वो कलाम नहीं कमाल थे…
मिसाइलमैन वो बेमिसाल थे…
उनकी खूबियां करती रहेगीं
पथ प्रदर्शन मेरा…
वो मेरी मातृभूमि की ढाल थे…
वो कलाम नहीं कमाल थे…।।
तेरे ना होने का शिकवा तुझसे कैसै लिखूं ए कलाम…
आज मैं भी गमगीन हूं मेरी कलम भी गमगीन है…।।
15 अक्टूबर 2022
वो कलाम नहीं कमाल थे…
मिसाइलमैन वो बेमिसाल थे…
उनकी खूबियां करती रहेगीं
पथ प्रदर्शन मेरा…
वो मेरी मातृभूमि की ढाल थे…
वो कलाम नहीं कमाल थे…।।
तेरे ना होने का शिकवा तुझसे कैसै लिखूं ए कलाम…
आज मैं भी गमगीन हूं मेरी कलम भी गमगीन है…।।