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मंत्री भानुशाली का जज साहब से मिलना.......

30 नवम्बर 2022

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काफी मनोमंथन के बाद भी जब वे लोग किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंच सके। मुहम्मद काजी ने सुझाव दिया कि" क्यों न हम लोग जज साहब से मिल ले। शायद वहीं से कोई रास्ता निकल आए। दावा पूर्वक तो कुछ नहीं कहा जा सकता था कि" जज साहब उनके कार्य को कर ही देंगे, परन्तु प्रयास तो करना ही था और कहते है न कि" मरता क्या नहीं करता। उनकी जान सांसत में फंसी हुई थी और ऐसे में अगर चाँद पर जाने से भी समस्या का हल मिलने बाला होता, तो सहर्ष ही तैयार हो जाते मंत्री साहब, फिर यह तो जज के पास जाकर मिलने की बात थी, तो इसमें हर्ज ही क्या था।
                             फिर तो, जीवन में स्वार्थ को साधने के लिए मनुष्य न तो गलत सोचता है और न सही सोचता है, बस करता वही है, जो उसके अनुकूल बैठता है। इस कारण से काजी की बातें सुनते ही मंत्री साहब सहर्ष तैयार हो गए। तब तक अंदर से एक बार और काँफी आ चुका था, जिसे उन लोगों ने पिया, फिर बाहर निकले। बाहर निकलते समय मंत्री साहब ने कलाईं घड़ी देखी, रात के नौ बजने बाले थे। फिर चारों कार में बैठे, फिर ड्राइविंग शीट पर बैठे हुए पुजारी ने कार श्टार्ट की और आगे बढा दिया। किन्तु" कार को मंजिल की ओर बढते देखकर भी न जाने क्यों मंत्री साहब के चेहरे पर खुशी के भाव नहीं थे, वे अभी उलझे हुए थे।
                        उन्हें पता नहीं था कि" जज वाय एस सिंन्हा किस प्रकार के इंसान है?....आज तक कोई ऐसा मसला ही नहीं आया था कि" वो जज वाय. एस. सिंन्हा से मुलाकात करें। पता नहीं किस प्रकार के इंसान है वे? फिर वे मिलने के बाद भी काम करने के लिए तैयार होते है या नहीं?...गंभीर प्रश्न था, जिसका उत्तर मालूम नहीं था उन्हें। फिर भी, एक आशा-एक विश्वास के साथ जा रहे थे उनके पास। बस इसी बात के लिए कि" काम बनाने के लिए हर संभव कोशिश करेंगे। परन्तु....फिर भी, अगर बात नहीं बनी तो?....यह गंभीर प्रश्न था, जिसका उत्तर कमोवेश उन्हें मालूम था। जानते थे कि" इसके बाद तो उनके जीवन में तुषारापात होने से कोई नहीं रोक सकता।
                                उनकी कार दिल्ली की सड़क पर भागी जा रही थी और उसी रफ्तार से उनके विचार भी भागे जा रहे थे। अब ऐसी बात भी नहीं थी कि" काजी विचार मग्न नहीं था, पुजारी के चेहरे पर चिन्ता की छाया नहीं थी और वकील विचारों में उलझा हुआ नहीं था। सभी विचारों" के विषम जाल में ही उलझे हुए थे और अपने- अपने तरीके से मसले को सुलझाने की कोशिश कर रहे थे। फिर भी, मसला सुलझने की बजाय और भी उलझता जा रहा था। परन्तु....समय को इससे कोई मतलब नहीं होता। वह तो अपने रफ्तार से ही गति करता है, शनै -शनै- धीमे-धीमे। तभी तो उनकी कार वैभव बंगला के कंपाऊंड में पहुंच गई, तब उनकी तंद्रा टूटी।
                                 फिर तो पुजारी ने कार पार्क की और फिर वे लोग बिल्डिंग के अंदर की ओर बढे। वैभव बिला, रोशनी से जगमग करता हुआ, अपने आप में वैभव को समेटे हुए। हां, जज साहब अपनी पत्नी मनोरमा के साथ यही पर निवास करते थे। उनके बच्चे विदेशों में सेटल थे, ऐसे में वे दोनों अकेले ही इस विशाल बंगले में निवास करते थे। अभी भी जज साहब हाँल में सोफे पर बैठे हुए न्यूज देख रहे थे, जबकि" उनकी पत्नी मनोरमा देवी किचन में रात का डिनर तैयार कर रही थी। सात्विक विचार के जज साहब नौकरों के हाथों का खाना पसंद नहीं करते थे, ऐसे में दोनों पति-पत्नी ज्यादातर काम खुद ही करते थे। अभी भी तो यही हुआ था, जज साहब ने किचन के कामों में मनोरमा देवी का हाथ बंटाया था और अब जाकर हाँल में आकर न्यूज देखने लगे थे।
                              तभी हाँल के अंदर मंत्री साहब ने दल-बल के साथ कदम रखा और आगंतुक को देखकर सहज ही जज साहब के चेहरे पर प्रश्न के भाव उभड़े। क्योंकि" उनका स्वभाव ऐसा था कि, वो ज्यादातर अंजान लोगों से दूरी बनाकर रहते थे। ऐसे में रात के इस समय, जब रात के दस बजने बाले हो, अंजान लोगों का इस तरह से आना, स्वाभाविक था कि" उनके चेहरे पर प्रश्न आए। इधर मंत्री साहब ने भी उनके चेहरे पर उभड़े प्रश्नों को समझ लिया, तभी तो वे लोग आगे बढे और सोफे पर बैठ गए, उसके बाद जज साहब से मुखातिब हुए।
नमस्कार सिंन्हा साहब!....शायद हम दोनों व्यक्तिगत तौर पर कभी भी मिले नहीं और एक दूसरे को जानते भी नहीं। परन्तु...परिस्थिति ऐसी उत्पन्न हो गई कि" अचानक ही आपके सामने आना पड़ा। बोलने के बाद मंत्री साहब एक पल के लिए रुके, फिर आगे बोले। मैं मंत्री भानु शाली, ये रहे पुजारी जगतपति और ये मुहम्मद काजी और आप इन साहबान से परिचित तो होंगे ही, वकील दिगंबर। इनकी ही प्रेरणा से हम लोग यहां आए है। मंत्री साहब ने कहा और नजर जज साहब के चेहरे पर टिका दी। जबकि" उनकी बात सुनकर जज साहब सौम्यता पूर्वक बोले।
आप यहां आए, तो हार्दिक खुशी हुई। आप लोगों का मैं स्वागत करता हूं। जज साहब कह कर एक पल के लिए रुके, फिर उन चारों के चेहरे को देखा, इसके बाद बोले। परन्तु....आप मुझे वह उद्देश्य बतलाएँ, जिसके लिए आप लोगों का यहां आना हुआ। जज साहब ने कहा और बारी- बारी से उन चारों के चेहरे को देखने लगे। जबकि, उनकी बातें सुनकर जगतपति तपाक से बोल पड़ा।
सर!....हम बातों की शुरुआत कहां से करें?....समझ ही नहीं आता। अगर आप आश्वासन दे कि" आप मदद करने को तैयार होंगे, तब शायद परेशानी कहने में सुविधा हो। अन्यथा तो मन में झिझक बनी ही रहेगी और फिर सही ढंग से अपनी बात नहीं कह सकूंगा। 
श्रीमान!...जब तक आप लोग अपनी परेशानी नहीं बतला देते, भला मैं आश्वासन किस तरह से दे दूं। आपकी बातें सुनने के बाद ही मैं फैसला कर सकता हूं कि" आप मदद करने योग्य है, या नहीं। पंडित जगतपति की बातें सुनने के बाद जज साहब ने तीखी प्रतिक्रिया दी।
                                इसके बाद तो, तीनों को इस बात की अनुभूति हो गई कि" सामने बाले शख्स को बातों में फंसाना इतना आसान नहीं। फिर तो मंत्री साहब ने मन ही मन फैसला कर लिया और फिर जज साहब को बतलाने लगे कि" आखिर उनके सामने किस तरह की परेशानी आ गई है। उन्होंने जज साहब को बतलाया कि" वे किस तरह कानूनी रुप से मददगार साबित हो सकते है। जज साहब उनकी बात ध्यानपूर्वक सुन रहे थे। इस बीच उन्होंने काँफी भी मंगवा लिया था, परन्तु....कप उन लोगों के सामने ऐसे ही पड़ा हुआ था। फिर तो मंत्री साहब ने अपनी बात खतम की और आशा भरी नजरों से जज साहब के चेहरे को देखने लगे। जबकि" जज साहब ने उनकी बातें खतम होते ही शांत प्रतिक्रिया दी।
आप लोग शायद गलत जगह पर आ गए है, अन्यथा, तो आपका इरादा गलत है। लेकिन मैं आपको स्पष्ट कर दूं कि" इस मामले में मैं आपका किसी तरह से मदद नहीं कर पाऊँगा। बोलने के बाद एक पल के लिए रुके जज साहब और उन लोगों के चेहरे पर पसरे हुए निराशा को देखा, फिर आगे बोले। इससे तो बेहतर यही होगा कि" आप लोग अपने बचाव के लिए कोई दूसरा संसाधन ढूंढो। जज साहब ने अपने अंतिम के शब्दों पर जोर देकर कहा। फिर उन लोगों को इशारा किया कि" काँफी पीजिए। फिर तो वे लोग काँफी पीने लगे। परन्तु.....जज साहब के स्पष्ट विचार जान लेने के बाद उन चारों के चेहरे पर उदासी की गहरी परत फैल गई थी। उनकी आँखों में अनिश्चितता के गहरे काले बादल मंडराने लगे थे।
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क्रमशः-

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रचनाएँ
रजौली
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अपराध की पृष्ठभूमि होती है। बिना पृष्ठभूमि के अपराध हो ही नहीं सकता और पृष्ठभूमि हमारा समाज ही बनाता है। बिना सामाजिक एवं राजनीतिक पोषण के अपराध कभी भी पनप ही नहीं सकता।.....कहीं समाज किसी के ऊपर अत्याचार करता है, तो अपराध का जन्म होता है, तो कहीं समाज अपने निहित स्वार्थ को साधने के लिए अपराध को बाढावा देता है। कहने का तात्पर्य यही है कि" अपराध के जन्म लेने का कारण हम और आप कहीं न कहीं है। बिना राजनीतिक स्वार्थ के अपराधियों का मनोबल कभी भी नहीं बढ सकता। "रजौली" एक ऐसे युवती की कहानी है, जो अपने आप में ही उलझी हुई है। "रजौली" वास्तव में एक वेदना है, जो अत्यधिक शोषण की भट्टी से ज्वालामुखी बनकर निकलती है। मदन मोहन" मैत्रेय
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रजौली-एक छल कथा

5 नवम्बर 2022
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अपराध की पृष्ठभूमि होती है। बिना पृष्ठभूमि के अपराध हो ही नहीं सकता और पृष्ठभूमि हमारा समाज ही बनाता है। बिना सामाजिक एवं राजनीतिक पोषण के अपराध कभी भी पनप ही नहीं सकता।.....कहीं समाज किसी के ऊपर अत्य

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पुलिस मूख्यालय........

6 नवम्बर 2022
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दिन के दस बजे से ही पुलिस मूख्यालय में बैठकों का दौर जारी था। वैसे तो पंद्रह अगस्त को लेकर दिल्ली में आर्मी बालों का कमांड हो जाता है। फिर भी प्रशासनिक व्यवस्था संभालने की जिम्मेदारी पुलिस की होती है।

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खंडहर........

7 नवम्बर 2022
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शाम ढलने को व्याकुल हो चुका था। लगता था कि" अब कुछ ही देर में अँधेरे का साम्राज्य व्याप्त हो जाएगा और होना भी यही चाहिए। क्योंकि यह समय चक्र है और इसमें सभी कुछ निर्धारित होता है, पहले से ही। इससे आज

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घटना स्थल का मुआयना एवं सलिल का हाँस्पिटल जाना........

8 नवम्बर 2022
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शाम का अंधेरा घिरने लगा था, लेकिन अमूमन जैसा होता है, शहर पर इस अंधेरे का कोई प्रभाव नहीं पड़ा था। तभी तो हनुमान चौक का इलाका रोशनी में जगमगाता हुआ प्रतीत हो रहा था। लेकिन अभी वहां पर बिल्कुल मातमी सन्

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रीठाला मेट्रो स्टेशन.......

9 नवम्बर 2022
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रात के एक बजे, मेट्रो में अपेक्षाकृत काफी कम यात्रियों की संख्या थी। कोरोना काल के गुजर जाने के कारण शहर व्यवस्थित हो चुका था, किन्तु पहले जैसी रफ्तार अभी नहीं पकड़ पाया था। दूजे कि" रात ज्यादा हो जाने

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सलिल का हाँस्पिट से रीठाला मेट्रो स्टेशन की ओर जाना.........

10 नवम्बर 2022
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रात बारह बजे।सलिल हाँस्पिटल से बाहर निकला था और अब जूस की दुकान खोज रहा था। शांतनु देव को गोली लगने के कारण उसका हृदय बहुत हद तक मर्माहत हुआ था। बार-बार उसे शांतनु देव पर गुस्सा भी आ रहा था। इतना तेज-

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उस औरत को हाँस्पिटल ले जाना और पुलिस द्वारा प्रेस रीलिज दिया जाना........

11 नवम्बर 2022
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रोमील के द्वारा उन चारों घायलों को ले जाने के बाद सलिल ने उस औरत को देखा। तब तक हथियार धारी फोर्स उसके करीब पहुंच चुका था और उन लोगों की नजर सलिल पर टिक गई थी, मानो जानना चाहते हो कि" कुछ देर पहले किस

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मंत्री भानु शाली.......

12 नवम्बर 2022
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सुबह के पांच बज चुके थे।अमूमन तो इस समय मंत्री आवास पर किसी प्रकार का चहल-पहल नहीं होता था। किन्तु" अभी-अभी मंत्री साहब की आँख खुली थी और उन्होंने न्यूज चैनल लगा दिया था और ऐसे ही एक नजर देख लेने की इ

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रजौली को पुलिस स्टेशन लाना और उससे पूछताछ.......

14 नवम्बर 2022
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सुबह के छ बजते ही आकाश सूर्य किरण की आभा से जगमगा उठा। उगते हुए सूर्य के साथ ही एल.

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मंत्री भानु शाली का पंडित जगतपति से मिलना.......

14 नवम्बर 2022
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सुबह के आठ बज चुके थे और इसके साथ ही चारों ओर प्रकाश का साम्राज्य छा चुका था। वैसे भी आकाश साफ था, जिसके कारण किरण का निखार कुछ ज्यादा था। लेकिन मंत्री भानु शाली के चेहरे से प्रतीत हो रहा था कि" उनके

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टाँर्चर रुम........

15 नवम्बर 2022
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सलिल, रजौली के द्वारा इस तरह लगाए जा रहे ठहाकों से परेशान हो चुका था। उसे उम्मीद थी कि" रजौली इस तरह के हरकत करने के बाद शांत हो जाएगी और फिर उसके साथ सहयोग करेगी। किन्तु नहीं, रजौली तो रुक-रुक कर करी

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मुहम्मद काजी.........

16 नवम्बर 2022
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सफेद लुंगी, उसपर नीले रंग का कुर्ता और सिर पर जालीदार सफेद टोपी।....चेहरे पर चमक, आँखों पर गोल चश्मा, लंबा कद। चेहरे पर मूंछ नहीं थी, किन्तु" लंबी सफेद दाढी, उम्र यही करीब पचपन वर्ष के करीब। मुहम्मद क

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सलिल के द्वारा पेट्रोलिंग किया जाना और हाँस्पिटल पहुंचना.........

17 नवम्बर 2022
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एस. पी. साहब के जाने के बाद जैसे सलिल की तंद्रा टूटी हो। फिर तो उसने रोमील एवं राम माधवन को आँफिस में बुलाया और समझाया कि" उसे आगे क्या करना है? साथ ही उसने पुलिस मूख्यालय भी फोन कर दिया कि" अतिरिक्त

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सलिल की कुमाऊ रंजन से मुलाकात........

18 नवम्बर 2022
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सलिल को अचानक ही आया देखकर शांतनु देव चौंका जरूर था, किन्तु" उसने अपने चेहरे पर इन भावों को नहीं आने दिया और सलिल को अपने करीब बैठने के साथ ही उसके चेहरे पर नजर टिका दी। जबकि सलिल, उसके करीब बैठने के

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मंत्री साहब का वकील दिगंबर से मिलना.......

19 नवम्बर 2022
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शाम के सात बज चुके थे और अब आसमान में तारे जगमग करने लगे थे। मंत्री भानु शाली अभी अपने बंगले से निकला था" वकील से मिलने के लिए। वैसे भी कुछ सेकेन्ड पहले हुई जोरदार बारिश ने रोड पर पानी जमा कर दिया था।

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कुमाऊ रंजन के साथ सलिल का पुलिस स्टेशन लौटना.......

20 नवम्बर 2022
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अचानक से ही बरसात की शुरुआत हो जाने के कारण एक पल के लिए सलिल हकबका सा गया। एक तो रात का आलम ढल चुका था, दूसरे आसमान से तेज गति से गिर रही बारिश की बुंदे। एक पल के लिए उसे समझ ही नहीं आया कि, क्या करे

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शांतनु देव का स्वप्न.........

21 नवम्बर 2022
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शांतनु देव को पंख लग गए थे और वो आसमान में ऊँचे- ऊँचे उड़ता जा रहा था। उसकी कोशिश भी तो यही थी कि" नील गगन के आँचल में दूर-दूर तक परवाज करें और फिर उसके तो पंख लग गए थे। कोमल-कोमल सफेद पंख, जिसमें बहुत

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सलिल एवं एस. पी. साहब का पुलिस स्टेशन पहुंचना और रजौली से पूछताछ करना.......

22 नवम्बर 2022
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सुबह के पांच बजने के साथ ही सलिल ने अंगड़ाई ली। कहां तो रजौली के कहे अनुसार दिल्ली शहर धमाके की आवाज से दहल जाना चाहिए था, परन्तु....ऐसा कुछ भी नहीं हुआ था। शहर तो अपनी चाल में गति कर रहा था, ऐसे में स

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शांतनु देव की चिन्ता और पुलिस स्टेशन जाना.........

23 नवम्बर 2022
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मानव मन की रचना ईश्वर ने अजीब प्रकार की- की है। जब मानव सुख में होता है, चिंतन नहीं करता और जब दुःख में होता है, चिंतनशीलता का आवरण ओठ लेता है। परन्तु... विचार, जो कि" मानव मन के साथ हमेशा ही लगे रहते

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सलिल के द्वारा शहर के चक्कर लगाना और पुलिस स्टेशन लौटना...........

25 नवम्बर 2022
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दिन के दस बजने बाले थे, किन्तु सलिल को अभी तक कहीं सफलता नहीं मिली थी। रजौली" ने जितने भी पते बतलाए थे, उन तमाम जगहों पर अब तक छापामारी की गई थी। परन्तु....वे तमाम जगह, जहां दूर-दूर तक भी संभावना नहीं

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रजौली" से फिर से पूछताछ और कोर्ट की नोटिस........

25 नवम्बर 2022
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सलिल एवं एस. पी. साहब को अजीब नजरों से अपनी ओर देखता पाकर शांतनु देव एक पल के लिए बौखला ही गया। उसकी इच्छा हुई कि" दोनों से पुछे कि, इस तरह से क्यों देख रहे हो?...परन्तु अचानक ही उसने अपने इस विचार को

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रजौली की कोर्ट में पेशी और सलिल का अपार्ट मेंट पर लौटना.......

26 नवम्बर 2022
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कोर्ट के नोटिस को देखने के बाद जहां सलिल की त्योरियां चढ गई, वही पर एस. पी. साहब एवं शांतनु देव के चेहरे पर चिन्ता की लकीरें खींच गई। अब भला शांतनु देव से ज्यादा कौन इस बात को समझ सकता था कि" रजौली के

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कुमाऊ रंजन से शांतनु देव की मुलाकात और कुमाऊ रंजन का रजौली से मिलना.......

27 नवम्बर 2022
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अपार्ट मेंट के अंदर हाँल में कुमाऊ रंजन सोफे पर अकड़ूँ बैठा हुआ था, परन्तु.....उसकी नजर टी. बी स्क्रीन पर ही चिपकी हुई थी। टी. बी. स्क्रीन पर चल रहा एंटरटेंनमेंट, लगता था कि, कुमाऊ रंजन तन्मयता से देख

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मंत्री भानु शाली के घर मीटिंग.......

28 नवम्बर 2022
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शाम ढलने को तत्पर था और लगता था कि" रात के अंधेरे का आवरण अब वातावरण को अपने आगोश में समेट लेगा। ठीक उसी तरह मंत्री भानु शाली के हृदय में भी भय रुपी अंधेरा घनघोर बादल की तरह बढते जा रहे थे और आतुर थे

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हाँस्पिटल में कुमाऊ रंजन की यादाश्त वापस लौटना......

29 नवम्बर 2022
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अचानक ही कुमाऊ रंजन का तबीयत बिगड़ने के बाद सलिल उसे हाँस्पिटल ले आया था। डाक्टरों की टीम कुमाऊ रंजन को इमरजेंसी वार्ड में ले गई थी। परन्तु अब तक सलिल इस सदमे से बाहर नहीं आ सका था कि" आखिर कुमाऊ रंजन

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मंत्री भानुशाली का जज साहब से मिलना.......

30 नवम्बर 2022
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काफी मनोमंथन के बाद भी जब वे लोग किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंच सके। मुहम्मद काजी ने सुझाव दिया कि" क्यों न हम लोग जज साहब से मिल ले। शायद वहीं से कोई रास्ता निकल आए। दावा पूर्वक तो कुछ नहीं कहा जा सकता

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सलिल का कुमाऊ रंजन के साथ पुलिस स्टेशन लौटना और कुमाऊ रंजन का बीते दिनों की यादों में जाना.....

1 दिसम्बर 2022
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सलिल ने ड्राइविंग शीट संभाली, रोमील कुमाऊ रंजन के साथ पीछे बैठा, जबकि बगल बाली शीट पर शांतनु देव बैठ गए। इसके बाद सलिल ने कार श्टार्ट की और हाँस्पिटल गेट से निकाल कर सड़क पर दौड़ा दिया। यूं तो सलिल शांत

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