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मंत्री साहब का वकील दिगंबर से मिलना.......

19 नवम्बर 2022

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शाम के सात बज चुके थे और अब आसमान में तारे जगमग करने लगे थे। मंत्री भानु शाली अभी अपने बंगले से निकला था" वकील से मिलने के लिए। वैसे भी कुछ सेकेन्ड पहले हुई जोरदार बारिश ने रोड पर पानी जमा कर दिया था। ऐसे में अगर उन्हें वकील से मिलना नहीं होता, तो फिलहाल किसी हालत में घर से नहीं निकलते। किन्तु" परिस्थिति ही ऐसी बन आई थी कि, न चाहकर भी उन्हें अपने बंगले से निकलना पड़ा था। दूसरे, वे ऐसे काम पर निकले थे, जिसकी भनक भी किसी को लग जाती, तो उनके लिए तूफान खड़ा हो सकता था। इसलिये मंत्री साहब खुद ही कार ड्राइव कर रहे थे, इस विचार के साथ कि" कहीं इस बरसाती रात में मुसीबत में फंसे तो?
                               यह भी तो उनके लिए प्रश्न चिन्ह ही था, परन्तु....अचानक ही सामने आ खड़े हुए रज्जो नाम के तूफान के सामने यह मुसीबत तो कुछ भी नहीं था। उन्हें इस बात की भलीभांति अनुभूति थी कि" अगर रज्जो बाला पेज खुला तो, उनकी इज्जत, उनका रुतबा और उनकी पदवी, सब कुछ एक ही झटके में समाप्त हो जाएगा और ऐसा हो, वह किसी भी स्थिति में स्वीकार नहीं कर सकते थे। इस परिस्थिति में उनके सामने केवल एक ही विकल्प था कि" आते हुए रज्जो रुपी तूफान को पूरी ताकत लगाकर रोक दे। नहीं तो, फिर तो उनका अस्तित्व ही इस तूफानी वेग में धराशायी हो जाने बाला था।
                           भला" किसे नहीं रुतबा और मौज- सोख प्रिय नहीं होता। उन्हें भी खुद से, अपने पद-प्रतिष्ठा से स्नेह था। आखिरकार उन्होंने यहां तक पहुंचने के लिए बहुत पापड़ बेले थे, अनगिनत लाशें बिछाई थी और विश्वास का खून करना तो उनके फितरत में शामिल सा था। ऐसे में भला अपने उम्र के ढलती बेला में वे क्योंकर धराशायी होना पसंद करते। मंत्री भानु शाली, मक्कारी जिसके खून में रची-बसी थी, आज अंजाने से भय से ग्रसित होकर कार को भगाए जा रहे थे। रज्जो रुपी जो अतीत की स्याह परत उनकी ओर तेजी से बढती आ रही थी, उससे बचने के लिए प्रयासरत हो गए थे मंत्री साहब। तभी तो शहर के सड़क पर पानी भरे होने पर भी वो अपनी कार आगे की ओर भगाए जा रहे थे। फिर तो, जैसे उनकी कार बारिश के पानी में डुबी-डुबी आगे की ओर बढ रही थी, उनका मन भी तो विचारों के सैलाब में डुब- डुब कर आगे बढ रहा था।
                                 उन्हें तो इस बात की अनुभूति ही नहीं थी कि" अचानक ही उनके सामने बीता हुआ कल वर्तमान के रुप में आकर खड़ा हो जाएगा। यही तो हुआ था उनके साथ, उन्होंने जिस बात की कल्पना नहीं की थी, वही तो घटित हो गया था और अब वो वर्तमान में परिवर्तित हुए भूतकाल के उस भयावह परछाईं को मिटा डालना चाहते थे।  तभी तो उनकी कुर्सी बची रह सकती थी, उनका पाँवर यथावत रह सकता था, नहीं तो फिर अर्श से फर्श में आने में समय नहीं लगने बाला था और ऐसा वो कभी होने नहीं देते। क्योंकि" पाँवर और कुर्सी जाने के बाद तो एक तरह से उनका अस्तित्व ही मिटने लगता। विरोधी तो बस इसी ताक में थे कि" कब वे किसी मामले में फंसे और उनकी लुटिया डुबो दी जाए, उनका अस्तित्व मिटा दिया जाए।
                            बीतता समय और बीतते समय के साथ ही वेगवान होते विचार। रात धीरे-धीरे आगे की ओर बढता जा रहा था और उसी गति से उनके मन की चिन्ता भी बढती जा रही थी। तभी तो ठेहूना भर पानी में वो कार को बस अंदाजा से दौड़ाए जा रहे थे। बस इसी सोच के साथ कि" पुजारी को साथ में लेकर सीधे वकील के पास चले जाएंगे। इधर उन्होंने मुहम्मद काजी को फोन कर दिया था और काजी ने कहा था कि, वह सीधे वकील के पास ही पहुंच जाएगा। मंत्री भानु शाली इसी विचार के साथ कार ड्राइव कर रहे थे, तभी उनकी तंद्रा टूटी, क्योंकि कार पुजारी के घर के सामने पहुंच चुकी थी। फिर तो उन्होंने पुजारी को साथ लिया और अपने लक्ष्य के लिए निकल पड़े। 
                      फिर से वही सफर, पीछे की ओर छूटता बहुमंजिला इमारतों का काफिला और आगे की ओर भागती कार। बीतते समय के साथ ही सड़क का पानी अब धीरे-धीरे कम होने लगा था, जिस कारण से मंत्री साहब को ड्राइव करने में सुविधा की अनुभूति होने लगा था। किन्तु, जगतपति, उसके दिमाग में तो इस समय कई बातें थी, कई विचार थे। वह मंत्री साहब से बात करने के लिए उत्सुक था, परन्तु.... मंत्री साहब को चुप्पी साधे देखकर बेचैन हो रहा था। कहां तो वह इस उम्मीद के साथ कार में बैठा था कि" मंत्री साहब से सामने आए हुए मुश्किल पर चर्चा करेगा और कहां तो मंत्री साहब बात करने के मुड में ही नहीं थे। तभी तो कार मुक्ता निवास पहुंच गई, तब तक मंत्री साहब ने अपने जुबान को नहीं खोला। फिर तो....मुक्ता निवास पहुंचते ही मंत्री साहब ने कार पार्क की और जगतपति के साथ बिल्डिंग की ओर बढे।
                                   और हाँल में कदम रखते ही उन दोनों की नजर वकील दिगंबर के साथ बैठे हुए मुहम्मद काजी पर गई। तो क्या उसने पहले ही आकर वकील को सब कुछ बतला दिया?....वकील के साथ बैठे हुए काजी को देखकर मंत्री साहब के मन में पहला प्रश्न उठा। खैर" जो भी होगा, सामने आ ही जाएगा, यही सोचकर मंत्री साहब जगतपति के साथ आगे बढे और सोफे पर बैठ गए। हाँल में जलती हुई मध्यम सफेद रोशनी, जिसके उजाले में हाँल शीशे की तरह चमक रहा था, क्योंकि उसकी सजावट बेहतरीन ढंग से की गई थी। किन्तु, मंत्री साहब हाँल की सुंदरता देखने नहीं आए थे, अपितु उन्हें तो वकील साहब से काम था। तभी तो उन्होंने अपनी सवालिया नजर वकील के चेहरे पर टिका दी। 
                              वकील दिगंबर, उम्र यही पचपन के करीब, लेकिन उनके शरीर की बनावट ही ऐसी थी कि" उम्र से कम लग रहे थे। लंबा और गोरा चेहरा, नीली आँख और हिप्पी कट बाल और लंबी गर्दन, उसपर गढा हुआ शरीर। वकील दिगंबर का व्यक्तित्व काफी आकर्षक था। साथ ही बोली भी मधुर थी, विचार भी मधुर थे, किन्तु, मक्कारी कोई उनसे सीखे। वकील के सभी गुणों से परिपूर्ण ऐसे वकील दिगंबर। इस समय अपनी नीली आँखों से आने बाले आगंतुक को देखा और उसे समझते देर नहीं लगी कि" मंत्री साहब के आँखों में प्रश्न है। परन्तु किस बात के लिए?...यही तो उसे मालूम नहीं था, तभी तो मंत्री साहब से मुखातिब होकर बोला।
क्या हुआ मंत्री साहब?....आप इस तरह से मुझे देख रहे है, जैसे कि" आपके आँखों में कोई प्रश्न छिपा हुआ हो। वकील ने कहा और नजर मंत्री साहब के चेहरे पर टिका दी , जबकि उसकी बातें खतम होते ही मंत्री साहब व्याकुल होकर बोले।
तो क्या आपको काजी ने कुछ नहीं बतलाया?
नहीं तो, काजी ने मुझे कुछ नहीं बतलाया। मंत्री साहब की  बाते सुनते ही वकील ने प्रतिक्रिया दी। 
                             जबकि, उसकी बातें खतम होते ही मंत्री साहब उसे बतलाने लगे कि" किस प्रकार से बीता हुआ समय उसके सामने आकर खड़ा हो गया है। फिर तो एक-एक करके उसने दिगंबर को बतला दिया कि, किस प्रकार से "रज्जो" उसके लिए मुसीबत बनने जा रही है। वकील साहब को जहां भी एरर लगा, उन्होंने टोका। फिर तो जब मंत्री साहब ने अपनी बात पूरी की, उन्होंने वकील के चेहरे पर नजर टिका दिया। परन्तु....उनकी बातें सुनते के बाद जैसे वकील उलझ सा गया था। उसे कुछ समझ ही तो नहीं आ रहा था, ऐसे में मंत्री साहब के प्रश्नों का क्या जबाव दे, यही तो उसे समझ नहीं आ रहा था। परन्तु...... चुप्पी साधे रहने से भी तो काम नहीं चलने बाला था।
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क्रमशः-

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रचनाएँ
रजौली
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अपराध की पृष्ठभूमि होती है। बिना पृष्ठभूमि के अपराध हो ही नहीं सकता और पृष्ठभूमि हमारा समाज ही बनाता है। बिना सामाजिक एवं राजनीतिक पोषण के अपराध कभी भी पनप ही नहीं सकता।.....कहीं समाज किसी के ऊपर अत्याचार करता है, तो अपराध का जन्म होता है, तो कहीं समाज अपने निहित स्वार्थ को साधने के लिए अपराध को बाढावा देता है। कहने का तात्पर्य यही है कि" अपराध के जन्म लेने का कारण हम और आप कहीं न कहीं है। बिना राजनीतिक स्वार्थ के अपराधियों का मनोबल कभी भी नहीं बढ सकता। "रजौली" एक ऐसे युवती की कहानी है, जो अपने आप में ही उलझी हुई है। "रजौली" वास्तव में एक वेदना है, जो अत्यधिक शोषण की भट्टी से ज्वालामुखी बनकर निकलती है। मदन मोहन" मैत्रेय
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रजौली-एक छल कथा

5 नवम्बर 2022
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अपराध की पृष्ठभूमि होती है। बिना पृष्ठभूमि के अपराध हो ही नहीं सकता और पृष्ठभूमि हमारा समाज ही बनाता है। बिना सामाजिक एवं राजनीतिक पोषण के अपराध कभी भी पनप ही नहीं सकता।.....कहीं समाज किसी के ऊपर अत्य

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पुलिस मूख्यालय........

6 नवम्बर 2022
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दिन के दस बजे से ही पुलिस मूख्यालय में बैठकों का दौर जारी था। वैसे तो पंद्रह अगस्त को लेकर दिल्ली में आर्मी बालों का कमांड हो जाता है। फिर भी प्रशासनिक व्यवस्था संभालने की जिम्मेदारी पुलिस की होती है।

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खंडहर........

7 नवम्बर 2022
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शाम ढलने को व्याकुल हो चुका था। लगता था कि" अब कुछ ही देर में अँधेरे का साम्राज्य व्याप्त हो जाएगा और होना भी यही चाहिए। क्योंकि यह समय चक्र है और इसमें सभी कुछ निर्धारित होता है, पहले से ही। इससे आज

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घटना स्थल का मुआयना एवं सलिल का हाँस्पिटल जाना........

8 नवम्बर 2022
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शाम का अंधेरा घिरने लगा था, लेकिन अमूमन जैसा होता है, शहर पर इस अंधेरे का कोई प्रभाव नहीं पड़ा था। तभी तो हनुमान चौक का इलाका रोशनी में जगमगाता हुआ प्रतीत हो रहा था। लेकिन अभी वहां पर बिल्कुल मातमी सन्

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रीठाला मेट्रो स्टेशन.......

9 नवम्बर 2022
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रात के एक बजे, मेट्रो में अपेक्षाकृत काफी कम यात्रियों की संख्या थी। कोरोना काल के गुजर जाने के कारण शहर व्यवस्थित हो चुका था, किन्तु पहले जैसी रफ्तार अभी नहीं पकड़ पाया था। दूजे कि" रात ज्यादा हो जाने

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सलिल का हाँस्पिट से रीठाला मेट्रो स्टेशन की ओर जाना.........

10 नवम्बर 2022
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रात बारह बजे।सलिल हाँस्पिटल से बाहर निकला था और अब जूस की दुकान खोज रहा था। शांतनु देव को गोली लगने के कारण उसका हृदय बहुत हद तक मर्माहत हुआ था। बार-बार उसे शांतनु देव पर गुस्सा भी आ रहा था। इतना तेज-

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उस औरत को हाँस्पिटल ले जाना और पुलिस द्वारा प्रेस रीलिज दिया जाना........

11 नवम्बर 2022
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रोमील के द्वारा उन चारों घायलों को ले जाने के बाद सलिल ने उस औरत को देखा। तब तक हथियार धारी फोर्स उसके करीब पहुंच चुका था और उन लोगों की नजर सलिल पर टिक गई थी, मानो जानना चाहते हो कि" कुछ देर पहले किस

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मंत्री भानु शाली.......

12 नवम्बर 2022
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सुबह के पांच बज चुके थे।अमूमन तो इस समय मंत्री आवास पर किसी प्रकार का चहल-पहल नहीं होता था। किन्तु" अभी-अभी मंत्री साहब की आँख खुली थी और उन्होंने न्यूज चैनल लगा दिया था और ऐसे ही एक नजर देख लेने की इ

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रजौली को पुलिस स्टेशन लाना और उससे पूछताछ.......

14 नवम्बर 2022
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सुबह के छ बजते ही आकाश सूर्य किरण की आभा से जगमगा उठा। उगते हुए सूर्य के साथ ही एल.

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मंत्री भानु शाली का पंडित जगतपति से मिलना.......

14 नवम्बर 2022
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सुबह के आठ बज चुके थे और इसके साथ ही चारों ओर प्रकाश का साम्राज्य छा चुका था। वैसे भी आकाश साफ था, जिसके कारण किरण का निखार कुछ ज्यादा था। लेकिन मंत्री भानु शाली के चेहरे से प्रतीत हो रहा था कि" उनके

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टाँर्चर रुम........

15 नवम्बर 2022
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सलिल, रजौली के द्वारा इस तरह लगाए जा रहे ठहाकों से परेशान हो चुका था। उसे उम्मीद थी कि" रजौली इस तरह के हरकत करने के बाद शांत हो जाएगी और फिर उसके साथ सहयोग करेगी। किन्तु नहीं, रजौली तो रुक-रुक कर करी

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मुहम्मद काजी.........

16 नवम्बर 2022
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सफेद लुंगी, उसपर नीले रंग का कुर्ता और सिर पर जालीदार सफेद टोपी।....चेहरे पर चमक, आँखों पर गोल चश्मा, लंबा कद। चेहरे पर मूंछ नहीं थी, किन्तु" लंबी सफेद दाढी, उम्र यही करीब पचपन वर्ष के करीब। मुहम्मद क

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सलिल के द्वारा पेट्रोलिंग किया जाना और हाँस्पिटल पहुंचना.........

17 नवम्बर 2022
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एस. पी. साहब के जाने के बाद जैसे सलिल की तंद्रा टूटी हो। फिर तो उसने रोमील एवं राम माधवन को आँफिस में बुलाया और समझाया कि" उसे आगे क्या करना है? साथ ही उसने पुलिस मूख्यालय भी फोन कर दिया कि" अतिरिक्त

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सलिल की कुमाऊ रंजन से मुलाकात........

18 नवम्बर 2022
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सलिल को अचानक ही आया देखकर शांतनु देव चौंका जरूर था, किन्तु" उसने अपने चेहरे पर इन भावों को नहीं आने दिया और सलिल को अपने करीब बैठने के साथ ही उसके चेहरे पर नजर टिका दी। जबकि सलिल, उसके करीब बैठने के

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मंत्री साहब का वकील दिगंबर से मिलना.......

19 नवम्बर 2022
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शाम के सात बज चुके थे और अब आसमान में तारे जगमग करने लगे थे। मंत्री भानु शाली अभी अपने बंगले से निकला था" वकील से मिलने के लिए। वैसे भी कुछ सेकेन्ड पहले हुई जोरदार बारिश ने रोड पर पानी जमा कर दिया था।

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कुमाऊ रंजन के साथ सलिल का पुलिस स्टेशन लौटना.......

20 नवम्बर 2022
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अचानक से ही बरसात की शुरुआत हो जाने के कारण एक पल के लिए सलिल हकबका सा गया। एक तो रात का आलम ढल चुका था, दूसरे आसमान से तेज गति से गिर रही बारिश की बुंदे। एक पल के लिए उसे समझ ही नहीं आया कि, क्या करे

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शांतनु देव का स्वप्न.........

21 नवम्बर 2022
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शांतनु देव को पंख लग गए थे और वो आसमान में ऊँचे- ऊँचे उड़ता जा रहा था। उसकी कोशिश भी तो यही थी कि" नील गगन के आँचल में दूर-दूर तक परवाज करें और फिर उसके तो पंख लग गए थे। कोमल-कोमल सफेद पंख, जिसमें बहुत

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सलिल एवं एस. पी. साहब का पुलिस स्टेशन पहुंचना और रजौली से पूछताछ करना.......

22 नवम्बर 2022
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सुबह के पांच बजने के साथ ही सलिल ने अंगड़ाई ली। कहां तो रजौली के कहे अनुसार दिल्ली शहर धमाके की आवाज से दहल जाना चाहिए था, परन्तु....ऐसा कुछ भी नहीं हुआ था। शहर तो अपनी चाल में गति कर रहा था, ऐसे में स

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शांतनु देव की चिन्ता और पुलिस स्टेशन जाना.........

23 नवम्बर 2022
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मानव मन की रचना ईश्वर ने अजीब प्रकार की- की है। जब मानव सुख में होता है, चिंतन नहीं करता और जब दुःख में होता है, चिंतनशीलता का आवरण ओठ लेता है। परन्तु... विचार, जो कि" मानव मन के साथ हमेशा ही लगे रहते

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सलिल के द्वारा शहर के चक्कर लगाना और पुलिस स्टेशन लौटना...........

25 नवम्बर 2022
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दिन के दस बजने बाले थे, किन्तु सलिल को अभी तक कहीं सफलता नहीं मिली थी। रजौली" ने जितने भी पते बतलाए थे, उन तमाम जगहों पर अब तक छापामारी की गई थी। परन्तु....वे तमाम जगह, जहां दूर-दूर तक भी संभावना नहीं

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रजौली" से फिर से पूछताछ और कोर्ट की नोटिस........

25 नवम्बर 2022
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सलिल एवं एस. पी. साहब को अजीब नजरों से अपनी ओर देखता पाकर शांतनु देव एक पल के लिए बौखला ही गया। उसकी इच्छा हुई कि" दोनों से पुछे कि, इस तरह से क्यों देख रहे हो?...परन्तु अचानक ही उसने अपने इस विचार को

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रजौली की कोर्ट में पेशी और सलिल का अपार्ट मेंट पर लौटना.......

26 नवम्बर 2022
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कोर्ट के नोटिस को देखने के बाद जहां सलिल की त्योरियां चढ गई, वही पर एस. पी. साहब एवं शांतनु देव के चेहरे पर चिन्ता की लकीरें खींच गई। अब भला शांतनु देव से ज्यादा कौन इस बात को समझ सकता था कि" रजौली के

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कुमाऊ रंजन से शांतनु देव की मुलाकात और कुमाऊ रंजन का रजौली से मिलना.......

27 नवम्बर 2022
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अपार्ट मेंट के अंदर हाँल में कुमाऊ रंजन सोफे पर अकड़ूँ बैठा हुआ था, परन्तु.....उसकी नजर टी. बी स्क्रीन पर ही चिपकी हुई थी। टी. बी. स्क्रीन पर चल रहा एंटरटेंनमेंट, लगता था कि, कुमाऊ रंजन तन्मयता से देख

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मंत्री भानु शाली के घर मीटिंग.......

28 नवम्बर 2022
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शाम ढलने को तत्पर था और लगता था कि" रात के अंधेरे का आवरण अब वातावरण को अपने आगोश में समेट लेगा। ठीक उसी तरह मंत्री भानु शाली के हृदय में भी भय रुपी अंधेरा घनघोर बादल की तरह बढते जा रहे थे और आतुर थे

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हाँस्पिटल में कुमाऊ रंजन की यादाश्त वापस लौटना......

29 नवम्बर 2022
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अचानक ही कुमाऊ रंजन का तबीयत बिगड़ने के बाद सलिल उसे हाँस्पिटल ले आया था। डाक्टरों की टीम कुमाऊ रंजन को इमरजेंसी वार्ड में ले गई थी। परन्तु अब तक सलिल इस सदमे से बाहर नहीं आ सका था कि" आखिर कुमाऊ रंजन

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मंत्री भानुशाली का जज साहब से मिलना.......

30 नवम्बर 2022
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काफी मनोमंथन के बाद भी जब वे लोग किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंच सके। मुहम्मद काजी ने सुझाव दिया कि" क्यों न हम लोग जज साहब से मिल ले। शायद वहीं से कोई रास्ता निकल आए। दावा पूर्वक तो कुछ नहीं कहा जा सकता

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सलिल का कुमाऊ रंजन के साथ पुलिस स्टेशन लौटना और कुमाऊ रंजन का बीते दिनों की यादों में जाना.....

1 दिसम्बर 2022
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सलिल ने ड्राइविंग शीट संभाली, रोमील कुमाऊ रंजन के साथ पीछे बैठा, जबकि बगल बाली शीट पर शांतनु देव बैठ गए। इसके बाद सलिल ने कार श्टार्ट की और हाँस्पिटल गेट से निकाल कर सड़क पर दौड़ा दिया। यूं तो सलिल शांत

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