भूकम्प के आवाज़, भूमि का कराह,
दरिया के तूफान से बढ़ कर है ये डराह।
धरती हिलती है, जीवन के संघर्ष में,
लोग भागते हैं, खो देते हैं अपने घर में।
त्रासदी का सच, दर्द और आँसू,
हर किसी का दिल दुखाकर ये आता है सब पर।
लेकिन आदमी आदमी से मिलकर,
साथ मिलकर उभरता है, ये त्रासदी का अर्थ।
एक दूसरे के साथ, हाथ में हाथ डाल,
भूकम्प और त्रासदी को हम साथ मिलकर पार कर सकते हैं।