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सलिल के द्वारा शहर के चक्कर लगाना और पुलिस स्टेशन लौटना...........

25 नवम्बर 2022

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दिन के दस बजने बाले थे, किन्तु सलिल को अभी तक कहीं सफलता नहीं मिली थी। रजौली" ने जितने भी पते बतलाए थे, उन तमाम जगहों पर अब तक छापामारी की गई थी। परन्तु....वे तमाम जगह, जहां दूर-दूर तक भी संभावना नहीं थी कि" कानून के विरूद्ध वहां पर काम किया जाता हो। अब ऐसे ही नहीं किसी पर हाथ डाला जा सकता था, क्योंकि रजौली का बयान एक दिन पहले ही तो गलत हुआ था, इसलिये सिर्फ उसके बयान पर ही कोई कदम उठा ले, सलिल इस प्रकार के भूल नहीं कर सकता था। क्योंकि, इसमें रिश्क और बदनामी दोनों था।
                          सलिल ने इस दरमियान रोमील एवं राम माधवन से भी फोन कर के पुछ लिया था। परन्तु.... दोनों ने भी यही बतलाया था कि" सफलता अभी नहीं मिला है। तभी तो सलिल ने तय कर लिया कि" अब व्यर्थ समय बिताने के बदले पुलिस स्टेशन लौट जाया जाए। उसमें भी, जब से उसकी बात शांतनु देव से हुई थी, उसकी इच्छा अति तीव्र हो चुकी थी कि" पुलिस स्टेशन लौटा जाए। परन्तु, इससे पहले एस. पी. साहब के पास जाकर रिपोर्टिंग भी तो करना था। इसलिये उसने कार पुलिस मूख्यालय को दौड़ा दिया इस विचार के साथ कि" शांतनु देव आखिर किस कारण से आया होगा?
                                वैसे भी, सलिल के मन में पहले से ही विचार था कि" वो शांतनु देव से मिले और ताजा उत्पन्न हुए हालात से उसे अवगत करवाए। इसलिये वो अपना समय निकाल कर हाँस्पिटल जाने ही बाला था। किन्तु" अचानक ही शांतनु देव पुलिस स्टेशन पहुंच चुका था और इतना काफी था सलिल का टेंशन बढाने के लिए। उसे जिसकी उम्मीद नहीं थी, वही हुआ था। अचानक ही शांतनु देव हाँस्पिटल से निकल कर पुलिस स्टेशन पहुंच गया था। तो स्वाभाविक ही था कि" उसके मन मस्तिष्क में प्रश्न का तूफान उठे कि" आखिर क्या हुआ होगा?....... प्रश्न इसलिये भी गंभीर था कि, परसो ही तो शांतनु देव घायल हुआ था। इस परिस्थिति में तो उसे हाँस्पिटल के बेड पर होना चाहिए था। फिर आखिर ऐसा क्या घटित हुआ होगा कि" हाँस्पिटल के बेड को छोड़ कर वो सीधा उससे मिलने के लिए दौड़कर पुलिस स्टेशन आ गया।
                             इन्हीं प्रश्नों में उलझे हुए सलिल ने कार के इंजन को श्टार्ट किया और आगे बढा दिया। फिर तो कार दिल्ली की सड़क पर सरपट दौड़ने लगी। परन्तु उसके मन के विचार....जो थमने का नाम ही नहीं ले रहे थे और इसलिये सलिल विकल हुआ जा रहा था। बात कोई और समय या किसी और की होती, सलिल इस तरह से परेशान तो नहीं होता। परन्तु....एक तो रजौली के द्वारा दिए जा रहे उलझे बयान और शांतनु देव का इस तरह से आना, सलिल सचमुच उलझ चुका था। यह सच है कि" व्यक्ति जब कहीं विचारों के जाले में उलझ जाता है, उसकी बुद्धि कुंद हो जाती है। फिर तो वह निर्णय ही नहीं ले पाता कि" उसे करना क्या है। वह उलझन के जालों में अपने अस्तित्व को ही उलझाने लगता है। वह एक प्रश्न हल करने को मनोमंथन करता है और उसके दिमाग में अनेकों प्रश्न जन्म लेने लगते है। 
                                     तभी तो सलिल बार-बार ड्राइव करने में भूल कर रहा था, जिस कारण से कार बार- बार सड़क पर लहरा जाती थी। फिर अचानक ही वो संभलता था और अपना ध्यान ड्राइव पर केंद्रित कर देता था। परन्तु फिर से वही गलती,....फिर से कार का सड़क पर लहर उठना। सलिल की इच्छा हुई कि" कार को सड़क किनारे खड़ी कर के दो पल के लिए मन को शांत कर ले। नहीं-नहीं, फिलहाल तो वो ऐसा नहीं कर सकता, क्योंकि उसे अभी बहुत काम निपटाने है। सलिल ने खुद से कहा और फिर से ड्राइव में तल्लीन हो गया और आखिर कार पुलिस मूख्यालय का गेट आते ही अंदर ले लिया। फिर तो वो एस. पी साहब के पास पहुंच कर ताजा हालात के बारे में बतलाने लगा। उसने एस. पी. साहब को बतलाया कि" किस प्रकार से रजौली के द्वारा दिया गया बयान गलत हो चुका है। फिर जब वो रिपोर्ट देकर फ्री हुआ, एस. पी. साहब से चलने के लिए अनुमति मांगा। परन्तु....उसकी बात सुनकर एक पल के लिए एस. पी. साहब सोच में डुब गए, फिर वे भी उसके साथ पुलिस स्टेशन चलने के लिए तैयार हो गए।
                               इसके बाद तो सलिल एक बार फिर से ड्राइविंग शीट पर विराजमान हो गया और कार सड़क पर दौड़ने लगी। परन्तु....इस दरमियान बगल में बैठे एस. पी. साहब ने चुप्पी साध ली और उनके इस तरह मौन धारण कर लेने से सलिल और भी विकल हो गया। क्योंकि वो चाहता था कि" एस. पी. साहब बोले, जिससे उसका ध्यान बटे। सलिल अपने मन में ग्रसित हो चुके विचारों से त्रस्त हो चुका था। उसकी इच्छा यही थी कि" एस. पी. साहब कोई भी बात बोले, वह फिर बात चीत की शुरुआत कर देगा, जिससे कि" सफर आसानी से कट जाएगी। परन्तु एस. पी. साहब के मौन धारण कर लेने से जैसे उसकी इच्छाओं पर तुषारापात हुआ हो।
                              स्वाभाविक ही है, जब आप किसी के साथ हो, परन्तु फिर भी बीच में चुप्पी पसरी हुई हो, बस हृदय में अकेले पन की फिलिंग आने लगती है। तभी तो, कार में एस. पी. साहब के मौजूद होने के बाद भी सलिल खुद को अकेला महसूस कर रहा था, बिल्कुल तनहा। किन्तु" इस तरह हिया हारने से भी तो काम नहीं चलने बाला था। तभी तो उसने अपने मन को समझाया और ड्राइव पर ध्यान केंद्रित करने की कोशिश करने लगा। इधर एस. पी. साहब भले ही मौन थे, परन्तु ऐसा भी नहीं था कि" वे सलिल के मन स्थिति से अनभिज्ञ थे। उन्हें भली प्रकार से इस बात का एहसास था कि" सलिल बात करने के मुड में है। परन्तु....एस. पी. साहब की ही इच्छा नहीं थी इस समय बात करने की। वे तो मौन रह कर वर्तमान में चल रहे परिस्थिति का आकलन करना चाहते थे। वैसे, वे भी रजौली" नाम के चरित्र पर आकर उलझ गए थे। शुरु- शुरु में तो उन्हें यही लगा था कि" रजौली आतंकवादी है और उसके बयानों की खाना पूर्ति करने के बाद बस वे अपने जिम्मेदारी से मुक्त हो जाएंगे। परन्तु....ऐसा हुआ नहीं और उलटे वे रजौली के व्यक्तित्व पर ही आकर उलझ कर रह गए।
                      अभी एस. पी. साहब के विचार का घोड़ा और भी दौड़ता, परन्तु....कार पुलिस स्टेशन पहुंच चुकी थी। तभी तो सलिल ने कार प्रांगण में खड़ी की और फिर एस. पी. साहब के साथ अंदर की ओर बढा। अंदर हाँल में रोमील एवं राम माधवन शांतनु देव के साथ बात करने में उलझा हुआ था। ऐसे में सलिल पर शांतनु देव की नजर खड़ी और सलिल ने उसको देखा, परिणाम दोनों की नजर टकराई और सलिल ने शांतनु देव को इशारा किया कि" वो आँफिस में पहुंचे। फिर एस. पी. साहब के साथ आगे बढ गया। फिर क्या था, शांतनु देव भी उनके पीछे लपका और जब आँफिस में पहुंचा। सलिल एवं एस. पी. साहब बैठे हुए थे, परन्तु....उनकी नजर गेट पर ही टिकी थी, मानो कि" उसका ही इंतजार कर रहे हो। तभी तो उसने आँफिस में कदम रखा और सलिल अधीर हो कर उसकी आँखों में देखने लगा। जबकि शांतनु देव आगे बढा, उसने कुर्सी संभाल ली और बैठ भी गया, परन्तु बोला कुछ नहीं। तभी आँफिस में राम माधवन ने कदम रखा और सलिल ने उसे निर्देशित किया कि” रजौली को टाँर्चर रूम में लेकर आए। आदेश सुनते ही राम माधवन उलटे पांव लौट गया। इसके बाद फिर से सलिल ने शांतनु देव पर नजर टिका दी। मानो यहां आने का उद्देश्य पुछ रहा हो, परन्तु बोला कुछ नहीं। ऐसे में आँफिस में सन्नाटा पसर गया।
                                 
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क्रमश:-
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रचनाएँ
रजौली
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अपराध की पृष्ठभूमि होती है। बिना पृष्ठभूमि के अपराध हो ही नहीं सकता और पृष्ठभूमि हमारा समाज ही बनाता है। बिना सामाजिक एवं राजनीतिक पोषण के अपराध कभी भी पनप ही नहीं सकता।.....कहीं समाज किसी के ऊपर अत्याचार करता है, तो अपराध का जन्म होता है, तो कहीं समाज अपने निहित स्वार्थ को साधने के लिए अपराध को बाढावा देता है। कहने का तात्पर्य यही है कि" अपराध के जन्म लेने का कारण हम और आप कहीं न कहीं है। बिना राजनीतिक स्वार्थ के अपराधियों का मनोबल कभी भी नहीं बढ सकता। "रजौली" एक ऐसे युवती की कहानी है, जो अपने आप में ही उलझी हुई है। "रजौली" वास्तव में एक वेदना है, जो अत्यधिक शोषण की भट्टी से ज्वालामुखी बनकर निकलती है। मदन मोहन" मैत्रेय
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रजौली-एक छल कथा

5 नवम्बर 2022
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अपराध की पृष्ठभूमि होती है। बिना पृष्ठभूमि के अपराध हो ही नहीं सकता और पृष्ठभूमि हमारा समाज ही बनाता है। बिना सामाजिक एवं राजनीतिक पोषण के अपराध कभी भी पनप ही नहीं सकता।.....कहीं समाज किसी के ऊपर अत्य

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पुलिस मूख्यालय........

6 नवम्बर 2022
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दिन के दस बजे से ही पुलिस मूख्यालय में बैठकों का दौर जारी था। वैसे तो पंद्रह अगस्त को लेकर दिल्ली में आर्मी बालों का कमांड हो जाता है। फिर भी प्रशासनिक व्यवस्था संभालने की जिम्मेदारी पुलिस की होती है।

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खंडहर........

7 नवम्बर 2022
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शाम ढलने को व्याकुल हो चुका था। लगता था कि" अब कुछ ही देर में अँधेरे का साम्राज्य व्याप्त हो जाएगा और होना भी यही चाहिए। क्योंकि यह समय चक्र है और इसमें सभी कुछ निर्धारित होता है, पहले से ही। इससे आज

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घटना स्थल का मुआयना एवं सलिल का हाँस्पिटल जाना........

8 नवम्बर 2022
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शाम का अंधेरा घिरने लगा था, लेकिन अमूमन जैसा होता है, शहर पर इस अंधेरे का कोई प्रभाव नहीं पड़ा था। तभी तो हनुमान चौक का इलाका रोशनी में जगमगाता हुआ प्रतीत हो रहा था। लेकिन अभी वहां पर बिल्कुल मातमी सन्

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रीठाला मेट्रो स्टेशन.......

9 नवम्बर 2022
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रात के एक बजे, मेट्रो में अपेक्षाकृत काफी कम यात्रियों की संख्या थी। कोरोना काल के गुजर जाने के कारण शहर व्यवस्थित हो चुका था, किन्तु पहले जैसी रफ्तार अभी नहीं पकड़ पाया था। दूजे कि" रात ज्यादा हो जाने

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सलिल का हाँस्पिट से रीठाला मेट्रो स्टेशन की ओर जाना.........

10 नवम्बर 2022
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रात बारह बजे।सलिल हाँस्पिटल से बाहर निकला था और अब जूस की दुकान खोज रहा था। शांतनु देव को गोली लगने के कारण उसका हृदय बहुत हद तक मर्माहत हुआ था। बार-बार उसे शांतनु देव पर गुस्सा भी आ रहा था। इतना तेज-

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उस औरत को हाँस्पिटल ले जाना और पुलिस द्वारा प्रेस रीलिज दिया जाना........

11 नवम्बर 2022
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रोमील के द्वारा उन चारों घायलों को ले जाने के बाद सलिल ने उस औरत को देखा। तब तक हथियार धारी फोर्स उसके करीब पहुंच चुका था और उन लोगों की नजर सलिल पर टिक गई थी, मानो जानना चाहते हो कि" कुछ देर पहले किस

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मंत्री भानु शाली.......

12 नवम्बर 2022
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सुबह के पांच बज चुके थे।अमूमन तो इस समय मंत्री आवास पर किसी प्रकार का चहल-पहल नहीं होता था। किन्तु" अभी-अभी मंत्री साहब की आँख खुली थी और उन्होंने न्यूज चैनल लगा दिया था और ऐसे ही एक नजर देख लेने की इ

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रजौली को पुलिस स्टेशन लाना और उससे पूछताछ.......

14 नवम्बर 2022
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सुबह के छ बजते ही आकाश सूर्य किरण की आभा से जगमगा उठा। उगते हुए सूर्य के साथ ही एल.

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मंत्री भानु शाली का पंडित जगतपति से मिलना.......

14 नवम्बर 2022
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सुबह के आठ बज चुके थे और इसके साथ ही चारों ओर प्रकाश का साम्राज्य छा चुका था। वैसे भी आकाश साफ था, जिसके कारण किरण का निखार कुछ ज्यादा था। लेकिन मंत्री भानु शाली के चेहरे से प्रतीत हो रहा था कि" उनके

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टाँर्चर रुम........

15 नवम्बर 2022
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सलिल, रजौली के द्वारा इस तरह लगाए जा रहे ठहाकों से परेशान हो चुका था। उसे उम्मीद थी कि" रजौली इस तरह के हरकत करने के बाद शांत हो जाएगी और फिर उसके साथ सहयोग करेगी। किन्तु नहीं, रजौली तो रुक-रुक कर करी

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मुहम्मद काजी.........

16 नवम्बर 2022
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सफेद लुंगी, उसपर नीले रंग का कुर्ता और सिर पर जालीदार सफेद टोपी।....चेहरे पर चमक, आँखों पर गोल चश्मा, लंबा कद। चेहरे पर मूंछ नहीं थी, किन्तु" लंबी सफेद दाढी, उम्र यही करीब पचपन वर्ष के करीब। मुहम्मद क

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सलिल के द्वारा पेट्रोलिंग किया जाना और हाँस्पिटल पहुंचना.........

17 नवम्बर 2022
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एस. पी. साहब के जाने के बाद जैसे सलिल की तंद्रा टूटी हो। फिर तो उसने रोमील एवं राम माधवन को आँफिस में बुलाया और समझाया कि" उसे आगे क्या करना है? साथ ही उसने पुलिस मूख्यालय भी फोन कर दिया कि" अतिरिक्त

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सलिल की कुमाऊ रंजन से मुलाकात........

18 नवम्बर 2022
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सलिल को अचानक ही आया देखकर शांतनु देव चौंका जरूर था, किन्तु" उसने अपने चेहरे पर इन भावों को नहीं आने दिया और सलिल को अपने करीब बैठने के साथ ही उसके चेहरे पर नजर टिका दी। जबकि सलिल, उसके करीब बैठने के

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मंत्री साहब का वकील दिगंबर से मिलना.......

19 नवम्बर 2022
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शाम के सात बज चुके थे और अब आसमान में तारे जगमग करने लगे थे। मंत्री भानु शाली अभी अपने बंगले से निकला था" वकील से मिलने के लिए। वैसे भी कुछ सेकेन्ड पहले हुई जोरदार बारिश ने रोड पर पानी जमा कर दिया था।

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कुमाऊ रंजन के साथ सलिल का पुलिस स्टेशन लौटना.......

20 नवम्बर 2022
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अचानक से ही बरसात की शुरुआत हो जाने के कारण एक पल के लिए सलिल हकबका सा गया। एक तो रात का आलम ढल चुका था, दूसरे आसमान से तेज गति से गिर रही बारिश की बुंदे। एक पल के लिए उसे समझ ही नहीं आया कि, क्या करे

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शांतनु देव का स्वप्न.........

21 नवम्बर 2022
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शांतनु देव को पंख लग गए थे और वो आसमान में ऊँचे- ऊँचे उड़ता जा रहा था। उसकी कोशिश भी तो यही थी कि" नील गगन के आँचल में दूर-दूर तक परवाज करें और फिर उसके तो पंख लग गए थे। कोमल-कोमल सफेद पंख, जिसमें बहुत

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सलिल एवं एस. पी. साहब का पुलिस स्टेशन पहुंचना और रजौली से पूछताछ करना.......

22 नवम्बर 2022
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सुबह के पांच बजने के साथ ही सलिल ने अंगड़ाई ली। कहां तो रजौली के कहे अनुसार दिल्ली शहर धमाके की आवाज से दहल जाना चाहिए था, परन्तु....ऐसा कुछ भी नहीं हुआ था। शहर तो अपनी चाल में गति कर रहा था, ऐसे में स

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शांतनु देव की चिन्ता और पुलिस स्टेशन जाना.........

23 नवम्बर 2022
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मानव मन की रचना ईश्वर ने अजीब प्रकार की- की है। जब मानव सुख में होता है, चिंतन नहीं करता और जब दुःख में होता है, चिंतनशीलता का आवरण ओठ लेता है। परन्तु... विचार, जो कि" मानव मन के साथ हमेशा ही लगे रहते

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सलिल के द्वारा शहर के चक्कर लगाना और पुलिस स्टेशन लौटना...........

25 नवम्बर 2022
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दिन के दस बजने बाले थे, किन्तु सलिल को अभी तक कहीं सफलता नहीं मिली थी। रजौली" ने जितने भी पते बतलाए थे, उन तमाम जगहों पर अब तक छापामारी की गई थी। परन्तु....वे तमाम जगह, जहां दूर-दूर तक भी संभावना नहीं

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रजौली" से फिर से पूछताछ और कोर्ट की नोटिस........

25 नवम्बर 2022
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सलिल एवं एस. पी. साहब को अजीब नजरों से अपनी ओर देखता पाकर शांतनु देव एक पल के लिए बौखला ही गया। उसकी इच्छा हुई कि" दोनों से पुछे कि, इस तरह से क्यों देख रहे हो?...परन्तु अचानक ही उसने अपने इस विचार को

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रजौली की कोर्ट में पेशी और सलिल का अपार्ट मेंट पर लौटना.......

26 नवम्बर 2022
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कोर्ट के नोटिस को देखने के बाद जहां सलिल की त्योरियां चढ गई, वही पर एस. पी. साहब एवं शांतनु देव के चेहरे पर चिन्ता की लकीरें खींच गई। अब भला शांतनु देव से ज्यादा कौन इस बात को समझ सकता था कि" रजौली के

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कुमाऊ रंजन से शांतनु देव की मुलाकात और कुमाऊ रंजन का रजौली से मिलना.......

27 नवम्बर 2022
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अपार्ट मेंट के अंदर हाँल में कुमाऊ रंजन सोफे पर अकड़ूँ बैठा हुआ था, परन्तु.....उसकी नजर टी. बी स्क्रीन पर ही चिपकी हुई थी। टी. बी. स्क्रीन पर चल रहा एंटरटेंनमेंट, लगता था कि, कुमाऊ रंजन तन्मयता से देख

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मंत्री भानु शाली के घर मीटिंग.......

28 नवम्बर 2022
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शाम ढलने को तत्पर था और लगता था कि" रात के अंधेरे का आवरण अब वातावरण को अपने आगोश में समेट लेगा। ठीक उसी तरह मंत्री भानु शाली के हृदय में भी भय रुपी अंधेरा घनघोर बादल की तरह बढते जा रहे थे और आतुर थे

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हाँस्पिटल में कुमाऊ रंजन की यादाश्त वापस लौटना......

29 नवम्बर 2022
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अचानक ही कुमाऊ रंजन का तबीयत बिगड़ने के बाद सलिल उसे हाँस्पिटल ले आया था। डाक्टरों की टीम कुमाऊ रंजन को इमरजेंसी वार्ड में ले गई थी। परन्तु अब तक सलिल इस सदमे से बाहर नहीं आ सका था कि" आखिर कुमाऊ रंजन

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मंत्री भानुशाली का जज साहब से मिलना.......

30 नवम्बर 2022
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काफी मनोमंथन के बाद भी जब वे लोग किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंच सके। मुहम्मद काजी ने सुझाव दिया कि" क्यों न हम लोग जज साहब से मिल ले। शायद वहीं से कोई रास्ता निकल आए। दावा पूर्वक तो कुछ नहीं कहा जा सकता

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सलिल का कुमाऊ रंजन के साथ पुलिस स्टेशन लौटना और कुमाऊ रंजन का बीते दिनों की यादों में जाना.....

1 दिसम्बर 2022
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सलिल ने ड्राइविंग शीट संभाली, रोमील कुमाऊ रंजन के साथ पीछे बैठा, जबकि बगल बाली शीट पर शांतनु देव बैठ गए। इसके बाद सलिल ने कार श्टार्ट की और हाँस्पिटल गेट से निकाल कर सड़क पर दौड़ा दिया। यूं तो सलिल शांत

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