फूलों सी नाज़ुक, चाँद सी उजली मेरी गुड़िया ।
मेरी तो अपनी एक बस, यही प्यारी सी दुनिया । ।
सरगम से लहक उठता मेरा आंगन ।
चलने से उसके, जब बजती पायलिया । ।
जल तरंग सी छिड़ जाती है ।
जब तुतलाती बोले, मेरी गुड़िया । ।
गद- गद दिल मेरा हो जाये ।
बाबा- बाबा कहकर, लिपटे जब गुड़िया । ।
कभी घोड़ा मुझे बनाकर, खुद सवारी करती गुड़िया ।
बड़ी भली सी लगती है, जब मिट्टी में सनती गुड़िया । ।
दफ्तर से जब लौटकर आऊं ।
दौड़कर पानी लाती गुड़िया । ।
कभी जो मैं, उसकी माँ से लड़ जाऊं ।
खूब डांटती नन्ही सी गुड़िया । ।
फिर दोनों में सुलह कराती ।
प्यारी- प्यारी बातों से गुड़िया । ।
मेरी तो वो कमजोरी है, मेरी सांसो की डोरी है ।
प्यारी नन्ही सी मेरी गुड़िया । ।