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पुलिस मूख्यालय........

6 नवम्बर 2022

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दिन के दस बजे से ही पुलिस मूख्यालय में बैठकों का दौर जारी था। वैसे तो पंद्रह अगस्त को लेकर दिल्ली में आर्मी बालों का कमांड हो जाता है। फिर भी प्रशासनिक व्यवस्था संभालने की जिम्मेदारी पुलिस की होती है। इस कारण से ही एस. पी. साहब ने रोहिणी के सभी थाना इंचार्ज को बुला लिया था। मामला अपने इलाके के सुरक्षा को लेकर था, इसलिये अंदर मीटिंग हाँल में मीटिंग चल रहा था।
                          किन्तु" सलिल इस मीटिंग के लंबे दौर से ऊब चुका था। इसलिये उसने एस. पी. साहब से अनुमति ली और निकल कर मीटिंग रूम से बाहर आ गया। वैसे भी अब शाम के चार बज चुके थे और लगातार मीटिंग में बैठे रहने के कारण उसके कमर में दर्द की अनुभूति होने लगी थी। वैसे भी इन दिनों कुछ विशेष काम नहीं रहता था, इसलिये सलिल ज्यादा टेंशन लेना नहीं चाहता था। जानता था कि".....टेंशन लेने के लिए सीनियर अधिकारी तो है ही, फिर वो क्यों टेंशन लेकर अपना सिर खपाये। तभी तो वो मीटिंग रूम से वो बाहर निकला और बाहर गैलरी में कदम रखते ही उसकी नजर रोमील पर गई।
                     जो टकटकी लगाए हुए मीटिंग रूम की ओर ही देख रहा था और जैसे ही उसकी नजर सलिल पर गई, उसका चेहरा खिल उठा।....फिर तो सलिल उसको लेकर कैंटिन की ओर बढ गया। फिर दोनों कैंटिन में बैठ गए और सलिल ने हाँट काँफी लाने के लिए आँडर दे दिया। फिर उसने रोमील के चेहरे पर नजर टिका दी। उसे इस तरह से अपनी ओर देखता पाकर रोमील चौंका, फिर उसने सलिल की ओर उत्सुकता से देखा। जबकि सलिल, वह तो सोच रहा था कि" रोमील से खुलकर बात करें। किन्तु" विषय तो कोई था नहीं, लेकिन उसे बात करनी थी, क्योंकि उसने बहुत दिनों से रोमील के साथ खुलकर बात नहीं की थी। अब ऐसी भी बात नहीं थी कि" दोनों अलग-अलग रहते थे। दोनों चौबीस घंटे साथ ही रहते थे, लेकिन फिर भी, सलिल उससे बिना मतलब की बात नहीं करता था। लेकिन आज उसकी इच्छा हो चली थी कि" वो बिना मतलब की बात ही करें, तभी तो बोला।
रोमील!.....आजकल शहर में कुछ शांति सी है। क्या लगता है तुम्हें?
सर!....आप भी न बिना सिर-पैर की बातें करते हो। फिर तो आपकी जुवान भी ऐसी है कि" आप जब भी शांति की बात करते हो, अपने इलाके कुछ न कुछ अशांति हो जाती है और अशांति भी ऐसी कि" मामला सुलझाते-सुलझाते दम निकल जाता है। सलिल की बातें सुनकर रोमील ने अपने शब्दों को चबा कर बोला। जबकि उसकी बातों को सुनकर सलिल मुस्कराया, फिर बोला।
तो फिर तुम यह कहना चाहते हो कि" मेरी जुवान ही काली है। मैं जब भी बोलता हूं,....वह परिणाम का रुप लेकर सामने आ जाता है। सलिल ने कहा और रोमील की ओर देखा, जबकि रोमील" उसकी बातों को सुनकर एक पल के लिए अचकचाया, फिर शब्दों को संभाल कर तौल- तौल कर बोला।
सर!.....ऐसी कोई बात नहीं है। किन्तु" इसे संयोग ही कहेंगे कि" आप जब भी बोलते है, कुछ न कुछ अनहोनी घटित हो जाता है। अब तक तो आपने देखा है कि" हम ऐसे दो मामलों से हमारा सामना हो चुका है। कहने के बाद रोमील ने सलिल के आँखों में देखा।
                              किन्तु" सलिल ने उसकी बातों का कोई जबाव नहीं दिया। वैसे भी रोमील ने जो कहा था, वह व्यर्थ तो नहीं था। जब-जब भी उसकी इच्छा होती थी कि" वह विशेष गपशप करें और जब वो बात करता था, तब- तब कोई न कोई विशेष घटना घटित हो जाती है। ऐसा ही तो हुआ था "रति संवाद" एवं "आथर्व खेमका" के बारे में। इसलिये सलिल की इच्छा अब जैसे कुंद हो गई थी। वह अब बात करने के मुड में नहीं था, तभी तो काँफी आने के बाद वह काफी पीने में जुट गया। उसे काँफी पीता देख कर रोमील ने भी उसका अनुसरण किया, किन्तु" अभी तो उन दोनों की आधी काँफी भी खतम नहीं हुई थी कि" सलिल के मोबाइल ने वीप दी।
                                अचानक से बजी मोबाइल की वीप ने सलिल के धड़कनों की स्पीड बढा दी थी। लेकिन काँल तो रीसिव करना ही था, तभी तो उसने मोबाइल निकाला और काँल रीसिव की। फिर तो उधर से न जाने क्या कहा गया कि" सलिल के हाथों से कप उछल पड़ी। चेहरे पर आश्चर्य के भाव और हाथों में कंपन, उसकी यह स्थिति देखकर रोमील सहज ही समझ गया कि" कोई तो बात है। जरूर कहीं न कहीं दुर्घटना घटित हुई है, जिसने बाँस के हौसले उड़ा दिए है। परन्तु, जब तक बाँस पुष्टि नहीं करता, अंदाजा लगाना उचित नहीं होगा, यही सोचकर रोमील सलिल के चेहरे को देखने लगा। जबकि उसे अपनी ओर ऐसे देखता पाकर सलिल ने काँल कट किया और एक पल उसकी ओर देखता रहा, फिर उसे बतलाने लगा कि" कुछ पल पहले हनुमान चौक पर किस तरह की घटना घटी है। फिर तो, चौंकने की बारी रोमील की थी, उसे लगा कि" बाँस ने उसके आस-पास शब्दों का बम फोड़ दिया हो।
                          जबकि सलिल अपनी जगह से उठ गया था और कैंटिन से बाहर भी निकल गया था। जबकि रोमील वापस गैलरी में आकर खड़ा हो गया। उधर सलिल ने अंदर मीटिंग रूम में जाकर तत्काल घटित हुए घटना के बारे में जानकारी दी। जिसका परिणाम यह हुआ कि" एक मिनट में ही पुलिस मूख्यालय में हलचल बढ गया। मामला गंभीर इसलिये भी था कि" स्वतंत्रता दिवस सिर पर था और ऐसे में यह घटना घटित हुआ था। ऐसे में स्वाभाविक ही था कि" सब के होश उड़ जाए। क्योंकि यह घटना आतंकी हमला भी हो सकता था। इस समय जो हनुमान चौक पर घटित हुआ था, उसकी भनक तो गृह मंत्रालय को भी लग चुका होगा। इस बात को सलिल एवं एस. पी. साहब अच्छी तरह से जानते थे।
                                   उन्हें इस बात का भी अंदाजा हो चुका था कि" अब तक तो घटना स्थल पर सीनियर अधिकारियों ने दौड़ लगा दी होगी। इसलिये सलिल ने रोमील को समझाया कि" वह राम माधवन को साथ ले-ले और एल. जी. के. हाँस्पिटल चला जाए और घायलों को देखे और वहां किसी प्रकार की दिक्कत हो, तो तुरंत ही सूचित करें। इसके बाद सलिल एस. पी. साहब के साथ बाहर निकला। बाहर कंपाऊंड में एस. पी. साहब की कार तैयार खड़ी थी। फिर क्या था, दोनों कार में बैठे और ड्राइवर ने कार आगे बढा दी। इसके बाद तो कार पुलिस मूख्यालय से निकलते ही सड़क पर सरपट दौड़ने लगी। उसी रफ्तार से सलिल की सोच भी दौड़ने लगा।
                       एक तो उसे विश्वास हो चुका था कि" उसकी जुवान काली है। वह जब भी कभी ऐसे ही अपनी जुवान खोलता है, उसकी बात सत्य हो जाती है। उसे अपनी सोच और खुद पर गुस्सा आ रहा था, ऐसे में अगर वो एस. पी. साहब के साथ नहीं होता" भगवान कसम खुद की गाल पर खुद ही थप्पड़ लगा चुका होता। किन्तु, अभी इस प्रकार की हरकत करना, उसे बिल्कुल भी उचित नहीं लगा था। दूसरे, उसके मन के किसी कोने में वेदना की लहर भी उठ रही थी, क्योंकि इस हमले में उसका प्रिय दोस्त शांतनु देव भी घायल हो चुका था। वैसे उसे मालूम हो चुका था कि" चिन्ता की बात बिल्कुल नहीं थी, क्योंकि गोली उसके पांव में लगी थी। फिर भी, तकलीफ तो उसे हुई ही थी, क्योंकि उसका परम इष्ट मित्र शांतनु देव इस हमले में घायल हो चुका था। खैर" शांतनु देव से तो वह बाद में भी मिल लेगा, फिलहाल तो उसे घटित हुए घटना के बारे में जानकारी इकट्ठी करनी है। सलिल अभी इसी बात को सोच रहा था कि" उनकी कार हनुमान चौक पहुंच गई।
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क्रमशः-
                                

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रचनाएँ
रजौली
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अपराध की पृष्ठभूमि होती है। बिना पृष्ठभूमि के अपराध हो ही नहीं सकता और पृष्ठभूमि हमारा समाज ही बनाता है। बिना सामाजिक एवं राजनीतिक पोषण के अपराध कभी भी पनप ही नहीं सकता।.....कहीं समाज किसी के ऊपर अत्याचार करता है, तो अपराध का जन्म होता है, तो कहीं समाज अपने निहित स्वार्थ को साधने के लिए अपराध को बाढावा देता है। कहने का तात्पर्य यही है कि" अपराध के जन्म लेने का कारण हम और आप कहीं न कहीं है। बिना राजनीतिक स्वार्थ के अपराधियों का मनोबल कभी भी नहीं बढ सकता। "रजौली" एक ऐसे युवती की कहानी है, जो अपने आप में ही उलझी हुई है। "रजौली" वास्तव में एक वेदना है, जो अत्यधिक शोषण की भट्टी से ज्वालामुखी बनकर निकलती है। मदन मोहन" मैत्रेय
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रजौली-एक छल कथा

5 नवम्बर 2022
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अपराध की पृष्ठभूमि होती है। बिना पृष्ठभूमि के अपराध हो ही नहीं सकता और पृष्ठभूमि हमारा समाज ही बनाता है। बिना सामाजिक एवं राजनीतिक पोषण के अपराध कभी भी पनप ही नहीं सकता।.....कहीं समाज किसी के ऊपर अत्य

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पुलिस मूख्यालय........

6 नवम्बर 2022
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खंडहर........

7 नवम्बर 2022
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शाम ढलने को व्याकुल हो चुका था। लगता था कि" अब कुछ ही देर में अँधेरे का साम्राज्य व्याप्त हो जाएगा और होना भी यही चाहिए। क्योंकि यह समय चक्र है और इसमें सभी कुछ निर्धारित होता है, पहले से ही। इससे आज

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घटना स्थल का मुआयना एवं सलिल का हाँस्पिटल जाना........

8 नवम्बर 2022
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शाम का अंधेरा घिरने लगा था, लेकिन अमूमन जैसा होता है, शहर पर इस अंधेरे का कोई प्रभाव नहीं पड़ा था। तभी तो हनुमान चौक का इलाका रोशनी में जगमगाता हुआ प्रतीत हो रहा था। लेकिन अभी वहां पर बिल्कुल मातमी सन्

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रीठाला मेट्रो स्टेशन.......

9 नवम्बर 2022
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रात के एक बजे, मेट्रो में अपेक्षाकृत काफी कम यात्रियों की संख्या थी। कोरोना काल के गुजर जाने के कारण शहर व्यवस्थित हो चुका था, किन्तु पहले जैसी रफ्तार अभी नहीं पकड़ पाया था। दूजे कि" रात ज्यादा हो जाने

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सलिल का हाँस्पिट से रीठाला मेट्रो स्टेशन की ओर जाना.........

10 नवम्बर 2022
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रात बारह बजे।सलिल हाँस्पिटल से बाहर निकला था और अब जूस की दुकान खोज रहा था। शांतनु देव को गोली लगने के कारण उसका हृदय बहुत हद तक मर्माहत हुआ था। बार-बार उसे शांतनु देव पर गुस्सा भी आ रहा था। इतना तेज-

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उस औरत को हाँस्पिटल ले जाना और पुलिस द्वारा प्रेस रीलिज दिया जाना........

11 नवम्बर 2022
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रोमील के द्वारा उन चारों घायलों को ले जाने के बाद सलिल ने उस औरत को देखा। तब तक हथियार धारी फोर्स उसके करीब पहुंच चुका था और उन लोगों की नजर सलिल पर टिक गई थी, मानो जानना चाहते हो कि" कुछ देर पहले किस

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मंत्री भानु शाली.......

12 नवम्बर 2022
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सुबह के पांच बज चुके थे।अमूमन तो इस समय मंत्री आवास पर किसी प्रकार का चहल-पहल नहीं होता था। किन्तु" अभी-अभी मंत्री साहब की आँख खुली थी और उन्होंने न्यूज चैनल लगा दिया था और ऐसे ही एक नजर देख लेने की इ

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रजौली को पुलिस स्टेशन लाना और उससे पूछताछ.......

14 नवम्बर 2022
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सुबह के छ बजते ही आकाश सूर्य किरण की आभा से जगमगा उठा। उगते हुए सूर्य के साथ ही एल.

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मंत्री भानु शाली का पंडित जगतपति से मिलना.......

14 नवम्बर 2022
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सुबह के आठ बज चुके थे और इसके साथ ही चारों ओर प्रकाश का साम्राज्य छा चुका था। वैसे भी आकाश साफ था, जिसके कारण किरण का निखार कुछ ज्यादा था। लेकिन मंत्री भानु शाली के चेहरे से प्रतीत हो रहा था कि" उनके

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टाँर्चर रुम........

15 नवम्बर 2022
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सलिल, रजौली के द्वारा इस तरह लगाए जा रहे ठहाकों से परेशान हो चुका था। उसे उम्मीद थी कि" रजौली इस तरह के हरकत करने के बाद शांत हो जाएगी और फिर उसके साथ सहयोग करेगी। किन्तु नहीं, रजौली तो रुक-रुक कर करी

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मुहम्मद काजी.........

16 नवम्बर 2022
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सफेद लुंगी, उसपर नीले रंग का कुर्ता और सिर पर जालीदार सफेद टोपी।....चेहरे पर चमक, आँखों पर गोल चश्मा, लंबा कद। चेहरे पर मूंछ नहीं थी, किन्तु" लंबी सफेद दाढी, उम्र यही करीब पचपन वर्ष के करीब। मुहम्मद क

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सलिल के द्वारा पेट्रोलिंग किया जाना और हाँस्पिटल पहुंचना.........

17 नवम्बर 2022
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एस. पी. साहब के जाने के बाद जैसे सलिल की तंद्रा टूटी हो। फिर तो उसने रोमील एवं राम माधवन को आँफिस में बुलाया और समझाया कि" उसे आगे क्या करना है? साथ ही उसने पुलिस मूख्यालय भी फोन कर दिया कि" अतिरिक्त

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सलिल की कुमाऊ रंजन से मुलाकात........

18 नवम्बर 2022
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सलिल को अचानक ही आया देखकर शांतनु देव चौंका जरूर था, किन्तु" उसने अपने चेहरे पर इन भावों को नहीं आने दिया और सलिल को अपने करीब बैठने के साथ ही उसके चेहरे पर नजर टिका दी। जबकि सलिल, उसके करीब बैठने के

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मंत्री साहब का वकील दिगंबर से मिलना.......

19 नवम्बर 2022
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शाम के सात बज चुके थे और अब आसमान में तारे जगमग करने लगे थे। मंत्री भानु शाली अभी अपने बंगले से निकला था" वकील से मिलने के लिए। वैसे भी कुछ सेकेन्ड पहले हुई जोरदार बारिश ने रोड पर पानी जमा कर दिया था।

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कुमाऊ रंजन के साथ सलिल का पुलिस स्टेशन लौटना.......

20 नवम्बर 2022
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अचानक से ही बरसात की शुरुआत हो जाने के कारण एक पल के लिए सलिल हकबका सा गया। एक तो रात का आलम ढल चुका था, दूसरे आसमान से तेज गति से गिर रही बारिश की बुंदे। एक पल के लिए उसे समझ ही नहीं आया कि, क्या करे

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शांतनु देव का स्वप्न.........

21 नवम्बर 2022
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शांतनु देव को पंख लग गए थे और वो आसमान में ऊँचे- ऊँचे उड़ता जा रहा था। उसकी कोशिश भी तो यही थी कि" नील गगन के आँचल में दूर-दूर तक परवाज करें और फिर उसके तो पंख लग गए थे। कोमल-कोमल सफेद पंख, जिसमें बहुत

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सलिल एवं एस. पी. साहब का पुलिस स्टेशन पहुंचना और रजौली से पूछताछ करना.......

22 नवम्बर 2022
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सुबह के पांच बजने के साथ ही सलिल ने अंगड़ाई ली। कहां तो रजौली के कहे अनुसार दिल्ली शहर धमाके की आवाज से दहल जाना चाहिए था, परन्तु....ऐसा कुछ भी नहीं हुआ था। शहर तो अपनी चाल में गति कर रहा था, ऐसे में स

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शांतनु देव की चिन्ता और पुलिस स्टेशन जाना.........

23 नवम्बर 2022
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मानव मन की रचना ईश्वर ने अजीब प्रकार की- की है। जब मानव सुख में होता है, चिंतन नहीं करता और जब दुःख में होता है, चिंतनशीलता का आवरण ओठ लेता है। परन्तु... विचार, जो कि" मानव मन के साथ हमेशा ही लगे रहते

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सलिल के द्वारा शहर के चक्कर लगाना और पुलिस स्टेशन लौटना...........

25 नवम्बर 2022
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दिन के दस बजने बाले थे, किन्तु सलिल को अभी तक कहीं सफलता नहीं मिली थी। रजौली" ने जितने भी पते बतलाए थे, उन तमाम जगहों पर अब तक छापामारी की गई थी। परन्तु....वे तमाम जगह, जहां दूर-दूर तक भी संभावना नहीं

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रजौली" से फिर से पूछताछ और कोर्ट की नोटिस........

25 नवम्बर 2022
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सलिल एवं एस. पी. साहब को अजीब नजरों से अपनी ओर देखता पाकर शांतनु देव एक पल के लिए बौखला ही गया। उसकी इच्छा हुई कि" दोनों से पुछे कि, इस तरह से क्यों देख रहे हो?...परन्तु अचानक ही उसने अपने इस विचार को

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रजौली की कोर्ट में पेशी और सलिल का अपार्ट मेंट पर लौटना.......

26 नवम्बर 2022
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कोर्ट के नोटिस को देखने के बाद जहां सलिल की त्योरियां चढ गई, वही पर एस. पी. साहब एवं शांतनु देव के चेहरे पर चिन्ता की लकीरें खींच गई। अब भला शांतनु देव से ज्यादा कौन इस बात को समझ सकता था कि" रजौली के

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कुमाऊ रंजन से शांतनु देव की मुलाकात और कुमाऊ रंजन का रजौली से मिलना.......

27 नवम्बर 2022
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अपार्ट मेंट के अंदर हाँल में कुमाऊ रंजन सोफे पर अकड़ूँ बैठा हुआ था, परन्तु.....उसकी नजर टी. बी स्क्रीन पर ही चिपकी हुई थी। टी. बी. स्क्रीन पर चल रहा एंटरटेंनमेंट, लगता था कि, कुमाऊ रंजन तन्मयता से देख

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मंत्री भानु शाली के घर मीटिंग.......

28 नवम्बर 2022
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शाम ढलने को तत्पर था और लगता था कि" रात के अंधेरे का आवरण अब वातावरण को अपने आगोश में समेट लेगा। ठीक उसी तरह मंत्री भानु शाली के हृदय में भी भय रुपी अंधेरा घनघोर बादल की तरह बढते जा रहे थे और आतुर थे

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हाँस्पिटल में कुमाऊ रंजन की यादाश्त वापस लौटना......

29 नवम्बर 2022
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अचानक ही कुमाऊ रंजन का तबीयत बिगड़ने के बाद सलिल उसे हाँस्पिटल ले आया था। डाक्टरों की टीम कुमाऊ रंजन को इमरजेंसी वार्ड में ले गई थी। परन्तु अब तक सलिल इस सदमे से बाहर नहीं आ सका था कि" आखिर कुमाऊ रंजन

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मंत्री भानुशाली का जज साहब से मिलना.......

30 नवम्बर 2022
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काफी मनोमंथन के बाद भी जब वे लोग किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंच सके। मुहम्मद काजी ने सुझाव दिया कि" क्यों न हम लोग जज साहब से मिल ले। शायद वहीं से कोई रास्ता निकल आए। दावा पूर्वक तो कुछ नहीं कहा जा सकता

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सलिल का कुमाऊ रंजन के साथ पुलिस स्टेशन लौटना और कुमाऊ रंजन का बीते दिनों की यादों में जाना.....

1 दिसम्बर 2022
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सलिल ने ड्राइविंग शीट संभाली, रोमील कुमाऊ रंजन के साथ पीछे बैठा, जबकि बगल बाली शीट पर शांतनु देव बैठ गए। इसके बाद सलिल ने कार श्टार्ट की और हाँस्पिटल गेट से निकाल कर सड़क पर दौड़ा दिया। यूं तो सलिल शांत

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