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मुहम्मद काजी.........

16 नवम्बर 2022

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सफेद लुंगी, उसपर नीले रंग का कुर्ता और सिर पर जालीदार सफेद टोपी।....चेहरे पर चमक, आँखों पर गोल चश्मा, लंबा कद। चेहरे पर मूंछ नहीं थी, किन्तु" लंबी सफेद दाढी, उम्र यही करीब पचपन वर्ष के करीब। मुहम्मद काजी नाम था उसका, मुहम्मद काजी, जिसका व्यक्तित्व काफी आकर्षक था। काम भी तो था समाज सेवा करना और समाज सेवा की आड़ में अपने गोरख-धंधे चलाना। हां, मुहम्मद काजी के दो नंबर के धंधे थे, जिसकी बदौलत उसने दौलत के अंबार लगा लिए थे। वैसे तो वो काजी ट्रेडर्श नाम से स्क्रेप लेने के लिए कोंन्ट्राक्ट चलाता था। परन्तु.....ड्रग्स सप्लाई, हथियारों की हेराफेरी और मानव तस्करी, ये धंधे थे, जिसे वो समाज सेवा के नाम पर निर्बाध गति से करता था।
                        इस समय भी मुहम्मद काजी अपने बंगले से निकल रहा था, धंधे पर जाने के लिए। सुबह के नौ बज चुके थे और अब समय हो चुका था कि" वो अपने व्यापार पर निकले और बीते दिनों की आमदनी और आज की योजना, दोनों पर ध्यान दे। मुहम्मद काजी, उनकी दो  संतान, आरव एवं सुलतान, खाड़ी के देशों में जाँब करता था। ऐसे में वो अपनी पत्नी के साथ अकेले ही अपने विशाल बंगले पर रहता था। फिर भी.....उसके पैसे की भूख अभी भी कम नहीं हुई थी, तभी तो इक नए दिन की शुरुआत करने के निकला था। जानता था कि" जब उसके कदम दिल्ली की गलियों में पड़ते है, पैसो की बारिश होने लगती है चारों ओर से।
                           किन्तु" अभी तो वो अपने बंगले से निकल कर कार की ओर बढ ही रहा था कि" तभी उसकी नजर मुख्य द्वार से प्रवेश कर रही कार पर गई और वो चौंका। काजी का चौंकना भी तो स्वाभाविक ही था, उसने देखा था कि" मंत्री साहब की कार ने गेट से प्रवेश किया और पोर्च में आकर खड़ी हो गई। मुहम्मद काजी, अचानक ही मंत्री जी के आने से चौंका, साथ ही उसकी नजर ने बगल बाली शीट पर बैठे हुए जगतपति को भी देख लिया था। तभी तो आश्चर्य के साथ ही उसके मन में आशंका ने जन्म ले लिया। तभी तो उसने तक्षण ही बाहर जाने के इरादे को त्याग दिया और मंत्री साहब के कार की ओर लपका। परन्तु....अभी तो वो कार के पास पहुंच भी नहीं पाया था कि" मंत्री साहब और जगतपति बाहर निकल आए और उन दोनों ने काजी को भरपूर नजरों से देखा। जबकि काजी  ने उनके करीब पहुंचते ही सलाम किया और अपनी आश्चर्य भरी नजर उनपर टिका दी। उसे इस तरह से देखते पाकर जगतपति तपाक से बोला।
यार काजी!....तुम भी न, इस तरह से देख रहे हो कि" लगता है कि" इरादा बना चुके हो, यही से वापस कर दोगे।  कहने के बाद जगतपति ने अपनी नजर काजी के चेहरे पर टिका दी। जबकि उसकी बातों को सुनकर काजी मुस्कराया। मुस्कान तो मंत्री साहब के चेहरे पर भी उभड़ आई, किन्तु" उन्होंने एक भी शब्द नहीं बोला।
                            इसके बाद काजी साहब उन दोनों को लेकर बंगले की ओर बैठा और जैसे ही उन्होंने हाँल में कदम रखा, सुहाना बेगम उन लोगों को देखकर आश्चर्य चकित हो गई। जबकि वे तीनों आगे बढे और सोफे पर बैठ गए और बैठने के साथ ही काजी ने उन दोनों के चेहरे पर नजर टिका दी और उन नजर को देखकर कोई भी कह सकता था कि" उसमें प्रश्न है। मंत्री एवं जगतपति के यूं ही अचानक आ धमकने से काजी अचंभित था। उसका हृदय तो आशंका से हलकान हुआ जा रहा था, क्योंकि" इससे पहले तो ऐसा कभी भी नहीं हुआ था। मंत्री और जगतपति का जब भी आना होता, उसके पास फोन पहले ही आ जाता था। किन्तु, आज उन दोनों का ही अचानक ही आगमन होना और इसके बाद हाँल में आने के बाद भी चुप्पी साधे रहना, आशंका को ही जन्म देने बाला था। तभी तो जब काजी से नहीं रहा गया, वह जगतपति से मुखातिब होकर बोला।
क्या बात है पुजारी जी?....आप दोनों का अचानक ही आना और इस तरह से चुप्पी साधे रखना। क्या कोई विशेष बात हो गई है क्या?....प्रश्न पुछने के बाद उसने जगतपति के चेहरे पर नजर टिका दी। जबकि, उसकी बात सुनते ही मंत्री साहब ने प्रतिक्रिया दी।
हां काजी!....कुछ ऐसा ही समझो। मामला गंभीर है, तभी तो हम लोग तुम्हारे पास दौड़े- दौड़े आए है।
                          इसके बाद मंत्री साहब उसे रज्जो के बारे में बतलाने लगे और उनकी बातें सुनते ही जैसे काजी के पैरो के नीचे से जमीन खिसक गई हो, वो अवाक होकर मंत्री साहब के चेहरे को देखने लगा। तब तक सुहाना बेगम किचन से काँफी बनाकर ले आई और उनके आगे परोस दिया। किन्तु" अभी तो मंत्री साहब ने अपनी बात खत्म नहीं की थी और काजी उसकी बातों को गौर से सुन रहा था और जैसे ही मंत्री साहब ने अपनी बात पूरी की, काजी साहब ने उसके हाथों में काँफी थमा दिया और उनकी ओर देखने लगे। बस ऐसे में वहां चुप्पी छा गई, परन्तु एक बात जरूर हुई कि" उन तीनों ने काँफी खतम कर ली। फिर काजी साहब ने मंत्री साहब के चेहरे को देखा और गंभीर होकर बोला।
तो आप लोग मुझसे क्या चाहते है?
मुझसे चाहते है से मतलब?....काजी, तुम इस तरह से कह कर अपनी जिम्मेदारी से पीछा नहीं छुड़ा सकते। बीच में तपाक से जगतपति बोला और फिर एक पल के लिए वो मौन रहा, उसके बाद आगे बोला। काजी!....इस मामले में हम तीनों ही बराबर के गुनाहगार है। यूं समझो तो, अगर तलवार गिरी, तो हम तीनों का ही सिर कटेगा। ऐसे में तुम बस इतना कह कर कि" आप लोग मुझसे क्या चाहते है? खुद भी नहीं बच पाओगे। जगतपति ने अपने अंतिम के शब्दों पर जोर देकर कहा, जबकि, उसकी बातें सुनकर एक पल के लिए काजी साहब हड़बड़ा गए, फिर उन्होंने खुद को संभाला और बोले।
मैंने कब कहा पुजारी!...कि" मैं इस मामले से अलग हूं। परन्तु बोलो तो सही कि" हमें करना क्या है? 
काजी!....अगर यही प्रश्न हम दोनों के समझ में आता, तो तुम्हारे पास दौड़े- दौड़े क्यों आते। मंत्री साहब ने काजी की बातें खतम होते ही प्रतिक्रिया दी और एक पल चुप रहने के बाद बोले। बस इतना ही समझ लो काजी कि" अगर हम दोनों यह समझ जाते कि, हमें आगे क्या करना है? तुम्हारे पास आते नहीं, बल्कि तुम्हें बुला लेते। कहने के बाद मंत्री साहब काजी के चेहरे को बेचारगी से देखने लगे और उनके इस तरह देखने मात्र से ही काजी और भी हलकान हो गया, किन्तु" जानता था कि" परिस्थिति विपरीत है और ऐसे में मौन रहने से भी काम नहीं चलने बाला, तभी तो बोला।
मेरे विचार से तो हम लोगों को किसी सुलझे हुए वकील के पास चलना चाहिए। वहां चलने के बाद ही शायद कोई रास्ता निकल आए, इसकी उम्मीद बने। कहने के बाद काजी ने अपनी नजर मंत्री साहब पर टिका दी। तभी बीच में ही जगतपति बोल पड़ा।
तुम भी न काजी!...सठिया गए लगते हो?....भला वकील के पास जाकर हम लोग सामने से अपने लिए खड्डा खोद ले। जगतपति ने कहा और काजी के चेहरे पर नजर टिका दी, जबकि उसकी बात सुनते ही काजी क्षीण आवाज में बोला।
पुजारी!...तुम भी न, पहले बात भी समझ करो। हमारे पास अभी के परिस्थिति में एक ही रास्ता है कि" हम लोग किसी सुलझे हुए वकील के पास जाए। कहने के बाद काजी ने मंत्री साहब के चेहरे पर नजर टिका दिया, इस आशा के साथ कि" शायद वो उसके बातों का समर्थन कर दे और यही हुआ भी। मंत्री साहब ने बोला तो नहीं, किन्तु उन्होंने सहमति में सिर हिलाया और बस इतना ही काफी था। इसके बाद तीनों विचार करने लगे कि" किस वकील के पास चला जाए, जो उनका काम सुगम हो जाए।
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क्रमशः-
                                

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रचनाएँ
रजौली
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अपराध की पृष्ठभूमि होती है। बिना पृष्ठभूमि के अपराध हो ही नहीं सकता और पृष्ठभूमि हमारा समाज ही बनाता है। बिना सामाजिक एवं राजनीतिक पोषण के अपराध कभी भी पनप ही नहीं सकता।.....कहीं समाज किसी के ऊपर अत्याचार करता है, तो अपराध का जन्म होता है, तो कहीं समाज अपने निहित स्वार्थ को साधने के लिए अपराध को बाढावा देता है। कहने का तात्पर्य यही है कि" अपराध के जन्म लेने का कारण हम और आप कहीं न कहीं है। बिना राजनीतिक स्वार्थ के अपराधियों का मनोबल कभी भी नहीं बढ सकता। "रजौली" एक ऐसे युवती की कहानी है, जो अपने आप में ही उलझी हुई है। "रजौली" वास्तव में एक वेदना है, जो अत्यधिक शोषण की भट्टी से ज्वालामुखी बनकर निकलती है। मदन मोहन" मैत्रेय
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रजौली-एक छल कथा

5 नवम्बर 2022
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अपराध की पृष्ठभूमि होती है। बिना पृष्ठभूमि के अपराध हो ही नहीं सकता और पृष्ठभूमि हमारा समाज ही बनाता है। बिना सामाजिक एवं राजनीतिक पोषण के अपराध कभी भी पनप ही नहीं सकता।.....कहीं समाज किसी के ऊपर अत्य

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पुलिस मूख्यालय........

6 नवम्बर 2022
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दिन के दस बजे से ही पुलिस मूख्यालय में बैठकों का दौर जारी था। वैसे तो पंद्रह अगस्त को लेकर दिल्ली में आर्मी बालों का कमांड हो जाता है। फिर भी प्रशासनिक व्यवस्था संभालने की जिम्मेदारी पुलिस की होती है।

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खंडहर........

7 नवम्बर 2022
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शाम ढलने को व्याकुल हो चुका था। लगता था कि" अब कुछ ही देर में अँधेरे का साम्राज्य व्याप्त हो जाएगा और होना भी यही चाहिए। क्योंकि यह समय चक्र है और इसमें सभी कुछ निर्धारित होता है, पहले से ही। इससे आज

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घटना स्थल का मुआयना एवं सलिल का हाँस्पिटल जाना........

8 नवम्बर 2022
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शाम का अंधेरा घिरने लगा था, लेकिन अमूमन जैसा होता है, शहर पर इस अंधेरे का कोई प्रभाव नहीं पड़ा था। तभी तो हनुमान चौक का इलाका रोशनी में जगमगाता हुआ प्रतीत हो रहा था। लेकिन अभी वहां पर बिल्कुल मातमी सन्

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रीठाला मेट्रो स्टेशन.......

9 नवम्बर 2022
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रात के एक बजे, मेट्रो में अपेक्षाकृत काफी कम यात्रियों की संख्या थी। कोरोना काल के गुजर जाने के कारण शहर व्यवस्थित हो चुका था, किन्तु पहले जैसी रफ्तार अभी नहीं पकड़ पाया था। दूजे कि" रात ज्यादा हो जाने

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सलिल का हाँस्पिट से रीठाला मेट्रो स्टेशन की ओर जाना.........

10 नवम्बर 2022
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रात बारह बजे।सलिल हाँस्पिटल से बाहर निकला था और अब जूस की दुकान खोज रहा था। शांतनु देव को गोली लगने के कारण उसका हृदय बहुत हद तक मर्माहत हुआ था। बार-बार उसे शांतनु देव पर गुस्सा भी आ रहा था। इतना तेज-

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उस औरत को हाँस्पिटल ले जाना और पुलिस द्वारा प्रेस रीलिज दिया जाना........

11 नवम्बर 2022
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रोमील के द्वारा उन चारों घायलों को ले जाने के बाद सलिल ने उस औरत को देखा। तब तक हथियार धारी फोर्स उसके करीब पहुंच चुका था और उन लोगों की नजर सलिल पर टिक गई थी, मानो जानना चाहते हो कि" कुछ देर पहले किस

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मंत्री भानु शाली.......

12 नवम्बर 2022
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सुबह के पांच बज चुके थे।अमूमन तो इस समय मंत्री आवास पर किसी प्रकार का चहल-पहल नहीं होता था। किन्तु" अभी-अभी मंत्री साहब की आँख खुली थी और उन्होंने न्यूज चैनल लगा दिया था और ऐसे ही एक नजर देख लेने की इ

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रजौली को पुलिस स्टेशन लाना और उससे पूछताछ.......

14 नवम्बर 2022
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सुबह के छ बजते ही आकाश सूर्य किरण की आभा से जगमगा उठा। उगते हुए सूर्य के साथ ही एल.

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मंत्री भानु शाली का पंडित जगतपति से मिलना.......

14 नवम्बर 2022
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सुबह के आठ बज चुके थे और इसके साथ ही चारों ओर प्रकाश का साम्राज्य छा चुका था। वैसे भी आकाश साफ था, जिसके कारण किरण का निखार कुछ ज्यादा था। लेकिन मंत्री भानु शाली के चेहरे से प्रतीत हो रहा था कि" उनके

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टाँर्चर रुम........

15 नवम्बर 2022
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सलिल, रजौली के द्वारा इस तरह लगाए जा रहे ठहाकों से परेशान हो चुका था। उसे उम्मीद थी कि" रजौली इस तरह के हरकत करने के बाद शांत हो जाएगी और फिर उसके साथ सहयोग करेगी। किन्तु नहीं, रजौली तो रुक-रुक कर करी

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मुहम्मद काजी.........

16 नवम्बर 2022
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सफेद लुंगी, उसपर नीले रंग का कुर्ता और सिर पर जालीदार सफेद टोपी।....चेहरे पर चमक, आँखों पर गोल चश्मा, लंबा कद। चेहरे पर मूंछ नहीं थी, किन्तु" लंबी सफेद दाढी, उम्र यही करीब पचपन वर्ष के करीब। मुहम्मद क

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सलिल के द्वारा पेट्रोलिंग किया जाना और हाँस्पिटल पहुंचना.........

17 नवम्बर 2022
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एस. पी. साहब के जाने के बाद जैसे सलिल की तंद्रा टूटी हो। फिर तो उसने रोमील एवं राम माधवन को आँफिस में बुलाया और समझाया कि" उसे आगे क्या करना है? साथ ही उसने पुलिस मूख्यालय भी फोन कर दिया कि" अतिरिक्त

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सलिल की कुमाऊ रंजन से मुलाकात........

18 नवम्बर 2022
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सलिल को अचानक ही आया देखकर शांतनु देव चौंका जरूर था, किन्तु" उसने अपने चेहरे पर इन भावों को नहीं आने दिया और सलिल को अपने करीब बैठने के साथ ही उसके चेहरे पर नजर टिका दी। जबकि सलिल, उसके करीब बैठने के

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मंत्री साहब का वकील दिगंबर से मिलना.......

19 नवम्बर 2022
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शाम के सात बज चुके थे और अब आसमान में तारे जगमग करने लगे थे। मंत्री भानु शाली अभी अपने बंगले से निकला था" वकील से मिलने के लिए। वैसे भी कुछ सेकेन्ड पहले हुई जोरदार बारिश ने रोड पर पानी जमा कर दिया था।

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कुमाऊ रंजन के साथ सलिल का पुलिस स्टेशन लौटना.......

20 नवम्बर 2022
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अचानक से ही बरसात की शुरुआत हो जाने के कारण एक पल के लिए सलिल हकबका सा गया। एक तो रात का आलम ढल चुका था, दूसरे आसमान से तेज गति से गिर रही बारिश की बुंदे। एक पल के लिए उसे समझ ही नहीं आया कि, क्या करे

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शांतनु देव का स्वप्न.........

21 नवम्बर 2022
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शांतनु देव को पंख लग गए थे और वो आसमान में ऊँचे- ऊँचे उड़ता जा रहा था। उसकी कोशिश भी तो यही थी कि" नील गगन के आँचल में दूर-दूर तक परवाज करें और फिर उसके तो पंख लग गए थे। कोमल-कोमल सफेद पंख, जिसमें बहुत

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सलिल एवं एस. पी. साहब का पुलिस स्टेशन पहुंचना और रजौली से पूछताछ करना.......

22 नवम्बर 2022
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सुबह के पांच बजने के साथ ही सलिल ने अंगड़ाई ली। कहां तो रजौली के कहे अनुसार दिल्ली शहर धमाके की आवाज से दहल जाना चाहिए था, परन्तु....ऐसा कुछ भी नहीं हुआ था। शहर तो अपनी चाल में गति कर रहा था, ऐसे में स

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शांतनु देव की चिन्ता और पुलिस स्टेशन जाना.........

23 नवम्बर 2022
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मानव मन की रचना ईश्वर ने अजीब प्रकार की- की है। जब मानव सुख में होता है, चिंतन नहीं करता और जब दुःख में होता है, चिंतनशीलता का आवरण ओठ लेता है। परन्तु... विचार, जो कि" मानव मन के साथ हमेशा ही लगे रहते

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सलिल के द्वारा शहर के चक्कर लगाना और पुलिस स्टेशन लौटना...........

25 नवम्बर 2022
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दिन के दस बजने बाले थे, किन्तु सलिल को अभी तक कहीं सफलता नहीं मिली थी। रजौली" ने जितने भी पते बतलाए थे, उन तमाम जगहों पर अब तक छापामारी की गई थी। परन्तु....वे तमाम जगह, जहां दूर-दूर तक भी संभावना नहीं

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रजौली" से फिर से पूछताछ और कोर्ट की नोटिस........

25 नवम्बर 2022
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सलिल एवं एस. पी. साहब को अजीब नजरों से अपनी ओर देखता पाकर शांतनु देव एक पल के लिए बौखला ही गया। उसकी इच्छा हुई कि" दोनों से पुछे कि, इस तरह से क्यों देख रहे हो?...परन्तु अचानक ही उसने अपने इस विचार को

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रजौली की कोर्ट में पेशी और सलिल का अपार्ट मेंट पर लौटना.......

26 नवम्बर 2022
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कोर्ट के नोटिस को देखने के बाद जहां सलिल की त्योरियां चढ गई, वही पर एस. पी. साहब एवं शांतनु देव के चेहरे पर चिन्ता की लकीरें खींच गई। अब भला शांतनु देव से ज्यादा कौन इस बात को समझ सकता था कि" रजौली के

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कुमाऊ रंजन से शांतनु देव की मुलाकात और कुमाऊ रंजन का रजौली से मिलना.......

27 नवम्बर 2022
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अपार्ट मेंट के अंदर हाँल में कुमाऊ रंजन सोफे पर अकड़ूँ बैठा हुआ था, परन्तु.....उसकी नजर टी. बी स्क्रीन पर ही चिपकी हुई थी। टी. बी. स्क्रीन पर चल रहा एंटरटेंनमेंट, लगता था कि, कुमाऊ रंजन तन्मयता से देख

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मंत्री भानु शाली के घर मीटिंग.......

28 नवम्बर 2022
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शाम ढलने को तत्पर था और लगता था कि" रात के अंधेरे का आवरण अब वातावरण को अपने आगोश में समेट लेगा। ठीक उसी तरह मंत्री भानु शाली के हृदय में भी भय रुपी अंधेरा घनघोर बादल की तरह बढते जा रहे थे और आतुर थे

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हाँस्पिटल में कुमाऊ रंजन की यादाश्त वापस लौटना......

29 नवम्बर 2022
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अचानक ही कुमाऊ रंजन का तबीयत बिगड़ने के बाद सलिल उसे हाँस्पिटल ले आया था। डाक्टरों की टीम कुमाऊ रंजन को इमरजेंसी वार्ड में ले गई थी। परन्तु अब तक सलिल इस सदमे से बाहर नहीं आ सका था कि" आखिर कुमाऊ रंजन

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मंत्री भानुशाली का जज साहब से मिलना.......

30 नवम्बर 2022
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काफी मनोमंथन के बाद भी जब वे लोग किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंच सके। मुहम्मद काजी ने सुझाव दिया कि" क्यों न हम लोग जज साहब से मिल ले। शायद वहीं से कोई रास्ता निकल आए। दावा पूर्वक तो कुछ नहीं कहा जा सकता

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सलिल का कुमाऊ रंजन के साथ पुलिस स्टेशन लौटना और कुमाऊ रंजन का बीते दिनों की यादों में जाना.....

1 दिसम्बर 2022
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सलिल ने ड्राइविंग शीट संभाली, रोमील कुमाऊ रंजन के साथ पीछे बैठा, जबकि बगल बाली शीट पर शांतनु देव बैठ गए। इसके बाद सलिल ने कार श्टार्ट की और हाँस्पिटल गेट से निकाल कर सड़क पर दौड़ा दिया। यूं तो सलिल शांत

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