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शांतनु देव की चिन्ता और पुलिस स्टेशन जाना.........

23 नवम्बर 2022

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मानव मन की रचना ईश्वर ने अजीब प्रकार की- की है। जब मानव सुख में होता है, चिंतन नहीं करता और जब दुःख में होता है, चिंतनशीलता का आवरण ओठ लेता है। परन्तु... विचार, जो कि" मानव मन के साथ हमेशा ही लगे रहते है, चाहे सुख में हो या दुःख में। चाहे उसका मन शांत स्थिर हो या उसके मन में अशांति का ज्वार-भांटा उठ रहा हो। परन्तु....विचार मानव का कभी साथ नहीं छोड़ता। भले ही विचार सकारात्मक हो या नकारात्मक, किन्तु" मानव मन की दुर्बलता है कि" वो हमेशा ही "विचार" के सागर में गोते लगाता रहता है।
                            तभी तो, शांतनु देव "विचार" के लहरों पर सवार था। सुबह तीन बजे जो उसकी आँख खुली थी, तब से लेकर अब तक, यानी कि" सुबह के सात बज चुके थे, परन्तु...अब तक वो विचारों के भंवर जाल से खुद को निकाल नहीं पाया था। इस दरमियान उसने कितनी ही बार कोशिश की थी कि" काश कहीं निंद उससे दोस्ती कर ले और वो निंद के आगोश में समा जाए। किन्तु, उसके सारे प्रयत्न व्यर्थ साबित हुए थे। क्योंकि" उसने जिस तरह के ख्वाब देखे थे, उसके बाद आँखों में निंद को वापस बुलाना दुष्कर कार्य ही था। तभी तो, करीब चार घंटों से वह करवट पर करवट बदले जा रहा था, परन्तु उसे राहत मिल जाए, दूर-दूर तक संभावना नजर नहीं आ रही थी। हलांकि, इस दरमियान डाक्टर अमीत रंजन ने उसके लिए काँफी भिजवा दिया था और उसने पी भी ली थी। परन्तु"....जब उद्विग्नता हृदय को ग्रसित कर ले, आप लाख कोशिशें कर लो, आपके मन में बेचैनी यथावत रहेगा ही।
                       तभी तो शांतनु देव विकल हो रहा था। उसे लग रहा था कि" काश अभी तो इस परिस्थिति से मुक्ति मिल जाए। परन्तु....उसने जिस प्रकार के दु: स्वप्न देखे थे, उसके बाद हृदय का शांत होना नामुमकिन ही था। तभी तो बार-बार घूम-फिर कर वह इन सपनों का अर्थ लगाने में जुट जाता था। उसने मोबाइल निकाल कर गूगल पर भी इस समस्या के बारे में पूछताछ की थी और वहां भी उसे निराशा ही हाथ लगा था। गूगल भी इस स्वप्न का अर्थ बतलाने में नाकाम सिद्ध हो गया था। ऐसे में उसके हृदय की उद्विग्नता और भी बढ गई थी। वैसे तो उसने एक-दो बार अपने मन को समझाने की कोशिश की थी कि" स्वप्न तो अचेतन मन की एक प्रक्रिया है। जब हम किसी चीज के बारे में ज्यादा मन मंथन करते है और फिर सोते है। इसके बाद वही सोच सपनों का रुप लेकर हमारे अचेतन मन से सुलझने की कोशिश करता है।
                                   किन्तु" फिर शांतनु देव को लगने लगता था कि" नहीं-नहीं, अचानक ही इस प्रकार के स्वप्न आने का मतलब तो जरूर होगा। अन्यथा, इस तरह के स्वप्न ही क्यों आते?....बस यह प्रश्न उसके दिमाग में आता और वो विकल हो जाता। शांतनु देव, इससे पहले कभी भी इस तरह से विकल नहीं हुआ था, ऐसे में वह खुद भी सोचने पर विवश हो गया था कि" आखिर आज उसको क्या हो गया है?...इससे पहले तो कभी उसके मन की स्थिति इस प्रकार की नहीं हुई थी। लेकिन अब?...यह भी तो एक प्रश्न ही था उसके लिए कि" अब वो क्या करें। हलांकि, उसकी इच्छा हुई थी कि वो सलिल को फोन कर के बुला ले। परन्तु.....यह ठीक नहीं होगा, ऐसा उसने अपने आपसे कहा। तो फिर?...उसने खुद से ही प्रश्न किया और खुद को ही उत्तर देता हुआ बोला। तो चलता हूं पुलिस स्टेशन। एक तो सलिल से भी मुलाकात हो जाएगी, दूसरे उस औरत "रजौली" से भी मिल लूंगा।
                             हां, यही ठीक रहेगा फिलहाल तो। शांतनु देव ने खुद ही कहे गए अपने शब्दों के समर्थन में बोला और बेड से उठा और रूम से बाहर निकल गया। फिर तो कुछ मिनट बाद ही वो डाक्टर अमीत रंजन के आँफिस में था और अचानक ही उसे अपने आँफिस में आया हुआ देखकर डाक्टर आश्चर्य चकित होकर उसके चेहरे को ताके जा रहा था। जबकि, शांतनु देव आगे बढा और कुर्सी पर बैठने के साथ उसे अपने आने का प्रयोजन बतलाया। शांतनु देव की इच्छा थी कि" उसे अब हाँस्पिटल से डिस्चार्ज कर दिया जाए। साथ ही अमीत रंजन से उसकी कार की मांग की थी। डाक्टर उसकी बातों को सुनकर मुस्कराया, फिर उसने सहमति जता दी। फिर उसने शांतनु देव को बतलाया कि" आँफिस की प्रक्रिया पूरी करने में करीब घंटे भर का समय लगेगा। तब तक वो गेस्ट रूम में इंतजार करें।
                               इसके बाद तो, करीब सुबह के नौ बजे शांतनु देव डाक्टर की कार लेकर हाँस्पिटल से निकला। इस समय शांतनु देव कार को फूल स्पीड में सड़क पर दौड़ाए जा रहा था, क्योंकि" उसकी इच्छा थी कि, वह जल्द से जल्द पुलिस स्टेशन पहुंच जाए। हलांकि, उसने सलिल को दो बार फोन लगाने की कोशिश की थी, परन्तु दोनों बार ही नंबर आउट आँफ कबरेज एरिया बताया था। बस शांतनु देव ने फैसला कर लिया कि, अब वो फोन नहीं लगाएगा, बल्कि जल्द से जल्द पुलिस स्टेशन पहुंच जाएगा। ऐसे में उसने दिल लगाने के लिए म्यूजिक सिस्टम चालू कर दिए और ध्यानपूर्वक ड्राइव करने लगा। आँफिस टाइम होने के कारण सड़क पर ट्रैफिक बढ गया था, इसलिये भी संभल कर ड्राइव करने की जरूरत थी इस समय। 
                     परन्तु मन, उसके मन ने चिन्ता के दामन को अभी तक नहीं छोड़ा था। उसके मन में चिन्ता के बादल अभी भी उमड़- घुमड़ रहे थे। साथ ही सलिल का फोन नहीं लगने से अचानक ही उसके चिन्ता में इजाफा ही हुआ था। अब तो आशंका के बादल उसके मन: मस्तिष्क को डराने भी लगे थे। वे विचार" जो अब विशाल आकार लेने को उन्मत होने लगे थे। अब तो उसके विचार सलिल पर भी बार-बार जाकर केंद्रित होने लगे थे। कहीं कोई अनहोनी तो घटित नहीं हो गया सलिल के साथ?. आखिर उसका फोन काँल क्यों नहीं लग रहा?...अब इस तरह के प्रश्न भी उसके दिमाग में दौड़ने लगे थे। क्योंकि, उसने जिस तरह के स्वप्न देखे थे, इन परिस्थितियों में इस प्रकार के विचार आना स्वाभाविक ही था। तभी तो चाहता था कि, जल्द से जल्द पुलिस स्टेशन पहुंचे। 
                                    आखिरकार आधा घंटे बाद वो पुलिस स्टेशन पहुंचा। फिर तो उसने कार प्रांगण में पार्क की और आँफिस बिल्डिंग की ओर बढा और जैसे ही वो पुलिस स्टेशन के हाँल में पहुंचा, सिपाहियों द्वारा उसे ज्ञात हुआ कि" साहब लोग तो सुबह सात बजे ही काम से बाहर गए हुए है। अब?...सिपाहियों की बातें सुनते ही शांतनु देव के मन में प्रश्न कौंधा। हां, यह प्रश्न ही तो था उसके लिए कि" अब क्या करें?....अगर सलिल से उसकी बात हो गई होती, तो वो पुलिस स्टेशन नहीं आकर रास्ते में ही उससे मिल लिया होता। साथ ही सलिल को लेकर उसके मन में शंका भी बलवती होने लगी। बीतता हुआ एक-एक पल उसको बोझ सा प्रतीत होने लगा और वो खड़ा रहकर इस समय को समझने की कोशिश करने लगा, उसके आहट को समझने की कोशिश करने लगा शांतनु देव।
                 तभी अचानक ही उसके मोबाइल ने वीप दी। उसने मोबाइल निकाल कर देखा और उसका मन प्रसन्न हो गया, क्योंकि" सामने सलिल था। उसने शांतनु देव को फोन पर बतलाया कि इन बीते दिनों में क्या-क्या बातें हुई और वो किसलिये अभी सीनियर आँफिसर और लाव- लश्कर के साथ पुलिस स्टेशन से बाहर है। उसकी बातों को सुनकर शांतनु देव आश्चर्य चकित हो रहा था, तब सलिल ने उसे सामने से कहा कि" तुम आँफिस में जाकर बैठो, मैं घंटे भर में आँफिस पहुंचता हूं। बस इतनी बाते कहने के बाद सलिल ने फोन डिस्कनेक्ट कर दिया और शांतनु देव ने राहत की सांस ली। फिर तो उसने सलिल के आँफिस की ओर अपने कदम बढा दिए।
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क्रमशः-
                                

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रचनाएँ
रजौली
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अपराध की पृष्ठभूमि होती है। बिना पृष्ठभूमि के अपराध हो ही नहीं सकता और पृष्ठभूमि हमारा समाज ही बनाता है। बिना सामाजिक एवं राजनीतिक पोषण के अपराध कभी भी पनप ही नहीं सकता।.....कहीं समाज किसी के ऊपर अत्याचार करता है, तो अपराध का जन्म होता है, तो कहीं समाज अपने निहित स्वार्थ को साधने के लिए अपराध को बाढावा देता है। कहने का तात्पर्य यही है कि" अपराध के जन्म लेने का कारण हम और आप कहीं न कहीं है। बिना राजनीतिक स्वार्थ के अपराधियों का मनोबल कभी भी नहीं बढ सकता। "रजौली" एक ऐसे युवती की कहानी है, जो अपने आप में ही उलझी हुई है। "रजौली" वास्तव में एक वेदना है, जो अत्यधिक शोषण की भट्टी से ज्वालामुखी बनकर निकलती है। मदन मोहन" मैत्रेय
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रजौली-एक छल कथा

5 नवम्बर 2022
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अपराध की पृष्ठभूमि होती है। बिना पृष्ठभूमि के अपराध हो ही नहीं सकता और पृष्ठभूमि हमारा समाज ही बनाता है। बिना सामाजिक एवं राजनीतिक पोषण के अपराध कभी भी पनप ही नहीं सकता।.....कहीं समाज किसी के ऊपर अत्य

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पुलिस मूख्यालय........

6 नवम्बर 2022
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दिन के दस बजे से ही पुलिस मूख्यालय में बैठकों का दौर जारी था। वैसे तो पंद्रह अगस्त को लेकर दिल्ली में आर्मी बालों का कमांड हो जाता है। फिर भी प्रशासनिक व्यवस्था संभालने की जिम्मेदारी पुलिस की होती है।

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खंडहर........

7 नवम्बर 2022
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शाम ढलने को व्याकुल हो चुका था। लगता था कि" अब कुछ ही देर में अँधेरे का साम्राज्य व्याप्त हो जाएगा और होना भी यही चाहिए। क्योंकि यह समय चक्र है और इसमें सभी कुछ निर्धारित होता है, पहले से ही। इससे आज

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घटना स्थल का मुआयना एवं सलिल का हाँस्पिटल जाना........

8 नवम्बर 2022
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शाम का अंधेरा घिरने लगा था, लेकिन अमूमन जैसा होता है, शहर पर इस अंधेरे का कोई प्रभाव नहीं पड़ा था। तभी तो हनुमान चौक का इलाका रोशनी में जगमगाता हुआ प्रतीत हो रहा था। लेकिन अभी वहां पर बिल्कुल मातमी सन्

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रीठाला मेट्रो स्टेशन.......

9 नवम्बर 2022
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रात के एक बजे, मेट्रो में अपेक्षाकृत काफी कम यात्रियों की संख्या थी। कोरोना काल के गुजर जाने के कारण शहर व्यवस्थित हो चुका था, किन्तु पहले जैसी रफ्तार अभी नहीं पकड़ पाया था। दूजे कि" रात ज्यादा हो जाने

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सलिल का हाँस्पिट से रीठाला मेट्रो स्टेशन की ओर जाना.........

10 नवम्बर 2022
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रात बारह बजे।सलिल हाँस्पिटल से बाहर निकला था और अब जूस की दुकान खोज रहा था। शांतनु देव को गोली लगने के कारण उसका हृदय बहुत हद तक मर्माहत हुआ था। बार-बार उसे शांतनु देव पर गुस्सा भी आ रहा था। इतना तेज-

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उस औरत को हाँस्पिटल ले जाना और पुलिस द्वारा प्रेस रीलिज दिया जाना........

11 नवम्बर 2022
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रोमील के द्वारा उन चारों घायलों को ले जाने के बाद सलिल ने उस औरत को देखा। तब तक हथियार धारी फोर्स उसके करीब पहुंच चुका था और उन लोगों की नजर सलिल पर टिक गई थी, मानो जानना चाहते हो कि" कुछ देर पहले किस

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मंत्री भानु शाली.......

12 नवम्बर 2022
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सुबह के पांच बज चुके थे।अमूमन तो इस समय मंत्री आवास पर किसी प्रकार का चहल-पहल नहीं होता था। किन्तु" अभी-अभी मंत्री साहब की आँख खुली थी और उन्होंने न्यूज चैनल लगा दिया था और ऐसे ही एक नजर देख लेने की इ

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रजौली को पुलिस स्टेशन लाना और उससे पूछताछ.......

14 नवम्बर 2022
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सुबह के छ बजते ही आकाश सूर्य किरण की आभा से जगमगा उठा। उगते हुए सूर्य के साथ ही एल.

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मंत्री भानु शाली का पंडित जगतपति से मिलना.......

14 नवम्बर 2022
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सुबह के आठ बज चुके थे और इसके साथ ही चारों ओर प्रकाश का साम्राज्य छा चुका था। वैसे भी आकाश साफ था, जिसके कारण किरण का निखार कुछ ज्यादा था। लेकिन मंत्री भानु शाली के चेहरे से प्रतीत हो रहा था कि" उनके

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टाँर्चर रुम........

15 नवम्बर 2022
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सलिल, रजौली के द्वारा इस तरह लगाए जा रहे ठहाकों से परेशान हो चुका था। उसे उम्मीद थी कि" रजौली इस तरह के हरकत करने के बाद शांत हो जाएगी और फिर उसके साथ सहयोग करेगी। किन्तु नहीं, रजौली तो रुक-रुक कर करी

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मुहम्मद काजी.........

16 नवम्बर 2022
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सफेद लुंगी, उसपर नीले रंग का कुर्ता और सिर पर जालीदार सफेद टोपी।....चेहरे पर चमक, आँखों पर गोल चश्मा, लंबा कद। चेहरे पर मूंछ नहीं थी, किन्तु" लंबी सफेद दाढी, उम्र यही करीब पचपन वर्ष के करीब। मुहम्मद क

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सलिल के द्वारा पेट्रोलिंग किया जाना और हाँस्पिटल पहुंचना.........

17 नवम्बर 2022
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एस. पी. साहब के जाने के बाद जैसे सलिल की तंद्रा टूटी हो। फिर तो उसने रोमील एवं राम माधवन को आँफिस में बुलाया और समझाया कि" उसे आगे क्या करना है? साथ ही उसने पुलिस मूख्यालय भी फोन कर दिया कि" अतिरिक्त

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सलिल की कुमाऊ रंजन से मुलाकात........

18 नवम्बर 2022
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सलिल को अचानक ही आया देखकर शांतनु देव चौंका जरूर था, किन्तु" उसने अपने चेहरे पर इन भावों को नहीं आने दिया और सलिल को अपने करीब बैठने के साथ ही उसके चेहरे पर नजर टिका दी। जबकि सलिल, उसके करीब बैठने के

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मंत्री साहब का वकील दिगंबर से मिलना.......

19 नवम्बर 2022
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शाम के सात बज चुके थे और अब आसमान में तारे जगमग करने लगे थे। मंत्री भानु शाली अभी अपने बंगले से निकला था" वकील से मिलने के लिए। वैसे भी कुछ सेकेन्ड पहले हुई जोरदार बारिश ने रोड पर पानी जमा कर दिया था।

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कुमाऊ रंजन के साथ सलिल का पुलिस स्टेशन लौटना.......

20 नवम्बर 2022
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अचानक से ही बरसात की शुरुआत हो जाने के कारण एक पल के लिए सलिल हकबका सा गया। एक तो रात का आलम ढल चुका था, दूसरे आसमान से तेज गति से गिर रही बारिश की बुंदे। एक पल के लिए उसे समझ ही नहीं आया कि, क्या करे

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शांतनु देव का स्वप्न.........

21 नवम्बर 2022
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शांतनु देव को पंख लग गए थे और वो आसमान में ऊँचे- ऊँचे उड़ता जा रहा था। उसकी कोशिश भी तो यही थी कि" नील गगन के आँचल में दूर-दूर तक परवाज करें और फिर उसके तो पंख लग गए थे। कोमल-कोमल सफेद पंख, जिसमें बहुत

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सलिल एवं एस. पी. साहब का पुलिस स्टेशन पहुंचना और रजौली से पूछताछ करना.......

22 नवम्बर 2022
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सुबह के पांच बजने के साथ ही सलिल ने अंगड़ाई ली। कहां तो रजौली के कहे अनुसार दिल्ली शहर धमाके की आवाज से दहल जाना चाहिए था, परन्तु....ऐसा कुछ भी नहीं हुआ था। शहर तो अपनी चाल में गति कर रहा था, ऐसे में स

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शांतनु देव की चिन्ता और पुलिस स्टेशन जाना.........

23 नवम्बर 2022
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मानव मन की रचना ईश्वर ने अजीब प्रकार की- की है। जब मानव सुख में होता है, चिंतन नहीं करता और जब दुःख में होता है, चिंतनशीलता का आवरण ओठ लेता है। परन्तु... विचार, जो कि" मानव मन के साथ हमेशा ही लगे रहते

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सलिल के द्वारा शहर के चक्कर लगाना और पुलिस स्टेशन लौटना...........

25 नवम्बर 2022
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दिन के दस बजने बाले थे, किन्तु सलिल को अभी तक कहीं सफलता नहीं मिली थी। रजौली" ने जितने भी पते बतलाए थे, उन तमाम जगहों पर अब तक छापामारी की गई थी। परन्तु....वे तमाम जगह, जहां दूर-दूर तक भी संभावना नहीं

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रजौली" से फिर से पूछताछ और कोर्ट की नोटिस........

25 नवम्बर 2022
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सलिल एवं एस. पी. साहब को अजीब नजरों से अपनी ओर देखता पाकर शांतनु देव एक पल के लिए बौखला ही गया। उसकी इच्छा हुई कि" दोनों से पुछे कि, इस तरह से क्यों देख रहे हो?...परन्तु अचानक ही उसने अपने इस विचार को

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रजौली की कोर्ट में पेशी और सलिल का अपार्ट मेंट पर लौटना.......

26 नवम्बर 2022
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कोर्ट के नोटिस को देखने के बाद जहां सलिल की त्योरियां चढ गई, वही पर एस. पी. साहब एवं शांतनु देव के चेहरे पर चिन्ता की लकीरें खींच गई। अब भला शांतनु देव से ज्यादा कौन इस बात को समझ सकता था कि" रजौली के

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कुमाऊ रंजन से शांतनु देव की मुलाकात और कुमाऊ रंजन का रजौली से मिलना.......

27 नवम्बर 2022
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अपार्ट मेंट के अंदर हाँल में कुमाऊ रंजन सोफे पर अकड़ूँ बैठा हुआ था, परन्तु.....उसकी नजर टी. बी स्क्रीन पर ही चिपकी हुई थी। टी. बी. स्क्रीन पर चल रहा एंटरटेंनमेंट, लगता था कि, कुमाऊ रंजन तन्मयता से देख

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मंत्री भानु शाली के घर मीटिंग.......

28 नवम्बर 2022
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शाम ढलने को तत्पर था और लगता था कि" रात के अंधेरे का आवरण अब वातावरण को अपने आगोश में समेट लेगा। ठीक उसी तरह मंत्री भानु शाली के हृदय में भी भय रुपी अंधेरा घनघोर बादल की तरह बढते जा रहे थे और आतुर थे

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हाँस्पिटल में कुमाऊ रंजन की यादाश्त वापस लौटना......

29 नवम्बर 2022
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अचानक ही कुमाऊ रंजन का तबीयत बिगड़ने के बाद सलिल उसे हाँस्पिटल ले आया था। डाक्टरों की टीम कुमाऊ रंजन को इमरजेंसी वार्ड में ले गई थी। परन्तु अब तक सलिल इस सदमे से बाहर नहीं आ सका था कि" आखिर कुमाऊ रंजन

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मंत्री भानुशाली का जज साहब से मिलना.......

30 नवम्बर 2022
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काफी मनोमंथन के बाद भी जब वे लोग किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंच सके। मुहम्मद काजी ने सुझाव दिया कि" क्यों न हम लोग जज साहब से मिल ले। शायद वहीं से कोई रास्ता निकल आए। दावा पूर्वक तो कुछ नहीं कहा जा सकता

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सलिल का कुमाऊ रंजन के साथ पुलिस स्टेशन लौटना और कुमाऊ रंजन का बीते दिनों की यादों में जाना.....

1 दिसम्बर 2022
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सलिल ने ड्राइविंग शीट संभाली, रोमील कुमाऊ रंजन के साथ पीछे बैठा, जबकि बगल बाली शीट पर शांतनु देव बैठ गए। इसके बाद सलिल ने कार श्टार्ट की और हाँस्पिटल गेट से निकाल कर सड़क पर दौड़ा दिया। यूं तो सलिल शांत

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