समाचार की गोलियों से, हमारे दिलों को लगता घाव,
सत्य का बोझ उठाकर, मीडिया बन गया बहिष्कार।
कविता की आवाज़ से, हम ढूंढ़ते हैं सच को,
मन में जागरूकता फैलाकर, सीखते हैं उसका मोक्ष को।
मीडिया के दुरुपयोग से, सत्य का भूल जाना है,
कविता के सजीव शब्दों से, आत्मा को जगाना है।
सोशल मीडिया की दुनिया में, सत्यता का इनाम है बड़ा,
कविता के सौंदर्य से, हमें बचाना है इसे खराब से।
इसलिए मीडिया का बहिष्कार, कविता के साथ जाता है,
सत्य की पहचान करके, हमें अपनी ज़िन्दगी बचाना है।