रक्षाबंधन की पौराणिक कथाओं पर कविता:
सवाई वीर रवि की कथा है सुनो,
कर्णा बन गए थे उनके दोस्त।
उनके हाथों में बंधन बांधा,
रक्षाबंधन की यही थी प्रस्तावना।
कर्णा ने द्रौपदी को रक्षा की थी शपथ,
जब उसकी मदद की थी थोड़ी सी बात।
रक्षाबंधन का रिश्ता हो गया मजबूत,
दोस्ती का पावन बंधन, सदैव ख़़ुशियों से फूलत।
कृष्णा और द्रौपदी की कथा सुनो,
साखी बने थे वो एक-दूसरे के।
कृष्णा ने अपना हाथ बढ़ाया,
रक्षाबंधन की बनी यही कहानी।
द्रौपदी ने कृष्णा को बांधा यही व्रत,
उनकी मित्रता में था अद्वितीय रस।
रक्षाबंधन के पावन पर्व पर,
यह कविता यादों में बुनती है स्थायी वस।