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उस औरत को हाँस्पिटल ले जाना और पुलिस द्वारा प्रेस रीलिज दिया जाना........

11 नवम्बर 2022

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रोमील के द्वारा उन चारों घायलों को ले जाने के बाद सलिल ने उस औरत को देखा। तब तक हथियार धारी फोर्स उसके करीब पहुंच चुका था और उन लोगों की नजर सलिल पर टिक गई थी, मानो जानना चाहते हो कि" कुछ देर पहले किस प्रकार की घटना घटित हुई है। सलिल ने उन जवानों के आँखों के भाव को पढ लिया और समझ गया कि" वे लोग आखिर किस प्रकार की जानकारी चाहते है। तभी तो उस औरत के पास से उठा और उन जवानों के पास जाकर उन्हें ताजा उत्पन्न हुए हालात के बारे में जानकारी दी और अभी वो उन लोगों को समझा ही रहा था कि" तभी सलिल की नजर आ रहे एँबुलेंस पर गई। फिर तो एँबुलेंस का गेट खुलते ही सलिल ने तेजी के साथ उस औरत को बांहों में उठाया और एँबुलेंस की और भागा। 
                फिर तो उस औरत को एँबुलेंस में चढाने के बाद खुद ही ड्राइवर के बगल में बैठा और फिर एँबुलेश श्टार्ट होकर सड़क पर दौड़ने लगी। इसके साथ ही सलिल के "विचार" भी दौड़ने लगे। इससे पहले उसने अभी तक औरत के इस तरह के रुप को नहीं देखा था। आँखों में लपट सी उठती हुई ज्वाला और हाथों से बरसाती हुई गोलियां। जिस समय वो औरत उसके कार से टकराई थी, रण चंडी सी प्रतीत हो रही थी।.....उसके इस रुप को देखकर एक पल के लिए सलिल घबरा सा गया था, एक पल को वो काफी भयभीत हो गया था। इसके बाद तो इस औरत का उसके कार का टकराना और अब तक का पल, उसे अभी भी यकीन नहीं हो रहा था कि" अभी-अभी जो उसके सामने घटित हुआ, वह सत्य है।
                              वही क्या, कोई और भी होता, तो इतनी जल्दी इस घटना पर विश्वास नहीं कर पाता। क्योंकि घटना ही इतनी तीव्र गति से घटित हुई थी कि" विश्वास कर पाना कठिन सा प्रतीत हो रहा था। किन्तु" घटना तो घटित हुआ था और उसके सामने घटित हुआ था और इसका सबूत भी उसके पास अभी मौजूद था। वो औरत अभी एँबुलेश में बेहोश थी और वो खुद अभी एँबुलेंस पर था, साथ ही अभी रोमील उसके साथ नहीं था। ऐसे में वो यह भी नहीं कह सकता था कि" वह अभी दिग्भ्रमित है। तभी तो उसको शांतनु देव के द्वारा कही गई बातें याद आने लगी। कि" घटना तो अचानक ही घटित होता है और इसका शिकार कोई भी हो सकता है।
                                   अब तो सलिल को थोड़ी शर्मिंदगी भी महसूस हो रही थी। उसने कितनी सहजता से शांतनु देव का उपहास उड़ा दिया था। किन्तु" नहीं-नहीं, उसने उपहास तो कदापि नहीं किया था। वह तो शांतनु के प्रति उसका प्रेम था और इस भय के कारण कि" कहीं उसे कुछ हो जाता तो?....इसी भय के कारण उसने शांतनु देव को केयर लेस कहा था। परन्तु अब जाकर उसे इस बात की अनुभूति हुई थी कि" हादसा तो अचानक ही घटित होता है और किसी के साथ भी घटित हो सकता है। इसमें बुद्धिमान होने और मूर्ख होने से कोई प्रभाव नहीं पड़ता। खैर" अब जो घटित हो गया, उसपर फिलहाल विचार करने से कोई फायदा नहीं होने बाला। अब तो यह विचार किया जाए कि" आगे क्या करना है?
                                 प्रश्न गंभीर था, क्योंकि अभी तक उसे यह भी पता नहीं था कि" वह औरत कौन है और उस ने इस प्रकार से पब्लिक प्लेस पर अचानक हमले क्यों किए?....उसकी गतिविधि बतला रही थी कि" उसने आतंकी हमले को अंजाम दिया है और वो एक आतंक वादी है। किन्तु" जब तक वो अपने मुख से कबूल नहीं कर लेती, कहा नहीं जा सकता था। उसमें भी अभी तो पंद्रह अगस्त नजदीक था और इस प्रकार की घटना का घटित हो जाना, मतलब कि" शहर में हलचल मच जाना था। वैसे ही शाम को उस औरत द्वारा अंजाम दिए गए वारदात ने अधिकारियों के हाथ-पांव फूला दिए थे और फिर एक ही दिन में दूसरी बार वारदात को अंजाम दिया जाना। बस इतनी बात दिमाग में आते ही सलिल को यह बात याद आया कि" अभी अधिकारियों को सूचना भी देना है।
                                तभी तो उसने मोबाइल निकाला और एस. पी. साहब को फोन लगा दिया और फिर उन्हें अभी घटित हुए घटना के बारे में जानकारी दे-दी। फिर क्या था, एस. पी. साहब ने सारी बातें जानने के बाद उसे निर्देशित किया कि" तुम हाँस्पिटल पर पहुंचो, मैं भी अभी तत्काल वहां पर आ रहा हूं। बस इतना कहने के बाद एस. पी. साहब ने फोन डिस्कनेक्ट कर दिया। इधर एँबुलेंस हाँस्पिटल के प्रांगण में प्रवेश कर चुकी थी। अतः फटाफट उस औरत को हाँस्पिटल के स्टाफ द्वारा एँबुलेंस से बाहर निकाला गया और आई. सी. यु. रूम में ले जाया गया। जबकि सलिल रोमील से मिलने के लिए गेस्ट रूम की ओर बढ गया और संयोग से रोमील उसे गेस्ट रूम में ही मिल गया, ऐसे ही बैठा हुआ।
                                 इसके बाद रोमील ने सलिल को जानकारी दी कि" उन चारों युवक- युवतियों को आपरेशन थियेटर में ले जाया गया है। बस सलिल ने राहत की सांस ली, किन्तु" अभी उसे शांति मिले, ऐसी परिस्थिति बिल्कुल भी नहीं थी। क्योंकि" हाँस्पिटल के बाहर मीडिया बालों का हुजूम जमा होने लगा था। जिसकी जानकारी राम माधवन ने आकर उसे दी। फिर क्या था, सलिल के कान खड़े हो गए। जानता था कि" अगर थोड़ी सी भी चुक हुई, तो यहां हाँस्पिटल में बहुत बड़ा हंगामा क्रिएट हो सकता है। इसलिये उसने इसकी जानकारी पुलिस मूख्यालय को दी और वहां से फोर्स की टुकड़ी मंगवा ली।
                                उधर एस. पी. साहब भी अधिकारियों के साथ हाँस्पिटल पहुंच चुके थे और अब हाँस्पिटल बिल्डिंग की ओर बढ रहे थे। जिसकी जानकारी होते ही सलिल बाहर निकल आया और उन लोगों का स्वागत किया। फिर उनको लेकर हाँस्पिटल के अंदर की ओर बढ गया। .....वैसे भी एस. पी. साहब सब से पहले उस औरत को ही देखना चाहते थे। इस कारण से सलिल उनको लेकर आई. सी. यु. रूम के सामने पहुंचा। किन्तु" अंदर उस औरत का इलाज चल रहा था, जिस कारण से उन्हें अंदर जाने की अनुमति नहीं मिली। उनका, उन चारों घायल युवक-युवतियों से भी मिलना नहीं हो सका। ऐसे में सलिल अधिकारियों के साथ वापस गेस्ट रूम में आ गया। जहां, उन लोगों के बीच आगे के रणनीति को लेकर मंत्रणा होने लगी।
                    बाहर हाँस्पिटल प्रांगण में काफी हलचल बढ चुका था। विभिन्न मीडिया हाउस के रिपोर्टर इसी जुगत में लग गए थे कि" किस प्रकार से हाँस्पिटल के अंदर प्रवेश कर सके। रात के दो बजे, इस तरह का कोलाहल होना, पुलिस अधिकारियों को समझ आ चुका था कि" अगर जल्द ही उन्होंने कोई निर्णय नहीं लिया, तो मामला बिगड़ भी सकता है। इसलिये एस. पी. साहब ने आनन-फानन में प्रेस नोट देने का फैसला कर लिया और हाँस्पिटल प्रबंधन को इसकी जानकारी दे-दी। इसके बाद तो गेस्ट रूम में ही प्रेस रीलिज के लिए हाँस्पिटल प्रबंधन द्वारा सारी तैयारी कर ली गई और मीडिया बालों को अंदर बुला लिया गया।
                         इसके बाद एस. पी. साहब ने मीडिया बालों को बतलाया कि" किस प्रकार से उस अंजान औरत ने शाम को हनुमान चौक पर और रात के एक बजे रीठाला मेट्रो स्टेशन के पास वारदात को अंजाम दिया। किन्तु" पुलिस आँफिसर सलिल की सजगता से एक बहुत बड़ा दुर्घटना होने से टल गया और वो औरत पुलिस के गिरफ्त में आ गई। परन्तु इस वारदात में कुछ आम नागरिकों को गोलियां लगी है, जिसकी डिटेल बाद में मीडिया बालों को दे-दी जाएगी। जब मीडिया बालों ने एस. पी. साहब से यह इच्छा जाहिर की कि" वे लोग उस औरत से मिलना चाहते है। इस पर एस. पी. साहब ने साफ इनकार कर दिया। उनका कहना था कि" फिलहाल तो ऐसा हो पाना नामुमकिन है। किन्तु" जैसे ही वो औरत आई. सी. यु. से बाहर आ जाएगी, आप लोगों को सूचित कर दिया जाएगा। इसके बाद एस. पी. साहब मीडिया बालों के प्रश्नों का उत्तर देते रहे।
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क्रमशः-
                                

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रचनाएँ
रजौली
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अपराध की पृष्ठभूमि होती है। बिना पृष्ठभूमि के अपराध हो ही नहीं सकता और पृष्ठभूमि हमारा समाज ही बनाता है। बिना सामाजिक एवं राजनीतिक पोषण के अपराध कभी भी पनप ही नहीं सकता।.....कहीं समाज किसी के ऊपर अत्याचार करता है, तो अपराध का जन्म होता है, तो कहीं समाज अपने निहित स्वार्थ को साधने के लिए अपराध को बाढावा देता है। कहने का तात्पर्य यही है कि" अपराध के जन्म लेने का कारण हम और आप कहीं न कहीं है। बिना राजनीतिक स्वार्थ के अपराधियों का मनोबल कभी भी नहीं बढ सकता। "रजौली" एक ऐसे युवती की कहानी है, जो अपने आप में ही उलझी हुई है। "रजौली" वास्तव में एक वेदना है, जो अत्यधिक शोषण की भट्टी से ज्वालामुखी बनकर निकलती है। मदन मोहन" मैत्रेय
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रजौली-एक छल कथा

5 नवम्बर 2022
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अपराध की पृष्ठभूमि होती है। बिना पृष्ठभूमि के अपराध हो ही नहीं सकता और पृष्ठभूमि हमारा समाज ही बनाता है। बिना सामाजिक एवं राजनीतिक पोषण के अपराध कभी भी पनप ही नहीं सकता।.....कहीं समाज किसी के ऊपर अत्य

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पुलिस मूख्यालय........

6 नवम्बर 2022
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दिन के दस बजे से ही पुलिस मूख्यालय में बैठकों का दौर जारी था। वैसे तो पंद्रह अगस्त को लेकर दिल्ली में आर्मी बालों का कमांड हो जाता है। फिर भी प्रशासनिक व्यवस्था संभालने की जिम्मेदारी पुलिस की होती है।

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खंडहर........

7 नवम्बर 2022
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शाम ढलने को व्याकुल हो चुका था। लगता था कि" अब कुछ ही देर में अँधेरे का साम्राज्य व्याप्त हो जाएगा और होना भी यही चाहिए। क्योंकि यह समय चक्र है और इसमें सभी कुछ निर्धारित होता है, पहले से ही। इससे आज

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घटना स्थल का मुआयना एवं सलिल का हाँस्पिटल जाना........

8 नवम्बर 2022
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शाम का अंधेरा घिरने लगा था, लेकिन अमूमन जैसा होता है, शहर पर इस अंधेरे का कोई प्रभाव नहीं पड़ा था। तभी तो हनुमान चौक का इलाका रोशनी में जगमगाता हुआ प्रतीत हो रहा था। लेकिन अभी वहां पर बिल्कुल मातमी सन्

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रीठाला मेट्रो स्टेशन.......

9 नवम्बर 2022
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रात के एक बजे, मेट्रो में अपेक्षाकृत काफी कम यात्रियों की संख्या थी। कोरोना काल के गुजर जाने के कारण शहर व्यवस्थित हो चुका था, किन्तु पहले जैसी रफ्तार अभी नहीं पकड़ पाया था। दूजे कि" रात ज्यादा हो जाने

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सलिल का हाँस्पिट से रीठाला मेट्रो स्टेशन की ओर जाना.........

10 नवम्बर 2022
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रात बारह बजे।सलिल हाँस्पिटल से बाहर निकला था और अब जूस की दुकान खोज रहा था। शांतनु देव को गोली लगने के कारण उसका हृदय बहुत हद तक मर्माहत हुआ था। बार-बार उसे शांतनु देव पर गुस्सा भी आ रहा था। इतना तेज-

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उस औरत को हाँस्पिटल ले जाना और पुलिस द्वारा प्रेस रीलिज दिया जाना........

11 नवम्बर 2022
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रोमील के द्वारा उन चारों घायलों को ले जाने के बाद सलिल ने उस औरत को देखा। तब तक हथियार धारी फोर्स उसके करीब पहुंच चुका था और उन लोगों की नजर सलिल पर टिक गई थी, मानो जानना चाहते हो कि" कुछ देर पहले किस

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मंत्री भानु शाली.......

12 नवम्बर 2022
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सुबह के पांच बज चुके थे।अमूमन तो इस समय मंत्री आवास पर किसी प्रकार का चहल-पहल नहीं होता था। किन्तु" अभी-अभी मंत्री साहब की आँख खुली थी और उन्होंने न्यूज चैनल लगा दिया था और ऐसे ही एक नजर देख लेने की इ

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रजौली को पुलिस स्टेशन लाना और उससे पूछताछ.......

14 नवम्बर 2022
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सुबह के छ बजते ही आकाश सूर्य किरण की आभा से जगमगा उठा। उगते हुए सूर्य के साथ ही एल.

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मंत्री भानु शाली का पंडित जगतपति से मिलना.......

14 नवम्बर 2022
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सुबह के आठ बज चुके थे और इसके साथ ही चारों ओर प्रकाश का साम्राज्य छा चुका था। वैसे भी आकाश साफ था, जिसके कारण किरण का निखार कुछ ज्यादा था। लेकिन मंत्री भानु शाली के चेहरे से प्रतीत हो रहा था कि" उनके

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टाँर्चर रुम........

15 नवम्बर 2022
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सलिल, रजौली के द्वारा इस तरह लगाए जा रहे ठहाकों से परेशान हो चुका था। उसे उम्मीद थी कि" रजौली इस तरह के हरकत करने के बाद शांत हो जाएगी और फिर उसके साथ सहयोग करेगी। किन्तु नहीं, रजौली तो रुक-रुक कर करी

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मुहम्मद काजी.........

16 नवम्बर 2022
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सफेद लुंगी, उसपर नीले रंग का कुर्ता और सिर पर जालीदार सफेद टोपी।....चेहरे पर चमक, आँखों पर गोल चश्मा, लंबा कद। चेहरे पर मूंछ नहीं थी, किन्तु" लंबी सफेद दाढी, उम्र यही करीब पचपन वर्ष के करीब। मुहम्मद क

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सलिल के द्वारा पेट्रोलिंग किया जाना और हाँस्पिटल पहुंचना.........

17 नवम्बर 2022
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एस. पी. साहब के जाने के बाद जैसे सलिल की तंद्रा टूटी हो। फिर तो उसने रोमील एवं राम माधवन को आँफिस में बुलाया और समझाया कि" उसे आगे क्या करना है? साथ ही उसने पुलिस मूख्यालय भी फोन कर दिया कि" अतिरिक्त

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सलिल की कुमाऊ रंजन से मुलाकात........

18 नवम्बर 2022
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सलिल को अचानक ही आया देखकर शांतनु देव चौंका जरूर था, किन्तु" उसने अपने चेहरे पर इन भावों को नहीं आने दिया और सलिल को अपने करीब बैठने के साथ ही उसके चेहरे पर नजर टिका दी। जबकि सलिल, उसके करीब बैठने के

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मंत्री साहब का वकील दिगंबर से मिलना.......

19 नवम्बर 2022
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शाम के सात बज चुके थे और अब आसमान में तारे जगमग करने लगे थे। मंत्री भानु शाली अभी अपने बंगले से निकला था" वकील से मिलने के लिए। वैसे भी कुछ सेकेन्ड पहले हुई जोरदार बारिश ने रोड पर पानी जमा कर दिया था।

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कुमाऊ रंजन के साथ सलिल का पुलिस स्टेशन लौटना.......

20 नवम्बर 2022
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अचानक से ही बरसात की शुरुआत हो जाने के कारण एक पल के लिए सलिल हकबका सा गया। एक तो रात का आलम ढल चुका था, दूसरे आसमान से तेज गति से गिर रही बारिश की बुंदे। एक पल के लिए उसे समझ ही नहीं आया कि, क्या करे

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शांतनु देव का स्वप्न.........

21 नवम्बर 2022
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शांतनु देव को पंख लग गए थे और वो आसमान में ऊँचे- ऊँचे उड़ता जा रहा था। उसकी कोशिश भी तो यही थी कि" नील गगन के आँचल में दूर-दूर तक परवाज करें और फिर उसके तो पंख लग गए थे। कोमल-कोमल सफेद पंख, जिसमें बहुत

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सलिल एवं एस. पी. साहब का पुलिस स्टेशन पहुंचना और रजौली से पूछताछ करना.......

22 नवम्बर 2022
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सुबह के पांच बजने के साथ ही सलिल ने अंगड़ाई ली। कहां तो रजौली के कहे अनुसार दिल्ली शहर धमाके की आवाज से दहल जाना चाहिए था, परन्तु....ऐसा कुछ भी नहीं हुआ था। शहर तो अपनी चाल में गति कर रहा था, ऐसे में स

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शांतनु देव की चिन्ता और पुलिस स्टेशन जाना.........

23 नवम्बर 2022
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मानव मन की रचना ईश्वर ने अजीब प्रकार की- की है। जब मानव सुख में होता है, चिंतन नहीं करता और जब दुःख में होता है, चिंतनशीलता का आवरण ओठ लेता है। परन्तु... विचार, जो कि" मानव मन के साथ हमेशा ही लगे रहते

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सलिल के द्वारा शहर के चक्कर लगाना और पुलिस स्टेशन लौटना...........

25 नवम्बर 2022
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दिन के दस बजने बाले थे, किन्तु सलिल को अभी तक कहीं सफलता नहीं मिली थी। रजौली" ने जितने भी पते बतलाए थे, उन तमाम जगहों पर अब तक छापामारी की गई थी। परन्तु....वे तमाम जगह, जहां दूर-दूर तक भी संभावना नहीं

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रजौली" से फिर से पूछताछ और कोर्ट की नोटिस........

25 नवम्बर 2022
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सलिल एवं एस. पी. साहब को अजीब नजरों से अपनी ओर देखता पाकर शांतनु देव एक पल के लिए बौखला ही गया। उसकी इच्छा हुई कि" दोनों से पुछे कि, इस तरह से क्यों देख रहे हो?...परन्तु अचानक ही उसने अपने इस विचार को

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रजौली की कोर्ट में पेशी और सलिल का अपार्ट मेंट पर लौटना.......

26 नवम्बर 2022
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कोर्ट के नोटिस को देखने के बाद जहां सलिल की त्योरियां चढ गई, वही पर एस. पी. साहब एवं शांतनु देव के चेहरे पर चिन्ता की लकीरें खींच गई। अब भला शांतनु देव से ज्यादा कौन इस बात को समझ सकता था कि" रजौली के

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कुमाऊ रंजन से शांतनु देव की मुलाकात और कुमाऊ रंजन का रजौली से मिलना.......

27 नवम्बर 2022
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अपार्ट मेंट के अंदर हाँल में कुमाऊ रंजन सोफे पर अकड़ूँ बैठा हुआ था, परन्तु.....उसकी नजर टी. बी स्क्रीन पर ही चिपकी हुई थी। टी. बी. स्क्रीन पर चल रहा एंटरटेंनमेंट, लगता था कि, कुमाऊ रंजन तन्मयता से देख

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मंत्री भानु शाली के घर मीटिंग.......

28 नवम्बर 2022
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शाम ढलने को तत्पर था और लगता था कि" रात के अंधेरे का आवरण अब वातावरण को अपने आगोश में समेट लेगा। ठीक उसी तरह मंत्री भानु शाली के हृदय में भी भय रुपी अंधेरा घनघोर बादल की तरह बढते जा रहे थे और आतुर थे

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हाँस्पिटल में कुमाऊ रंजन की यादाश्त वापस लौटना......

29 नवम्बर 2022
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अचानक ही कुमाऊ रंजन का तबीयत बिगड़ने के बाद सलिल उसे हाँस्पिटल ले आया था। डाक्टरों की टीम कुमाऊ रंजन को इमरजेंसी वार्ड में ले गई थी। परन्तु अब तक सलिल इस सदमे से बाहर नहीं आ सका था कि" आखिर कुमाऊ रंजन

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मंत्री भानुशाली का जज साहब से मिलना.......

30 नवम्बर 2022
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काफी मनोमंथन के बाद भी जब वे लोग किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंच सके। मुहम्मद काजी ने सुझाव दिया कि" क्यों न हम लोग जज साहब से मिल ले। शायद वहीं से कोई रास्ता निकल आए। दावा पूर्वक तो कुछ नहीं कहा जा सकता

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सलिल का कुमाऊ रंजन के साथ पुलिस स्टेशन लौटना और कुमाऊ रंजन का बीते दिनों की यादों में जाना.....

1 दिसम्बर 2022
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सलिल ने ड्राइविंग शीट संभाली, रोमील कुमाऊ रंजन के साथ पीछे बैठा, जबकि बगल बाली शीट पर शांतनु देव बैठ गए। इसके बाद सलिल ने कार श्टार्ट की और हाँस्पिटल गेट से निकाल कर सड़क पर दौड़ा दिया। यूं तो सलिल शांत

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