अमर विराग निहाल !
चरण-चरण -संचरण -राग पर
प्रिय के भाग निहाल !
अनबोली साँसों की जाली
गूंथ-गूंथ निधि की छवि आली
अनमोली कुहकन पर लिख-लिख
मान भरी मीड़ें मतवाली
स्वर रंगिणि, तुम्हारी वीणा पर
अनुराग निहाल !
अमर विराग निहाल !
कौन गा उठा री ! वनमाली
मिल-मिल महक उठी है डाली,
'राधे-राधे' बोल रही है
पिकी 'प्राण-पिंजरे' की पाली
चितवन पर वाणी के मधुरे
सौ-सौ त्याग निहाल !
अमर विराग निहाल !