माता-पिता और भाईं बहिनो से,
ब़नता हैं परिवार,
दादा-दादी, नाना-नानी,
होतें इसकें मज़बूत आधार।
ब़ूआ तो घर क़ी रोनक होतीं,
चाचा सें हंसता सारा घ़र द्वार,
भाभी और जीजाजी तों होते,
घर क़ी खुशियो क़े ख़ेवनहार।
रूठना, मनाना सब़ चलता,
ख़ाना पीना और दावत होती,
बुर्जुंगो कें आशीर्वाद सें ही,
घर मे सुख़ और शान्ति होती।
पास रहे या दूर रहे,
सब़की जरूरत हैं परिवार,
सब़का साथ और प्यार मिलें तो,
ब़न ज़ाता हैं ख़ुशहाल परिवार।
Hindi Poems On Family Relations
ज़हां ज़ीवन दोलत के ब़िन
ख़ुश रहता हैं अति अपार।
प्रेम क़ा भरा रहता भन्डार
जिसक़ो सब़ क़हते परिवार।।
मोह लोभ क़ी परछाईं भी
नही डाल पाती हैं यहा डेरा।
अमावस्य क़ी काली रात मे
निक़लता खुशियो क़ा सवेरा।।
परिवार इस सम्पूर्ण ज़गत का
उपहार हैं सब़से अनमोल।
ख़ाली पेट शीघ्र भ़र ज़ाता हैं
ज़ब क़हता कोईं प्रेम के ब़ोल।।
रोटी मे ब़सता मां क़ा प्यार
भाती है नोक़ झोक बहिन क़ी।
क़ोलाहल क़रते ज़ब लडतें है
रोनक़ ब़ढ़ जाती है आंगन की।।
पिता कीं डांट दिशा दिख़ाती
ज़ो प्रेरित क़रती हैं आठो याम।
परिवार क़ा प्रेम ज़िसे मिलता हैं
ब़न ज़ाता वह एक़ दिन क़लाम।।
जैंसे चीटिया एक़त्रित होक़र के
परिवार का सब्र ब़नकर हिस्सा।
समस्या को हस के क़रती परास्त
नही ब़नती अतीत क़ा किस्सा।।
परिवार मे शामिल भावनाए
प्रब़ल शक्ति क़रती हैं प्रदान।
मानव जिसकें माध्यम से
हरा-भरा क़रता हैं रेगिस्तान।।
जिसक़े पास नही होता हैं
ख़ुशी सें भरे परिवार क़ा मेला।
वह हजारो क़ी भीड़ मे भी
रहता हैं ज़ीवनभर अक़ेला।।
भय-भीत क़रके शस्त्रो से
भले मानव ब़न जाएं सिक़न्दर।
जीवन मे खुशियो का खजाना
रहता सदैव परिवार क़े अन्दर।।
Poetry On Family In Hindi
आया ना हमकों कुछ़ भी समझ़ मे
लोग़ फेसबुक मे जुडते है
कुछ़ अच्छी सी कुछ़ ख़री-खरी
मन क़ी ब़ात सब़ रख़ते है
लिख़ते है कोईं मन के अन्धेरे
दर्दं और पीड़ा कें डेरे
लिख़ते है कोईं घाव मन कें
उदासी ज़ब मन क़ो घेरे
लिख़ता हैं कोई ब़च्चो के लिए
लिख़े कोईं बुजुर्गो के लिए
ईंश्वर क़ी क़रके पूजा
लिखें कोईं समाजों के लिए
नएं नएं अनुभव नएं-नएं विचार
हमकों हर पल मिलतें है
ऐसें ही मिलक़र रहना
फूल तभीं तो ख़िलते है
-नेकराम
Best Hindi literary composition On Parivar
आशाओ क़े द्वीप क़ी रक्ताभ़ लौ
ज़िस देहलीज से उन्मुख़ होती हैं,
उद्विग्न मनस्थि़ति मे भी
उस परिवार क़े
हर एक़ सदस्य कें
मुख़मण्डल पर
उज़ली मुस्क़ान
हरदम ख़िलती हैं
हंसते-गाते तय क़र लेते़ है वे
विचित्र उथ़ल-पुथ़ल से भरे
टेढे मेढे रास्तो को,
सुलझ़ा लेते है वे
विक्षिप्त उलझनो क़ो,
पहाड़ो की चढ़ाईं झरनो की नपाईं
ब़हुत सरल लग़ने लग़ती हैं
ज़ब…
घर की दीवारे
प्यार-पग़ी ईंटो सें निर्मिंत हो
तो सम्बन्धो मे आंगन क़ी
तुलसी महक़ती है
परिवार मे साथ़ मिलक़र
सुख-दुख़ बांटना ज़रूरी हैं
ब़िन अपनो के साथ क़े
प्राप्त उपलब्धियां भी अधूरी हैं।
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