जब सूरज की किरणें छूने लगतीं धरा,
और भाषा वो हो जाती है मातृभाषा हमारा।
बचपन की वो मिठास और उसकी गर्माहट,
माँ की गोदी की लोरियों का वो संगीत।
जब सब भूल जाते हैं ये सारे वार्ता,
बस वो है जो जीवन का सबसे मधुर हर्ष।
हर भाषा का अपना एक आलंब होता है,
मातृभाषा वो जो दिल की हो बात होती है।
उसकी भी मधुरता में छुपा है एक जादू,
जो आँखों को बहाये और दिल को भर दे खुशी।
मातृभाषा की खूबसूरती अद्वितीय है और अनूठी,
इसमें बसी है एक खास बात जो अनुपम और सुंदर है।
यह है हमारी भाषा, मातृभाषा की कविता,
जो लोगों के दिलों में बसती है हमेशा अमित।