बहुत समय पहले की बात है, एक छोटे से गाँव में एक छोटा सा बच्चा था जिसका नाम राजू था। राजू बहुत ही उत्साही था और वह दीपावली के त्योहार को बहुत ही धूमधाम से मनाना चाहता था।
राजू ने अपने छोटे से गाँव को सजाने का प्लान बनाया था। उसने गाँव के बच्चों को मिलकर रंग-बिरंगे दीपक बनाने का आयोजन किया। सभी बच्चे मिलकर नाचे-गाए और सजीव हो गए।
राजू ने गाँव के बड़े मंदिर में दीपावली की पूजा का आयोजन किया और सभी लोग मिलकर भगवान का आभास किया। फिर राजू ने सभी को मिठाई और उपहार देकर खुश किया।
इस छोटी सी कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि दीपावली का असली अर्थ एक-दूसरे के साथ मिलकर खुशी मनाना है और साझा करना है। छोटी-छोटी खुशियाँ और एकता हमें अच्छे और खास पलों को साझा करने का मौका देती हैं।