एक समय की बात है, एक छोटे से गांव में एक बड़ा ही प्यारा बच्चा था जिसका नाम गोपाल था। गोपाल बहुत ही निरंतर और भक्तिभाव से भगवान गणेश की पूजा करता था।
गांव में आने वाले गणेश चतुर्थी के मौके पर, गोपाल ने अपने घर की सारी बड़ी-बड़ी मित्रों को एक साथ बुलाया और एक सुंदर गणेश विग्रह की तैयारी करने का आलंब लिया। वह और उसके मित्र एक साथ मिलकर विग्रह का आकार देने लगे।
गोपाल की भक्ति और समर्पण के साथ, विग्रह तैयार हुआ। वह विग्रह पर मित्रों के साथ मिलकर रंगीन फूल और पानी की गंगाजल से सजाने लगे। इसके साथ ही, वे धूप, दीप, और मिठाई की थालियाँ भी तैयार करने लगे।
गणेश चतुर्थी के दिन, गोपाल और उसके मित्र विग्रह को लेकर गणेश मंदिर गए। वहां उन्होंने विग्रह की पूजा की और मन्दिर के पुजारी से आशीर्वाद प्राप्त किया।
गोपाल और उसके मित्र ने गणेश चतुर्थी के दिन पूजा करके बड़ा ही आनंद मनाया और विग्रह को समर्पित किया। गणेश चतुर्थी के मौके पर, गोपाल और उसके मित्रों ने गणेश जी का आशीर्वाद प्राप्त किया और उनके घर में खुशियाँ और समृद्धि की बरसात हुई।
इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि भगवान गणेश की भक्ति और समर्पण से ही हम अपने लक्ष्यों को प्राप्त कर सकते हैं और खुशियों का आनंद अपने जीवन में बिता सकते हैं। गणेश चतुर्थी हमें यह याद दिलाता है कि भगवान की भक्ति में हमें निष्कलंक समर्पण और प्रेम की भावना रखनी चाहिए।