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कुमाऊ रंजन से शांतनु देव की मुलाकात और कुमाऊ रंजन का रजौली से मिलना.......

27 नवम्बर 2022

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अपार्ट मेंट के अंदर हाँल में कुमाऊ रंजन सोफे पर अकड़ूँ बैठा हुआ था, परन्तु.....उसकी नजर टी. बी स्क्रीन पर ही चिपकी हुई थी। टी. बी. स्क्रीन पर चल रहा एंटरटेंनमेंट, लगता था कि, कुमाऊ रंजन तन्मयता से देख रहा हो। किन्तु" ऐसा बिल्कुल भी नहीं था। कुमाऊ रंजन बार-बार अपने पैरो के अंगूठे को खुजला रहा था और चेहरे के हाव- भाव इस तरह से बना रहा था, जैसे कि" उसको बहुत आनंद आ रहा हो। जबकि, किचन में मौजूद राम माधवन पकौड़ियां तल रहा था। कहने को तो वो पकौड़ी तल रहा था, किन्तु" उसके चेहरे पर उभड़े तनाव को स्पष्ट महसूस किया जा सकता था। तनाव होता भी क्यों नहीं?. इस पागल के सुरक्षा की जिम्मेदारी जो सिर पर थी। हां, बाँस का सख्त आदेश था कि" कुमाऊ रंजन की देखभाल अच्छे से की जाए। तभी तो रोमील अभी पुलिस स्टेशन गया था और अब उसके सिर पर इस पागल की जिम्मेदारी थी। नहीं तो, उसका बस चलता तो, कब का कुमाऊ रंजन को भगा चुका होता।
                             कुमाऊ रंजन की हरकत भी अजीब सी थी। वह बार-बार अलग-अलग चीजों को खाने की फरमाइश करता था और अभी भी यही बात थी। तभी तो राम माधवन को पकौड़ियां तलने आना पड़ा था। ऐसे में बिंदास स्वभाव का राम माधवन चिढ चुका था। अगर बाँस के हुक्म की बात नहीं होती, तो अब तक उसने इस खूसट पागल कुमाऊ रंजन को सबक सीखा दिया होता। खैर, उसके मन की स्थिति उस जुआरी की तरह हो रही थी, जो सर्वस्व जुआ में हार चुका हो। स्वाभाविक ही था, इस तरह से किसी की सेवा हजूरी में जुटे रहना, वह भी एक पागल के, उसके स्वभाव के विपरीत था। परन्तु....कहते है न कि, मरता क्या नहीं करता।
                                तभी तो, पकौड़ियां तैयार होते ही प्लेट में रख कर उसने हाँल में कदम रखा और उसकी नजर गेट से प्रवेश कर रहे शांतनु देव और सलिल पर गई। हाश!....अब शांति मिलेगी। राम माधवन सुकून सा महसूस करता हुआ अपने-आप से बोला। तब तक तो सलिल एवं शांतनु देव कुमाऊ रंजन के करीब आकर बैठ चुके थे। वह भी तो पकौड़ी के प्लेट लेकर उसके करीब पहुंच चुका था और अब उसके सामने टेबुल पर रखा। फिर तो उसके प्लेट रखने की देर थी कि" कुमाऊ रंजन पकौड़ियों पर टूट पड़ा और अपने दोनों हाथ से उठा-उठा कर मुंह में ठूंसने लगा। जबकि शांतनु देव ने जब से हाँल में कदम रखा था, उसकी नजर कुमाऊ रंजन पर ही टिकी हुई थी।
                      हां, शांतनु देव की आँखों में आश्चर्य के भाव थे और वो गहरी नजरों से कुमाऊ रंजन को ही देखे जा रहा था। उसे विश्वास ही नहीं हो रहा था कि" प्रसिद्ध स्टेज आर्टिस्ट एवं विख्यात लेखक उसके सामने बैठा हुआ है, वह भी इस हालत में। जबकि सलिल, वह तो बस कुमाऊ रंजन को खाते हुए देख रहा था, बस गहरी नजरों से। साथ में मन में इस विचार को भी मथता हुआ कि" समय की गति कितनी न्यारी है। समय किसी का मोहताज नहीं होता, बल्कि पूरी दुनिया इसकी मोहताज है। यह पलक झपकते ही किसी को राई से पर्वत तो किसी को पर्वत से राई बना सकता है। बस मानव समय के आते हुए पदचाप को समझ नहीं पाता। नहीं तो, वह कभी ऐसी गलती नहीं करता, जिससे कि" उसका पतन अवश्यंभावी हो जाए। परन्तु....कुमाऊ रंजन के साथ क्या हुआ होगा? यह प्रश्न ही तो था सलिल के लिए। अभी वो इस संदर्भ में और भी सोचता, तभी शांतनु ने उसे टोका।
यार सलिल!....अगर मैं गलत नहीं हूं, तो यह कुमाऊ रंजन है। महान स्टेज आर्टिस्ट और उपन्यासकार?...... शांतनु देव ने पुछा और नजर सलिल पर टिका दी। जबकि उसकी बातें सुनकर एक पल के लिए सलिल सोचने लगा, फिर निर्णय पर पहुंचता हुआ बोला।
हां शांतनु!.....तुम सही सोच रहे हो। ये कुमाऊ रंजन ही है, परन्तु फिलहाल तो ऐसा लगता है कि" ये अपने अस्तित्व को भूल चुके है। बोलने के बाद एक पल के लिए रुका सलिल, फिर आगे बोला। यार शांतनु!...कल शाम को जब मैं तुम्हारे पास से लौट रहा था, तो इन्हें भीख मांगते हुए देखा और साथ ले आया।
तो तुम्हें इनको इनके परिवार के हवाले कर देना चाहिए था। सलिल की बात सुनते ही शांतनु देव बीच में तपाक से बोल पड़ा। जबकि, उसकी बातों को सुनकर सलिल धीरे से बोला।
यार शांतनु!....अगर मुझे इनके परिवार के बारे में जानकारी होती, तो तुम्हें लगता है कि" अभी तक ये यहां मौजूद होते। बोलने के बाद रुका सलिल, फिर आगे बोला। परन्तु....जल्द ही इनके बारे में अखबार में इश्तहार दूंगा। सलिल ने कहा और अभी वो आगे भी बोलता, लेकिन तभी राम माधवन किचन से काँफी का कप संभाले हुए आ गया। तभी तो वे लोग काँफी पीने में व्यस्त हो गए। किन्तु" शांतनु देव के दिमाग में विचार चल रहा था, तभी तो वो काँफी पीते हुए बोला।
यार सलिल!....मेरे विचार से हम लोगों को आज किसी वियर बार में चलना चाहिए और चाहो तो, कुमाऊ रंजन को भी साथ ले लेते है। शांतनु देव ने कहा और सलिल के चेहरे को देखने लगा। जबकि सलिल एक पल विचार करने के बाद बोला।
बात तो तुम सही करते हो।.....परन्तु, मैं चाहता हूं कि अभी पुलिस स्टेशन चलूं पहले। फिर तो शाम होने में अभी बहुत समय बाकी है। 
                                सलिल ने कहा और शांतनु देव ने सहमति जता दी। फिर तो, काँफी खतम होने के बाद वे लोग बाहर निकले। राम माधवन ने ड्राइविंग शीट संभाल ली, जबकि कुमाऊ रंजन को उसके बगल में बिठाया गया और सलिल एवं शांतनु देव पीछे बैठ गए। फिर तो कार सरपट सड़क पर दौड़ने लगी और करीब तीन बजे पुलिस स्टेशन पहुंच गई। इसके बाद तो सलिल ने आँफिस में पहुंचते ही रोमील को निर्देशित किया कि" रजौली को टाँर्चर रूम में तैयार रखे। फिर तो वे लोग आँफिस में नहीं रुके, क्योंकि" उनका आगे का प्लान भी बन चुका था। तभी तो वे लोग टाँर्चर रूम में पहुंचे। हलांकि , कुमाऊ रंजन को वे साथ लेकर आए हुए थे, इसलिये इस समय भी कुमाऊ रंजन उनके साथ था।
                                 तभी तो, कुमाऊ रंजन की नजर रजौली पर गई और रजौली ने उसे देखा। दोनों के आँखों में आश्चर्य की अधिकता बहुत थी। फिर तो, अचानक ही कुमाऊ रंजन चीखने- चिल्लाने लगा। रज्जो-रज्जो" वह इतने तीव्र स्वर में इस शब्द को उच्चारित कर रहा था कि" एक पल के लिए किसी को भी समझ नहीं आया कि" अचानक ही टाँर्चर रूम में कदम रखने के साथ ही कुमाऊ रंजन को क्या हो गया?.....जबकि" अचानक ही चिल्लाते - चिल्लाते कुमाऊ रंजन पर दौड़े पड़ने लगे। उसके पूरे शरीर से पसीना छलकने लगा और अचानक ही वह बेहोश होकर धड़ाम से फर्श पर गिर पड़ा। तभी तो, अचानक ही उसे इस तरह से गिरते देखकर वे सभी चौंके, खास कर सलिल एवं शांतनु देव।
                                उन्हें तो उम्मीद नहीं थी कि" इस प्रकार की घटना भी घट सकती है। अभी तो उन्हें कुछ भी समझ नहीं आया था, तभी रोमील दौड़ा और उसने कुमाऊ रंजन को संभाल लिया। जबकि, सलिल एवं शांतनु देव की नजर "रजौली" पर अचानक ही गई और उनके आश्चर्य में इजाफा हुआ। उन दोनों ने देखा कि, रजौली एकटक ही कुमाऊ रंजन के चेहरे को देख रही थी।  उसे इस तरह से कुमाऊ रंजन को देखते पाकर उन दोनों को समझ ही नहीं आया कि" आखिर बात क्या है?..... परन्तु, अभी इन बातों को सोचने का समय नहीं था, अभी तो कुमाऊ रंजन को प्राथमिक उपचार की जरूरत थी। इसलिये रजौली के पास राम माधवन को छोड़ कर वे लोग कुमाऊ रंजन को लेकर बाहर निकले। फिर तो उनकी कार हाँस्पिटल के लिए निकली। 
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क्रमशः-

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रचनाएँ
रजौली
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अपराध की पृष्ठभूमि होती है। बिना पृष्ठभूमि के अपराध हो ही नहीं सकता और पृष्ठभूमि हमारा समाज ही बनाता है। बिना सामाजिक एवं राजनीतिक पोषण के अपराध कभी भी पनप ही नहीं सकता।.....कहीं समाज किसी के ऊपर अत्याचार करता है, तो अपराध का जन्म होता है, तो कहीं समाज अपने निहित स्वार्थ को साधने के लिए अपराध को बाढावा देता है। कहने का तात्पर्य यही है कि" अपराध के जन्म लेने का कारण हम और आप कहीं न कहीं है। बिना राजनीतिक स्वार्थ के अपराधियों का मनोबल कभी भी नहीं बढ सकता। "रजौली" एक ऐसे युवती की कहानी है, जो अपने आप में ही उलझी हुई है। "रजौली" वास्तव में एक वेदना है, जो अत्यधिक शोषण की भट्टी से ज्वालामुखी बनकर निकलती है। मदन मोहन" मैत्रेय
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रजौली-एक छल कथा

5 नवम्बर 2022
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अपराध की पृष्ठभूमि होती है। बिना पृष्ठभूमि के अपराध हो ही नहीं सकता और पृष्ठभूमि हमारा समाज ही बनाता है। बिना सामाजिक एवं राजनीतिक पोषण के अपराध कभी भी पनप ही नहीं सकता।.....कहीं समाज किसी के ऊपर अत्य

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पुलिस मूख्यालय........

6 नवम्बर 2022
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दिन के दस बजे से ही पुलिस मूख्यालय में बैठकों का दौर जारी था। वैसे तो पंद्रह अगस्त को लेकर दिल्ली में आर्मी बालों का कमांड हो जाता है। फिर भी प्रशासनिक व्यवस्था संभालने की जिम्मेदारी पुलिस की होती है।

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खंडहर........

7 नवम्बर 2022
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शाम ढलने को व्याकुल हो चुका था। लगता था कि" अब कुछ ही देर में अँधेरे का साम्राज्य व्याप्त हो जाएगा और होना भी यही चाहिए। क्योंकि यह समय चक्र है और इसमें सभी कुछ निर्धारित होता है, पहले से ही। इससे आज

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घटना स्थल का मुआयना एवं सलिल का हाँस्पिटल जाना........

8 नवम्बर 2022
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शाम का अंधेरा घिरने लगा था, लेकिन अमूमन जैसा होता है, शहर पर इस अंधेरे का कोई प्रभाव नहीं पड़ा था। तभी तो हनुमान चौक का इलाका रोशनी में जगमगाता हुआ प्रतीत हो रहा था। लेकिन अभी वहां पर बिल्कुल मातमी सन्

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रीठाला मेट्रो स्टेशन.......

9 नवम्बर 2022
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रात के एक बजे, मेट्रो में अपेक्षाकृत काफी कम यात्रियों की संख्या थी। कोरोना काल के गुजर जाने के कारण शहर व्यवस्थित हो चुका था, किन्तु पहले जैसी रफ्तार अभी नहीं पकड़ पाया था। दूजे कि" रात ज्यादा हो जाने

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सलिल का हाँस्पिट से रीठाला मेट्रो स्टेशन की ओर जाना.........

10 नवम्बर 2022
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रात बारह बजे।सलिल हाँस्पिटल से बाहर निकला था और अब जूस की दुकान खोज रहा था। शांतनु देव को गोली लगने के कारण उसका हृदय बहुत हद तक मर्माहत हुआ था। बार-बार उसे शांतनु देव पर गुस्सा भी आ रहा था। इतना तेज-

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उस औरत को हाँस्पिटल ले जाना और पुलिस द्वारा प्रेस रीलिज दिया जाना........

11 नवम्बर 2022
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रोमील के द्वारा उन चारों घायलों को ले जाने के बाद सलिल ने उस औरत को देखा। तब तक हथियार धारी फोर्स उसके करीब पहुंच चुका था और उन लोगों की नजर सलिल पर टिक गई थी, मानो जानना चाहते हो कि" कुछ देर पहले किस

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मंत्री भानु शाली.......

12 नवम्बर 2022
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सुबह के पांच बज चुके थे।अमूमन तो इस समय मंत्री आवास पर किसी प्रकार का चहल-पहल नहीं होता था। किन्तु" अभी-अभी मंत्री साहब की आँख खुली थी और उन्होंने न्यूज चैनल लगा दिया था और ऐसे ही एक नजर देख लेने की इ

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रजौली को पुलिस स्टेशन लाना और उससे पूछताछ.......

14 नवम्बर 2022
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सुबह के छ बजते ही आकाश सूर्य किरण की आभा से जगमगा उठा। उगते हुए सूर्य के साथ ही एल.

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मंत्री भानु शाली का पंडित जगतपति से मिलना.......

14 नवम्बर 2022
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सुबह के आठ बज चुके थे और इसके साथ ही चारों ओर प्रकाश का साम्राज्य छा चुका था। वैसे भी आकाश साफ था, जिसके कारण किरण का निखार कुछ ज्यादा था। लेकिन मंत्री भानु शाली के चेहरे से प्रतीत हो रहा था कि" उनके

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टाँर्चर रुम........

15 नवम्बर 2022
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सलिल, रजौली के द्वारा इस तरह लगाए जा रहे ठहाकों से परेशान हो चुका था। उसे उम्मीद थी कि" रजौली इस तरह के हरकत करने के बाद शांत हो जाएगी और फिर उसके साथ सहयोग करेगी। किन्तु नहीं, रजौली तो रुक-रुक कर करी

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मुहम्मद काजी.........

16 नवम्बर 2022
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सफेद लुंगी, उसपर नीले रंग का कुर्ता और सिर पर जालीदार सफेद टोपी।....चेहरे पर चमक, आँखों पर गोल चश्मा, लंबा कद। चेहरे पर मूंछ नहीं थी, किन्तु" लंबी सफेद दाढी, उम्र यही करीब पचपन वर्ष के करीब। मुहम्मद क

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सलिल के द्वारा पेट्रोलिंग किया जाना और हाँस्पिटल पहुंचना.........

17 नवम्बर 2022
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एस. पी. साहब के जाने के बाद जैसे सलिल की तंद्रा टूटी हो। फिर तो उसने रोमील एवं राम माधवन को आँफिस में बुलाया और समझाया कि" उसे आगे क्या करना है? साथ ही उसने पुलिस मूख्यालय भी फोन कर दिया कि" अतिरिक्त

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सलिल की कुमाऊ रंजन से मुलाकात........

18 नवम्बर 2022
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सलिल को अचानक ही आया देखकर शांतनु देव चौंका जरूर था, किन्तु" उसने अपने चेहरे पर इन भावों को नहीं आने दिया और सलिल को अपने करीब बैठने के साथ ही उसके चेहरे पर नजर टिका दी। जबकि सलिल, उसके करीब बैठने के

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मंत्री साहब का वकील दिगंबर से मिलना.......

19 नवम्बर 2022
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शाम के सात बज चुके थे और अब आसमान में तारे जगमग करने लगे थे। मंत्री भानु शाली अभी अपने बंगले से निकला था" वकील से मिलने के लिए। वैसे भी कुछ सेकेन्ड पहले हुई जोरदार बारिश ने रोड पर पानी जमा कर दिया था।

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कुमाऊ रंजन के साथ सलिल का पुलिस स्टेशन लौटना.......

20 नवम्बर 2022
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अचानक से ही बरसात की शुरुआत हो जाने के कारण एक पल के लिए सलिल हकबका सा गया। एक तो रात का आलम ढल चुका था, दूसरे आसमान से तेज गति से गिर रही बारिश की बुंदे। एक पल के लिए उसे समझ ही नहीं आया कि, क्या करे

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शांतनु देव का स्वप्न.........

21 नवम्बर 2022
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शांतनु देव को पंख लग गए थे और वो आसमान में ऊँचे- ऊँचे उड़ता जा रहा था। उसकी कोशिश भी तो यही थी कि" नील गगन के आँचल में दूर-दूर तक परवाज करें और फिर उसके तो पंख लग गए थे। कोमल-कोमल सफेद पंख, जिसमें बहुत

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सलिल एवं एस. पी. साहब का पुलिस स्टेशन पहुंचना और रजौली से पूछताछ करना.......

22 नवम्बर 2022
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सुबह के पांच बजने के साथ ही सलिल ने अंगड़ाई ली। कहां तो रजौली के कहे अनुसार दिल्ली शहर धमाके की आवाज से दहल जाना चाहिए था, परन्तु....ऐसा कुछ भी नहीं हुआ था। शहर तो अपनी चाल में गति कर रहा था, ऐसे में स

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शांतनु देव की चिन्ता और पुलिस स्टेशन जाना.........

23 नवम्बर 2022
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मानव मन की रचना ईश्वर ने अजीब प्रकार की- की है। जब मानव सुख में होता है, चिंतन नहीं करता और जब दुःख में होता है, चिंतनशीलता का आवरण ओठ लेता है। परन्तु... विचार, जो कि" मानव मन के साथ हमेशा ही लगे रहते

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सलिल के द्वारा शहर के चक्कर लगाना और पुलिस स्टेशन लौटना...........

25 नवम्बर 2022
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दिन के दस बजने बाले थे, किन्तु सलिल को अभी तक कहीं सफलता नहीं मिली थी। रजौली" ने जितने भी पते बतलाए थे, उन तमाम जगहों पर अब तक छापामारी की गई थी। परन्तु....वे तमाम जगह, जहां दूर-दूर तक भी संभावना नहीं

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रजौली" से फिर से पूछताछ और कोर्ट की नोटिस........

25 नवम्बर 2022
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सलिल एवं एस. पी. साहब को अजीब नजरों से अपनी ओर देखता पाकर शांतनु देव एक पल के लिए बौखला ही गया। उसकी इच्छा हुई कि" दोनों से पुछे कि, इस तरह से क्यों देख रहे हो?...परन्तु अचानक ही उसने अपने इस विचार को

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रजौली की कोर्ट में पेशी और सलिल का अपार्ट मेंट पर लौटना.......

26 नवम्बर 2022
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कोर्ट के नोटिस को देखने के बाद जहां सलिल की त्योरियां चढ गई, वही पर एस. पी. साहब एवं शांतनु देव के चेहरे पर चिन्ता की लकीरें खींच गई। अब भला शांतनु देव से ज्यादा कौन इस बात को समझ सकता था कि" रजौली के

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कुमाऊ रंजन से शांतनु देव की मुलाकात और कुमाऊ रंजन का रजौली से मिलना.......

27 नवम्बर 2022
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अपार्ट मेंट के अंदर हाँल में कुमाऊ रंजन सोफे पर अकड़ूँ बैठा हुआ था, परन्तु.....उसकी नजर टी. बी स्क्रीन पर ही चिपकी हुई थी। टी. बी. स्क्रीन पर चल रहा एंटरटेंनमेंट, लगता था कि, कुमाऊ रंजन तन्मयता से देख

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मंत्री भानु शाली के घर मीटिंग.......

28 नवम्बर 2022
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शाम ढलने को तत्पर था और लगता था कि" रात के अंधेरे का आवरण अब वातावरण को अपने आगोश में समेट लेगा। ठीक उसी तरह मंत्री भानु शाली के हृदय में भी भय रुपी अंधेरा घनघोर बादल की तरह बढते जा रहे थे और आतुर थे

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हाँस्पिटल में कुमाऊ रंजन की यादाश्त वापस लौटना......

29 नवम्बर 2022
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अचानक ही कुमाऊ रंजन का तबीयत बिगड़ने के बाद सलिल उसे हाँस्पिटल ले आया था। डाक्टरों की टीम कुमाऊ रंजन को इमरजेंसी वार्ड में ले गई थी। परन्तु अब तक सलिल इस सदमे से बाहर नहीं आ सका था कि" आखिर कुमाऊ रंजन

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मंत्री भानुशाली का जज साहब से मिलना.......

30 नवम्बर 2022
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काफी मनोमंथन के बाद भी जब वे लोग किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंच सके। मुहम्मद काजी ने सुझाव दिया कि" क्यों न हम लोग जज साहब से मिल ले। शायद वहीं से कोई रास्ता निकल आए। दावा पूर्वक तो कुछ नहीं कहा जा सकता

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सलिल का कुमाऊ रंजन के साथ पुलिस स्टेशन लौटना और कुमाऊ रंजन का बीते दिनों की यादों में जाना.....

1 दिसम्बर 2022
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सलिल ने ड्राइविंग शीट संभाली, रोमील कुमाऊ रंजन के साथ पीछे बैठा, जबकि बगल बाली शीट पर शांतनु देव बैठ गए। इसके बाद सलिल ने कार श्टार्ट की और हाँस्पिटल गेट से निकाल कर सड़क पर दौड़ा दिया। यूं तो सलिल शांत

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