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रजौली की कोर्ट में पेशी और सलिल का अपार्ट मेंट पर लौटना.......

26 नवम्बर 2022

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कोर्ट के नोटिस को देखने के बाद जहां सलिल की त्योरियां चढ गई, वही पर एस. पी. साहब एवं शांतनु देव के चेहरे पर चिन्ता की लकीरें खींच गई। अब भला शांतनु देव से ज्यादा कौन इस बात को समझ सकता था कि" रजौली के गिरफ्तारी को दो दिन हो चुके थे, परन्तु सबूत जुटाना तो दूर, पुलिस अभी रजौली के बारे में जान भी नहीं सकी। ऐसे में कोर्ट के द्वारा पुलिस को डांट ही मिलने बाला था। फिर तो, नोटिस मिल जाने के बाद अब कोई रास्ता भी नहीं बचता था। एस. पी. साहब भी ताजा हालात को समझ चुके थे, जान चुके थे कि" अब तो हर हाल में रजौली को कोर्ट में पेश करना ही पड़ेगा।
                                    जबकि सलिल" कोर्ट के इस रवैये से खासा नाराज था। आखिर क्या हो गया है अपने देश के कानून को?....यह नहीं समझ आता कि" पुलिस के सामने किस प्रकार के मुश्किल हालात होते है किसी- किसी केस के संदर्भ में। परन्तु....कोर्ट को इससे क्या लेना-देना, उन्हें तो बस कानून का रौब झारना है। सलिल यह भी सोचता जा रहा था कि" आगे इस मामले में उसे किस तरह के कानूनी दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा। तभी तो, जब उसे कुछ समझ नहीं आया, उसने अपनी नजर एस. पी. साहब पर टिका दी। परन्तु....तब तक एस. पी. साहब इस निर्णय पर पहुंच चुके थे कि" रजौली को कोर्ट में पेश किया जाए। इसके बाद देखेंगे कि, आगे इस केस में किस तरह की संभावनाएँ बनती है।
                              तभी तो वे लोग "रजौली" को लेकर कोर्ट के लिए चले। उनकी कार कोर्ट की ओर भागी जा रही थी, परन्तु....ड्राइविंग शीट पर बैठा हुआ सलिल अभी भी इस बात को स्वीकार नहीं कर पाया था कि" रजौली को कोर्ट में पेश करने के लिए ले जा रहा है। किन्तु यह तो सत्य था, जिसे झुठलाया नहीं जा सकता था। उनकी कार कोर्ट की ओर भागी जा रही थी, जिसमें पिछले शीट पर इस समय रजौली मौजूद थी। उसके बगल में बैठा हुआ शांतनु देव और आगे की शीट पर मौजूद एस. पी. साहब। परन्तु....दोनों के चेहरे पर इस समय शांति की चादर फैली हुई थी, दोनों मौन थे और ध्यान मग्न भी। शायद आने बाले समय के पदचाप को सुनने की कोशिश कर रहे थे। ऐसे में सलिल को अकेले पन की अनुभूति होने लगी और वो विचारों में उलझने लगा।
                                उसके मन में तरह-तरह के खयाल आने लगे, उलझे हुए और मन मस्तिष्क को कुंद करने बाले। वह तो रजौली नाम के करेक्टर को ही अब तक समझ नहीं पाया था, तो मामले को सुलझाता कैसे?. यह प्रश्न ही तो था, जो उसके सामने खड़ा हो गया था कि" इस मामले को किस प्रकार से सुलझाए। यह तो ऐसा प्रश्न बन चुका था कि" उसको डर की भी अनुभूति होने लगी थी। स्वाभाविक ही था कि" अगर रजौली ने अपनी जुबान नहीं खोली, तो आगे वह किस प्रकार से कोर्ट में पुलिस का पक्ष रख पाएगा। सिर्फ इतना भर कह देने से कि" रजौली के पास ए. के. फोर्टी सेवन था और उसने अचानक ही पब्लिक प्लेस पर गोलियों की बारिश कर दी। कोर्ट इन तथ्यों से तो कदापि संतुष्ट नहीं होने बाला। तो फिर वह क्या करें?....कि" रजौली नाम की पहेली सुलझ जाए और वह दायित्व निभाने में सफल हो।
                                    अभी तो सलिल विचारों में ही उलझा हुआ था कि" उसकी कार ने कोर्ट प्रांगण में प्रवेश किया। फिर तो सलिल ने कार पार्क की और फिर वे लोग निकल कर कोर्ट रूम की ओर बढे। वैसे भी दिन के बारह बज चुके थे और ऐसे में कभी लंच ब्रेक हो सकता था। इस कारण से चाहते थे कि, उससे पहले ही रजौली को कोर्ट में पेश कर दिया जाए। तभी तो उन्होंने कोर्ट रूम में कदम रखने के साथ ही शांतनु देव को इशारा किया। फिर तो शांतनु देव ने "रजौली की फाइल को जज साहब के सामने पेश किया और फिर सुनवाई शुरु हो गई। फिर तो वकील दिगंबर आगे बढा और जज साहब के सामने रजौली के जमानत की याचिका दायर कर दी।
                             बस इतना काफी था सलिल को समझ लेने के लिए कि" कोर्ट की नोटिस पुलिस को क्यों मिला?....इधर शांतनु देव ने रजौली के जमानत याचिका का पुरजोर विरोध किया। शांतनु देव ने अदालत को बताया कि, किस तरह से रजौली ने ए. के. फोर्टी सेवन से पब्लिक प्लेस को टार्गेट बनाया। इस तरह के वारदात को आतंकवादियों द्वारा अंजाम दिया जाता है। ऐसे में अगर रजौली की जमानत याचिका स्वीकार कर ली गई, तो फिर वह इससे भी बड़े वारदात को अंजाम दे सकती है। शांतनु देव की दलील और फिर वकील दिगंबर ने कोर्ट में दलील दी कि" पुलिस रजौली को वेजा ही फंसा रही है। जबकि ऐसा कुछ भी घटित हुआ है, तो रजौली का इसमें कोई हाथ नहीं है। परन्तु....वकील दिगंबर की याचिका को कोर्ट ने खारिज कर दिया।
                               इसके बाद रजौली" की सात दिनों के पुलिस रिमांड को मंजूर कर लिया गया। बस फिर क्या था, सलिल के होंठों पर कामयाबी की मुस्कान थिरक उठी थी। तभी तो उसने पीछे आए हुए रोमील को कहा कि" रजौली को लेकर पुलिस स्टेशन चला जाए। उसके बाद वो एस. पी. साहब एवं शांतनु देव को साथ लेकर बाहर निकला। इसके बाद उसकी कार फिर से सड़क पर दौड़ने लगी। परन्तु....अब सलिल बिल्कुल शांत था, क्योंकि उसने जो चाहा था, वही हुआ था। तभी तो उसने एस. पी. साहब को पुलिस मूख्यालय छोड़ा और फिर शांतनु देव के साथ वहां से सीधे अपार्ट मेंट के लिए निकला। वैसे ही, उसके मन में इच्छा थी कि" लेखक कुमाऊ रंजन से शांतनु देव को मिलवाए। परन्तु....अब तक उसने कुमाऊ रंजन के बारे में शांतनु देव को कुछ भी नहीं बतलाया था। वह चाहता था कि, शांतनु देव को सरप्राईज दे। परन्तु शांतनु देव, इन बातों से अंजान रह नहीं सका, तभी तो वो सलिल से मुखातिब हुआ।
यार सलिल!....सच कहूं तो, रजौली नाम के करेक्टर को समझने के लिए बहुत धैर्य की आवश्यकता है। बोलने के बाद शांतनु देव एक पल के लिए रुका, फिर आगे बोला। यार सलिल!....तुम जिस तरह से बतला रहे हो न, रजौली बहुत ही बुद्धिमान प्रतीत होती है। ऐसे में उसके जुबान से सच उगलवाना, समझो कि, बहुत ही टेढी खीर है। शांतनु देव ने कहा और नजर सलिल के चेहरे पर टिका दी। जबकि, ड्राइव कर रहे सलिल ने कनखियों से शांतनु देव के चेहरे को देखा, फिर बोला।
सत्य कह रहे हो यार!....सच कहूं तो रजौली के करेक्टर में मैं इतना उलझ चुका हूं कि" अपनी वेदना बतला नहीं सकता। सच कहूं तो, बार-बार उसका इस तरह से बयान बदलना, लगता है कि" वो मेरे पुलिसिया कैरियर पर बम गिरा कर ही मानेगी। सलिल ने कहा और कनखियों से शांतनु देव के चेहरे को देखने लगा। जबकि उसकी बातें सुनकर शांतनु देव ने उसके आँखों में देखा और फिर उससे प्रश्न किया।
तो फिर यार!.....आगे क्या करोगे? शांतनु देव ने प्रश्न पुछा और उत्तर की प्रतीक्षा करने लगा।
                               जबकि उसके प्रश्न सुनकर सलिल उलझ सा गया कि" इस प्रश्न का क्या जबाव दे?....अभी तो फिलहाल उसने इस बारे में खुद नहीं सोचा था, तो फिर शांतनु देव को क्या बतलाता। फिर तो फिलहाल वह इस प्रश्न का जबाव देने से बच गया, क्योंकि" उसकी कार अपार्ट मेंट के पास पहुंच चुकी थी। अपार्ट मेंट का गेट खुला हुआ था, क्योंकि राम माधवन अंदर ही मौजूद था। सलिल को इस बात की जानकारी थी, इसलिये वो अंदर की और बढा। जबकि, उसके साथ चल रहे शांतनु देव उसके अपार्ट मेंट को इस तरह से खुला हुआ देख कर आश्चर्य में डुब गया था। परन्तु....सलिल के साथ चलते हुए उसने हाँल में कदम रखा।
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क्रमशः-
                                

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रचनाएँ
रजौली
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अपराध की पृष्ठभूमि होती है। बिना पृष्ठभूमि के अपराध हो ही नहीं सकता और पृष्ठभूमि हमारा समाज ही बनाता है। बिना सामाजिक एवं राजनीतिक पोषण के अपराध कभी भी पनप ही नहीं सकता।.....कहीं समाज किसी के ऊपर अत्याचार करता है, तो अपराध का जन्म होता है, तो कहीं समाज अपने निहित स्वार्थ को साधने के लिए अपराध को बाढावा देता है। कहने का तात्पर्य यही है कि" अपराध के जन्म लेने का कारण हम और आप कहीं न कहीं है। बिना राजनीतिक स्वार्थ के अपराधियों का मनोबल कभी भी नहीं बढ सकता। "रजौली" एक ऐसे युवती की कहानी है, जो अपने आप में ही उलझी हुई है। "रजौली" वास्तव में एक वेदना है, जो अत्यधिक शोषण की भट्टी से ज्वालामुखी बनकर निकलती है। मदन मोहन" मैत्रेय
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रजौली-एक छल कथा

5 नवम्बर 2022
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अपराध की पृष्ठभूमि होती है। बिना पृष्ठभूमि के अपराध हो ही नहीं सकता और पृष्ठभूमि हमारा समाज ही बनाता है। बिना सामाजिक एवं राजनीतिक पोषण के अपराध कभी भी पनप ही नहीं सकता।.....कहीं समाज किसी के ऊपर अत्य

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पुलिस मूख्यालय........

6 नवम्बर 2022
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दिन के दस बजे से ही पुलिस मूख्यालय में बैठकों का दौर जारी था। वैसे तो पंद्रह अगस्त को लेकर दिल्ली में आर्मी बालों का कमांड हो जाता है। फिर भी प्रशासनिक व्यवस्था संभालने की जिम्मेदारी पुलिस की होती है।

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खंडहर........

7 नवम्बर 2022
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शाम ढलने को व्याकुल हो चुका था। लगता था कि" अब कुछ ही देर में अँधेरे का साम्राज्य व्याप्त हो जाएगा और होना भी यही चाहिए। क्योंकि यह समय चक्र है और इसमें सभी कुछ निर्धारित होता है, पहले से ही। इससे आज

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घटना स्थल का मुआयना एवं सलिल का हाँस्पिटल जाना........

8 नवम्बर 2022
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शाम का अंधेरा घिरने लगा था, लेकिन अमूमन जैसा होता है, शहर पर इस अंधेरे का कोई प्रभाव नहीं पड़ा था। तभी तो हनुमान चौक का इलाका रोशनी में जगमगाता हुआ प्रतीत हो रहा था। लेकिन अभी वहां पर बिल्कुल मातमी सन्

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रीठाला मेट्रो स्टेशन.......

9 नवम्बर 2022
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रात के एक बजे, मेट्रो में अपेक्षाकृत काफी कम यात्रियों की संख्या थी। कोरोना काल के गुजर जाने के कारण शहर व्यवस्थित हो चुका था, किन्तु पहले जैसी रफ्तार अभी नहीं पकड़ पाया था। दूजे कि" रात ज्यादा हो जाने

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सलिल का हाँस्पिट से रीठाला मेट्रो स्टेशन की ओर जाना.........

10 नवम्बर 2022
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रात बारह बजे।सलिल हाँस्पिटल से बाहर निकला था और अब जूस की दुकान खोज रहा था। शांतनु देव को गोली लगने के कारण उसका हृदय बहुत हद तक मर्माहत हुआ था। बार-बार उसे शांतनु देव पर गुस्सा भी आ रहा था। इतना तेज-

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उस औरत को हाँस्पिटल ले जाना और पुलिस द्वारा प्रेस रीलिज दिया जाना........

11 नवम्बर 2022
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रोमील के द्वारा उन चारों घायलों को ले जाने के बाद सलिल ने उस औरत को देखा। तब तक हथियार धारी फोर्स उसके करीब पहुंच चुका था और उन लोगों की नजर सलिल पर टिक गई थी, मानो जानना चाहते हो कि" कुछ देर पहले किस

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मंत्री भानु शाली.......

12 नवम्बर 2022
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सुबह के पांच बज चुके थे।अमूमन तो इस समय मंत्री आवास पर किसी प्रकार का चहल-पहल नहीं होता था। किन्तु" अभी-अभी मंत्री साहब की आँख खुली थी और उन्होंने न्यूज चैनल लगा दिया था और ऐसे ही एक नजर देख लेने की इ

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रजौली को पुलिस स्टेशन लाना और उससे पूछताछ.......

14 नवम्बर 2022
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सुबह के छ बजते ही आकाश सूर्य किरण की आभा से जगमगा उठा। उगते हुए सूर्य के साथ ही एल.

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मंत्री भानु शाली का पंडित जगतपति से मिलना.......

14 नवम्बर 2022
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सुबह के आठ बज चुके थे और इसके साथ ही चारों ओर प्रकाश का साम्राज्य छा चुका था। वैसे भी आकाश साफ था, जिसके कारण किरण का निखार कुछ ज्यादा था। लेकिन मंत्री भानु शाली के चेहरे से प्रतीत हो रहा था कि" उनके

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टाँर्चर रुम........

15 नवम्बर 2022
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सलिल, रजौली के द्वारा इस तरह लगाए जा रहे ठहाकों से परेशान हो चुका था। उसे उम्मीद थी कि" रजौली इस तरह के हरकत करने के बाद शांत हो जाएगी और फिर उसके साथ सहयोग करेगी। किन्तु नहीं, रजौली तो रुक-रुक कर करी

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मुहम्मद काजी.........

16 नवम्बर 2022
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सफेद लुंगी, उसपर नीले रंग का कुर्ता और सिर पर जालीदार सफेद टोपी।....चेहरे पर चमक, आँखों पर गोल चश्मा, लंबा कद। चेहरे पर मूंछ नहीं थी, किन्तु" लंबी सफेद दाढी, उम्र यही करीब पचपन वर्ष के करीब। मुहम्मद क

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सलिल के द्वारा पेट्रोलिंग किया जाना और हाँस्पिटल पहुंचना.........

17 नवम्बर 2022
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एस. पी. साहब के जाने के बाद जैसे सलिल की तंद्रा टूटी हो। फिर तो उसने रोमील एवं राम माधवन को आँफिस में बुलाया और समझाया कि" उसे आगे क्या करना है? साथ ही उसने पुलिस मूख्यालय भी फोन कर दिया कि" अतिरिक्त

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सलिल की कुमाऊ रंजन से मुलाकात........

18 नवम्बर 2022
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सलिल को अचानक ही आया देखकर शांतनु देव चौंका जरूर था, किन्तु" उसने अपने चेहरे पर इन भावों को नहीं आने दिया और सलिल को अपने करीब बैठने के साथ ही उसके चेहरे पर नजर टिका दी। जबकि सलिल, उसके करीब बैठने के

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मंत्री साहब का वकील दिगंबर से मिलना.......

19 नवम्बर 2022
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शाम के सात बज चुके थे और अब आसमान में तारे जगमग करने लगे थे। मंत्री भानु शाली अभी अपने बंगले से निकला था" वकील से मिलने के लिए। वैसे भी कुछ सेकेन्ड पहले हुई जोरदार बारिश ने रोड पर पानी जमा कर दिया था।

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कुमाऊ रंजन के साथ सलिल का पुलिस स्टेशन लौटना.......

20 नवम्बर 2022
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अचानक से ही बरसात की शुरुआत हो जाने के कारण एक पल के लिए सलिल हकबका सा गया। एक तो रात का आलम ढल चुका था, दूसरे आसमान से तेज गति से गिर रही बारिश की बुंदे। एक पल के लिए उसे समझ ही नहीं आया कि, क्या करे

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शांतनु देव का स्वप्न.........

21 नवम्बर 2022
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शांतनु देव को पंख लग गए थे और वो आसमान में ऊँचे- ऊँचे उड़ता जा रहा था। उसकी कोशिश भी तो यही थी कि" नील गगन के आँचल में दूर-दूर तक परवाज करें और फिर उसके तो पंख लग गए थे। कोमल-कोमल सफेद पंख, जिसमें बहुत

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सलिल एवं एस. पी. साहब का पुलिस स्टेशन पहुंचना और रजौली से पूछताछ करना.......

22 नवम्बर 2022
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सुबह के पांच बजने के साथ ही सलिल ने अंगड़ाई ली। कहां तो रजौली के कहे अनुसार दिल्ली शहर धमाके की आवाज से दहल जाना चाहिए था, परन्तु....ऐसा कुछ भी नहीं हुआ था। शहर तो अपनी चाल में गति कर रहा था, ऐसे में स

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शांतनु देव की चिन्ता और पुलिस स्टेशन जाना.........

23 नवम्बर 2022
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मानव मन की रचना ईश्वर ने अजीब प्रकार की- की है। जब मानव सुख में होता है, चिंतन नहीं करता और जब दुःख में होता है, चिंतनशीलता का आवरण ओठ लेता है। परन्तु... विचार, जो कि" मानव मन के साथ हमेशा ही लगे रहते

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सलिल के द्वारा शहर के चक्कर लगाना और पुलिस स्टेशन लौटना...........

25 नवम्बर 2022
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दिन के दस बजने बाले थे, किन्तु सलिल को अभी तक कहीं सफलता नहीं मिली थी। रजौली" ने जितने भी पते बतलाए थे, उन तमाम जगहों पर अब तक छापामारी की गई थी। परन्तु....वे तमाम जगह, जहां दूर-दूर तक भी संभावना नहीं

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रजौली" से फिर से पूछताछ और कोर्ट की नोटिस........

25 नवम्बर 2022
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सलिल एवं एस. पी. साहब को अजीब नजरों से अपनी ओर देखता पाकर शांतनु देव एक पल के लिए बौखला ही गया। उसकी इच्छा हुई कि" दोनों से पुछे कि, इस तरह से क्यों देख रहे हो?...परन्तु अचानक ही उसने अपने इस विचार को

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रजौली की कोर्ट में पेशी और सलिल का अपार्ट मेंट पर लौटना.......

26 नवम्बर 2022
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कोर्ट के नोटिस को देखने के बाद जहां सलिल की त्योरियां चढ गई, वही पर एस. पी. साहब एवं शांतनु देव के चेहरे पर चिन्ता की लकीरें खींच गई। अब भला शांतनु देव से ज्यादा कौन इस बात को समझ सकता था कि" रजौली के

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कुमाऊ रंजन से शांतनु देव की मुलाकात और कुमाऊ रंजन का रजौली से मिलना.......

27 नवम्बर 2022
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अपार्ट मेंट के अंदर हाँल में कुमाऊ रंजन सोफे पर अकड़ूँ बैठा हुआ था, परन्तु.....उसकी नजर टी. बी स्क्रीन पर ही चिपकी हुई थी। टी. बी. स्क्रीन पर चल रहा एंटरटेंनमेंट, लगता था कि, कुमाऊ रंजन तन्मयता से देख

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मंत्री भानु शाली के घर मीटिंग.......

28 नवम्बर 2022
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शाम ढलने को तत्पर था और लगता था कि" रात के अंधेरे का आवरण अब वातावरण को अपने आगोश में समेट लेगा। ठीक उसी तरह मंत्री भानु शाली के हृदय में भी भय रुपी अंधेरा घनघोर बादल की तरह बढते जा रहे थे और आतुर थे

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हाँस्पिटल में कुमाऊ रंजन की यादाश्त वापस लौटना......

29 नवम्बर 2022
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अचानक ही कुमाऊ रंजन का तबीयत बिगड़ने के बाद सलिल उसे हाँस्पिटल ले आया था। डाक्टरों की टीम कुमाऊ रंजन को इमरजेंसी वार्ड में ले गई थी। परन्तु अब तक सलिल इस सदमे से बाहर नहीं आ सका था कि" आखिर कुमाऊ रंजन

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मंत्री भानुशाली का जज साहब से मिलना.......

30 नवम्बर 2022
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काफी मनोमंथन के बाद भी जब वे लोग किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंच सके। मुहम्मद काजी ने सुझाव दिया कि" क्यों न हम लोग जज साहब से मिल ले। शायद वहीं से कोई रास्ता निकल आए। दावा पूर्वक तो कुछ नहीं कहा जा सकता

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सलिल का कुमाऊ रंजन के साथ पुलिस स्टेशन लौटना और कुमाऊ रंजन का बीते दिनों की यादों में जाना.....

1 दिसम्बर 2022
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सलिल ने ड्राइविंग शीट संभाली, रोमील कुमाऊ रंजन के साथ पीछे बैठा, जबकि बगल बाली शीट पर शांतनु देव बैठ गए। इसके बाद सलिल ने कार श्टार्ट की और हाँस्पिटल गेट से निकाल कर सड़क पर दौड़ा दिया। यूं तो सलिल शांत

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