यह कहानी है एक गाँव के एक छोटे से लड़के की, जिसका नाम रामु है। रामु का गाँव एक सुंदर पहाड़ों के बीच बसा हुआ था, जिसकी प्राकृतिक सौंदर्य अद्वितीय था। परंतु, इस गाँव में साक्षरता की दरकार थी।
रामु के पिता एक खेत में काम करने वाले थे और वे अकेले बड़े ज्यादा पढ़े-लिखे नहीं थे। वे चाहते थे कि रामु उनसे बेहतर जीवन जी सके, और इसके लिए उन्होंने रामु को सिर्फ़ खेती-बाड़ी के साथ ही शिक्षा भी दिलाई।
रामु की मां को भी शिक्षा का महत्व समझ में आता था। वह गाँव के छोटे स्कूल में अध्यापिका थी। वह अपने पुत्र के लिए शिक्षा के साथ खेती-बाड़ी को भी महत्वपूर्ण मानती थी।
अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस के मौके पर, गाँव में एक विशेष प्रोग्राम आयोजित हुआ। गाँव के लोग अपने शिक्षार्थियों के साथ उपस्थित हुए और उनके शिक्षाकों का सम्मान किया। रामु और उसकी मां भी उस प्रोग्राम में भाग लिये।
इस अवसर पर, रामु की मां एक दिलचस्प भाषण देने का मौका मिला। उन्होंने बताया कि शिक्षा ही एक व्यक्ति के जीवन को सुधार सकती है और उसे नई दुनियां की ओर ले जा सकती है। वे गरीबी और असहमति के बावजूद भी अपने पुत्र को पढ़ाई दिलाने के लिए पूरी कोशिश की थीं।
रामु ने भी अपने संकल्प की पुष्टि की और बताया कि उसका लक्ष्य है बड़े होकर एक शिक्षाग्रही बनना। उसने अपनी मां की प्रेरणा को अपनाया और मेहनत के साथ पढ़ाई की।
इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि साक्षरता एक व्यक्ति के जीवन को सुधार सकती है और समाज को प्रगति की ओर ले जा सकती है। चाहे कितनी भी मुश्किलें आ जाएं, शिक्षा के माध्यम से हम अपने लक्ष्यों को हासिल कर सकते हैं।