shabd-logo

घटना स्थल का मुआयना एवं सलिल का हाँस्पिटल जाना........

8 नवम्बर 2022

18 बार देखा गया 18
शाम का अंधेरा घिरने लगा था, लेकिन अमूमन जैसा होता है, शहर पर इस अंधेरे का कोई प्रभाव नहीं पड़ा था। तभी तो हनुमान चौक का इलाका रोशनी में जगमगाता हुआ प्रतीत हो रहा था। लेकिन अभी वहां पर बिल्कुल मातमी सन्नाटा पसरा हुआ था। लेकिन पुलिस फोर्स एवं आँफिसरों की आवाजाही इस मातमी सन्नाटे को कभी-कभी वेध देती थी। पंद्रह अगस्त नजदीक होने के कारण सीनियर आँफिसरों के आने का ताता लगा हुआ था। ऐसे में सलिल को थोड़ी असुविधा महसूस हो रही थी। उसे आज ही तो पता चला था कि" सीनियर अधिकारियों के साथ काम करने में कितनी मुश्किलें होती है। परन्तु, वह इस समस्या से भाग भी तो नहीं सकता था, उसके इलाके का मामला था और उसे हर हाल में वहां मौजूद रहना था। किन्तु" इस तरह से तो वो अधिक परेशान हो जाएगा, अधिकारियों के करीब रह कर।
                               उसने देखा कि" डाँग स्क्वायड एवं फिंगर प्रिंट एक्सपर्ट अपने काम में उलझे हुए थे। ऐसे में, अपना टाइम पास करने के लिए शुक्ल पान भंडार की ओर बढा, इस बहाने से कि" पूछताछ करेगा। घटना घटित होने के बाद अधिकांश दुकान बंद हो चुकी थी, किन्तु" शुक्ल साहब अभी भी दुकान खोल कर बैठे हुए थे। उनका दुकान खुला देखकर सलिल को मन ही मन आश्चर्य भी हो रहा था और उसके हिम्मत की दाद भी दे रहा था। तभी तो, जैसे ही सलिल पान की दुकान पर पहुंचा, उसने आस- पास नजर घुमाई, फिर शुक्ल साहब के चेहरे को गहरी नजरों से देखता हुआ बोला।
शुक्ल जी!.....बहुत नाम सुना है आपके हाथों लगे पान का। एक पान इस कद्रदान को भी तो खिलाइए। सलिल ने कहा और नजर शुक्ल साहब के चेहरे पर टिका दी। जबकि शुक्ल साहब ने उसकी ओर देखा और फिर नजर झुका कर पान लगाने लगे। ऐसे में सलिल आश्चर्य चकित हुआ। कहां तो पुलिस बाले को सामने देख कर अच्छों- अच्छों का हलक सूख जाता है और कहां पान दुकानदार ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी थी। ऐसे में सलिल को आश्चर्य में डुब जाना ही था और अभी वो आगे बोलने बाला था कि" शुक्ल साहब धीरे से बोल पड़े।
साहब!.....आप शायद किसी प्रश्न को पुछना चाहते है। बोलने के बाद शुक्ल साहब ने नजर उठा कर सलिल के चेहरे की ओर देखा, फिर आगे बोला। साहब!....मैं भी कभी वकील रह चुका हूं, लेकिन प्रेक्टिस चली नहीं, इसलिये पान की दुकान खोलकर बैठ गया। यह बात आपके दोस्त शांतनु देव अच्छी तरह से जानते है। तो मैं बतला सकता हूं कि" आप पान खाने के लिए नहीं आएँ है, आपको तो बस जानकारी चाहिए। कहने के बाद शुक्ल साहब फिर से पान बनाने लगे, किन्तु" उनकी तिरछी नजर तो सलिल के चेहरे पर ही टिकी थी। इस बात को सलिल ने भी महसूस किया, तभी तो धीरे से बोला।
तो शुक्ल साहब!....आप इतना बतला दीजिए कि" यहां शाम चार बजे घटना जो घटित हुई थी, वह किस प्रकार से घटित हुई थी?...... आप तो प्रत्यक्षदर्शी है, एक-एक प्वाईंट को बताने का अनुग्रह करें। सलिल ने इस तरह से प्रश्न पुछा की सामने बाले को गलत भी नहीं लगे और उसका काम भी हो जाए।
                            तभी तो उसकी बातों को सुनकर एवं उसकी वर्दी की ओर देखकर शुक्ल साहब मुस्कराए। फिर उन्होंने अपनी आँखें सलिल के चेहरे पर टिका दी और शाम को वहां पर घटित हुए वाकये को आँखों देखी हाल बतलाने लगे। उन्होंने सलिल को बताया कि" किस प्रकार से शाम साढे़ चार बजे इस हनुमान चौक पर एक भिखारिन की तरह दिखने बाली औरत जिन्न की तरह प्रगट हो गई और फिर उसने किस तरह से अचानक ही ए. के. फोर्टी सेवन निकाल लिया और अंधाधुंध फायरिंग करती हुई सड़क के दूसरी ओर भागी। सलिल उसके द्वारा बताए जा रहे बातों को ध्यान से सुन रहा था, तभी तो उसने उस औरत का हुलिया पुछा। किन्तु" शुक्ल साहब उस औरत के हुलिया को नहीं बता सके।
                                   फिर तो सलिल ने पान खाया और पैसे अदा किए,....फिर वापस अपने काफिले की ओर जाने के लिए चल पड़ा। वैसे भी, अब यहां रुके रहने का कोई मतलब ही नहीं था, क्योंकि उसे जितनी जानकारी मिल सकता था, मिल चुका था। तभी तो वह सीधे एस. पी. साहब के पास पहुंचा और उसने अब तक जो जानकारी जुटाई थी, क्रमवार बतलाने लगा। वैसे भी शाम के सात बज चुके थे और प्रशासनिक कार्य भी पूर्ण हो चुका था। इसलिये सलिल एस. पी. साहब से अनुमति लेकर हाँस्पिटल के लिए निकला। इस विचार का मन में मंथन करते हुए कि" वो औरत कौन हो सकती है?....... आतंकवादी?.....नहीं-नहीं, आतंकवादी तो ट्रेनी होते है, उनका निशाना नहीं चुक सकता। तो फिर अंडरवर्ल्ड से रिलेटेड?....लेकिन यह थ्योरी भी फिट नहीं बैठ रहा था। ऐसे में उलझन में डुबा हुआ सलिल कार ड्राइव करता जा रहा था।
                  वैसे भी शांतनु देव के घायल हो जाने के कारण उसका मुड कुछ उखड़ा -उखड़ा सा था। उसे गुस्सा भी आ रहा था शांतनु देव पर। क्योंकि" शांतनु देव तो मार्सल आर्ट में निपुण था, साथ ही उसके पास हमेशा लाइसेंसी रिवाल्वर रहता था, तो फिर वह किस प्रकार से गोलियां खा गया। उसे चिन्ता इस बात की भी थी कि" शांतनु देव को गोली कहां पर और किस प्रकार से लगी है? लँगोटियाँ यार था उसका शांतनु देव और ऐसे में उसको चिन्ता हो, स्वाभाविक ही था। तभी तो वो कार की रफ्तार बढाए जा रहा था, पल-प्रति पल और जैसे ही उसकी कार हाँस्पिटल प्रांगण में पहुंची, उसने कार खड़ी की और बाहर निकला और फिर हाँस्पिटल बिल्डिंग की ओर बढा।
                                  वह तो अभी हाँल में कदम रखा ही था कि" उसकी मुलाकात रोमील से हो गई। रोमील ने उसे बतलाया कि" अब शांतनु देव की स्थिति पहले से बेहतर है और इस हमले में कुल छ आदमी घायल हुए थे। फिर तो सलिल उसके साथ आई. सी. यु में पहुंचा, जहां सभी घायलों को रखा गया था। सभी घायलों का आपरेशन करके गोलियां निकाल दी गई थी और अब सभी को बाहर निकालने की तैयारी हो रही थी। तभी तो सलिल उस रूम में पहुंचा, जहां शांतनु देव को रखा गया था। रूम में पहुंचते ही सलिल की आँख शांतनु देव से टकराई और इतनी पीड़ा होने के बावजूद भी शांतनु देव के चेहरे पर मुस्कराहट उभड़ आई। रूम में जलते हुए नीले बल्ब की रोशनी में शांतनु देव की मुस्कराहट बहुत ही कातिल सी प्रतीत हो रही थी। तभी तो सलिल उसके करीब पहुंचा और वहां रखे स्टुल पर बैठने के बाद शांतनु देव की आँखों में देखता हुआ बोला।
तुमसे तो बिल्कुल भी उम्मीद नहीं थी शांतनु।.....इस तरह से गोलियों से घायल हो जाना, जबकि तुम खुद मार्सल आर्ट के जानकार हो। कहने के बाद सलिल शांतनु देव की ओर देखने लगा, जबकि शांतनु देव उसकी बात सुनकर मुस्कराया, फिर धीरे से बोला।
तुम भी न अमा यार!.....अजीब बातें करते हो। भला मुझे अगर जानकारी होती कि" वहां पर घटना घटित होने बाला है, तो भला अपराध करने बाले को पकड़ कर तुम्हारे हवाले नहीं कर दिया होता। बोलने के बाद एक पल के लिए शांतनु देव चुप हुआ और सलिल के चेहरे को देखा, फिर आगे बोला। अचानक ही हमला हुआ, इसलिये ही तो घायल होकर इस हाँस्पिटल में हूं। बोलने के बाद शांतनु देव सलिल की ओर देखने लगा, जबकि उसकी बातें सुन कर सलिल बोला।
खैर" छोड़ो इन बातों को और मुझे बस इतना बतला दो कि" अपराध को अंजाम देने बाली वो औरत कैसी थी?.. मुझे बस उस औरत का हुलिया बतलाओ?....सलिल ने प्रश्न पुछा और अपनी नजर शांतनु देव के चेहरे पर टिका दी। जबकि उसकी बातों को सुनकर एक पल के लिए शांतनु देव चुप होकर सोचने लगा।
***************                      






क्रमशः-
                                

27
रचनाएँ
रजौली
0.0
अपराध की पृष्ठभूमि होती है। बिना पृष्ठभूमि के अपराध हो ही नहीं सकता और पृष्ठभूमि हमारा समाज ही बनाता है। बिना सामाजिक एवं राजनीतिक पोषण के अपराध कभी भी पनप ही नहीं सकता।.....कहीं समाज किसी के ऊपर अत्याचार करता है, तो अपराध का जन्म होता है, तो कहीं समाज अपने निहित स्वार्थ को साधने के लिए अपराध को बाढावा देता है। कहने का तात्पर्य यही है कि" अपराध के जन्म लेने का कारण हम और आप कहीं न कहीं है। बिना राजनीतिक स्वार्थ के अपराधियों का मनोबल कभी भी नहीं बढ सकता। "रजौली" एक ऐसे युवती की कहानी है, जो अपने आप में ही उलझी हुई है। "रजौली" वास्तव में एक वेदना है, जो अत्यधिक शोषण की भट्टी से ज्वालामुखी बनकर निकलती है। मदन मोहन" मैत्रेय
1

रजौली-एक छल कथा

5 नवम्बर 2022
0
0
0

अपराध की पृष्ठभूमि होती है। बिना पृष्ठभूमि के अपराध हो ही नहीं सकता और पृष्ठभूमि हमारा समाज ही बनाता है। बिना सामाजिक एवं राजनीतिक पोषण के अपराध कभी भी पनप ही नहीं सकता।.....कहीं समाज किसी के ऊपर अत्य

2

पुलिस मूख्यालय........

6 नवम्बर 2022
0
0
0

दिन के दस बजे से ही पुलिस मूख्यालय में बैठकों का दौर जारी था। वैसे तो पंद्रह अगस्त को लेकर दिल्ली में आर्मी बालों का कमांड हो जाता है। फिर भी प्रशासनिक व्यवस्था संभालने की जिम्मेदारी पुलिस की होती है।

3

खंडहर........

7 नवम्बर 2022
0
0
0

शाम ढलने को व्याकुल हो चुका था। लगता था कि" अब कुछ ही देर में अँधेरे का साम्राज्य व्याप्त हो जाएगा और होना भी यही चाहिए। क्योंकि यह समय चक्र है और इसमें सभी कुछ निर्धारित होता है, पहले से ही। इससे आज

4

घटना स्थल का मुआयना एवं सलिल का हाँस्पिटल जाना........

8 नवम्बर 2022
0
0
0

शाम का अंधेरा घिरने लगा था, लेकिन अमूमन जैसा होता है, शहर पर इस अंधेरे का कोई प्रभाव नहीं पड़ा था। तभी तो हनुमान चौक का इलाका रोशनी में जगमगाता हुआ प्रतीत हो रहा था। लेकिन अभी वहां पर बिल्कुल मातमी सन्

5

रीठाला मेट्रो स्टेशन.......

9 नवम्बर 2022
0
0
0

रात के एक बजे, मेट्रो में अपेक्षाकृत काफी कम यात्रियों की संख्या थी। कोरोना काल के गुजर जाने के कारण शहर व्यवस्थित हो चुका था, किन्तु पहले जैसी रफ्तार अभी नहीं पकड़ पाया था। दूजे कि" रात ज्यादा हो जाने

6

सलिल का हाँस्पिट से रीठाला मेट्रो स्टेशन की ओर जाना.........

10 नवम्बर 2022
0
0
0

रात बारह बजे।सलिल हाँस्पिटल से बाहर निकला था और अब जूस की दुकान खोज रहा था। शांतनु देव को गोली लगने के कारण उसका हृदय बहुत हद तक मर्माहत हुआ था। बार-बार उसे शांतनु देव पर गुस्सा भी आ रहा था। इतना तेज-

7

उस औरत को हाँस्पिटल ले जाना और पुलिस द्वारा प्रेस रीलिज दिया जाना........

11 नवम्बर 2022
0
0
0

रोमील के द्वारा उन चारों घायलों को ले जाने के बाद सलिल ने उस औरत को देखा। तब तक हथियार धारी फोर्स उसके करीब पहुंच चुका था और उन लोगों की नजर सलिल पर टिक गई थी, मानो जानना चाहते हो कि" कुछ देर पहले किस

8

मंत्री भानु शाली.......

12 नवम्बर 2022
0
0
0

सुबह के पांच बज चुके थे।अमूमन तो इस समय मंत्री आवास पर किसी प्रकार का चहल-पहल नहीं होता था। किन्तु" अभी-अभी मंत्री साहब की आँख खुली थी और उन्होंने न्यूज चैनल लगा दिया था और ऐसे ही एक नजर देख लेने की इ

9

रजौली को पुलिस स्टेशन लाना और उससे पूछताछ.......

14 नवम्बर 2022
0
0
0

सुबह के छ बजते ही आकाश सूर्य किरण की आभा से जगमगा उठा। उगते हुए सूर्य के साथ ही एल.

10

मंत्री भानु शाली का पंडित जगतपति से मिलना.......

14 नवम्बर 2022
0
0
0

सुबह के आठ बज चुके थे और इसके साथ ही चारों ओर प्रकाश का साम्राज्य छा चुका था। वैसे भी आकाश साफ था, जिसके कारण किरण का निखार कुछ ज्यादा था। लेकिन मंत्री भानु शाली के चेहरे से प्रतीत हो रहा था कि" उनके

11

टाँर्चर रुम........

15 नवम्बर 2022
0
0
0

सलिल, रजौली के द्वारा इस तरह लगाए जा रहे ठहाकों से परेशान हो चुका था। उसे उम्मीद थी कि" रजौली इस तरह के हरकत करने के बाद शांत हो जाएगी और फिर उसके साथ सहयोग करेगी। किन्तु नहीं, रजौली तो रुक-रुक कर करी

12

मुहम्मद काजी.........

16 नवम्बर 2022
0
0
0

सफेद लुंगी, उसपर नीले रंग का कुर्ता और सिर पर जालीदार सफेद टोपी।....चेहरे पर चमक, आँखों पर गोल चश्मा, लंबा कद। चेहरे पर मूंछ नहीं थी, किन्तु" लंबी सफेद दाढी, उम्र यही करीब पचपन वर्ष के करीब। मुहम्मद क

13

सलिल के द्वारा पेट्रोलिंग किया जाना और हाँस्पिटल पहुंचना.........

17 नवम्बर 2022
0
0
0

एस. पी. साहब के जाने के बाद जैसे सलिल की तंद्रा टूटी हो। फिर तो उसने रोमील एवं राम माधवन को आँफिस में बुलाया और समझाया कि" उसे आगे क्या करना है? साथ ही उसने पुलिस मूख्यालय भी फोन कर दिया कि" अतिरिक्त

14

सलिल की कुमाऊ रंजन से मुलाकात........

18 नवम्बर 2022
0
0
0

सलिल को अचानक ही आया देखकर शांतनु देव चौंका जरूर था, किन्तु" उसने अपने चेहरे पर इन भावों को नहीं आने दिया और सलिल को अपने करीब बैठने के साथ ही उसके चेहरे पर नजर टिका दी। जबकि सलिल, उसके करीब बैठने के

15

मंत्री साहब का वकील दिगंबर से मिलना.......

19 नवम्बर 2022
0
0
0

शाम के सात बज चुके थे और अब आसमान में तारे जगमग करने लगे थे। मंत्री भानु शाली अभी अपने बंगले से निकला था" वकील से मिलने के लिए। वैसे भी कुछ सेकेन्ड पहले हुई जोरदार बारिश ने रोड पर पानी जमा कर दिया था।

16

कुमाऊ रंजन के साथ सलिल का पुलिस स्टेशन लौटना.......

20 नवम्बर 2022
0
0
0

अचानक से ही बरसात की शुरुआत हो जाने के कारण एक पल के लिए सलिल हकबका सा गया। एक तो रात का आलम ढल चुका था, दूसरे आसमान से तेज गति से गिर रही बारिश की बुंदे। एक पल के लिए उसे समझ ही नहीं आया कि, क्या करे

17

शांतनु देव का स्वप्न.........

21 नवम्बर 2022
0
0
0

शांतनु देव को पंख लग गए थे और वो आसमान में ऊँचे- ऊँचे उड़ता जा रहा था। उसकी कोशिश भी तो यही थी कि" नील गगन के आँचल में दूर-दूर तक परवाज करें और फिर उसके तो पंख लग गए थे। कोमल-कोमल सफेद पंख, जिसमें बहुत

18

सलिल एवं एस. पी. साहब का पुलिस स्टेशन पहुंचना और रजौली से पूछताछ करना.......

22 नवम्बर 2022
0
0
0

सुबह के पांच बजने के साथ ही सलिल ने अंगड़ाई ली। कहां तो रजौली के कहे अनुसार दिल्ली शहर धमाके की आवाज से दहल जाना चाहिए था, परन्तु....ऐसा कुछ भी नहीं हुआ था। शहर तो अपनी चाल में गति कर रहा था, ऐसे में स

19

शांतनु देव की चिन्ता और पुलिस स्टेशन जाना.........

23 नवम्बर 2022
0
0
0

मानव मन की रचना ईश्वर ने अजीब प्रकार की- की है। जब मानव सुख में होता है, चिंतन नहीं करता और जब दुःख में होता है, चिंतनशीलता का आवरण ओठ लेता है। परन्तु... विचार, जो कि" मानव मन के साथ हमेशा ही लगे रहते

20

सलिल के द्वारा शहर के चक्कर लगाना और पुलिस स्टेशन लौटना...........

25 नवम्बर 2022
0
0
0

दिन के दस बजने बाले थे, किन्तु सलिल को अभी तक कहीं सफलता नहीं मिली थी। रजौली" ने जितने भी पते बतलाए थे, उन तमाम जगहों पर अब तक छापामारी की गई थी। परन्तु....वे तमाम जगह, जहां दूर-दूर तक भी संभावना नहीं

21

रजौली" से फिर से पूछताछ और कोर्ट की नोटिस........

25 नवम्बर 2022
0
0
0

सलिल एवं एस. पी. साहब को अजीब नजरों से अपनी ओर देखता पाकर शांतनु देव एक पल के लिए बौखला ही गया। उसकी इच्छा हुई कि" दोनों से पुछे कि, इस तरह से क्यों देख रहे हो?...परन्तु अचानक ही उसने अपने इस विचार को

22

रजौली की कोर्ट में पेशी और सलिल का अपार्ट मेंट पर लौटना.......

26 नवम्बर 2022
0
0
0

कोर्ट के नोटिस को देखने के बाद जहां सलिल की त्योरियां चढ गई, वही पर एस. पी. साहब एवं शांतनु देव के चेहरे पर चिन्ता की लकीरें खींच गई। अब भला शांतनु देव से ज्यादा कौन इस बात को समझ सकता था कि" रजौली के

23

कुमाऊ रंजन से शांतनु देव की मुलाकात और कुमाऊ रंजन का रजौली से मिलना.......

27 नवम्बर 2022
0
0
0

अपार्ट मेंट के अंदर हाँल में कुमाऊ रंजन सोफे पर अकड़ूँ बैठा हुआ था, परन्तु.....उसकी नजर टी. बी स्क्रीन पर ही चिपकी हुई थी। टी. बी. स्क्रीन पर चल रहा एंटरटेंनमेंट, लगता था कि, कुमाऊ रंजन तन्मयता से देख

24

मंत्री भानु शाली के घर मीटिंग.......

28 नवम्बर 2022
0
0
0

शाम ढलने को तत्पर था और लगता था कि" रात के अंधेरे का आवरण अब वातावरण को अपने आगोश में समेट लेगा। ठीक उसी तरह मंत्री भानु शाली के हृदय में भी भय रुपी अंधेरा घनघोर बादल की तरह बढते जा रहे थे और आतुर थे

25

हाँस्पिटल में कुमाऊ रंजन की यादाश्त वापस लौटना......

29 नवम्बर 2022
0
0
0

अचानक ही कुमाऊ रंजन का तबीयत बिगड़ने के बाद सलिल उसे हाँस्पिटल ले आया था। डाक्टरों की टीम कुमाऊ रंजन को इमरजेंसी वार्ड में ले गई थी। परन्तु अब तक सलिल इस सदमे से बाहर नहीं आ सका था कि" आखिर कुमाऊ रंजन

26

मंत्री भानुशाली का जज साहब से मिलना.......

30 नवम्बर 2022
0
0
0

काफी मनोमंथन के बाद भी जब वे लोग किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंच सके। मुहम्मद काजी ने सुझाव दिया कि" क्यों न हम लोग जज साहब से मिल ले। शायद वहीं से कोई रास्ता निकल आए। दावा पूर्वक तो कुछ नहीं कहा जा सकता

27

सलिल का कुमाऊ रंजन के साथ पुलिस स्टेशन लौटना और कुमाऊ रंजन का बीते दिनों की यादों में जाना.....

1 दिसम्बर 2022
0
0
0

सलिल ने ड्राइविंग शीट संभाली, रोमील कुमाऊ रंजन के साथ पीछे बैठा, जबकि बगल बाली शीट पर शांतनु देव बैठ गए। इसके बाद सलिल ने कार श्टार्ट की और हाँस्पिटल गेट से निकाल कर सड़क पर दौड़ा दिया। यूं तो सलिल शांत

---

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए