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रजौली-एक छल कथा

5 नवम्बर 2022

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अपराध की पृष्ठभूमि होती है। बिना पृष्ठभूमि के अपराध हो ही नहीं सकता और पृष्ठभूमि हमारा समाज ही बनाता है। बिना सामाजिक एवं राजनीतिक पोषण के अपराध कभी भी पनप ही नहीं सकता।.....कहीं समाज किसी के ऊपर अत्याचार करता है, तो अपराध का जन्म होता है, तो कहीं समाज अपने निहित स्वार्थ को साधने के लिए अपराध को बाढावा देता है। कहने का तात्पर्य यही है कि" अपराध के जन्म लेने का कारण हम और आप कहीं न कहीं है। बिना राजनीतिक स्वार्थ के अपराधियों का मनोबल कभी भी नहीं बढ सकता। "रजौली" एक ऐसे युवती की कहानी है, जो अपने आप में ही उलझी हुई है। "रजौली" वास्तव में एक वेदना है, जो अत्यधिक शोषण की भट्टी से ज्वालामुखी बनकर निकलती है।

मदन मोहन" मैत्रेय

शाम का समय होने बाला था। सूर्य देव अब अस्ताचल को जा रहे थे और इस कारण से पूरा शहर लालिमा के आवरण में ढक चुका था। वैसे भी अगस्त महीने का पहला दिन होने के कारण बाजार में काफी चहल-पहल थी। दूसरे 
अभी-अभी कुछ देर पहले जम कर शहर में बारिश हुई थी, जिसके कारण सड़क पर पानी लगा हुआ था। किन्तु" फिर भी शहर बासी किस प्रकार से रुकते। आज तो उन्हें महीने की सैलरी मिली थी और "महीने की सैलरी मिलने के बाद इंसान स्वतः ही खुश हो जाता है। वैसे भी वेतन धारी के लिए "महीने की सैलरी पूर्णिमा के समान होती है, जो महीने में सिर्फ एक बार दिखाई देती है। पूरा महीना मेहनत करो और एक दिन पूर्णिमा की तरह सैलरी दिखाई दे, तो जरूरतों के साथ ख्वाहिश भी करवट लेती है। भले ही वो ख्वाहिश एक दिन की हो।
                              रोहिणी का हनुमान चौक" चारों तरफ से लोगों की आवाजाही धीरे-धीरे बढती जा रही थी। वैसे भी महीने का पहला दिन होने के कारण सभी अपने वजट को सेट करने के लिए बाजार की ओर निकल चुके थे। उसमें भी पंद्रह अगस्त को लेकर यह आस-पास का इलाका प्रशासनिक गतिविधियों का केंद्र हो जाता है। ऐसे में यहां के आम बाशिंदे को इस दरमियान कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। तभी तो" लगता था कि" पूरा शहर ही बाजार की खरीदारी करने के लिए सड़क पर उतर आया हो। तभी तो धीरे-धीरे सड़क पर ट्रैफिक बढने लगी थी, जिसे नियंत्रित करने के लिए ट्रैफिक पुलिस को एड़ी- चोटी का दमखम लगाना पड़ रहा था, वह पसीने से पूरी तरह भीग चुका था।
                              उसमें भी हनुमान चौक" जिसके दोनों तरफ बहुमंजिला इमारतों में दुकान सजी हुई थी। पास ही कोने पर एक पान का दुकान था, जिसे केशव शुक्ल चलाते थे। इस समय उनके दुकान पर काफी भीड़ थी। परन्तु केशव शुक्ल" इससे बिना विचलित हुए ही ग्राहकों की सेवा में जुटे हुए थे। हंसमुख स्वभाव के केशव शुक्ल" उनकी वाणी अत्यंत ही मधुर थी और बीच-बीच में उनका" चुटकुले कहने की आदत। उनके दुकान पर जो भीड़ थी, उसमें ग्राहक कम और आसपास के आवारा लड़के ज्यादा थे, जो अपना टाइम पास करने और शुक्ल साहब के चुटकुले सुनने के लिए ही उनकी दुकान पर इकट्ठे होते थे।
                 इस भीड़- भाड़ बाले माहौल में चौक के दाईं ओर से एक औरत चौक पर आ गई। उसकी नीली-नीली आँखें, जो अब बिल्कुल वीरान हो चुकी थी। घने लंबे काले बाल थे, जो बेतरतीब बिखरे हुए थे। शरीर पर फटा-पुराना साड़ी। सुडौल शरीर, लेकिन समय के प्रहार ने उसे बेडौल कर दिया था। गोल गौर वर्ण लिए चेहरा, लेकिन निस्तेज थी। उसका चेहरा देख कर यही प्रतीत होता था कि" कभी वह बहुत सुंदर रही होगी, अप्सरा की तरह। लेकिन इस समय वह बिल्कुल भिखारिन की तरह प्रतीत हो रही थी। लेकिन नहीं, वह किसी से याचना तो बिल्कुल भी नहीं कर रही थी। उसे किसी से शायद कुछ मांगना नहीं था। वह तो कंधे पर फटे-पुराने थैले को कंधे पर लटकाये हुए आते- जाते लोगों को देख रही थी।
                                   वैसे भी, सूर्य देव कभी भी अस्ताचल की ओर जा सकते थे और फिर अंधकार शहर को अपने आगोश में समेट सकता था। किन्तु" इस अंधकार के आगमन का भय शहर को तो बिल्कुल भी नहीं था। क्योंकि" शहर को पता था कि" कुछ पल बाद ही असंख्य बल्ब की रोशनी उसे जगमग कर देगी। शाम का समय, बाजार ग्राहकों से भर चुका था और लगातार संख्या बढती ही जा रही थी। तभी शांतनु देव की कार सड़क पर चमकी और शांतनु देव ने अचानक ही कार की रफ्तार धीमी की और सड़क किनारे कार खड़ी कर के बाहर निकला। उसे अचानक ही इच्छा हुई थी कि" पान खा लिया जाए।
                  वैसे भी" शांतनु देव शौकिया ही पान खाता था। लेकिन एक बार उसने शुक्ल साहब के दुकान पर पान खाया था और पान से ज्यादा उसे शुक्ल साहब का स्वभाव बहुत भाया था। तभी तो, यहां से गुजरते हुए अचानक ही उसकी नजर दुकान पर गई और उसने इरादा बना लिया कि" एक खिली पान खा लिया जाए। इस बहाने से कम से कम शुक्ल साहब से मुलाकात भी हो जाएगी। वैसे भी आजकल उसके पास कुछ काम ज्यादा नहीं था, इसलिये कुछ मनोरंजन हो जाए, इसी उद्देश्य से पान की दुकान की ओर बढा। जबकि उधर वो औरत, जो न जाने किस गली से चौक पर आ गई थी। उसने अपने झोले को संभाला और उसमें हाथ डाला और जब उसका हाथ बाहर निकला। उसके हाथों में ए. के. फोर्टी सेवन राईफल थी, जिसे उसने सख्ती से संभाल लिया था। फिर तो....उसकी अंगुलियाँ ट्रिगर पर कसती चली गई और गोलियों के आवाज से इलाका दहल उठा।
धाँय.....धाँय!.....धड़ाम -धड़ाम।
                      अचानक ही गोलियों की आवाज और पूरा हनुमान चौक दहल उठा। एक पल में ही चारों ओर चिखों-पुकार मच गया। वैसे तो उस औरत के हाथ में जिस प्रकार के हथियार थे और वो जिस तरह से वो बिना देखे ही चारों तरफ फायरिंग कर रही थी, उससे तो भगदड़ मचना ही था। किन्तु" अधिकांश फायरिंग व्यर्थ ही गया, परन्तु कुछ लोगों को घायल कर गया, जिसमें शांतनु देव भी था। उसके पांव की हड्डी में गोली लगी थी और वो भर्रा कर सड़क किनारे गिरा था। इसके बाद तो, शायद राईफल की गोली खतम हो गई थी, इसलिये ही वो औरत एक तरफ को भागने लगी। किन्तु" इस समय वहां मौजूद किसी के दिमाग में यह बात आई ही नहीं थी कि" हमला करने बाली एक औरत है और वो अब हमला करने के बाद भाग रही है।
                 कुछ पल पहले "गुलजार सा दिखने बाला हनुमान चौक" अब कोलाहल का केंद्र बन चुका था। तमाशा बीन की भीड़ जुटने लगी थी और सभी देखने बाले जुटने लगे थे। किन्तु" कोई ऐसा नहीं था कि" पुलिस को फोन कर दे, अथवा एंबुलेंस ही बुलवा दे। ऐसे में दर्द से तड़पते हुए शांतनु देव ने हिम्मत जुटाया। उसने मोबाइल निकाला और एक सौ आठ पर फोन लगा कर यहां घटित हुए घटना की सूचना दी और बेहोश हो गया। तब तक ट्रैफिक पुलिस भी वहां पर पहुंच चुका था। अतः आते ही उसने स्थिति संभाल ली। उसने देखा कि" कुल छ लोग थे, जिनको गोलियां लगी थी, लेकिन चिन्ता की बात नहीं थी। क्योंकि गोलियां किसी की जान ले, ऐसी जगह नहीं लगी थी। इसलिये उसने पुलिस स्टेशन फोन करके जानकारी दी और साथ ही शांतनु देव के बारे में भी बतला दिया। क्योंकि सलिल साहब के साथ उसे कितनी ही बार देख चुका था, इसलिये पहचानता था।
                                     इसके बाद तो, मुश्किल से अभी दस मिनट भी नहीं बीता होगा कि" एंबुलेंस आ गई। फिर तो घायलों को एँबुलेंस में डाला गया। उधर किसी ने सोस्यल मीडिया पर भी किसी ने घटना को लाइव कर दिया था, इसलिये मीडिया बाले भी भूखे गिद्ध की भांति टपक पड़े और घटना स्थल का कबरेज करने लगे।
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क्रमशः-
                                

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रचनाएँ
रजौली
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अपराध की पृष्ठभूमि होती है। बिना पृष्ठभूमि के अपराध हो ही नहीं सकता और पृष्ठभूमि हमारा समाज ही बनाता है। बिना सामाजिक एवं राजनीतिक पोषण के अपराध कभी भी पनप ही नहीं सकता।.....कहीं समाज किसी के ऊपर अत्याचार करता है, तो अपराध का जन्म होता है, तो कहीं समाज अपने निहित स्वार्थ को साधने के लिए अपराध को बाढावा देता है। कहने का तात्पर्य यही है कि" अपराध के जन्म लेने का कारण हम और आप कहीं न कहीं है। बिना राजनीतिक स्वार्थ के अपराधियों का मनोबल कभी भी नहीं बढ सकता। "रजौली" एक ऐसे युवती की कहानी है, जो अपने आप में ही उलझी हुई है। "रजौली" वास्तव में एक वेदना है, जो अत्यधिक शोषण की भट्टी से ज्वालामुखी बनकर निकलती है। मदन मोहन" मैत्रेय
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रजौली-एक छल कथा

5 नवम्बर 2022
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अपराध की पृष्ठभूमि होती है। बिना पृष्ठभूमि के अपराध हो ही नहीं सकता और पृष्ठभूमि हमारा समाज ही बनाता है। बिना सामाजिक एवं राजनीतिक पोषण के अपराध कभी भी पनप ही नहीं सकता।.....कहीं समाज किसी के ऊपर अत्य

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पुलिस मूख्यालय........

6 नवम्बर 2022
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दिन के दस बजे से ही पुलिस मूख्यालय में बैठकों का दौर जारी था। वैसे तो पंद्रह अगस्त को लेकर दिल्ली में आर्मी बालों का कमांड हो जाता है। फिर भी प्रशासनिक व्यवस्था संभालने की जिम्मेदारी पुलिस की होती है।

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खंडहर........

7 नवम्बर 2022
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शाम ढलने को व्याकुल हो चुका था। लगता था कि" अब कुछ ही देर में अँधेरे का साम्राज्य व्याप्त हो जाएगा और होना भी यही चाहिए। क्योंकि यह समय चक्र है और इसमें सभी कुछ निर्धारित होता है, पहले से ही। इससे आज

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घटना स्थल का मुआयना एवं सलिल का हाँस्पिटल जाना........

8 नवम्बर 2022
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शाम का अंधेरा घिरने लगा था, लेकिन अमूमन जैसा होता है, शहर पर इस अंधेरे का कोई प्रभाव नहीं पड़ा था। तभी तो हनुमान चौक का इलाका रोशनी में जगमगाता हुआ प्रतीत हो रहा था। लेकिन अभी वहां पर बिल्कुल मातमी सन्

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रीठाला मेट्रो स्टेशन.......

9 नवम्बर 2022
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रात के एक बजे, मेट्रो में अपेक्षाकृत काफी कम यात्रियों की संख्या थी। कोरोना काल के गुजर जाने के कारण शहर व्यवस्थित हो चुका था, किन्तु पहले जैसी रफ्तार अभी नहीं पकड़ पाया था। दूजे कि" रात ज्यादा हो जाने

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सलिल का हाँस्पिट से रीठाला मेट्रो स्टेशन की ओर जाना.........

10 नवम्बर 2022
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रात बारह बजे।सलिल हाँस्पिटल से बाहर निकला था और अब जूस की दुकान खोज रहा था। शांतनु देव को गोली लगने के कारण उसका हृदय बहुत हद तक मर्माहत हुआ था। बार-बार उसे शांतनु देव पर गुस्सा भी आ रहा था। इतना तेज-

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उस औरत को हाँस्पिटल ले जाना और पुलिस द्वारा प्रेस रीलिज दिया जाना........

11 नवम्बर 2022
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रोमील के द्वारा उन चारों घायलों को ले जाने के बाद सलिल ने उस औरत को देखा। तब तक हथियार धारी फोर्स उसके करीब पहुंच चुका था और उन लोगों की नजर सलिल पर टिक गई थी, मानो जानना चाहते हो कि" कुछ देर पहले किस

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मंत्री भानु शाली.......

12 नवम्बर 2022
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सुबह के पांच बज चुके थे।अमूमन तो इस समय मंत्री आवास पर किसी प्रकार का चहल-पहल नहीं होता था। किन्तु" अभी-अभी मंत्री साहब की आँख खुली थी और उन्होंने न्यूज चैनल लगा दिया था और ऐसे ही एक नजर देख लेने की इ

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रजौली को पुलिस स्टेशन लाना और उससे पूछताछ.......

14 नवम्बर 2022
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सुबह के छ बजते ही आकाश सूर्य किरण की आभा से जगमगा उठा। उगते हुए सूर्य के साथ ही एल.

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मंत्री भानु शाली का पंडित जगतपति से मिलना.......

14 नवम्बर 2022
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सुबह के आठ बज चुके थे और इसके साथ ही चारों ओर प्रकाश का साम्राज्य छा चुका था। वैसे भी आकाश साफ था, जिसके कारण किरण का निखार कुछ ज्यादा था। लेकिन मंत्री भानु शाली के चेहरे से प्रतीत हो रहा था कि" उनके

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टाँर्चर रुम........

15 नवम्बर 2022
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सलिल, रजौली के द्वारा इस तरह लगाए जा रहे ठहाकों से परेशान हो चुका था। उसे उम्मीद थी कि" रजौली इस तरह के हरकत करने के बाद शांत हो जाएगी और फिर उसके साथ सहयोग करेगी। किन्तु नहीं, रजौली तो रुक-रुक कर करी

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मुहम्मद काजी.........

16 नवम्बर 2022
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सफेद लुंगी, उसपर नीले रंग का कुर्ता और सिर पर जालीदार सफेद टोपी।....चेहरे पर चमक, आँखों पर गोल चश्मा, लंबा कद। चेहरे पर मूंछ नहीं थी, किन्तु" लंबी सफेद दाढी, उम्र यही करीब पचपन वर्ष के करीब। मुहम्मद क

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सलिल के द्वारा पेट्रोलिंग किया जाना और हाँस्पिटल पहुंचना.........

17 नवम्बर 2022
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एस. पी. साहब के जाने के बाद जैसे सलिल की तंद्रा टूटी हो। फिर तो उसने रोमील एवं राम माधवन को आँफिस में बुलाया और समझाया कि" उसे आगे क्या करना है? साथ ही उसने पुलिस मूख्यालय भी फोन कर दिया कि" अतिरिक्त

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सलिल की कुमाऊ रंजन से मुलाकात........

18 नवम्बर 2022
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सलिल को अचानक ही आया देखकर शांतनु देव चौंका जरूर था, किन्तु" उसने अपने चेहरे पर इन भावों को नहीं आने दिया और सलिल को अपने करीब बैठने के साथ ही उसके चेहरे पर नजर टिका दी। जबकि सलिल, उसके करीब बैठने के

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मंत्री साहब का वकील दिगंबर से मिलना.......

19 नवम्बर 2022
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शाम के सात बज चुके थे और अब आसमान में तारे जगमग करने लगे थे। मंत्री भानु शाली अभी अपने बंगले से निकला था" वकील से मिलने के लिए। वैसे भी कुछ सेकेन्ड पहले हुई जोरदार बारिश ने रोड पर पानी जमा कर दिया था।

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कुमाऊ रंजन के साथ सलिल का पुलिस स्टेशन लौटना.......

20 नवम्बर 2022
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अचानक से ही बरसात की शुरुआत हो जाने के कारण एक पल के लिए सलिल हकबका सा गया। एक तो रात का आलम ढल चुका था, दूसरे आसमान से तेज गति से गिर रही बारिश की बुंदे। एक पल के लिए उसे समझ ही नहीं आया कि, क्या करे

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शांतनु देव का स्वप्न.........

21 नवम्बर 2022
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शांतनु देव को पंख लग गए थे और वो आसमान में ऊँचे- ऊँचे उड़ता जा रहा था। उसकी कोशिश भी तो यही थी कि" नील गगन के आँचल में दूर-दूर तक परवाज करें और फिर उसके तो पंख लग गए थे। कोमल-कोमल सफेद पंख, जिसमें बहुत

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सलिल एवं एस. पी. साहब का पुलिस स्टेशन पहुंचना और रजौली से पूछताछ करना.......

22 नवम्बर 2022
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सुबह के पांच बजने के साथ ही सलिल ने अंगड़ाई ली। कहां तो रजौली के कहे अनुसार दिल्ली शहर धमाके की आवाज से दहल जाना चाहिए था, परन्तु....ऐसा कुछ भी नहीं हुआ था। शहर तो अपनी चाल में गति कर रहा था, ऐसे में स

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शांतनु देव की चिन्ता और पुलिस स्टेशन जाना.........

23 नवम्बर 2022
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मानव मन की रचना ईश्वर ने अजीब प्रकार की- की है। जब मानव सुख में होता है, चिंतन नहीं करता और जब दुःख में होता है, चिंतनशीलता का आवरण ओठ लेता है। परन्तु... विचार, जो कि" मानव मन के साथ हमेशा ही लगे रहते

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सलिल के द्वारा शहर के चक्कर लगाना और पुलिस स्टेशन लौटना...........

25 नवम्बर 2022
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दिन के दस बजने बाले थे, किन्तु सलिल को अभी तक कहीं सफलता नहीं मिली थी। रजौली" ने जितने भी पते बतलाए थे, उन तमाम जगहों पर अब तक छापामारी की गई थी। परन्तु....वे तमाम जगह, जहां दूर-दूर तक भी संभावना नहीं

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रजौली" से फिर से पूछताछ और कोर्ट की नोटिस........

25 नवम्बर 2022
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सलिल एवं एस. पी. साहब को अजीब नजरों से अपनी ओर देखता पाकर शांतनु देव एक पल के लिए बौखला ही गया। उसकी इच्छा हुई कि" दोनों से पुछे कि, इस तरह से क्यों देख रहे हो?...परन्तु अचानक ही उसने अपने इस विचार को

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रजौली की कोर्ट में पेशी और सलिल का अपार्ट मेंट पर लौटना.......

26 नवम्बर 2022
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कोर्ट के नोटिस को देखने के बाद जहां सलिल की त्योरियां चढ गई, वही पर एस. पी. साहब एवं शांतनु देव के चेहरे पर चिन्ता की लकीरें खींच गई। अब भला शांतनु देव से ज्यादा कौन इस बात को समझ सकता था कि" रजौली के

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कुमाऊ रंजन से शांतनु देव की मुलाकात और कुमाऊ रंजन का रजौली से मिलना.......

27 नवम्बर 2022
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अपार्ट मेंट के अंदर हाँल में कुमाऊ रंजन सोफे पर अकड़ूँ बैठा हुआ था, परन्तु.....उसकी नजर टी. बी स्क्रीन पर ही चिपकी हुई थी। टी. बी. स्क्रीन पर चल रहा एंटरटेंनमेंट, लगता था कि, कुमाऊ रंजन तन्मयता से देख

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मंत्री भानु शाली के घर मीटिंग.......

28 नवम्बर 2022
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शाम ढलने को तत्पर था और लगता था कि" रात के अंधेरे का आवरण अब वातावरण को अपने आगोश में समेट लेगा। ठीक उसी तरह मंत्री भानु शाली के हृदय में भी भय रुपी अंधेरा घनघोर बादल की तरह बढते जा रहे थे और आतुर थे

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हाँस्पिटल में कुमाऊ रंजन की यादाश्त वापस लौटना......

29 नवम्बर 2022
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अचानक ही कुमाऊ रंजन का तबीयत बिगड़ने के बाद सलिल उसे हाँस्पिटल ले आया था। डाक्टरों की टीम कुमाऊ रंजन को इमरजेंसी वार्ड में ले गई थी। परन्तु अब तक सलिल इस सदमे से बाहर नहीं आ सका था कि" आखिर कुमाऊ रंजन

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मंत्री भानुशाली का जज साहब से मिलना.......

30 नवम्बर 2022
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काफी मनोमंथन के बाद भी जब वे लोग किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंच सके। मुहम्मद काजी ने सुझाव दिया कि" क्यों न हम लोग जज साहब से मिल ले। शायद वहीं से कोई रास्ता निकल आए। दावा पूर्वक तो कुछ नहीं कहा जा सकता

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सलिल का कुमाऊ रंजन के साथ पुलिस स्टेशन लौटना और कुमाऊ रंजन का बीते दिनों की यादों में जाना.....

1 दिसम्बर 2022
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सलिल ने ड्राइविंग शीट संभाली, रोमील कुमाऊ रंजन के साथ पीछे बैठा, जबकि बगल बाली शीट पर शांतनु देव बैठ गए। इसके बाद सलिल ने कार श्टार्ट की और हाँस्पिटल गेट से निकाल कर सड़क पर दौड़ा दिया। यूं तो सलिल शांत

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