ढलने को तत्पर था और लगता था कि" रात के अंधेरे का आवरण अब वातावरण को अपने आगोश में समेट लेगा। ठीक उसी तरह मंत्री भानु शाली के हृदय में भी भय रुपी अंधेरा घनघोर बादल की तरह बढते जा रहे थे और आतुर थे

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हाँस्पिटल में कुमाऊ रंजन की यादाश्त वापस लौटना......

29 नवम्बर 2022
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अचानक ही कुमाऊ रंजन का तबीयत बिगड़ने के बाद सलिल उसे हाँस्पिटल ले आया था। डाक्टरों की टीम कुमाऊ रंजन को इमरजेंसी वार्ड में ले गई थी। परन्तु अब तक सलिल इस सदमे से बाहर नहीं आ सका था कि" आखिर कुमाऊ रंजन

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मंत्री भानुशाली का जज साहब से मिलना.......

30 नवम्बर 2022
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काफी मनोमंथन के बाद भी जब वे लोग किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंच सके। मुहम्मद काजी ने सुझाव दिया कि" क्यों न हम लोग जज साहब से मिल ले। शायद वहीं से कोई रास्ता निकल आए। दावा पूर्वक तो कुछ नहीं कहा जा सकता

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सलिल का कुमाऊ रंजन के साथ पुलिस स्टेशन लौटना और कुमाऊ रंजन का बीते दिनों की यादों में जाना.....

1 दिसम्बर 2022
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सलिल ने ड्राइविंग शीट संभाली, रोमील कुमाऊ रंजन के साथ पीछे बैठा, जबकि बगल बाली शीट पर शांतनु देव बैठ गए। इसके बाद सलिल ने कार श्टार्ट की और हाँस्पिटल गेट से निकाल कर सड़क पर दौड़ा दिया। यूं तो सलिल शांत

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