उत्तराखंड की पुरानी चोटियों में,
बसी है एक कहानी, दुखद और भारी।
सुरंग की अंधकार में, रात की गहराई,
बसे हुए थे अनेक सपने, आसमान की ऊचाई।
सैनिक थे वीर, जवानों की सेना,
देश के लिए जुटे, आत्मा में ज्यादा जूनून सा।
धृतराष्ट्र की आँखों में थी उम्मीद,
बलिदानी हो जाएं, इस युद्ध की वीर जीवन में।
सुरंग में चली रही उनकी कहानी,
बचाव के लिए खड़ी थी वहाँ सभी कहानियाँ।
लेकिन एक दिन आया, भयानक हादसा,
खो गई सुरंग में सबकुछ, हुई अचानक संसार से बसा।
जवानों ने धैर्य बनाए रखा, देशभक्ति से भरा,
ढलती रात में भी, थी उनकी आंधी ताकत से माता।
सुरंग की गहराईयों में जलती थी आस,
जवानों की मेहनत थी उसमें बसी हुई आसा।
हे भगवान! बचा लो हमें इस बंदरगाह से,
देशभक्तों की गुहा से निकालो, इस अंधकार से।
सुन लिया भगवान ने उनकी पुकार,
चमक उठी आकाश में, चमके सूरज का प्यार।
सुरंग की आँधी में हुआ एक चमत्कार,
निकली वहां से जवानों की दृढ़ बहादुरी का संगर।
उत्तराखंड की धरती रोयी हंसी से,
जवानों की कड़ी मेहनत ने बनाई राष्ट्रीय गाथा।
जय हिन्द! जय जवान! बनी उनकी कहानी,
उत्तराखंड की सुरंग में, हुआ अद्भुत बलिदानी।